परिभाषा
प्रोलैप्स का मतलब होता है किसी अंग का अपनी जगह से खिसक जाना। आमतौर पर ऐसा पेल्विक अंगों के साथ होता है। महिलाओं में प्रोलैप्स ब्लैडर एक आम समस्या है जिसमें ब्लैडर यानी मूत्राशय अपनी जगह से खिसकर वजायना की तरफ खिसक जाता है। प्रोलैप्स ब्लैडर की समस्या क्यों होती है और क्या उसका उपचार संभव है? जानने के लिए पढ़ें यह आर्टिकल।
प्रोलैप्स ब्लैडर क्या है?
प्रोलैप्स ब्लैडर को सिस्टोसेल भी कहा जाता है। प्रोलैप्स ब्लैडर महिलाओं में होने वाली आम समस्या है। ब्लैडर पेल्विक का वह हिस्सा है जहां पेशाब एकत्र रहता है और जब यूरिनेशन की इच्छा होती है तो मूत्र ब्लैडर से होते हुए मूत्रामार्ग के जरिए शरीर से बाहर निकलता है। महिलाओं में वजायना की आगे की दीवार ब्लैडर को सपोर्ट करती है, लेकिन उम्र बढ़ने के कारण यह कमोजर या ढीली पड़ जाती है। इसके अलावा बच्चे के जन्म के समय भी वजायना की दीवार को क्षति पहुंच सकती है।
यदि वजायना की दीवार को ज्यादा नुकसान पहुंचा है, तो वह ब्लैडर को सपोर्ट नहीं कर पाती है और ब्लैडर वजायनी की तरफ खिसकने लगता है, इसे ही प्रोलैप्स ब्लैडर कहा जाता है। इसकी वजह कई तरह की समस्याएं होती है जैसे पेशाब में दिक्कत, असहजता और तनाव (जैसे खांसते, छींकते समय या थकान के कारण यूरीन लीकेज होना)।
ब्लैडर वजायना में कितनी दूर तक जाता है, इसके आधार पर इसे चार ग्रेड में बांटा जाता है।
ग्रेड 1- ब्लैडर का एक छोटा हिस्सा वजायना में गिरता है।
ग्रेड 2- ब्लैडर इतना वजायना में खिसक जाता है कि वह वजायना की ओपनिंग तक पहुंच जाता है।
ग्रेड 3 – वजायना की ओपनिंग के जरिए ब्लैडर शरीर से बाहर निकलने लगता है।
ग्रेड 4- पूरा ब्लैडर वजायना के बाहर निकल जाता है, यह आमतौर पर दूसरे पेल्विक अंगों के प्रोलैप्स से जुड़ा होता है (गर्भाशय प्रोलैप्स, रेक्टोसेल, एंट्रोसेल)
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लक्षण
प्रोलैप्स ब्लैडर के लक्षण क्या है?
प्रोलैप्स ब्लैडर के माइल्ड केस में आपको कोई लक्षण नहीं दिखेंगे, लेकिन जब लक्षण दिखते हैं तो उसमें शामिल हैः
- वजायनल ओपनिंग पर कुछ उभरा हुआ महसूस होना या दिखना
- ब्लैडर खाली करने में दिक्कत यानी पेशाब में परेशानी
- बार-बार पेशाब के लिए बाथरूम जाना या फिर बार-बार पेशाब जैसा महसूस होना
- बार-बार यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन होना
- लोअर बैक व पेल्विक एरिया में भारीपन या कुछ भरा होने का एहसास। यह एहसास जब व्यक्ति खड़ा होता है, कुछ चीज उठाता है, खांसता है या दिन गुजरने के साथ और ज्यादा होता है।
- ब्लैडर वजायना के अंदर या बाहर की तरफ उभर आता है
- सेक्स के दौरान दर्द
- टैम्पून डालने में दिक्कत
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कारण
प्रोलैप्स ब्लैडर के क्या कारण है?
पेल्विक फ्लोर मांसपेशियों, लिगामेंट्स और कनेक्टिव टिशू मिलकर बना होता है, जो आपके ब्लैडर और दूसरे पेल्विक अंगों को सपोर्ट करता है। आपके पेल्विक फ्लोर मसल्स और लिगामेंट के बीच का जुड़ाव समय के साथ कमजोर होता जाता है या फिर किसी ट्रॉमा, बच्चे के जन्म और पेल्विक फ्लोर मसल्स में लगातार तनाव के कारण यह कमजोर हो सकता है। ऐसा होने पर आपका ब्लैडर नीचे की तरफ खिसकर वजायना के अंदर चला जाता है।
प्रोलैप्स ब्लैडर के संभावित कारणों में शामिल हैः
- प्रेग्नेंसी और वजायनल बर्थ
- वजन बहुत अधिक होना
- बार-बार भारी चीज उठाना
- कब्ज
- पुराना कफ या ब्रॉन्काइटिस
- पहले हुई पेल्विक सर्जरी
- बढ़ती उम्र
- मेनोपॉज (जब एस्ट्रोजन लेवल कम होने लगता है)
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बचाव और निदान
प्रोलैप्स ब्लैडर से कैसे बचाव किया जा सकता है?
प्रोलैप्स ब्लैडर के खतरे को कम करने के लिए कुछ इस तरह खुद की देखभाल कर सकते हैः
- नियमित रूप से कीगल एक्सरसाइज करें। इस वर्कआउट से पेल्विक फ्लोर मसल्स मजबूत होती है। बच्चे के जन्म के बाद तो यह बहुत जरूरी हो जाता है।
- कब्ज का इलाज करवाएं और इससे बचने के लिए फाइबर से भरपूर चीजें खाएं।
- भारी सामान न उठाएं, किसी चीज को सही तरीके से उठाएं। जब आप कोई सामान उठाते हैं तो कमर और पीठ की बजाय पैरों का इस्तेमाल करें।
- बार-बार आने वाली खांसी और ब्रॉन्काइटिस का इलाज करवाएं।
- स्मोकिंग से परहेज करें।
- वजन कंट्रोल में रखने की कोशिश करें। वजन कम करने के संबंध में आप अपने डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं।
प्रोलैप्स ब्लैडर का निदान कैसे किया जाता है?
पेल्विक परीक्षण और मरीज की मेडिकल हिस्ट्री से डॉक्टर को प्रोलैप्स ब्लैडर का पता चलता है। परीक्षण आपको टेबल पर लिटाकर, किसी चीज़ को धक्का मारते और खड़े में भी किया जा सकता है। अन्य टेस्ट जिसके जरिए प्रोलैप्स ब्लैडर का निदान किया जाता है, में शामिल हैः
- सिस्टोस्कोपी
- यूरोडायनामिक्स
- एक्स-रे
- अल्ट्रासाउंड
- एमआरआई
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उपचार
प्रोलैप्स ब्लैडर का उपचार कैसे किया जाता है?
जिन महिलाओं को प्रोलैप्स ब्लैडर से किसी तरह की समस्या नहीं होती है, यूरीन फ्लो में किसी तरह की रूकावट नहीं आती है, तो उन्हें प्रोलैप्स ब्लैडर के लिए किसी तरह का इलाज करवाने की जरूरत नहीं होती है।
अन्य को जिन्हें प्रोलैप्स ब्लैडर के लक्षण दिखते हैं उनका उपचार इन तरीकों से किया जा सकता हैः
बिहेवियर थेरेपी- इसमें शामिल हैः
- कीगल एक्सरसाइज (इससे पेल्विक फ्लोर मसल्स मजबूत होती है)
- पेल्विक फ्लोर फिजिकल थेरेपी
- पेसरी, यह एक वजायनल सपोर्टिव डिवाइस है
ड्रग थेरपी- इसमें शामिल हैः
उपचार के इस तरीके में एस्ट्रोजन हार्मोन का रिप्लेसमेंट किया जाता है, जिसे एस्ट्रोजन रिप्लेसमेंट थेरेपी कहते हैं।
सर्जरी- सर्जरी का मकसद आपको पहले से बेहतर महसूस कराना है। यह सर्जरी वजायना या पेट के जरिए की जाती है। सर्जरी के अन्य कई तरीके है, जिसमें शामिल हैः
ओपन सर्जरी- जिसमें पेट में एक चीरा लगाकर सर्जरी की जाती है।
मिनिमल इन्वैसिव सर्जरी- इसमें पेट में छोटा सा चीरा लगाया जाता है।
लैप्रोस्कोपी- डॉक्टर पेट की दीवार के जरिए सर्जिकल उपकरण डालता है।
रोबोट असिस्टेड लैप्रोस्कोपी- पेट की दीवार के जरिए रोबोटिक उपकरण डाले जाते हैं। ये उपकरण रोबोटिक आर्म (बांह) से जुड़े होते हैं और सर्जन इसे कंट्रोल करता है।
सर्जरी से पहले अपने डॉक्टर से सर्जरी के खतरे, फायदे और इसके विकल्पों के बारे में चर्चा करें।
सर्जरी के बाद आमतौर पर महिलाएं हफ्ते के बाद अपनी सामान्य गतिविधियां शुरू कर सकती हैं, हालांकि डॉक्टर सलाह देते हैं कि ब्लैडर पर दबाव पड़ने वाली कोई भी गतिविधि कम से कम महीने तक न करें।
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