backup og meta

क्या महिलाओं में टेस्टोस्टरॉन की कमी होना संभव है?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Toshini Rathod द्वारा लिखित · अपडेटेड 11/05/2021

    क्या महिलाओं में टेस्टोस्टरॉन की कमी होना संभव है?

    महिलाओं में हॉर्मोन्स का संतुलन होना बेहद जरूरी माना जाता है। पुरुषों में टेस्टोस्टरॉन और महिलाओं में प्रोजेस्टोरोन खास तौर पर संतुलित होना जरूरी माना जाता है। आपने हमेशा पुरुषों में टेस्टोस्टरॉन के असंतुलन (Testosterone imbalance) के बारे में सुना होगा, लेकिन क्या आपने कभी महिलाओं में टेस्टोस्टरॉन की कमी के बारे में सुना है? महिलाओं में टेस्टोस्टरॉन की कमी (Testosterone deficiency in women) से कई परेशानियां खड़ी हो सकती है, कैसे? आइये जानते हैं। साथ ही जानते हैं कि महिलाओं के शरीर में इसका क्या महत्त्व है। 

    महिलाओं में टेस्टोस्टरॉन की कमी का अर्थ क्या है? (Testosterone deficiency in women)

    टेस्टोस्टरॉन हॉर्मोन को एंड्रोजन के नाम से भी जाना जाता है। यह वैसे तो मेल हॉर्मोन (Male hormone) के नाम से प्रचलित है, लेकिन महिलाओं के शरीर में भी इस हॉर्मोन की मौजूदगी होती है। महिलाओं के शरीर में इस हॉर्मोन की जरूरत से ज्यादा मात्रा या जरूरत से कम मात्रा उनके संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। महिलाओं के शरीर में टेस्टोस्टरॉन का काम है नए ब्लड सेल्स बनाना, लिबिडो बढ़ाना और फॉलिकल स्टिम्युलेटिंग हॉर्मोन (Follicle stimulating hormone) को बढ़ाना, जिससे रिप्रोडक्शन में मदद मिल सके।

    और पढ़ें: Testosterone Deficiency: टेस्टोस्टेरोन डेफिशिएंसी क्या है?

    हालांकि ऐसा माना गया है कि महिलाओं में उम्र के अनुसार टेस्टोस्टरॉन के प्रोडक्शन पर असर पड़ता है। 40 की उम्र के बाद एंड्रोजन का लेवल धीरे-धीरे महिलाओं के शरीर में घटने लगता है और महिलाओं के शरीर में टेस्टोस्टरॉन (Testosterone) की कमी होने लगती है। कुछ दवाइयों की मदद से महिलाओं के शरीर में टेस्टोस्टरॉन लेवल को बैलेंस किया जा सकता है। 

    महिलाओं के शरीर में टेस्टोस्टरॉन की कमी कैसे पहचानें? (Testosterone deficiency)

    जैसा कि हम पहले बता चुके हैं, महिलाओं के शरीर में टेस्टोस्टरॉन की कमी (Testosterone deficiency) गड़बड़ी पैदा कर सकती है। इससे कई शारीरिक तकलीफें भी हो सकती है। साथ ही यह मानसिक स्वास्थ्य को भी अपनी चपेट में ले लेता है। टेस्टोस्टरॉन की कमी के कारण सेक्शुअल डिजायर में कमी, सेक्सुअल सेटिस्फेक्शन ना मिलना, मूड का डिप्रैस हो जाना, आलस आना और मसल्स वीकनेस महसूस होना जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं। बोस्टन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार एंड्रोजन डिफिशिएंसी के चलते महिलाओं में सेक्शुअल इंटरकोर्स के दौरान ऑर्गेज्म की कमी देखी जा सकती है। साथ ही वजाइनल ल्युब्रिकेशन भी घट सकता है। सेक्शुअल डिजायर में कमी एंड्रोजन डिफिशिएंसी का एक प्रमुख लक्षण माना गया है।

    और पढ़ें: पुरुषों में ही नहीं महिलाओं में भी होती है हाई सेक्स ड्राइव, जानें क्या होती हैं उनकी चुनौतियां

    हालांकि महिलाओं में टेस्टोस्टरॉन की कमी (Testosterone deficiency in women) को पहचानने के लिए लक्षणों पर ध्यान देने की जरूरत है, लेकिन इससे जुड़े लक्षण सामान्य लक्षणों से मेल खाते हैं, जिसके कारण इसे पहचान पाना मुश्किल हो जाता है। लो टेस्टोस्टरॉन लेवल के लक्षण आमतौर पर तनाव, डिप्रेशन और मेनोपॉज के साइड इफेक्ट (Menopause Side Effects) से मिलते जुलते होते हैं, जिसके कारण अक्सर लोग इसे पहचानने में गलती कर जाते हैं। इसीलिए इस समस्या को डायग्नोज करने के लिए ब्लड टेस्ट करवाया जा सकता है। डॉक्टर महिला के ब्लड टेस्ट के जरिए उसके टेस्टोस्टरॉन लेवल की जांच कर सकता है। यदि महिलाओं में टेस्टोस्टरॉन का लेवल 25 ng/dL से कम हो और महिला की उम्र 50 साल से कम हो, तो इसे लो टेस्टोस्टरॉन लेवल माना जाता है। वहीं 50 साल से ऊपर की महिलाओं में 20  ng/dL से कम टेस्टोस्टरॉन लेवल कम माना जाता है। 

    महिलाओं में टेस्टोस्टरॉन की कमी को पहचानना और भी मुश्किल इसीलिए हो जाता है, क्योंकि महिलाओं में हॉर्मोन लगातार फ्लकचुएट होते हैं। फिर भी ब्लड टेस्ट के जरिए इसे डायग्नोज करने की कोशिश की जा सकती है। 

    महिलाओं में टेस्टोस्टरॉन की कमी के क्या कारण हो सकते हैं? (Causes of Testosterone deficiency in women)

    महिलाओं के शरीर में टेस्टोस्टरॉन का प्रोडक्शन अलग-अलग जगहों पर हो सकता है। इस हॉर्मोन का एक क्वार्टर महिलाओं की ओवरी में बनता है, वहीं एक क्वार्टर एड्रेनल ग्लैंड में बनता है और बाकी का बचा हुआ आधा भाग पेरिफेरल टिशूज से निर्मित होता है। इस तरह टेस्टोस्टरॉन महिलाओं में भी एक जरूरी हॉर्मोन के तौर पर देखा जाता है। हालांकि ओवरी टेस्टोस्टरॉन बनानेवाली जरूरी अंग मानी जाती है, इसीलिए मेनोपॉज के बाद ओवरी से पैदा होने वाला टेस्टोस्टरॉन कम हो सकता है। कई बार प्री मेनोपॉज (Pre Menopause) या पोस्ट मेनोपॉजल सिचुएशन (Post Menopausal Situation) के चलते लो टेस्टोस्टरॉन लेवल देखा जा सकता है। यही वजह है कि महिलाओं में मेनोपॉज के बाद लिबिडो की कमी देखी जाती है, क्योंकि टेस्टोस्टरॉन का सीधा संबंध महिलाओं में लिबिडो से है। 

    और पढ़ें: जानें मेल मेनोपॉज क्या है? महिलाओं की तरह पुरुषों में भी होता है मेनोपॉज

    वहीं कुछ महिलाओं में मेनोपॉज के बाद भी ओवरीज टेस्टोस्टरॉन का निर्माण बंद नहीं करती, इसीलिए डॉक्टर्स महिलाओं में टेस्टोस्टरॉन की कमी (Testosterone deficiency in women) को जेनेटिक मेकअप से भी जोड़कर देखते हैं। इसके अलावा टेस्टोस्टरॉन की कमी के अन्य कारण भी हो सकते हैं, जिसमें ये कारण देखे जा सकते हैं।  

    • एड्रेनल इंसफिशिएंसी (इस स्थिति में एड्रेनल ग्लैंड ठीक तरह से काम नहीं करती) 
    • हायपोपिट्यूटरिज्म (इस स्थिति में पिट्यूटरी ग्लैंड हॉर्मोन नहीं बना पाती)
    • ओरल एस्ट्रोजन थेरेपी (इस थेरेपी में एस्ट्रोजन के चलते टेस्टोस्टरॉन के प्रोडक्शन पर असर पड़ता है) 

    महिलाओं में टेस्टोस्टरॉन की कमी को कैसे ठीक किया जा सकता है? (Treatment of Testosterone deficiency in women)

    महिलाओं में टेस्टोस्टरॉन की कमी (Testosterone deficiency in women)

    महिलाओं में टेस्टोस्टरॉन की कमी एक ऐसी समस्या है, जिसके लिए अब भी मेडिकल एक्सपर्ट्स द्वारा स्टडी की जा रही है। हालांकि जैसे अब तक डॉक्टर्स एक्सेसिव टेस्टोस्टरॉन के सिम्टम्स का पता लगा पाए हैं, उसी तरह टेस्टोस्टरॉन की कमी के लक्षणों के बारे में भी उनके पास स्टडीज मौजूद है। इसीलिए कई बार डॉक्टर के पास लो टेस्टोस्टरॉन के लिए कोई एक ट्रीटमेंट मौजूद नहीं होता। महिलाओं में टेस्टोस्टरॉन की कमी (Testosterone deficiency in women) के ट्रीटमेंट के तौर पर डॉक्टर्स आपको पोस्ट मेनोपजल मेडिसिन प्रिसक्राइब कर सकते हैं। इस मेडिसिन में एस्ट्रोजन और टेस्टोस्टरॉन दोनों हॉर्मोन्स मौजूद होते हैं। हालांकि सिंथेटिक टेस्टोस्टरॉन (Synthetic testosterone) के सेवन से लो टेस्टोस्टरॉन की समस्या ठीक होने में समय लगता है। 

    और पढ़ें: Testosterone Test : टेस्टोस्टेरोन टेस्ट क्या है?

    साथ ही डॉक्टर्स टेस्टोस्टरॉन के इंजेक्शन के जरिए भी आपके टेस्टोस्टरॉन लेवल को सामान्य लाने की कोशिश कर सकते हैं। हालांकि स्किन पर लगने वाले टेस्टोस्टरॉन पैचेस (Testosterone patches) और पैलेट पर भी रिसर्चर काम कर रहे हैं, जो जल्दी उपयोग में लाए जा सकते हैं। महिलाओं के लिए टेस्टोस्टरॉन जेल फॉर्मूलेशन भी मौजूद है, जिसका उपयोग किया जा सकता है। 

    महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन की कमी (Testosterone deficiency in women) को ठीक करने के लिए ली जानेवाली मेडिकेशन लेने से पहले डॉक्टर से संपर्क करना बेहद जरूरी है।  डॉक्टर आपकी जरूरतों के हिसाब से और हेल्थ कंडीशन को ध्यान में रखते हुए सही दवाएं प्रिसक्राइब करेंगे। हालांकि महिलाओं में टेस्टोस्टरॉन की ज्यादा मात्रा भी कई साइड इफेक्ट पैदा कर सकती है, जिसमें एक्ने, फेशियल हेयर, फ्लुइड रिटेंशन और मेल पेटर्न बिल्डिंग भी मौजूद है। 

    और पढ़ें: एल्कोहॉल का मेल सेक्स हॉर्मोन पर ये कैसा असर!

    उन महिलाओं को जो प्रेग्नेंट है या ब्रेस्टफीड करा रही हैं, उन्हें एंड्रोजन (Androgen) नहीं लेना चाहिए। साथ ही उन्हें टेस्टोस्टरॉन युक्त दवाओं से परहेज करना चाहिए। क्योंकि ये दवाएं मां से बच्चे तक पहुंच सकती है। इसीलिए किसी भी स्थिति में टेस्टोस्टरॉन से जुड़ी कोई भी दवाई लेने से पहले डॉक्टर से संपर्क करना बेहद जरूरी है। महिलाओं में टेस्टोस्टरॉन की कमी (Testosterone deficiency in women)  हो सकती है, इसलिए इससे जुड़े लक्षणों पर ध्यान देकर इस समस्या से निजात पाया जा सकता है। 

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

    के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

    डॉ. प्रणाली पाटील

    फार्मेसी · Hello Swasthya


    Toshini Rathod द्वारा लिखित · अपडेटेड 11/05/2021

    advertisement iconadvertisement

    Was this article helpful?

    advertisement iconadvertisement
    advertisement iconadvertisement