एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम एक टर्म है, जिसका इस्तेमाल हार्ट में अचानक से या बंद या फिर कम हो गए ब्लड फ्लो से जुड़ा हुआ होता है। हो सकता है कि आपने कभी एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम (Acute coronary syndrome) के बारे में ना सुना हो। आपने दिल के दौरे के बारे में या फिर एक्यूट एंजाइना के बारे में सुना होगा। इन दोनों ही कंडीशन को एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम (Acute coronary syndrome) कह सकते हैं। इन कंडीशन में हार्ट की मसल्स (Heart Muscles) को अचानक से ब्लड की सप्लाई बंद हो जाती है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम (Acute coronary syndrome) के बारे में विस्तार से समझाएंगे और साथ ही इसके रिस्क के बारे में भी बताएंगे।
![एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम (Acute coronary syndrome)](https://cdn.helloswasthya.com/wp-content/uploads/2021/12/a2d9fa67-acute-coronary-syndrome.png)
जब हार्ट के टिशू धीरे-धीरे डैमेज होने लगते हैं, तो हार्ट अटैक (Myocardial infarction) का सामना करना पड़ता है। एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम (Acute coronary syndrome) की समस्या के कारण सेल की मृत्यु नहीं होती है, बल्कि कम ब्लड फ्लो के कारण हार्ट के काम करने का तरीका बदल जाता है। इस कारण से हार्ट अटैक का खतरा काफी हद तक बढ़ जाता है। एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम (Acute coronary syndrome) अक्सर गंभीर सीने में दर्द या बेचैनी का कारण बनता है। इस स्थिति को मेडिकल इमरजेंसी कहा जा सकता है और इसका तुरंत डायग्नोज करने के बाद पेशेंट को केयर की जरूरत पड़ती है। ट्रीटमेंट के दौरान रक्त प्रवाह में सुधार, कॉम्प्लीकेशन का इलाज और भविष्य में होने वाली समस्याओं को रोकना शामिल है। जानिए बीमारी के जुड़े लक्षणों के बारे में।
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एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम के लक्षण (Acute coronary syndrome Symptoms)
एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम (Acute coronary syndrome) के लक्षण आमतौर पर अचानक शुरू होते हैं। जानिए कुछ लक्षणों के बारे में।
सीने में दर्द या बेचैनी होना एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम (Acute coronary syndrome) का सबसे आम लक्षण माना जाता है। उपरोक्त दिए गए लक्षण उम्र के हिसाब से बदल सकते हैं। कुछ मेडिकल कंडीशन भी बीमारी के लक्षणों को बढ़ाने का काम कर सकती हैं। वहीं कुछ महिलाओं या मधुमेह से पीड़ित वृद्ध महिलाओं में छाती में दर्द की समस्या नहीं होती है। आप डॉक्टर से भी इस बीमारी के अधिक लक्षणों के बारे में जानकारी ले सकते हैं।
अगर आपको दिए गए लक्षणों में भी किसी भी लक्षण का एहसास हो, तो बेहतर होगा कि घर के किसी सदस्य के साथ आप तुरंत हॉस्पिटल जाए। डॉक्टर को अपनी हालत के बारे में बताएं। डॉक्टर जो भी टेस्ट आपको कराने की सलाह दी है, उसे तुरंत कराएं। ऐसा करने से आप बीमारी को काफी हद तक कंट्रोल कर सकते हैं।
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एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम के का कारण क्या है?
आपके मन में यह सवाल होगा आखिरकार एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम (Acute coronary syndrome) की बीमारी किस कारण से पैदा होती है? इस बीमारी का कारण प्लाक का बनना है। जब कोरोनरी आर्टरीज की अंदर की दीवार पर प्लाक जमने लगता है, तो ब्लड फ्लो में दिक्कत आती है। जब प्लाक टूट जाता है, तो ब्लड क्लॉट बनने शुरू हो जाते हैं। जब ऑक्सीजन की सप्लाई बहुत कम हो जाती है, तो हार्ट की मसल्स धीरे-धीरे डैमेज होने लगती हैं। इस कारण से कोशिकाओं की मृत्यु हो जाती है। यही टिशू के डैमेज का कारण बनती है, जो कि हार्ट अटैक को जन्म देने का काम करती है। अगर कोशिकाएं नहीं मरी है, तो भी ऑक्सीजन लेवल की कमी हार्ट मसल्स को ठीक से काम नहीं करने देती है। इस बदलाव के कारण भी कई समस्याएं पैदा होती हैं । इसे अनस्टेबल एंजाइना (unstable angina) के नाम से भी जानते हैं।
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एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम से जुड़े रिस्क फैक्टर (Risk factors related to Acute coronary syndrome)
जो रिस्क फैक्टर्स हार्ट डिजीज से जुड़े हुए होते हैं, लगभग वहीं रिस्क फैक्टर्स एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम (Acute coronary syndrome) से भी जुड़े हुए होते हैं। जानिए कुछ अहम रिस्क फैक्टर्स के बारे में।
बीमारी को कैसे किया जाता है डायग्नोज?
किसी भी बीमारी से बचने के लिए या फिर बीमारी को नियंत्रित करने के लिए बीमारी का सही समय पर डायग्नोज हो जाना बहुत जरूरी है। एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम (Acute coronary syndrome) का निदान करने के लिए डॉक्टर पेशेंट से बीमारी के लक्षणों के बारे में जानकारी लेते हैं। साथ ही डॉक्टर मेडिकल हिस्ट्री या फिर फिजिकल एग्जामिनेशन भी कर सकते हैं। अगर डॉक्टर को कुछ लक्षणों का पता चलता है, तो डॉक्टर कुछ टेस्ट करवाने की भी सलाह देते हैं ।
टेस्ट में मुख्य रूप से ब्लड टेस्ट (Blood test) किया जाता है जोकि हार्ट सेल्स के बारे में जानकारी देता है। साथ ही ईसीजी (ECG) यानी कि इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (Electrocardiogram) भी किया जा सकता है। ये टेस्ट हार्ट एक्टिविटी के बारे में जानकारी देता है। अगर हृदय में रक्त का प्रवाह ब्लॉक पाया जाता है, तो डॉक्टर कोरोनरी आर्टरी रीओपन कर सकते हैं। डॉक्टर बीमारी को डायग्नोज करने के बाद सर्जरी या फिर मेडिसिंस लेने की सलाह दे सकते हैं।
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इन बातों का रखें ध्यान!
- हार्ट संबंधी बीमारियों से बचने के लिए आपको अपनी लाइफस्टाइल में सुधार करने की जरूरत है। अगर आप कम उम्र से ही अपनी लाइफस्टाइल को बेहतर तरीके से जीते हैं, तो आप में काफी हद तक हार्ट से संबंधित बीमारियों का खतरा कम हो जाता है।
- आपको हेल्दी डायट का सेवन करने के साथ ही रोजाना एक्सरसाइज करनी चाहिए। अगर आप मोटापे से ग्रसित हैं, तो मोटापे को कम करने के लिए आप डॉक्टर से जरूर सलाह लें।
- अगर आपको नींद ना आने की समस्या है, तो भी डॉक्टर से जानकारी लें कि नींद किस तरह से पूरी की जा सकती है।
- स्मोकिंग करने से और एल्कोहॉल का सेवन करने से हार्ट को कई तरह की बीमारियों का खतरा रहता है। अगर आप इन दोनों का सेवन करते हैं, तो बेहतर होगा कि इसे बंद कर दें या फिर इसकी मात्रा को बहुत कम कर दें।
- आप रोजाना एक्सरसाइज करके, योगा या मेडिटेशन करके स्ट्रेस को कम कर सकते हैं। पर्याप्त मात्रा में नींद लेकर कई बीमारियों के खतरे को कम किया जा सकता है। आप इस बीमारी के बारे में डॉक्टर से अधिक जानकारी ले सकते हैं। साथ ही ट्रीटमेंट के बारे में भी जरूर पूछें।
इस आर्टिकल में हमने आपको एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम (Acute coronary syndrome) के बारे में जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।