खसरा, मम्प्स और रूबेला जैसी बीमारियों से बचाव के लिए एमएमआर वैक्सीन का इस्तेमाल किया जाता है। यह एक वैक्सीन इन तीन बीमारियों के लिए है। एमएमआर वैक्सीन का निमार्ण संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा सन् 1971 में किया गया था। एमएमआर वैक्सीन, खसरा, मम्प्स और रूबेला (जर्मन खसरा) को रोकने में मद्द करती है। इन खतरनाक बीमारियों के रोकथाम के लिए इसका विकास किया गया था। उस समय खसरा, रूबेला और मम्पस, लोगों के लिए जानलेवा रोग बन गया था। लेकिन एमएमआर वैक्सीनेशन से पहले, यह जान लेना जरूरी है कि इसे कब, कौन और कैसे ले सकते हैं, जैसे गर्भवती महिला को गर्भावस्था के दौरान एमएमआर का टीका न लेने की सलाह दी जाती है। इस टीके के अपने हेल्थ बेनेफिट्स होने के साथ कुछ साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं, उन्हें भी जान लेना जरूरी है।
एमएमआर वैक्सीन (MMR Vaccine) की भूमिका क्या है ?
एमएमआर वैक्सीन, तीन टीकों के इस संयोजन का उपयोग: खसरा, मम्प्स और रूबेला के रोकथाम के लिए किया जाता है। ये तीनों बीमारियों के कारण रोगी में कई गंभीर स्वास्थ्य संबंधी लक्षण देखने को मिल सकते हैं। दुर्लभ मामलों में, मृत्यु की भी स्थिति हो सकती है। यह वैक्सीन संक्रमण को रोकने के लिए सूक्ष्मजीवों के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रणाली को उत्तेजित करती है। इस इंजेक्शन के अपने कई साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं, जैसे कि शरीर में लालिमा आना, दर्द और सूजन आदि। हालांकि, यह अस्थायी लक्षण होते हैं, जो कुछ समय के लिए होते हैं। इसलिए वैक्सीनेशन, चिकित्सक के निर्देशों का ध्यानपूर्वक पालन करते हुए ही लेना चाहिए। एमएमआर वैक्सीन को डॉक्टर द्वारा पर्चे पर लिखे जाने के बाद बाद ही लिया जाना चाहिए।
वैसे आमतौर पर, एमएमआर टीके को बहुत कम साइड इफेक्ट के साथ वैक्सीनेशन के लिए सुरक्षित माना जाता है। हालांकि, इसके कारण दाने और बुखार जैसे कुछ दुष्प्रभाव हो सकते हैं। यदि आपको, इस टीके के बाद बहुत अधिक परेशानी हो रही है, तो कृपया अपने चिकित्सक से परामर्श करें। इसके अलावा हार्ट और किडनी पेशेंट को, इसे लेने से पहले अपने सभी शारीरिक समस्याओं के बारे में डॉक्टर को जरूर बताना चाहिए। गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं को बिना डॉक्टर के अनुमति के एमएमआर का टीका नहीं लगवाना चाहिए।
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इन तीन रोगों के लक्षणों में प्रभावकारी है, एमएमआर वैक्सीन
खसरा (Measles)
खसरा, यह रोग खसरा वायरस के कारण फैलता है, जैसे कि संक्रमित व्यक्ति के नाक और मुंह के स्राव से संपर्क में आने के कारण। इस वायरस के संक्रमित होने के बाद 5 से 7 दिन में त्वचा में कुछ लक्षण दिख सकते हैं। गंभीर मामलों में, फेफड़े प्रभावित हो सकते हैं। जिसके गंभीर परिणाम या मृत्यु जैसे स्थिति भी हो सकती है।
खसरे के लक्षणों में शामिल हैं:
- शरीर में लाल चकत्ते (रैशेज)
- कफ
- खांसी
- बहती नाक
- बुखार
- मुंह में सफेद धब्बे (कोप्लिक डिस्प्ले)
खसरा से निमोनिया, कान में संक्रमण और मस्तिष्क की क्षति भी हो सकती है।
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मम्प्स (Mumps)
कण्ठमाला, वायरस के कारण होने वाला मम्प्स रोग, लार ग्रंथियों को प्रभावित करता है। जिसके कारण कई बार मुंह से बदबू आने लगती है। मम्प रोग में लार की ग्रंथियों में आने वाली सजून के कारण कानों में भी सूजन आ जाती है। कभी-कभी स्थिति बेहरेपन तक भी पहुंच जाती है।
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मम्प्स रोग के लक्षणों में शामिल हैं:
- बुखार
- सिर दर्द
- लार ग्रंथियों में सूजन
- मांसपेशियों में दर्द
- चबाने या निगलने पर दर्द
बहरापन और मेनिन्जाइटिस दोनों ही समस्याएं मम्प्स के कारण हाे सकती हैं।
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रूबेला (Rubella)
रूबेला के लक्षणों में शामिल हैं:
- रैशेज
- हल्का बुखार
- आंखों में लालपन
- गर्दन के पीछे लिम्फ नोड्स में सूजन
- गठिया (आमतौर पर महिलाओं में)
रूबेला गर्भवती महिलाओं के लिए गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकता है, जिसमें गर्भपात या जन्म दोष भी शामिल है।
एमएमआर वैक्सीन कब लेना चाहिए?
रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के विश्वस्त स्रोत के अनुसार, एमएमआर वैक्सीन प्राप्त करने के लिए निश्चित आयु हैं:
- पहली खुराक 12 से 15 महीने के बच्चे के लिए,
- दूसरी खुराक 4 से 6 साल के बच्चे के लिए,
- 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र के वयस्कों को एक डाेज की सलाह दी जाती है।
एमएमआर वैक्सीन के फायदे
खसरा, एक प्रकार का वायरल इंफेक्शन है, जो श्वसन प्रणाली में होता है। इसके होने पर त्वचा पर चकत्ते पड़ जाते हैं, जो धीरे-धीरे पूरे शरीर में फैलने लगते हैं। एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलने के इसके खतरे ज्यादा होते हैं। खसरा और रूबेला से बचाव के लिए एमएमआर वैक्सीन का उपयोग किया जाता है। यह आपके शरीर को रोग के खिलाफ एंटीबॉडी का उत्पादन करने का काम करता है।
किसे एमएमआर वैक्सीन नहीं लेनी चाहिए?
जिन्हें एमएमआर वैक्सीन नहीं मिलनी चाहिए। इसमें वे लोग शामिल हैं, जो:
- जिन लोगों को किसी प्रकार की गंभीर एलर्जी की समस्या है, उन्हें यह टीका डॉक्टर द्वारा लिए गए निर्णय के अनरूप ही लेना चाहिए।
- जिन्हें जिलेटिन या कुछ एंटीबायोटिक्स के इस्तेमाल से किसी प्रकार की एलर्जी की हिस्ट्री रह चुकी हो। उनके लिए यह वैक्सीन नहीं है।
- कोर्टिकोस्टेरॉयड के उपचार दौरान, इसे न लेने की सलाह दी जाती है।
- यदि आप कैंसर से पीड़ित हैं।
- पिछले चार सप्ताह में कोई अन्य वैक्सीन न लिया हो।
- गर्भावस्था के दौरान इस टीके को नहीं लेना चाहिए।
- वैक्सीनेशन डेट पर किसी को बुखार या अन्य शारीरिक समस्या है, तो उसे ये वैक्सीन नहीं लगवानी चाहिए।
- गर्भवती महिलाओं को एमएमआर का टीका नहीं लगवाना चाहिए। यदि किसी महिला को उसकी जरूरत है, तो उसे शिशु के जन्म के बाद ही इसे लगवाना चाहिए।
- यदि कोई व्यक्ति एचआईवी का शिकार है, तो उनके लिए यह वैक्सीन नहीं है।
- यदि किसी व्यक्ति का कोई मेडिसन कोर्स चल रहा हो, तो उस दौरान उसे इसकी सलाह नहीं दी जाती है।
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एमएमआर वैक्सीन के साइड इफेक्ट
कई दूसरी वैक्सीन की तरह, एमएमआर वैक्सीन के कुछ दुष्प्रभाव भी देखने को मिल सकते हैं। इसके परिणाम हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं, यानि कि किसी व्यक्ति में इसके हल्के लक्षण से लेकर मृत्यु तक की स्थिति देखने को मिल सकती है। जैसे कि-
हल्की समस्याओं में
- जोडों में दर्द और जकड़न
- गर्दन की ग्रंथियों में सूजन होना
- बुखार का आना (6 में से 1 व्यक्ति को)
- शरीर में हल्के चकत्ते होना
मध्यम समस्याओं में
- जोड़ों में दर्द
- जकड़न
- प्लेटलेट काउंट का कम होना
- दौरे पड़ना
- जोड़ों मेंअस्ठाई दर्द
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गंभीर समस्याओं
रूबेला वायरस वैक्सीन व्यस्कों (जिन्होंने कभी भी ये टीका नहीं लगवाया हो) और बच्चों जिनकी उम्र कम से कम एक साल से छह साल के बीच हो को इस बीमारी से बचाने के लिए दी जाती है। हालांकि, रूबेला वायरस से बचाव के लिए एक टीका काफी है, लेकिन बेहतर यही होगा कि आप मीजल्स, मंप्स एंड रूबेला, जिसे एमएमआर (MMR) वैक्सीन कहा जाता है भी लगवाएं।
- सूजन आ जाना
- एलर्जी या पित्ती की समस्या
- बहरापन
- सांस लेने में तकलीफ
- कोमा में चले जाना
- मृत्यु तक की स्थिति बन सकती है।
यदि आपको या आपके बच्चे को वैक्सीन से किसी प्रकार के साइड इफेक्ट हैं, तो आप अपने डॉक्टर काे बताएं।
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बचाव के कुछ टिप्स
- एमएमआर वैक्सीन के दौरान अल्कोहल का सेवन डाॅक्टर द्वारा मना किया जाता है। ऐसा करने पर आपमें साइड इफेक्ट के खतरे और भी बढ़ सकते हैं। यदि आप अल्कोहल का सेवन कर रहे हैं, तो पहले एक बार डॉक्टर से पूछ लें।
- स्तनपान कराने वाली माताओं में अगर एमएमआर वैक्सीन के कुछ साइड इफेक्ट्स नजर आते हैं, तो तुरंत अपने डॉक्टर से मिलें। हो सके तो उस दौरान शिशु को ब्रेस्टफीडिंग न करवाएं। पहले डॉक्टर से पूछ लें।
- किडनी डिजीज से पीड़ित मरीजों के लिए एमएमआर का टीका लेना सुरक्षित हो सकता है। लेकिन इस पर कोई ठोस जानकारी नहीं है, जिससे यह पता चल सकें कि किडनी के मरीजों के लिए इसकी कितनी मात्रा लेना सुरक्षित है। इसलिए इस पर, अपने डॉक्टर की सलाह लें और उसे ही फॉलो करें।
- यदि आप गर्भवती महिला हैं, तो उस दौरान एमएमआर वैक्सीन आपके लिए बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है। वैसे तो इस पर, इंसानों पर किए गए शोध सीमित हैं, जिससे यह बात पता सके। लेकिन जानवरों पर किए अध्ययनों से पता चलता है कि गर्भावस्था के दौरान इसका टीका, शिशु के लिए हानिकारक साबि हो सकता है। इसलिए डॉक्टर गर्भवती महिला को इसे न लेने की सलाह देते हैं। इसलिए आप अपने डॉक्टर से पहले इससे होने वाले लाभ और संभावित जोखिमों को जान लें और डॉक्टर जैसा कहें, वैसा ही करें।
- लिवर की बीमारी वाले मरीजों के लिए एमएमआर का टीका सेफ माना जाता है। एमएमआर वैक्सीन की कितनी मात्रा सही है, अभी इसकी कोई ठोस जानकारी नहीं है। इसलिए जैसा डॉक्टर कहें, वैस ही करें।
एमएमआर वैक्सीन को रूबेला वैक्सीन भी कहा जाता है। इसे स्टोर करने का सबसे अच्छा तरीका इसे रेफ्रिजरेटर में रखना है। रूबेला वैक्सीन के अलग-अलग ब्रांड हो सकते हैं, जिनको अलग तरीकेऔर तापमान में स्टोर करने की जरूरत हो सकती है। स्टोर करने से पहले प्रोडक्ट पैकेज पे दिए गए दिशा निर्देशों की बारीकी से जांच करें या फार्मासिस्ट से इसकी जानकारी लें। सुरक्षा के दृष्टि से बच्चों और पालतू जानवरों को दवा से दूर रखें । इस के अलावा इस वैक्सीन की अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से मिलें।
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