थायरॉइड तितली के डिजाइन का एक ग्लैंड यानी ग्रंथि है, जो गले के अंदर और कॉलरबोन के ठीक ऊपर होती है। पूरे शरीर को सही तरीके से काम करने के लिए इसका सही बैलेंस होना जरूरी है। थायरॉइड एक तरह का एंडोक्राइन ग्लैंड है, जो हार्मोन्स बनाता है। थायरॉइड होने का मतलब है कि हार्मोन का निर्माण ठीक तरह से नहीं हो पा रहा है। जब कोई थायरॉइड के लक्षणों को नजरअंदाज करता है या उसके लक्षणों को नहीं पहचान पाता तो इसे ही हिडेन थायरॉइड (Hidden thyroid) कहा जाता है। हिडेन थायरॉइड (Hidden thyroid) का पता लगान के लिए इसके लक्षणों के प्रति जागरूकता जरूरी है।
क्या आपको भी है हिडेन थायरॉइड? (Hidden thyroid)
गले में पाई जाने वाली थायरॉइड ग्रंथि (Thyroid gland) बहुत अहम होती है। इस ग्रंथि में जो हार्मोन बनता है वह मेटाबॉलिज्म (Metabolism) के साथ ही शरीर के अंगों (Organ function) की कार्यप्रणाली में भी अहम भूमिका निभाता है और सीधे हार्ट रेट, कोलेस्ट्रॉल लेवल (Cholesterol level), वजन, एनर्जी, मांसपेशियों के संकुचन, त्वचा व बालों के टेक्सचर, फर्टिलिटी (Fertility), पीरियड्स (Periods), याददाशत और मूड पर असर डालता है। वैसे तो यह समस्या महिलाओं और पुरुषों दोनों को हो सकती है, लेकिन महिलाओं में यह समस्या अधिक देखी गई है।
थायरॉइड समस्या का क्या मतलब है? (Thyroid problem)
जब थायरॉइड ग्रंथि (Thyroid gland) पर्याप्त हार्मोन नहीं बनाती है यानी जरूरत से कम या अधिक हार्मोन बनाने लगे, तो पूरा शरीर ही सुस्त हो जाता है और वह ठीक तरह से काम नहीं कर पाता। थायरॉइड दो तरह का होता है – हाइपरथायरॉइडिज्म जिसे ओवरएक्टिव थायरॉइड (overactive thyroid) और हाइपोथायरॉइडिज्म जिसे अंडरएक्टिव थायरॉइड (underactive thyroid) भी कहा जाता है।
हाइपरथायरॉइडिज्म या ओवरएक्टिव थायरॉइड (Overactive thyroid)
हाइपरथायरॉइडिज्म (Hyperthyroidism) तब होता है जब थायरॉइड ग्रंथि थायरोक्सिन (Thyroxine) हार्मोन का अधिक उत्पादन करने लगती है। इसके कारण शरीर का मेटाबॉलिज्म (Metabolism) तेज हो जाता है और न चाहते हुए भी वजन कम (Weight loss) होने लगता है और दिल की धड़कन (heartbeat) अनियमित या तेज हो जाती है। इसके अलावा अन्य जटिलताएं भी हो सकती हैं जैसे- कमजोर हड्डियां (Brittle bones), आंखों की समस्या, लाल और सूजी हुई त्वचा और थायरोटॉक्सिक क्राइसिस(thyrotoxic crisis) यानी अचानक से थायरॉइड के लक्षणों का तेज होना। हाइपरथायरॉइडिज्म (Hyperthyroidism) के लक्षणों में शामिल है
- बाउल मूवमेंट और मेन्स्ट्रुअल साइकल (menstrual cycle) में बदलाव
- बढ़ी हुई थायरॉइड ग्रंथि (Enlarged thyroid gland)
- आंखों में जलन या खुजली (Eye irritation)
- पतले और कमजोर बाल (brittle hair)
- चिड़चिड़ापन (Irritability)
- कमजोर मांसपेशियां (Muscle weakness)
- घबराहट (Nervousness)
- गर्मी से संवेदनशीलता (Sensitivity to heat)
- नींद में परेशानी (Sleep disturbance)
- पसीना आना (Sweating)
- त्वचा का पतला होना (Thinning skin)
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हाइपोथायरॉइडिज्म या अंडरएक्टिव थायरॉइड (Underactive thyroid)
हाइपोथायरॉइडिज्म (hypothyroidism) तब होता है जब थायरॉइड ग्रंथि शरीर की कार्यप्रणाली को सही तरीके से चलाने में मदद के लिए पर्याप्त हार्मोन्स का उत्पादन नहीं करती है। इसकी वजह से दिल की बीमारी (Heart disease), जोड़ों की समस्या (Joint problems), इनफर्टिलिटी (Infertility) और वजन बढ़ने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। महिलाओं में इसका जोखिम अधिक होता है, खासतौर पर प्रेग्नेंट महिलाओं में। जो लोग रेडिएशन ट्रीटमेंट से गुजरे हैं उनमें भी इसका खतरा बढ़ जाता है। हाइपोथायरॉइडिज्म (hypothyroidism) के लक्षणों में शामिल है-
- कब्ज (Constipation)
- डिप्रेशन (Depression)
- रूखी त्वचा (Dry skin)
- बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल लेवल (Cholesterol level)
- थायरॉइड ग्रंथि का बढ़ना (Enlarged thyroid gland)
- बहुत अधिक थकान (Fatigue)
- चीजें भूल जाना (Forgetfulness)
- पीरियड्स (Periods) अनीमियत या अधिक होना
- गला बैठना (Hoarseness)
- याददाशत (Memory) पर असर
- मांसपेशियां (Muscle) कमजोर होना और दर्द
- चेहरे पर सूजन (Puffy face)
- ठंड के प्रति संवेदनशीलता (Sensitivity to cold)
- हार्ट रेट कम होना (Slowed heart rate)
- जोड़ों (joints) में अकड़न, दर्द या सूजन
- बाल पतले होना (Thinning hair)
- वजन बढ़ना (Weight gain)
यदि आपको ऊपर बताए गए कोई भी लक्षण दिखते हैं तो डॉक्टर से बात करना जरूरी है, वरना आप हिडेन थायरॉइड (Hidden thyroid) का शिकार हो सकते हैं और सही समय पर निदान न होने की वजह से इसका समय पर उपचार भी नहीं हो पाएगा और आगे चलकर समस्या गंभीर हो सकती है। हाइपोथायरॉइडिज्म के बहुत से मामलों में आयरन की कमी यानी एनीमिया (anemia) और कोलेस्ट्रॉल लेवल हाई हो जाता है। तो किसी भी तरह की समस्या होने पर या आपको थायरॉइड का जरा सा भी संदेह होता है तो तुरंत डॉक्टर से कंसल्ट करें हो सकता है आप हिडेन थायरॉइड (Hidden thyroid) का शिकार हों।
थायरॉइड के कारण (Thyroid causes)
थायरॉइड किसी एक वजह से नहीं होता है, इसके लिए कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं।
- खाने में आयोडीन की कमी (Iodine deficiency) से थायरॉइड ग्लैंड बढ़ जाता है।
- ऑटोइम्यून डिसीज (autoimmune diseases) भी थायरॉइड को बढ़ा सकता है, इसमें इम्यून सिस्टम (Immune system) थायरॉइड पर हमला करता है।
- किसी वायरस या बैक्टीरिया के कारण होने वाली सूजन के कारण भी थायरॉइड हो सकता है।
- प्रेग्नेंसी के दौरान भी कुछ महिलाओं में थायरॉइड ग्लैंड बढ़ जाता है।
- गैर-कैंसरयुक्त गांठ (non-cancerous lumps) भी थायरॉइड के लिए जिम्मेदार हो सकता है।
- कैंसर के ट्यूमर (cancerous tumours) की वजह से भी थायरॉइड हो सकता है।
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थायरॉइड का उपचार (Thyroid treatment)
थायरॉइड के उपचार का मकसद है हार्मोन्स को संतुलित रखना। यदि आपको हाइपरथायरॉइडिज्म (hyperthyroidism) की समस्या है तो उसके उपचार में शामिल है-
- थायरॉइड ग्लैंड को अधिक मात्रा में हार्मोन्स बनाने से रोकने के लिए एंटी थायरॉइड दवा (Anti-thyroid drugs) दी जाती है।
- थायरॉइड के सेल्स को डैमेज करके उसे अधिक मात्रा में थायरॉइड हार्मोन बनाने से रोकने के लिए रेडियोएक्टिव आयोडीन (Radioactive iodine) ट्रीटमेंट का भी विकल्प है।
- बीटा ब्लॉकर्स दवा थायरॉइड के लक्षणों को कंट्रोल करने में मदद करती है।
- सर्जरी इसका परमानेंट उपचार है। यदि आपके डॉक्टर को लगता है इसकी जरूरत है तो सलाह देगा। लेकिन इसके बाद आपको थायरॉइड रिप्लेसमेंट हार्मोन की जीवनभर जरूरत पड़ेगी।
हाइपोथायरॉइडिज्म- यदि आपको हाइपोथायरॉइडिज्म की समस्या है तो इसका मुख्य उपचार थायरॉइड रिप्लेसमेंट मेडिकेशन (Thyroid replacement medication) है। यानी दवाओं के जरिए इलाज किया जाता है। ये दवाएं हार्मोन को वापस शरीर में लाने का कृत्रिम तरीका है। दवा के जरिए थायरॉइड को कंट्रोल करके मरीज सामान्य जीवन जी सकते हैं।
थायरॉइड का घरेलू उपचार (Thyroid treatment)
वैसे तो थायरॉइड के इलाज के लिए कई दवाएं उपलब्ध हैं और डॉक्टर निश्चित समय तक इसका सेवन करने की सलाह देते हैं। लेकिन कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इसे कुदरती तरीके अपनाकर भी ठीक किया जा सकता है। थायरॉइड की समस्या से छुटकारा पाने के लिए डायट में इन चीजों को शामिल किया जाना चाहिए।
विटामिन बी (Vitamin B) – थायरॉइड ग्लैंड (Thyroid gland) सही तरीके से काम करके इसके लिए विटामिन बी बहुत जरूरी है। खासतौर से हाइपोथायरायडिज्म के मरीजों के लिए विटामिन बी 12 (Vitamin B 12) बहुत फायदेमंद होता है। इसकी पूर्ति के लिए डायट में रोजाना अंडा, मीट, मछली, फलियां, दूध और अखरोट शामिल करें।
विटामिन डी (Vitamin D) – थायरॉइड के लिए विटामिन डी (Vitamin D) की कमी भी जिम्मेदार हो सकती है और विटामिन डी पाने के बेहतरीन स्रोत है धूप। इसलिए रोजाना कम से कम 15 मिनट के लिए धूप में बैठें या चलें। इससे इम्यून सिस्टम (Immune system) भी मजबूत बोती है। कुछ फूड आइटम्स में भी विटामिन डी होता है जैसे डेयरी प्रोड (Dairy products) प्रोडक्ट्स, तिल, संतरे का रस और अंडे की जर्दी। यदि किसी के शरीर में विटामिन डी की बहुत कमी है, तो डॉक्टर सप्लीमेंट लेने की सलाह देते हैं।
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नारियल का तेल (Coconut oil)- खाने में नारियल तेल का इस्तेमाल करें, इसमें फैटी एसिड (Fatty acid) होता हैं जो थायरायड ग्रंथि (Thyroid gland) को सही तरीके से काम करने में मदद करता है। यही नहीं नारियल तेल वजन कम (Weight loss) करने में भी मदद करता है और शरीर के मेटाबॉलिज्म (Metabolism) को बढ़ाता है।
एपल साइडर विनेगर (Apple cider vinegar)- यह थायरॉइड ग्लैंड (Thyroid gland) को सही मात्रा में हार्मोन के उत्पादन में मदद करता है। यह फैट को कम करता है और शरीर से हानिकारक टॉक्सिन को बाहर निकालता है। शहद और पानी के साथ इसका सेवन किया जा सकता है।
बादाम (Almond)- थायरॉइड में बादाम बहुत फायदेमंद होता है। प्रोटीन (Protein), फाइबर (Fiber) और मिनरल्स से भरपूर बादाम थायरॉइड ग्लैंड को अपना काम सहज तरीके से करने में मदद करता है। बादाम में सेलेनियम और मैग्नीशियम भी होता है।
डेयरी प्रोडक्ट्स (Dairy products)- दूध और दूध से बनी चीजें जैसे पनीर, दही आदि खाना भी बहुत फायदेमंद होता है, क्योंकि इनमें आयोडीन (Iodine) की भी अच्छी मात्रा होती है जो थायरॉइड ग्लैंड (Thyroid gland) को सही तरीके से काम करने में मदद करती है।
अलसी के बीज (Flaxseed)- स्वाद और सेहत से भरपूर अलसी के बीज फैटी एसिड (Fatty acid) से भरपूर होते हैं। यह दिल को स्वस्थ रखने के साथ ही थायरॉइड के लिए भी अच्छे माने जाते हैं। इसमें विटामिन बी 12 होता है जो हाइपोथायरायडिज्म से लड़ने में मदद करता है।
अश्वगंधा (Ashwaganda)- अश्वगंधा एक जड़ी बूटी है जिसे थायरॉइड में फायदेमंद माना जाता है। इसका सेवन पाउडर या टैबलेट के रूप में किया जा सकता है, लेकिन किसी आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से सलाह के बाद ही अश्वगंधा का सेवन करें।
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कहीं आपको भी हिडेन थायरॉइड (Hidden thyroid) तो नहीं है इसका पता लगाने के लिए अपनी सेहत पर पैनी नजर रखें और किसी भी तरह का लक्षण दिखने पर नजरअंदाज न करें, तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। क्योंकि हिडेन थायरॉइड (Hidden thyroid) यानी थायरॉइड होने पर भी उसके बारे में आपको पता नहीं चलता है तो समय पर उपचार न होने से समस्या और बढ़ सकती है।
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