
कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जिसमें एब्नॉर्मल सेल्स अनियंत्रित रूप से विभाजित होने लगती हैं। यह आपके शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकता है। ब्लड, बोन या शरीर के अन्य अंगों में कैंसर की समस्या हो सकती है। कैंसर में कीमोथेरिपी का यूज किया जाता है, जिससे शरीर में अच्छी कोशिकाएं भी प्रभावित हो जाती हैं। साथ ही कैंसर की दवाओं के कारण भी शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ता है। रेडिएशन के कारण गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लाइनिंग प्रभावित होती है और साथ ही खाने में समस्या और पाचन में भी दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में पेशेंट को कुपोषण का खतरा रहता है। आरडीएन हाई कैलोरी वाले न्यूट्रिशनल शेक, प्रोटीन रिच फूड की सलाह देते हैं, जो कि पचने में भी आसान होता है। गंभीर मामलों में आरडीएन ट्यूब या आईवी फीडिंग के लिए भी सजेस्ट कर सकता है।
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हार्ट संबंधित समस्याओं में (Heart Related diseases)

हार्ट में विभिन्न प्रकार कि समस्याएं हो सकती हैं। कुछ कंडिशन के कारण भी हार्ट में बुरा प्रभाव पड़ता है। जैसे की हाय ब्लड प्रेशर के कारण दिल की धड़कन बढ़ जाना। दिल का दौरा पड़ना, स्ट्रोक या हार्ट फेल की समस्या। इन समस्याओं के कारण व्यक्ति की मौंत भी हो सकती है। रिसर्च में ये बात सामने आई है कि एमएनटी हार्ट डिसीज के जोखिम को कम करने में मदद करता है। डायटीशियन आपको लो सेचुरेटेड फैट फूड, कोलेस्ट्रॉल, सोडियम और इंफ्लामेट्री फूड को न खाने की सलाह दे सकता है। साथ ही खाने में अधिक फल और सब्जियों को शामिल करने के लिए भी कह सकता है। मोटापे के कारण भी हार्ट डिसीज अधिक होने की संभावना रहती है, ऐसे में जीवनशैली में बदलाव लाने की सलाह भी दी जा सकती है।
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डायजेस्टिव कंडीशन में (Digestive condition)

अल्सरेटिव कोलाइटिस, क्रोहन रोग, सीलिएक रोग के साथ ही इंटेस्टाइनल सर्जरी आदि डायजेस्टिव कंडिशन में खानपान का बहुत इफेक्ट पड़ता है। अगर ऐसे में सही पोषण न लिया जाए तो व्यक्ति की हालत बहुत खराब हो सकती है। इसी के साथ ही कोलन में सूजन भी आ सकती है। ऐसे में डायटीशियन डायट में उन फूड को एड करने का काम करता है, जिनका पाचन आसानी से हो जाए। साथ ही उन फूड को अलग कर दिया जाता है जो पेट में समस्या पैदा कर सकते हैं।
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किडनी की डिसीज में (Kidney diseases)
अगर किडनी की डिसीज का सही तरह से ट्रीटमेंट नहीं हो पाया है तो शरीर में ब्लड सही तरह से फिल्टर नहीं होगा। ऐसे में शरीर में कैल्शियम और पोटेशियम का लेवल भी अधिक हो जाएगा। लो आयरन लेवल के कारण और हड्डियों की खराब हालत समस्या पैदा करने लगेगी। ऐसे में किडनी फेल होने का खतरा बढ़ जाता है। जिन व्यक्तियों को किडनी की समस्या है, उन्हें मेडिकल न्यूट्रिशन थेरिपी की अधिक अवश्यकता हो सकती है। खाने में प्रोटीन, पोटेशियम, फास्फोरस और सोडियम की मात्रा को कंट्रोल करना जरूरी हो जाता है। ये बात डायटीशियन अच्छी तरह से बता सकता है कि खाने में क्या शामिल करना चाहिए और क्या नहीं।
अगर आपको भी किसी हेल्थ कंडिशन के लिए मेडिकल न्यूट्रिशन थेरिपी की जरूरत है तो बेहतर होगा कि इस बारे में अपने डॉक्टर से बात करें।