आप ऐल्कलाइन डायट में मौसमी फलों को शामिल कर सकते हैं। मौसमी फल या सीजनल फ्रूट्स स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं। सीजनल फ्रूट्स में विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सिडेंट प्रचुर मात्रा में होते हैं जो शरीर में विभिन्न कार्यों की देखभाल करते हैं। आप फ्रूट्स में कीवी, अन्नानास, तरबूज, अंगूर, सेब, एप्रीकॉट्स आदि को शामिल कर सकते हैं। ऐसा नहीं है कि इन फलों के अलावा आप अन्य फलों का सेवन नहीं कर सकते है। दिए गए फलों में ऐल्कलाइन प्रॉपर्टी होती है। आप इस बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।
एसिड ऐल्कलाइन डायट : नट्स को डायट में करें शामिल
नट्स का सेवन करने से पेट भरने का एहसास जल्दी होता है। क्या आपको पता है कि नट्स में गुड फैट के साथ ही ऐल्कलाइन इफेक्ट भी होता है। अगर आपको डॉक्टर ने ऐल्कलाइन डायट लेने की सलाह दी है तो आप मॉर्निंग में नट्स को खाने में शामिल कर सकते हैं। कुछ नट्स जैसे कि काजू, चेस्टनट्स, बादाम को अपनी डायट में जरूर शामिल करें। अगर आपको किसी प्रकार के नट्स से एलर्जी है तो उसे अपनी डायट में शामिल करने से परहेज करें।
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ऐल्कलाइन डायट के लाभ
- ऐल्कलाइन डायट का सारा उदृदेश्य शरीर के पीएच स्तर के संतुलन को कायम रखना होता है।
- हमारा शरीर अम्लीय हो जाने पर बीमारियों का घर बन जाता है और रोग ऐसे में शरीर को घेर लते हैं।
- विशेषज्ञ भी इस खुराक की सिफारिश करते हैं क्योंकि इसे नियमित रूप से लेना आसान होता है।
- कोशिकाओं को सुचारू रूप से काम करने योग्य बनने के लिए शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर कर इसे डीटॉक्स करना बेहद जरूरी होता है, और ऐल्कलाइन डायट ऐसा करने में कारगर होती है।
- इसके अलावा ऐल्कलाइन डायट जबड़ों को यथा स्थान सुदृढ़ बनाए रखने में सहायक होती है और दर्द के एहसास को घटाती है।
- यह डायट वृद्धावस्था की रफ्तार को भी कम करती है। यह खाने के पाचन में भी मददगार होती है। कुल मिलाकर आपको एक स्वस्थ और छरहरी काया देने में ऐल्कलाइन डायट बड़े काम की है।
किसी पदार्थ में अम्ल या क्षार के स्तर को मापने की इकाई को पीएच कहा जाता है,और ऐल्कलाइन डाइट अर्थात क्षारीय भोजन से हमारे शरीर का पीएच प्रभावित होता है। पीएच का संतुलन और असंतुलन शरीर पर क्रमशः अच्छा और बुरा प्रभाव डालता है। इसलिए इसका संतुलन में रहना बेहद जरूरी है। इसी तरह ऐल्कलाइन डायट का हमारे शरीर पर भी अच्छा और बुरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए इसको अच्छी तरह से जानने समझने के बाद ही फॉलो करना चाहिए।
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एसिड ऐल्कलाइन डायट: कब्ज की समस्या से मिल सकती है राहत
ऐल्कलाइन डायट में मुख्य रूप से सब्जियों और फलों को जोड़ा जाता है। सब्जियों और फलों में प्रचुर मात्रा में फाइबर्स पाए जाते है। जिन लोगों को कब्ज की समस्या रहती है, उनके लिए फाइबर युक्त आहार लाभदायक होता है। कब्ज की समस्या मुख्य रूप से उन लोगों को होती है, जिनके खाने में फाइबर की कमी होती है। फाइबर की कमी के कारण कब्ज के साथ ही अन्य समस्याएं भी हो सकती है। कब्ज की समस्या में व्यक्ति को दो से तीन दिनों तक स्टूल पास नहीं होता है। साथ ही स्टूल हार्ड होता है जो कि समस्या पैदा करता है। जो लोग कम पानी पीते हैं, उन्हें भी कब्ज की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। अगर ये कहा जाए कि व्यक्ति का डायजेस्टिव सिस्टम खाने को सही तरह से डायजेस्ट नहीं कर पाता है और उसे कॉन्स्टिपेशन की समस्या हो जाती है। अगर आप ऐल्कलाइन डायट लेगें तो आपकी इस तरह की समस्या से राहत मिल सकती है। आप इस बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से परामर्श जरूर करें।
अम्लियता और कैंसर का संबंध
ऐल्कलाइन डायट और कैंसर के संबंध में कई तरह की बातें सामने आ चुकी हैं। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि कैंसर का रोग अम्लीय वातावरण (acidic environment ) में बढ़ता है। जबकि ऐल्कलाइन डायट की मदद से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। हालांकि इस बारे में कोई साक्ष्य मौजूद नहीं हैं। कैंसर नॉर्मल बॉडी टिशू ( ऐल्कलाइन वातावरण 7.4) में ग्रो करता है। जबकि ऐसा पाया गया है कि ट्यूमर अम्लीय वातावरण में तेजी से बढ़ता है। ट्यूमर खुद ही अम्लियता को बढ़ाने का काम करता है। यानी ऐल्कलाइन डायट से कैंसर का कोई संबंध नहीं है लेकिन कुछ विशेषज्ञ इस बात को मानते हैं।
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