#कैंसरकीकहानीआपकीजुबानी, सीरीज में आज हम आपको रूबरू कराएंगे 52 साल की कैंसर सर्वाइवर रुचि धवन से। जिन्होंने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति से ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer) जैसी जानलेवा बीमारी को चुटकी में ही मात दे दी और ब्रेस्ट कैंसर सर्वाइवर बनकर लोगों को इस बीमारी के बारे में समझाते भी हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि कैंसर जैसी बीमारी चुटकी में खत्म होने वाली बीमारी नहीं है। हमें यकीन है कि रूचि धवन की कहानी जानने के बाद आपको यकीन हो जाएगा कि कैंसर जैसी बीमारी को वाकई में चुटकी में खत्म किया जा सकता है और ब्रेस्ट कैंसर सर्वाइवर (Breast Cancer Survivor) बनकर दूसरे ब्रेस्ट कैंसर पेशेंट की मदद की जा सकती है। रूचि कैंसर के उन मरीजों के लिए एक मिसाल बन सकती हैं, जो मौत और जिंदगी के बीच झूल रहे हैं। अगर उन सभी कैंसर के मरीजों के बीच रूचि की कहानी पहुंच जाए तो यकीनन उनमें भी एक आशा की किरण जाग उठेगी और वे भी कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी को बहुत दूर छोड़ आएंगे। रुचि ने खुद बताया कि कैंसर से लड़ने के लिए उन्होंने कहां से ताकत और हिम्मत जुटाई और ठीक होने के बाद अब वह कैसा महसूस करती है और क्या-क्या करती हैं। हैलो हेल्थ आशा करता है कि आपको कभी कोई बीमारी अपना शिकार न बनाएं, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि शारीरिक संबंधी शिकायत होने पर डॉक्टर की सलाह जरुर लें। जानें इस वर्ल्ड कैंसर डे (World Cancer Day) पर ब्रेस्ट कैंसर सर्वाइवर (Breast Cancer Survivor) रूचि ध्वन की कहानी-
ब्रेस्ट कैंसर सर्वाइवर (Breast Cancer Survivor) रूचि धवन को लगा था बड़ा झटका
52 साल की कैंसर सर्वाइवर रूचि धवन नोएडा में रहती हैं, जो एक स्कूल टीचर रह चुकी हैं। अक्टूबर, 2019 में उन्हें ब्रेस्ट कैंसर ने अपना शिकार बना लिया था। डॉक्टर से चेकअफ के बाद पता चला कि उनके दाएं स्तन में मेटास्टैटिक कार्सिनोमा है। यानि उनके दाएं स्तन में कैंसर की गांठ है। यह जानने के बाद कि वह ब्रेस्ट कैंसर की आखिरी यानि चौथी स्टेज में हैं। यह सुनने के बाद वह एक बार को घबराईं जरूर लेकिन हिम्मत नहीं हारी। डॉक्टर ने उन्हें साफ-साफ बताया कि कैंसर उनके शरीर के अन्य हिस्सों में फैल चुका है। बावजूद इसके रूचि ने खुद को मजबूत करते हुए इसका इलाज कराना जरूरी समझा। आइए जानते हैं रूचि के इस सफर के बारे में।
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ब्रेस्ट कैंसर: मल्टीपल थरिपी से जीती जंग
रूचि की कंडिशन को लेकर डॉक्टरों ने बताया कि वह ब्रेस्ट कैंसर की आखिरी स्टेज पर थी और ऐसे में सर्जरी करना असंभंव था। रूचि का मल्टीपल थेरिपी के जरिए इलाज किया गया जिसमें समय-समय पर जांच कर उनकी कीमोथेरेपी, हॉर्मोनल थेरेपि और टार्गेटेड थेरेपि की गई थी। हालांकि, साल 2014 और 2019 में भी रुचि को कैंसर ने अपना शिकार बनाया था। लेकिन समय रहते उनका भी इलाज सफल रहा। रूचि का आखिरी बार अगस्त 2020 में चेकअप हुआ था जिसमें कैंसर के उपजने की रिपोर्ट सामने आई थी लेकिन रिपोर्ट में एक्टिव कैंसर को कोई सबूत नहीं मिला।
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ब्रेस्ट कैंसर सर्वाइवर: जब डॉक्टरों ने भी नहीं मारी हार
पटपड़गंज और वैशाली में स्थित मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में मेडिकल ऑन्कोलॉजी की डायरेक्टर डॉक्टर मीनू वालिया ने बताया ‘जब रूचि अस्पताल में इलाज कराने आई थीं, तब वह ब्रेस्ट कैंसर की आखिरी स्टेज पर थीं। रूचि के दाएं स्तन में कैंसर की गांठ थी, जो आसपास के हिस्से पर बुरा असर छोड़ रही थी। जैसा कि कैंसर चौथी स्टेज में था, तो ऐसे में हमारे लिए सर्जरी का करना संभंव नहीं था। ब्रेस्ट कैंसर सर्वाइवर (Breast Cancer Survivor), रूचि की हालत देखकर हमनें मल्टीपल थेरेपी से उनका इलाज किया। जब एक थेरेपी से कोई सुधार नहीं दिखा तो हमने अगली थेरेपी से उनका ट्रीटमेंट किया। ऐसे में यह आइडिया काम कर गया। इस बात को अब दस साल बीत चुके हैं लेकिन, रूचि का कैंसर अब बहुत काबू में हैं। वह अब एक बहुत शानदार लाइफ जी रही हैं। उन्होंने पढ़ाना शुरू कर दिया है और पहले की तरह घर का सारा काम भी करती हैं। इतना ही नहीं वह आज एक खुशमिजाज पर्सनैलिटी हैं। वह कैंसर के मरीजों के लिए एक मिसाल हैं। डॉक्टर मीनू वालिया ने आगे बताया कि इस केस से साबित होता है कि नई-नई तकनीक और समय पर सही इलाज कैंसर की किसी भी स्टेज को मात दे सकता है, लेकिन महिलाओं को जरुरत है कि वह समय-समय पर ब्रेस्ट से संबंधी किसी भी शिकायत होने पर डॉक्टर के पास जरूर जाएं। क्योंकि इसमें जरा सी भी लापरवाही उनके लिए बड़ा खतरा पैदा कर सकती है।’
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ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer): रुचि धवन ने खुद बताया कैसे हुई चूक
बुलंद हौसले और हिम्मत से कैंसर को मात देने वाली रूचि धवन ने अपने अनुभव को साझा करते हुए बताया, ‘मेरी मां, मौसी और कजिन भी ब्रेस्ट कैंसर का शिकार हो चुकी हैं और मेरे पिताजी को प्रोस्टेट कैंसर हुआ था। वहीं, साल 2010 की शुरुआत में मुझे अपने दाएं स्तन में एक गांठ महसूस हुई लेकिन, ऑफिस वर्क के प्रेशर की वजह से, मैं इसे नजरअंदाज करती रही। इस दौरान मैं अपने दोनों बेटों की देखभाल में भी लगी रहती थी। ऐसे में खुद का चेकअप कराने में मुझे तकरीबन नौ महीने का समय लग गया, लेकिन उस वक्त मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई थी, जब डॉक्टर ने बताया था कि मुझे लास्ट स्टेज का ब्रेस्ट कैंसर है। डॉक्टर ने मुझे यह भी बताया कि कैंसर मेरे शरीर के बाकी हिस्सों में फैलता जा रहा था।
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ब्रेस्ट कैंसर सर्वाइवर: मुसीबत में रूचि के लिए ढाल बने ये लोग
ब्रेस्ट कैंसर सर्वाइवर, रूचि ने आगे बताया, ‘यह जानने के बाद मैं पूरी तरह टूट चुकी थी और खुद को बहुत कमजोर महसूस करने लगी थी। मेरे लिए सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि इस बात को मैं अपने बच्चों को कैसे बताऊंगी कि मैं अब ज्यादा दिन नहीं जी पाउंगी। लेकिन, जब मैंने अपने परिवार को अपनी बीमारी के बारे में बताया तो वे मेरे पूरे इलाज के दौरान एक ढाल बनकर खड़े रहे और उन्होंने मुझे कभी ऐसा महसूस नहीं होने दिया कि मैं कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से जूझ रही हूं। वहीं, मुझे डॉक्टर मीनू वालिया पर भी पूरा भरोसा था। ऐसे में परिवार के साथ और डॉक्टर के विश्वास ने मुझे कैंसर से लड़ने की ताकत दी और मेरी इच्छाशक्ति को बलवान किया। वहीं, साल 2014 और 2019 में मेरी रीढ़ की हड्डी (Spine) में कैंसर पनपने लगा था लेकिन दोनों ही बार मुझे स्तनों में कोई शिकायत नहीं हुई थी, लेकिन मैं अब पूरी तरह स्वस्थ हूं।
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ब्रेस्ट कैंसर सर्वाइवर: मौत के मुंह से वापस आईं रूचि धवन
रूचि ने अपनी बात को आगे जारी रखते हुए बताया, ‘ मैं बहुत खुश हूं कि मैंने इस जानलेवा बीमारी का डटकर सामना किया। हालांकि, भविष्य में यह कभी भी मुझे अपने शिकंजे में ले सकती थी लेकिन, मेरे पति ने मुझे बहुत सपोर्ट किया। बता दूं कि लॉकडाउन के दौरान घर में नौकरानी न होने की वजह से घर का सारा काम मैं खुद ही कर रही थी और आज भी अपने घर का काम बिना की किसी शारीरिक परेशानी के कर रही हूं। दरअसल, मैं कभी ऐसा सोचती ही नहीं हूं कि मैं कभी बीमार भी हुई थी। मेरी हालिया जांच में भी कैंसर के कोई लक्षण नजर नहीं आए हैं। यह मेरे लिए दूसरा जीवनदान है जो मुझे मेरे परिवार और डॉक्टर्स की बदौलत मिला है।’
ब्रेस्ट कैंसर सर्वाइवर: जंग जीतने के बाद रूचि ने किया डॉक्टर्स का धन्यवाद
ब्रेस्ट कैंसर सर्वाइवर, रूचि के हालात को देखकर कई डॉक्टरों ने जवाब दे दिया था, लेकिन आज 10 साल बाद भी वह एक जिंदादिली लाइफ जी रही हैं। कोरोना वायरस की वजह से लगे लंबे लॉकडाउन में भी वह पूरा घर अकेले ही संभाल रही थीं और अब तक वह अपने तीन यूट्यूब चैनल भी बना चुकी हैं। रूचि अपने इन यूट्यूब चैनल्स पर म्यूजिक और कूकरी को लेकर नई-नई बातें बताती हैं। वहीं, रूचि ने खुद के पूरी तरह से ठीक होने पर पटपड़गंज में मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल शाखा के डॉक्टर्स और स्टाफ को दिल से धन्यवाद भी किया है।
डॉक्टर्स बोले कैंसर की चौथी स्टेज (Breast cancer stage 4) एक बड़ी चुनौती
वहीं, डॉक्टर मीनू वालिया ने बताया, ‘भारत में ब्रेस्ट कैंसर के अधिकतर ऐसे मामले सामने आते हैं, जब वे अपनी चौथी स्टेज में होते हैं, जो कि कैंसर की आखिरी स्टेज मानी जाती है। इस स्टेज पर कैंसर मरीज के पूरे शरीर के ज्यादातर हिस्सों में असर छोड़ चुका होता है। यह बहुत ही निराशाजनक है कि चौथी स्टेज के ब्रेस्ट कैंसर के बाद मरीज का सर्वाइवल रेट केवल पांच साल का होता है। इस स्टेज पर डॉक्टरों के लिए इलाज करना भी बहुत मुश्किल होता है। लेकिन कहते हैं ना कि इलाज से बेहतर परहेज है। तो ऐसे में सभी महिलाओं को सलाह देना चाहूंगी कि वह समय-समय पर अपनी शारीरिक जांच जरूर करवाएं और खुद से भी अपनी शारीरिक हरकतों को नोटिस करती रहें। साथ ही एक हेल्दी रूटीन और लाइफस्टाइल को फॉलो करें।’
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क्या कहते हैं डॉक्टर्स
निष्कर्षत कह सकते हैं कि डॉक्टर्स इस बार पर जोर देते हैं कि 40 साल की उम्र के बाद महिलाएं अपने स्तनों में होने वाले बदलावों को महसूस कर उनकी जांच करवाएं। साथ ही खुद भी शरीर में होने वाले परिवर्तनों पर ध्यान दें। ब्रेस्ट संबंधी शिकायत होने पर नियमित रूप से मैमोग्राफी कराने से शुरुआती स्तर पर बीमारी को पकड़ा जा सकता है ताकि भविष्य में किसी बड़े खतरें से बचा जा सके। अगर आपको विभिन्न प्रकार के कैंसर के बारे में जानकारी चाहिए तो हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। ब्रेस्ट कैंसर के बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।