डायबिटीज की बीमारी को ठीक करने के लिए मेडिसिन से कही ज्यादा अच्छी लाइफस्टाइल की जरूरत होती है। टाइप 2 डायबिटीज को ठीक करने के लिए पेशेंट को रोजाना खुद की दिनचर्या पर ध्यान देने की अधिक आवश्यकता होती है। अगर पेशेंट रोजाना खानापान में फाइबर युक्त फूड्स के साथ ही फ्रूट्स, वेजीटेबल्स और लो फैट का इस्तेमाल करते हैं, तो उन्हें काफी हद तक बीमारी के लक्षणों से राहत मिलती है। साथ ही डायबिटिक पेशेंट्स के लिए एक्सरसाइज भी बहुत जरूरी होती है। इन सब के साथ ही डॉक्टर इंसुलिन के प्रोडक्शन को बढ़ाने के लिए कुछ मेडिसिंस लेने की सलाह भी देते हैं। डायबिटीज के ट्रीटमेंट के संबंध में रिसर्च की गई है और ये जानकारी मिली है कि डायबिटीज में ब्रेन स्टिमुलेशन (Brain Stimulation in Diabetes) का भी अहम रोल होता है। अब आप सोच रहे होंगे कि ब्रेन स्टिमुलेशन क्या होता है और डायबिटीज का इससे क्या संबंध है? आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको डायबिटीज में ब्रेन स्टिमुलेशन (Brain Stimulation in Diabetes) के संबंध में की गई रिचर्स के बारे में जानकारी देंगे और साथ ही ये भी बताएंगे कि ब्रेन स्टिमुलेशन थेरिपी किस तरह से काम करती है।
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डायबिटीज में ब्रेन स्टिमुलेशन (Brain Stimulation in Diabetes)
ब्रेन स्टिमुलेशन एक प्रकार की थेरिपी होती है, जिसके अंतर्गत ब्रेन के कुछ एरिया में इलेक्ट्रोड्स लगाएं जाते हैं। इलेक्ट्रोड की हेल्प से ब्रेन को इलेक्ट्रिकल इम्प्ल्स भेजी जाती हैं। इलेक्ट्रिकल इम्प्ल्स (Electrical impulses) ब्रेन की कुछ सेल्स के सात ही कैमिकल्स को प्रभावित करने का काम करता है। ब्रेन स्टिमुलेशन का इस्तेमाल कई बीमारियों को ठीक करने के लिए किया जाता है। कुछ बीमारियां जैसे कि पार्किंसंस रोग (Parkinson’s disease), असेंशियल ट्रिमर (Essential tremor), मिर्गी (Epilepsy), ऑब्सेसिव कम्पल्सिव डिसऑर्डर (Obsessive-compulsive disorder) आदि में ब्रेन स्टिमुलेशन (Brain stimulation) थेरिपी का इस्तेमाल किया जाता है। लंबे समय से डायबिटीज में ब्रेन स्टिमुलेशन (Brain Stimulation in Diabetes) को लेकर स्टडी चल रही थी।
लोगों के मन में ये सवाल भी है कि डायबिटीज में ब्रेन स्टिमुलेशन या ब्रेन स्टिमुलेशन थेरिपी के दौरान ब्रेन के स्पेसिफिक पार्ट की मदद से इंसुलिन रसिस्टेंस की समस्या से राहत पाई जा सकती है। एनसीबीआई (NCBI) में प्रकाशित रिपोर्ट की माने तो डीप ब्रेन स्टिमुलेशन से पेशेंट्स की डोपामाइन एक्टिविटी (Dopamine activity) बढ़ जाती है। इंसुलिन रसिस्टेंस रिवर्स करने के लिए जरूरी है कि हेल्दी लाइफस्टाइल (Healthy lifestyle) जी जाए। टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) से पीड़ित लोगों में पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन का निर्माण नहीं हो पाता है। ये खाने की बुरी आदतों की वजह से भी हो सकता है। जिन लोगों का तेजी से वजन बढ़ता है, उनमें भी ये समस्या हो सकती है। डोपामाइन (Dopamine) एक प्रकार का न्यूरोट्रांसमीटर होता है। नर्वस सिस्टम नर्व सेल्स के बीच मैसेज के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं। इससे खुशी का एहसास भी होता है। रिचर्स में ये बात सामने आई है कि न्यूरॉन्स से रिलीज डोपामाइन शरीर में ग्लूकोज को रेगुलेट करने का भी काम करते हैं।
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मधुमेह में ब्रेन स्टिमुलेशन (Brain Stimulation in Diabetes) के कारण ये परिणाम आए सामने
नीडरलैंड के एकेडमिक मेडिकल सेंटर के एंडोक्राइनोलॉजिस्ट मिरिल सर्ली ने ब्रेन स्टिमुलेशन और डायबिटीज के संबंध में जानकारी के लिए एक पेशेंट के रिजल्ट की तुलना करने के लिए एक एक्सपेरीमेंट किया। उन्होंने दस हेल्दी लोगों को डोपामाइन को कम करने के लिए ड्रग्स दिया और इंसुलिन के प्रति उनकी सेंसिटिविटी की जांच की और पाया की उसमें कमी आ गई है। वहीं शोधकर्ताओं ने लीविंग सेल्स एक्टिविटी को स्टिमुलेट कर डोपामाइन के रिलीज को बढ़ाने का काम किया। रिजल्ट में ये बात सामने आई कि सेल्स तेजी से ग्लूकोज को एब्जॉर्व कर रही है और उसका इस्तेमाल करने की दर में बढ़त हुई है।
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डोपामाइन एंटी-इंफ्लामेटरी की तरह काम करता है। ये नेक्रोसिस फैक्टर को ब्लॉक करने का काम करता है, जो अधिक मात्रा में उपस्थित होते हैं और साइटोकाइंस (Cytokines) की तरह इंसुलिन रिसिस्टेंस का कारण बनते हैं। शरीर की बेहतर कार्यप्रणाली के न्यूरोट्रांसमीटर की आवश्यकता होती है लेकिन इनकी अधिकतम नहीं बल्कि न्यूनतम मात्रा जरूरी होती है। अगर ये ज्यादा मात्रा में होंगे, तो न्यूरॉन्स को खतरा बढ़ जाएगा। यानी डोपामाइन की अगर शरीर में अधिक मात्रा हो जाती है, तो भी ये आपके शरीर के लिए अच्छा नहीं होता है। फिलहाल इस विषय में अभी भी शोध जारी है और डायबिटीज में ब्रेन स्टिमुलेशन (Brain Stimulation in Diabetes) की मदद से ट्रीटमेंट को जल्दबाजी कहा जाएगा। अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से जानकारी लें। हैलो हेल्थ किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार उपलब्ध नहीं कराता हैं।
डायबिटीज है, तो पहले विकल्प के रूप में अपनाएं हेल्दी लाइफस्टाइल
डायबिटीज के लक्षण अगर आपको महसूस हो, तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। डायबिटीज के लक्षणों में बार-बार प्यास लगना, अचानक से चक्कर आ जाना, यूरिन बार-बार होना, भूख ज्यादा लगना आदि लक्षण शामिल हो सकते हैं। आपके बिना देरी किए डॉक्टर से जांच करानी चाहिए और अपनी लाइफस्टाइल में भी बदलाव करना चाहिए। डायबिटीज में खानपान में बदलाव के साथ ही आप रोजाना एक्सरसाइज (Excercise) जैसे कि स्ट्रेंथ ट्रेनिंग, रोजाना वॉक (Daily walk), आदि को शामिल कर सकते हैं। अगर आपको अधिक कमजोरी का एहसास हो रहा हो, तो देर तक या फिर लगातार एक्सरसाइज करने से बचें। अगर आप रनिंग या वॉक भी रोजाना आधे घंटे करते हैं, तो आपके शरीर में बहुत से बदलाव नजर आएंगे और आपका वजन भी घटेगा। आप अपनी बीमारी के अनुसार एक्सरसाइज का चुनाव कर सकते हैं।
आपको खानपान में उन फूड्स को हटाने की जरूरत है, जिनकी जीआई वैल्यू अधिक होती है। आप खाने में जामुन, बेरीज, एप्पल, बनाना आदि शामिल कर सकते हैं। एक बात का ध्यान रखें कि डायबिटीज में फ्रूट्स (Fruits in diabetes) का सेवन सीमित मात्रा में ही करें। खाने में फाइबर युक्त आहार (Fiber rich diet) जरूर शामिल करें। फाइबर युक्त आहार जहां एक ओर डायजेशन को बेहतर बनाने का काम करता है, वहीं दूसरी ओर डायबिटिक पेशेंट को लाभ भी पहुंचाता है। अगर आपको डाबिटीज की बीमारी के दौरान डायट चार्ट को लेकर कोई कंफ्यूजन हो, तो आप डॉक्टर की भी मदद ले सकते हैं। रोजाना दवाओं का सेवन करने के साथ ही नियमित शुगर लेवल की जांच भी बहुत जरूरी है। कुछ बातों का ध्यान रख आप डायबिटीज के लक्षणों से राहत पा सकते हैं।
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हैलो हेल्थ किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार उपलब्ध नहीं कराता हैं। इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको डायबिटीज में ब्रेन स्टिमुलेशन (Brain Stimulation in Diabetes) खाने के बारे में जानकारी शेयर की है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्सर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।
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