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Diabetes Mood Swings: क्या डायबिटीज के कारण पड़ सकता है मेंटल हेल्थ पर बुरा असर?

Diabetes Mood Swings: क्या डायबिटीज के कारण पड़ सकता है मेंटल हेल्थ पर बुरा असर?

डायबिटीज शरीर के विभिन्न हिस्सों को नुकसान पहुंचाता है, ये तो आपने सुना होगा लेकिन क्या ये आपके मूड में भी बदलाव कर सकता है? डायबिटीज के कारण अग्नाशय यानी पैंक्रियाज को ही केवल नुकसान नहीं पहुंचता है, बल्कि इस कंडिशन के साथ लंबे समय तक रहने पर मूड और मेंटल हेल्थ पर भी गहरा असर पड़ता है। ब्लड ग्लूकोज लेवल के अधिक हाय होने पर या फिर लो होने पर डिप्रेशन, एंग्जायटी आदि समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है। अगर डायबिटीज को कंट्रोल कर लिया जाता है या फिर समय-समय पर डायबिटीज की जांच करा कर प्रॉपर ट्रीटमेंट लिया जाता है, तो ऐसी समस्याओं से बचना आसान हो जाता है। समय-समय पर डायबिटीज के ट्रीटमेंट (Treatment of diabetes) के साथ ही मेंटल हेल्थ पर ध्यान देना भी बहुत जरूरी हो जाता है। आइए इस आर्टिकल के माध्यम से जानते हैं कि कैसे डायबिटीज से मूड स्विंग संबंधित है और डायबिटीज में मूड स्विंग्स (Mood swings in diabetes) के कारण किन बातों सामना करना पड़ सकता है।

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डायबिटीज में मूड स्विंग्स (Mood swings in diabetes)

डायबिटीज में मूड स्विंग्स (Mood swings in diabetes)

डायबिटीज में शुगर लेवल का अचानक से कम होना या फिर अधिक होना डायबिटीज की बीमारी में कॉमन होता है। ब्लड शुगर के अचानक से बढ़ जाने पर मूड स्विंग्स यानी अचानक से मूड में बदलाव की संभावना बढ़ जाती है। ब्लड ग्लूकोज के बेहतर तरीके से मैनेजमेंट न हो पाने के कारण निगेटिव थिंकिंग और लाइफ की लोअर क्वॉलिटी की संभावना अधिक बढ़ जाती है। अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन के अनुसार सभी व्यक्तियों में ब्लड शुगर लेवल (Blood sugar level) बदलता रहता है। खाने के पहले 80 से 130 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर (एमएल/डीएल) और वहीं खाने के कुछ घंटे बाद 180 मिली/डेसीलीटर या कम हो जाता है। अगर इन दिए गए नंबरों में परिवर्तन होता है, तो डायबिटीज में मूड स्विंग्स (Mood swings in diabetes) की संभावना भी बढ़ जाती है। जानिए ब्लड शुगर लेवल (Blood sugar level) के कम या फिर ज्यादा होने पर आपकी भावनाओं पर कैसा असर पड़ता है।

अगर आप डायबिटीज के पेशेंट हैं और आपको डायबिटीज में मूड स्विंग्स (Mood swings in diabetes) का सामना करना पड़ रहा है, तो आपको इस संबंध में डॉक्टर को जानकारी देनी चाहिए और साथ ही ब्लड शुगर लेवल की नियमित जांच भी करानी चाहिए।

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डायबिटीज में मूड स्विंग्स (Mood swings in diabetes) होने पर क्या होती है समस्या?

हाय ब्लड ग्लूकोज लेवल होने से टेंशन के साथ ही गुस्से का एहसास, दुखी होना, बेहोशी छाना, प्यास लगना, थका हुआ महसूस होना, बेचैनी का एहसास, सुस्ती लगना आदि समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है। आपको इन सबसे छुटकारा पाने के लिए ब्लड ग्लूकोज को स्टेबल रखने की जरूरत है। अगर आप इंसुलिन (Insulin) या फिर सल्फोनील्यूरिया (Sulfonylurea) ले रहे हैं, तो ऐसे में अपने साथ कार्बोहायड्रेट के सोर्स को रखना बहुत जरूरी है, तो ब्लड शुगर के अचानक से कम होने पर इसे सामान्य कर सकें। किसी कारण से अगर ब्लड शुगर के लेवल में उतार चढ़ाव हो रहा है, तो डॉक्टर को इसके बारे में जानकारी जरूर दें।

डायबिटीज और मेंटल हेल्थ (Mental health and diabetes)

डायबिटीज के कारण मेंटल हेल्थ पर बुरा असर पड़ता है। डायबिटीज पेशेंट में चिंता यानी एंग्जायटी (Anxiety) प्रमुख समस्या के तौर पर देखने को मिलती है। पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में एंग्जायटी की समस्या अधिक देखने को मिलती है। डायबिटीज पेशेंट में चार में से एक व्यक्ति को डिप्रेशन ( Depression) की समस्या का सामना करना पड़ता है। ऐसे में जल्दी गुस्सा आना, स्लीप पैटर्न में बदलाव (Changes in sleep patterns), तेजी से वजन बढ़ना या फिर कम होना आदि समस्याएं देखने को मिलती हैं। साथ ही कुछ पेशेंट को ध्यान केंद्रित करने में (Concentrating) में भी दिक्कत हो सकती है। डिप्रेशन की समस्या का समय रहते ट्रीटमेंट कराना चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है, तो डायबिटीज को कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता है। आपको मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल से इस संबंध में बात करनी चाहिए।

डायबिटीज में मूड स्विंग्स को करना है कंट्रोल, तो इन बातों का रखें ध्यान

डायबिटीज के कारण अगर आपको मूड में अचानक बदलाव का एहसास हो रहा है, तो आपको सबसे पहले शुगर लेवल की जांच करानी चाहिए और साथ ही डायबिटीज को भी मैनेज करना चाहिए। डायबिटीज की बीमारी को ठीक करने के लिए बेहतर लाइफस्टाइल बहुत जरूरी है, जिसमें पौष्टिक आहार का सेवन, कुछ चीजों से परहेज, रोजाना एक्सरसाइज, स्ट्रेस से दूरी और पर्याप्त मात्रा में नींद बहुत जरूरी है। जानिए किन बातों का ध्यान रखने से डायबिटीज में मूड स्विंग्स की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।

डायबिटीज में मूड स्विंग्स (Mood swings in diabetes): स्ट्रेस को करें मैनेज (Manage stress)

स्ट्रेस के कारण शरीर में बुरा प्रभाव पड़ता है और स्ट्रेस कई बीमारियों का कारण भी बनता है। स्ट्रेस के कारण हॉर्मोन में भी बदलाव आते हैं। एक्यूट और क्रॉनिक स्ट्रेस के कारण ग्लूकोज के लेवल में बदलाव आता है और इस कारण से ग्लूकोज बैलेंस में भी फर्क पड़ता है। इसलिए बेहद जरूरी है कि आप स्ट्रेस को मैनेज करें। स्ट्रेस को कम करने के लिए आप मेडिटेशन के साथ ही योग (Yoga) कर सकते हैं। आप चाहे तो इस बारे में डॉक्टर से भी जानकारी ले सकते हैं।

और पढ़ें: डायबिटीज को करना है कंट्रोल, तो टिप्स आ सकते हैं आपके काम!

खाने में बढ़ाएं फाइबर और प्रोटीन की मात्रा (Fiber and protein)

प्रोटीन में लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) होता है, जिसके कारण ब्लड शुगर लेवल में कम इम्पेक्ट पड़ता है। फाइबर युक्त फूड्स में भी लो जीआई वैल्यू होती है। अगर आप अपनी डायट में फ्रैश फूट्स, वेजीटेबल्स के साथ ही फाइबर युक्त फूड्स (Fiber rich foods) को शामिल करते हैं, तो ये आपके शुगर लेवल को नियंत्रित रखने में मदद करेगा। डायबिटीज में मूड स्विंग्स न हो, इसके लिए आपको सावधानी बरतने की जरूरत है।

रिफाइंड कॉर्बोहायड्रेट और स्वीट बेवरेज (Carbohydrate and Sweet Beverages) की मात्रा करें कम

अगर आपको डायबिटीज की समस्या है, तो आपको खानपान पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। आपको खाने में स्वीट बेवरेज, सॉफ्ट ड्रिंक्स आदि की मात्रा नियंत्रित करनी होगी या फिर इन्हें पूरी तरह से लेना बंद करना होगा, वरना शुगर लेवल अचानक से बढ़ जाएगा। लगातार शुगर लेवल के अप एंड डाउन होने से मूड में बदलाव के साथ ही आपको अन्य समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है। मूड स्विंग्स (Mood swings) और डायबिटीज के संबंध में अभी भी अधिक जानकारी की जरूरत है। आपको एक्सरसाइज (Exercise) पर अधिक ध्यान देने के साथ ही डायट में कुछ चीजों की मात्रा को नियंत्रित करने की जरूरत है।

और पढ़ें: डायबिटीज के लिए एक्यूपंक्चर थेरिपी, कंट्रोल हो सकती है आपकी बढ़ी हुई शुगर

डायबिटिक पेशेंट के लिए जरूरी है कि रोजाना फिजिकल, मेंटल और इमोशनल सपोर्ट उन्हें फैमिली से मिले। अगर ऐसा नहीं होता है, तो जल्द ही उन्हें थकान लगना या फिर स्ट्रेस का सामना भी करना पड़ सकता है। फैमिली सपोर्ट भी डायबिटिक पेशेंट के मूड को बेहतर बनाने या फिर मूड में बदलाव के लिए जिम्मेदार हो सकता है। अगर आपकी फैमिली में किसी भी व्यक्ति को डायबिटीज की समस्या (Problem of diabetes) है, तो आपको जरूरत पड़ने पर उनका पूरा सहयोग करना चाहिए, जिससे उनका मूड बेहतर रहे और किसी तरह की समस्या न हो। डायबिटीज में मूड स्विंग्स (Mood swings in diabetes) होने पर आपको घबराने की जरूरत नहीं है।

और पढ़ें: इंसुलिन एंड किडनी डिजीज में क्या संबंध है, जानिए यहां एक्सपर्ट की राय

हम उम्मीद करते हैं कि आपको इस आर्टिकल के माध्यम से डायबिटीज में मूड स्विंग्स (Mood swings in diabetes)  के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी मिल गई होगी। आप स्वास्थ्य संबंधी अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है, तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं और अन्य लोगों के साथ साझा कर सकते हैं।

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Diabetes and depression
mayoclinic.org/diseases-conditions/diabetes/expert-answers/diabetes-and-depression/faq-20057904

Get off the blood glucose roller coaster.
hopkinsmedicine.org/diabetes/diabetes_education/patient_education_material/get_off_the_blood_glucose_rollercoaster.pdf

 How does diabetes affect your mood?
https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/2707223/

Depression
https://www.nimh.nih.gov/health/topics/depression

Diabetes.
https://www.cdc.gov/diabetes/basics/type2.html

 Does glycemic variability impact mood and quality of life.
ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3317401/

Current Version

15/12/2021

Bhawana Awasthi द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी

Updated by: Nikhil deore


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के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

डॉ. हेमाक्षी जत्तानी

डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 15/12/2021

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