डायबिटीज (Diabetes) की समस्या अपने साथ कई कॉम्प्लिकेशंस लेकर आती है, जिसके चलते व्यक्ति की परेशानी दिन पर दिन बढ़ती चली जाती हैं। यदि आप डायबिटीज के शिकार हैं, तो आपको अक्सर आपकी त्वचा पर ब्लिस्टर आते हुए दिखाई देते होंगे। इन ब्लिस्टर को डायबिटिक ब्लिस्टर के नाम से जाना जाता है। हालांकि डायबिटिक ब्लिस्टर (Diabetic blisters) दिखाई देने में गंभीर महसूस हो सकते हैं, लेकिन यह दर्द रहित होते हैं और अपने आप ठीक हो जाते हैं। डायबिटीज से कई स्किन प्रॉब्लम्स जुड़ी हुई है, जिसमें डायबिटिक ब्लिस्टर आमतौर पर नहीं देखे जाते। यहां तक कि महिलाओं की अपेक्षा यह पुरुषों में आमतौर पर देखे जाते हैं। आइए आज जानते हैं डायबिटिक ब्लिस्टर (Blisters) से जुड़ी कुछ खास बातें, लेकिन उससे पहले जान लीजिए कि डायबिटीज़ की समस्या आख़िर होती कैसे है।
और पढ़ें : क्या है नाता विटामिन-डी का डायबिटीज से?
कैसे होती है डायबिटीज (Diabetes) की समस्या?
डायबिटीज उस समस्या को कहते हैं, जिसमें रोगी के शरीर में ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है। डायबिटीज (Diabetes) की समस्या में पैंक्रियाज इंसुलिन ठीक ढंग से पैदा नहीं कर पाती और इसलिए शरीर में इंसुलिन की कमी होती है। यही कारण है कि शरीर में ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है और व्यक्ति डायबिटीज की समस्या से ग्रसित हो जाता है। मुख्यतः डायबिटीज के दो प्रकार माने गए हैं, टाइप वन डायबिटीज (Type 1 Diabetes) और टाइप टू डायबिटीज (Type 2 Diabetes) । टाइप वन डायबिटीज में शरीर के इम्यून सिस्टम पर असर पड़ता है और इंसुलिन का उत्पादन करने वाली कोशिकाएं नष्ट हो जाती है। वहीं टाइप टू डायबिटीज में शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन पैदा नहीं कर पाता और शरीर में ब्लड शुगर लेवल बढ़ने लगता है। हालांकि डायबिटीज का रोग एक आम रोग हो चला है। सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में इस रोग के शिकार ज्यादा से ज्यादा लोग हो रहे हैं। भारत में रोजाना डायबिटीज के मरीजों के आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं, इसलिए हमारे देश में डायबिटीज एक गंभीर और चिंताजनक विषय बन गया है। आइए अब जानते हैं डायबिटीज के लक्षण कौन से हैं।
और पढ़ें : जानें कैसे स्वेट सेंसर (Sweat Sensor) करेगा डायबिटीज की पहचान
टाइप टाइप वन डायबिटीज के मुकाबले टाइप टू डायबिटीज (Diabetes) के रोगियों में लक्षण धीरे-धीरे और कम दिखाई देते हैं। ऐसी स्थिति में आपको डायबिटीज से जुड़े इन लक्षणों पर ध्यान देना बेहद जरूरी माना जाता है –
- बार-बार यूरिनेशन होना
- बार-बार प्यास लगना
- बहुत भूख लगना
- अत्यधिक थकान
- धुंधला दिखना
- किसी चोट को ठीक होने में ज्यादा समय लगना
- लगातार घटता वजन (टाइप1)
- हाथ / पैर में झुनझुनी या दर्द (टाइप 2)
यदि आप ये लक्षण आमतौर पर खुद में देखते हैं, तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। डॉक्टर अलग-अलग टेस्ट के जरिए पता लगाएंगे कि आपको डायबिटीज की समस्या है या नहीं। समय पर डायबिटीज (Diabetes) का इलाज हो, तो इसे संतुलित किया जा सकता है।
और पढ़ें : बढ़ती उम्र और बढ़ता हुआ डायबिटीज का खतरा
क्या होते हैं डायबिटिक ब्लिस्टर? (Diabetic blisters)
डायबिटिक ब्लिस्टर (Diabetic blisters) आमतौर पर आपके पैर, तलवों और टखनों में दिखाई देते हैं। कुछ रेयर केस में ये आपके हाथों, उंगलियों और बाजू में भी दिखाई देते हैं। डायबिटिक ब्लिस्टर 6 इंच बड़े हो सकते हैं। हालांकि आमतौर पर इसका साइज छोटा ही पाया जाता है। डायबिटिक ब्लिस्टर आमतौर पर एक ही होते हैं, लेकिन कुछ खास मामलों में यह समूह में दिखाई देते हैं। यह ब्लिस्टर (Blisters) आमतौर पर लाल रंग के सूजन के साथ दिखाई देते हैं।वहीं कुछ डायबिटिक ब्लिस्टर खुजली के साथ हो सकते हैं। लेकिन ये डायबिटिक ब्लिस्टर क्यों होते हैं, इसका कारण नहीं जाना चाहेंगे आप? आइए जानते हैं डायबिटिक ब्लिस्टर के कारण।
डायबिटिक ब्लिस्टर के क्या हैं कारण? (Causes of Diabetic blisters)
डायबिटिक ब्लिस्टर (Blisters) का कारण आज तक पता नहीं चल पाया है। हालांकि डायबिटिक ब्लिस्टर (Diabetic blisters) की वजह से व्यक्ति को कोई परेशानी नहीं होती, लेकिन कई बार जूते पहनने में या पैरों से जुड़े काम करने में उसे तकलीफ का सामना करना पड़ सकता है। आमतौर पर डायबिटिक ब्लिस्टर उन लोगों को होता है, जो जिन्हें डायबिटीज (Diabetes) में फंगल इन्क्शन की समस्या रहती है। फंगल इंफेक्शन के चलते डायबिटिक ब्लिस्टर दिखाई दे सकते हैं। यदि ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में ना रखा जाए, तो व्यक्ति को बार-बार डायबिटिक ब्लिस्टर की समस्या हो सकती है। खासतौर पर उन लोगों को यह समस्या होती है, जिन्हें डायबिटिक न्यूरोपैथी (Diabetic neuropathy) की समस्या है। डायबीटक न्यूरोपैथी में आमतौर पर नर्व डैमेज हो जाती है और दर्द का एहसास कम होता है। ऐसी स्थिति में लोगों को आम तौर पर डायबिटिक ब्लिस्टर होने की संभावना ज्यादा होती है। वही पेरीफेरल आर्टरी डिजीज (Peripheral artery disease) से ग्रसित व्यक्ति को भी डायबिटिक ब्लिस्टर होने की संभावना बढ़ जाती है। आइए अब जानते हैं आप कैसे डायबिटिक ब्लिस्टर का इलाज कर सकते हैं।
और पढ़ें : Diabetes insipidus : डायबिटीज इंसिपिडस क्या है ?
डायबिटिक ब्लिस्टर : कैसे होता है इसका इलाज? (Treatment of Diabetic blisters)
हालांकि डायबिटिक ब्लिस्टर अपने आप 2 से 5 सप्ताह के अंदर ठीक हो सकते हैं, लेकिन इंफेक्शन को ध्यान में रखते हुए आपको जल्द से जल्द डर्मेटोलॉजिस्ट की सलाह लेनी चाहिए। डायबिटिक ब्लिस्टर (Blisters) में मौजूद फ्लुएड इंफेक्शन को बढ़ा सकता है, इसलिए आपको इन ब्लिस्टर को नहीं छेड़ना चाहिए। डॉक्टर ब्लिस्टर को निकाल कर उस पर जरूरी दवाइयां लगा सकते हैं। डायबिटिक ब्लिस्टर (Diabetic blisters) को एंटीबायोटिक क्रीम या ऑइंटमेंट की मदद से ठीक किया जा सकता है। डर्मेटोलॉजिस्ट आमतौर पर डायबिटिक ब्लिस्टर की समस्या में स्टेरॉयडल क्रीम (Steroidal Cream) देते हैं, जिससे व्यक्ति को खुजली से राहत मिल जाती है। इसके अलावा ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में रखकर डायबिटिक ब्लिस्टर के समस्या से निजात पाया जा सकता है। आइए अब जानते हैं कि किस तरह डायबिटिक ब्लिस्टर की समस्या से बचाव किया जा सकता है।
डायबिटिक ब्लिस्टर : ऐसे हो सकता है बचाव (Prevention of Diabetic blisters)
जैसा कि आप सभी जानते हैं, डायबिटीज (Diabetes) की समस्या में इन्फेक्शन होना एक आम बात मानी गई है। यदि आपको न्यूरोपैथी की समस्या है, तो आपको डायबिटिक ब्लिस्टर (Diabetic blisters) होने की तकलीफ बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति में डायबिटीज से बचाव करने के लिए आपको कुछ बातों का ध्यान रखने की जरूरत पड़ती है, जो इस प्रकार है –
- रोजाना अपने पैरों को चेक करें
- अपने पैरों को चोट से बचाएं और हमेशा जूते और मोजे पहनकर रहे
- ऐसे जूते ना पहने जो ज्यादा टाइट ना हो
- नए जूते अचानक ना पहने
- हैंड इक्विपमेंट और टूल्स का इस्तेमाल करते वक्त ग्लब्स पहने
- कुछ लोगों में अल्ट्रावॉयलेट रेज (Ultraviolet rays) की वजह से ब्लिस्टर की समस्या होती है इसलिए सनस्क्रीन लगाकर ही धूप में जाए
और पढ़ें : रिसर्च: हाई फाइबर फूड हार्ट डिसीज और डायबिटीज को करता है दूर
यदि आप इन बातों का ध्यान रखते हैं, तो आपको डायबिटिक ब्लिस्टर (Diabetic blisters) की समस्या नहीं होगी। इसके बाद भी यदि आप डायबिटिक ब्लिस्टर की समस्या से उबर नहीं पा रहे हैं, तो आपको डॉक्टर को जरूर दिखाना चाहिए। सेकेंडरी इन्फेक्शन से बचने के लिए आपको इन लक्षणों पर ध्यान देना जरूरी है –
- ब्लिस्टर के आजू-बाजू लालिमा
- सूजन
- जलन
- दर्द
- बुखार
यदि आप इन लक्षणों को देखते हैं, तो आपको जल्द से जल्द डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। डॉक्टर आपका ब्लड शुगर लेवल माप कर डायबिटिक ब्लिस्टर (Blisters) के लिए जरूरी दवा दे सकता है। ध्यान रखें कि डायबिटिक ब्लिस्टर (Diabetic blisters) की समस्या में आपको समय रहते डॉक्टर से संपर्क करना बेहद जरूरी है, अन्यथा यह समस्या बढ़कर सेकेंडरी इन्फेक्शन में बदल सकती है।
[embed-health-tool-bmi]