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पैंक्रियाटोजेनिक डायबिटीज: क्या डायबिटीज के इस तीसरे प्रकार के बारे में जानते हैं आप?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Manjari Khare द्वारा लिखित · अपडेटेड 18/12/2021

    पैंक्रियाटोजेनिक डायबिटीज: क्या डायबिटीज के इस तीसरे प्रकार के बारे में जानते हैं आप?

    पैंक्रियाज (Pancreas) का एक काम है, हॉर्मोन्स को प्रोड्यूस करना ताकि ग्लूकोज लेवल (Glucose level) नॉर्मल रेंज में रहे। इंसुलिन (insulin) इनमें से एक हॉर्मोन है और यह ब्लड में ग्लूकोज की उपस्थिति के लिए जरूरी है जो हमें खाने के द्वारा मिलता है। ग्लूकोज हमारी बॉडी के लिए फ्यूल की तरह काम करता और एनर्जी प्रदान करता है। पैंक्रियाटोजेनिक डायबिटीज (Pancreatogenic diabetes) तब डेवलप होती है जब पैंक्रियाज पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन का निमार्ण करना बंद कर देता है। ऐसा किसी कंडिशन के चलते या पैंक्रियाज के प्रभावित या डैमेज होने की स्थिति में हो सकता है। इसके अलावा इसका कारण पैंक्रियाज की सर्जरी या पैंक्रियाज का पूरी तरह रिमूव हो जाना हो सकता है। पैंक्रियाटोजेनिक डायबिटीज को टाइप 3सी डायबिटीज (Type 3c diabetes) भी कहा जाता है।

    जब बॉडी में पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं होगा तो बॉडी में ग्लूकोज का लेवल बढ़ जाएगा और अगर इसका इलाज नहीं किया गया तो यह कॉम्प्लिकेशन का कारण बन सकता है। डायबिटीज के कई मामले  टाइप 3सी डायबिटीज (Type 3c diabetes) के होते हैं, लेकिन जानकारी के अभाव में लोगों को इस बारे में पता नहीं चल पाता। यहां इस बात का ध्यान रखना भी जरूरी है कि सभी लोग जिन्हें क्रोनिक पेंक्रियाटिस (Chronic pancreatitis) या पैंक्रियाज से जुड़ी दूसरी स्थिति होती है उन सभी को पैंक्रियाटोजेनिक डायबिटीज (Pancreatogenic diabetes) नहीं होती। इसकी गंभीरता पैंक्रियाज के डैमेज पर निर्भर करती है जो हर व्यक्ति के लिए अलग हो सकती है।

    पैंक्रियाटोजेनिक डायबिटीज के लक्षण (Pancreatogenic diabetes Symptoms)

    पैंक्रियाटोजेनिक डायबिटीज होने पर पैंक्रियाज वह एंजाइम प्रोड्यूस नहीं कर पाता जो भोजन को पचाने के लिए जरूरी होता है। इसे पैंक्रियाटिक एक्सोक्राइन इनसफिसिएंशी (Pancreatic exocrine insufficiency) कहते हैं। इसका मतलब होता है कि पैंक्रियाज ठीक से काम करने में सक्षम नहीं है। पैंक्रियाटोजेनिक डायबिटीज के लक्षणों में निम्न शामिल हैं।

    इसके अलावा भी कुछ सामान्य लक्षण दिखाई दे सकते हैं

    • ज्यादा प्यास लगना
    • बार-बार टॉयलेट जाना
    • जेनिटल थ्रस और ईचिंग (Genital thrush or itching)
    • धुंधला दिखाई देना

    पैंक्रियाटोजेनिक डायबिटीज के बारे में पता कैसे चलता है? (Pancreatogenic diabetes Diagnosis)

    पैंक्रियाटोजेनिक डायबिटीज (Pancreatogenic diabetes) का डायग्नोसिस और मैनेजमेंट चैलेंजिंग हो सकता है क्योंकि इस बारे में ज्यादा लोगों को जानकारी नहीं होती। कई बार डॉक्टर्स भी इसके लक्षणों को समझ नहीं पाते। ऐसे में लंबे समय तक इस बीमारी के बारे में पता ही नहीं चल पाता। यहां पर हमें यह ध्यान रखने की जरूरत है कि पैंक्रियाटोजेनिक डायबिटीज का संबंध पैंक्रियाज (Pancreas) से है इसलिए आप चाहे तो डॉक्टर से कह सकते हैं कि वे पैंक्रियाज से जुड़ी परेशानियों की जांच कर लें। शोधकर्ताओं ने पैंक्रियाटोजेनिक डायबिटीज के डायग्नोंसिस के लिए कुछ क्राइटेरिया बताए हैं। जिसमें सीटी स्कैन (CT Scan) के द्वारा पैंक्रियाज के काम न करने या डैमेज के बारे में पता लगाया जा सकता है।

    इसके साथ ही डायग्नोसिस में दूसरी प्रकार की डायबिटीज (Diabetes) की भी जांच की आवश्यकता होती है। इसलिए डॉक्टर ब्लड टेस्ट (Blood test) का उपयोग करके टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) के लिए ऑटोइम्यून मार्करों की तलाश कर सकते हैं। इसके साथ ही वे मरीज की मेडिकल हेल्थ हिस्ट्री के बारे में भी पता करते हैं जो उन्हें कंडिशन को डायग्नोस करने में मदद करती है। पैंक्रियाटोजेनिक डायबिटीज के बारे में पता चलने पर मरीज को इंसुलिन थेरिपी (Insulin therapy) और रेगुलर मॉनिटरिंग की जरूत होती है।

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    पैंक्रियाटोजेनिक डायबिटीज का ट्रीटमेंट कैसे किया जाता है? (Pancreatogenic diabetes Treatment)

    पैंक्रियाटोजेनिक डायबिटीज

    पैंक्रियाटोजेनिक डायबिटीज (Pancreatogenic diabetes) का मैनेजमेंट पैंक्रियाज के डैमेज पर निर्भर करता है। टाइप 3सी डायबिटीज को इंसुलिन इंजेक्शन (Insulin injection) के जरिए मैनेज किया जा सकता है। वहीं इसके लिए ओरल मेडिकेशन भी दी जाती हैं। अगर मरीज को इंसुलिन इंजेक्शन की जरूरत होती है तो डॉक्टर आपको इसके बारे में पूरी जानकारी देते हैं और रेगुलर चेकअप के लिए बुलाते हैं। इसके साथ ही डॉक्टर डायट्री और लाइफ स्टाइल चेजेंस के बारे में भी आपको बताएंगे ताकि फूड आसानी से डायजेस्ट हो सके। यह ट्रीटमेंट का ही हिस्सा होगा। डायबिटीज के कारण कई दूसरी परेशानियां भी होती हैं। जिनमें से कुछ कम समय के लिए होती हैं तो कुछ अधिक समय के लिए, लेकिन इन्हें टाला नहीं जा सकता। इन कॉम्प्लिकेशन में नर्व, आंखें, पैर और किडनी से जुड़ी हुई परेशानियां शामिल हैं।

    ब्लड ग्लूकोज लेवल (Blood glucose level), ब्लड प्रेशर (Blood Pressure) और कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल में रखने पर कई प्रकार के कॉम्प्लिकेशन के रिस्क को कम किया जा सकता है। पैंक्रियाटोजेनिक डायबिटीज के मैनेजमेंट के लिए जरूरी है कि पेंक्रियाटिक डिजीज (Pancreatic disease) का इलाज ठीक तरीके से किया जाए।

    इसके साथ ही इस बीमारी को मैनेज करने के लिए स्मोकिंग से दूरी बनाना बहुत जरूरी है। इससे पैंक्रियाज को आगे होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है। साथ ही एल्कोहॉल का सेवन ना करना भी हेल्दी पैंक्रियाज के लिए जरूरी है। इससे एल्कोहॉल के कारण होने वाले हायपोग्लाइसिमिया (Hypoglycemia) के रिस्क कम हो जाता है।

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    पैंक्रियाटोजेनिक डायबिटीज (Pancreatogenic diabetes) के कारण होने वाली स्थितियों का इलाज

    पैंक्रियाज को अफेक्ट करने वाली कई कंडिशन्स के कारण डायजेशन में परेशानी हो सकती है। जिससे मरीज को कुपोषण (Malnutrition) हो सकता है। साथ ही भोजन करने के बाद ग्लूकोज लेवल के बढ़ने का खतरा भी हो सकता है। अगर पैंक्रियाज डैमेज्ड है या ठीक से काम नहीं कर रहा है तो पैंक्रियाटिक एंजाइम रिप्लेसमेंट थेरिपी (Enzyme replacement therapy) की जरूरत हो सकती है। इसके साथ ही वजन को संतुलित रखने के लिए पोषक तत्वों की जरूरत होगी। जिससे ब्लड शुगर लेवल भी संतुलित रहे।

    पेंक्रियाटिक कैंसर से पीड़ित लोगों को खाना खाने, भोजन पचाने और वजन बनाए रखने में मुश्किल हो सकती है। यह ब्लड शुगर लेवल के मैनेज को और अधिक कठिन बना सकता है। यदि अग्नाशय कैंसर वाले किसी व्यक्ति में टाइप 3 सी डायबिटीज का इलाज करने का लक्ष्य बहुत अधिक और बहुत कम ब्लड ग्लूकोज लेवल को कम करना है, तो वजन घटाने को रोकना और डायबिटीज की लॉन्ग टर्म कॉम्प्लिकेशन से बचना होगा।

    पैंक्रियाटोजेनिक डायबिटीज (Pancreatogenic diabetes) का सामना कर रहे लोग इन बातों का रखें विशेष ध्यान

    इस बीमारी से पीड़ित लोगों को और जो अपने पैंक्रियाज को हेल्दी रखना चाहते हैं। उन्हें निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए।

    डायट हो ऐसी (Healthy Diet)

    कम मात्रा में खाएं और खाना एक निश्चित समय पर खाएं। डायट में स्ट्रेची कार्बोहाइड्रेड जैसे कि आलू, ब्रेड, चावल और पास्ता को शामिल करें। कोशिश करें कि किसी समय का खाना न छोड़ें। लो फैट डायट फॉलो करें जिसमें साबुत अनाज, ताजी सब्जियां और फलों को शामिल करें। इसके साथ ही फैटी और फ्रायड फूड्स जैसे कि रेड मीट, चिप्स और फ्राइज, पेस्ट्रीज, मायोनीज और एडेड शुगर वाले प्रोडक्ट्स से दूरी बनाकर रखें।

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    वजन रखें संतुलित (Manage your weight)

    जो लोग पैंक्रियाटोजेनिक डायबिटीज (Pancreatogenic diabetes) का सामना कर रहे हैं या जो इससे बचना चाहते हैं उन्हें अपने वजन को संतुलित रखना होगा क्योंकि ओवरवेट लोगों में गालस्टोन्स के डेवलप होने का रिस्क बढ़ जाता है जो पेंक्रियाटाइटिस (Pancreatitis) का कारण बनता है। इसके लिए रेगुलर एक्सरसाइज और वॉक करना जरूरी है। ये दोनों चीजें ओवलऑल हेल्थ के लिए भी आवश्यक हैं।

    शराब (Alcohol) और धुम्रपान (Smoking) छोड़ना है जरूरी

    पैंक्रियाज को हेल्दी रखने और पैंक्रियाटोजेनिक डायबिटीज से बचने और मैनेज करने के लिए इन दोनों को छोड़ना ही सही होगा। ऐसा करने से आप पैंक्रियाज को टॉक्सिक इफेक्ट्स से बचा सकते हैं। बता दें कि 2019 की एक स्टडी के अनुसार जो लोग स्मोक करते हैं उनमें पैंक्रियाज से संबंधित बीमारियां होने का रिस्क जो नहीं करते उनसे 1.5 टाइम्स ज्यादा होता है।

    उम्मीद करते हैं कि आपको पैंक्रियाटोजेनिक डायबिटीज (Pancreatogenic diabetes) संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

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