जो लोग टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) से पीड़ित होते हैं उनमें मेंटल हेल्थ से जुड़ी परेशानियां होने की संभावना जिनको डायबिटीज नहीं है की तुलना में काफी बढ़ जाती हैं। जिसमें डायबिटीज डिस्ट्रेस (Diabetes Distress), डिप्रेशन, एंग्जायटी और ईटिंग डिसऑर्डर शामिल हैं। कई बार लोग इनसे बचने के लिए टाइप 1 डायबिटीज में एंटीडिप्रेसेंट का यूज करने लगते हैं, लेकिन इनका उपयोग कारगर नहीं है। टाइप 1 डायबिटीज में एंटीडिप्रेसेंट (Antidepressants uses in type 1 diabetes) का उपयोग कई साइड इफेक्ट्स का कारण बन सकता है और यह हायपोग्लाइसीमिया (Hypoglycemia) का रिस्क भी बढ़ा सकता है। डायबिटीज डिस्ट्रेस का सामना करने पर डॉक्टर की मदद लेना ही बेहतर उपाय है।
डायबिटीज डिस्ट्रेस (Diabetes Distress)
डायबिटीज डिस्ट्रेस के दौरान लोग डिप्रेशन का अनुभव करते हैं जो डायरेक्टली उनके डे टू डे मैनेजमेंट और डायबिटीज के साथ रहने के तनाव से संबंधित होता है। इसके लक्षण डिप्रेशन की तरह ही होते हैं। कई बार लोग इन दोनों में भ्रमित हो जाते हैं। डिप्रेशन को मेजर डिप्रेसिव डिसऑर्डर (major depressive disorder) भी कहा जाता है। इसका ट्रीटमेंट अलग हो सकता है। जो लोग डायबिटीज डिस्ट्रेस का सामना कर रहे हैं उनके लिए एंटीडिप्रेसेंट का उपयोग फायदेमंद नहीं है। मेजर डिप्रेसिव डिसऑर्डर (Major depressive disorder) जीन्स और स्ट्रेस का कॉम्बिनेशन है जो ब्रेन कैमिस्ट्री को प्रभावित करके मूड स्टेबिलिटी को कम करता है। ब्रेन कैमिस्ट्री, जेनेटिक्स और लाइफ एक्सपीरियंस के कंबाइड होने का परिणाम जनरल एंग्जायटी डिसऑर्डर भी होता है।
मरीज डिप्रेशन का सामना कर रहा है या डायबिटीज स्ट्रेस का इसका पता लगाने का आसान तरीका है खुद से सवाल करना कि “अगर मैं मधुमेह को अपने जीवन से निकाल दूं, तो क्या मेरे डिप्रेशन के लक्षण दूर हो जाएंगे?”। यदि उनमें से अधिकतर लक्षणों में सुधार या वे गायब नहीं होते हैं, तो आप यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि आप ‘डायबिटीज डिस्ट्रेस’ के बजाय डिप्रेशन से जूझ रहे हैं। अगर आपको ऐसा लगता है कि डायबिटीज ने आपके जीवन को बर्बाद कर दिया है और आप इसकी वजह से आप जीवन में कुछ हासिल नहीं कर पाएंगे तो इसके बारे में डॉक्टर से बात करनी चाहिए। वे आपको इस प्रकार के स्ट्रेस से निकालने में मदद करेंगे नाकि आप इससे बचने के लिए टाइप 1 डायबिटीज में एंटीडिप्रेसेंट का उपयोग (Antidepressants uses in type 1 diabetes) करने लगें।
और पढ़ें: करना है टाइप 1 डायबिटीज में कीटो डायट फॉलो, तो रखें इन बातों का ध्यान!
टाइप 1 डायबिटीज और डिप्रेशन का संबंध (Type 1 diabetes and depression)
जैसा कि हम ऊपर बता चुके हैं कि अगर व्यक्ति को टाइप 1 या टाइप 2 डायबिटीज है तो उसे डिप्रेशन होने का रिस्क बहुत ज्यादा है वहीं अगर व्यक्ति डिप्रेस्ड होता है तो टाइप 2 डायबिटीज का रिस्क बढ़ जाता है। हालांकि डिप्रेशन और डायबिटीज दोनों का इलाज साथ में संभव है। एक को अच्छी तरह मैनेज करने से दूसरे पर इसका पॉजिटिव असर दिखाई देता है। आइए जानते हैं दोनों कैसे एक दूसरे से रिलेटेड हैं।
- डायबिटीज के कारण कई प्रकार हेल्थ प्रॉब्लम्स और कॉम्प्लिकेशन होते हैं जो डिप्रेशन को बिगाड़ने का काम करते हैं।
- डिप्रेशन की वजह से लाइफ स्टाइल खराब हो जाती है। जिसमें अनहेल्दी ईटिंग, एक्सरसाइज न करना, स्मोकिंग और वजन का बढ़ना। ये सभी डायबिटीज के रिस्क फैक्टर्स हैं।
- डिप्रेशन काम को पूरा करने की क्षमता, कम्युनिकेशन और सोचने की क्षमता को प्रभावित करता है। जिससे डायबिटीज को सफलतापूर्वक मैनेज करना मुश्किल हो जाता है।
और पढ़ें: एलएडीए डायबिटीज क्या है, टाइप-1 और टाइप-2 से कैसे है अलग
टाइप 1 डायबिटीज में एंटीडिप्रेसेंट का उपयोग (Antidepressant use in type 1 diabetes)
टाइप 1 डायबिटीज में एंटीडिप्रेसेंट (Antidepressants in type 1 diabetes) का उपयोग लोग करने से पहले सोचते हैं कि इससे मेरी परेशानियों का हल निकल जाएगा। बता दें कि ये सच नहीं है। एंटीडिप्रेसेंट आपकी परेशानियों को हल नहीं कर सकती। इसका एक फायदा यही है कि यह परेशानियों का हल निकालने की क्षमता में सुधार कर सकती है। एंटीडिप्रेसेंट के रूप में उपयोग किए जाने वाले सिलेक्टिव सेरोटॉनिन रिप्यूटेक इंहीबिटर्स (Selective serotonin reuptake inhibitors-SSRIs) व्यक्ति के ब्रेन के सेरोटोनिन को प्रभावित करके काम करते हैं जो कि एक कैमिकल नर्व है जिसे नैचुरल मूड स्टेबिलाइजर (Natural mood stabilizer) कहते हैं।
जब आपका मस्तिष्क सेरोटोनिन छोड़ता है, तो इसका कुछ हिस्सा अन्य कोशिकाओं के साथ संचार करने के लिए उपयोग किया जाता है, और कुछ इसे छोड़ने वाली कोशिका में वापस चला जाता है। SSRIs उस सेल में वापस जाने वाले सेरोटोनिन की मात्रा को कम करते हैं जो इसे जारी करता है, जिससे आपके मस्तिष्क में अन्य कोशिकाओं के साथ संवाद करने के लिए सेरोटॉनिन और अधिक उपलब्ध हो जाता है। कम सेरोटोनिन का स्तर अक्सर अवसाद के लिए सबसे आम योगदान कारकों में से एक माना जाता है।
किसी प्रकार की दवा चाहे वह एंटीडिप्रेसेंट हो या नहीं डॉक्टर की सलाह के बिना न लें। डॉक्टर के बिना बताए ऐसी दवाओं का सेवन खतरनाक साबित हो सकता है।
टाइप 1 डायबिटीज में एंटीडिप्रेसेंट के उपयोग से हायपोग्लाइसिमिया का खतरा (Risk of hypoglycemia with antidepressants)
टाइप 1 डायबिटीज में एंटीडिप्रेसेंट के उपयोग से कॉमन साइड इफेक्ट्स जैसे कि कब्ज और चक्कर आना तो होते ही हैं डायबिटीज के मरीज इंसुलिन और दूसरी दवाओं का उपयोग करते हैं जो ब्लड शुगर लेवल को कम करती हैं। टाइप 1 डायबिटीज में एंटीडिप्रेसेंट (Antidepressants in type 1 diabetes) के उपयोग से हायपोग्लाइसिमिया हो सकता है। कुछ स्टडीज में इस बात का पता चला है कि कुछ पर्टिकुलर एंटीडिप्रेसेंट का उपयोग टाइप 1 डायबिटीज के मरीजों में हायपोग्लाइसिमिया का रिस्क बढ़ा देती हैं। एंटीडिप्रेसेंट उपयोग के पहले हफ्ते में ऐसे मामले ज्यादा देखे जाते हैं। हालांकि, ये जरूरी नहीं है कि सबके साथ ही ऐसा हो, लेकिन इसका रिस्क ज्यादा है।
वहीं सेंट ल्यूइस यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसिन की एक स्टडी के अनुसार टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों में एंटीडिप्रेसेंट का उपयोग ब्लड शुगर के लेवल में सुधार कर सकता है। शोधकर्ताओं का दावा है कि एंटीडिप्रेसेंट लेने से 95% अधिक संभावना है कि ब्लड शुगर को अच्छी तरह से नियंत्रित किया जाएगा, लेकिन वे यह भी स्वीकार करते हैं कि उल्लेखनीय सुधार पार्टिसिपेट करने वाले मरीजों में केवल अवसाद का इलाज करने से आया हो सकता है।
और पढ़ें: क्या डायबिटीज पेशेंट के पास है मील रिप्लेसमेंट ऑप्शन?
एंटीडिप्रेसेंट का उपयोग (Antidepressant uses) करने से पहले ध्यान रखें ये बातें
अगर डॉक्टर ने ये दवा आपको दी है तो उसे रेगुलरी लें। इसके डोज में किसी प्रकार का बदलाव ना करें। इसके साथ ही निम्न बातों का ध्यान रखें।
- इन दवाओं की वजह से कब्ज हो सकता है।
- इसलिए डायट में फाइबर की मात्रा शामिल करें या फाइबर सप्लिमेंट्स जैसे कि ईसबगोल की भूसी आदि का उपयोग करें।
- दवा को डॉक्टर के कहे बिना बंद ना करें। यह मरीज के लिए खतरनाक हो सकता है। अगर आप दवा लेना बंद करना चाहते हैं तो इस बारे में डॉक्टर को बताएं। वे डोज को कम करने के साथ ही इसे धीरे-धीरे बंद करने पर विचार करेंगे।
टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) में एंटीडिप्रेसेंट का उपयोग नहीं करें ये काम
टाइप 1 डायबिटीज में एंटीडिप्रेसेंट (Antidepressants in type 1 diabetes) का उपयोग डिप्रेशन और डायबिटीज दोनों के लिए उपयोगी नहीं है। इसलिए इन दोनों कंडिशन को मैनेज करने के लिए नीचे दिए गए टिप्स अपना सकते हैं।
मनोचिकित्सा (Psychotherapy) की मदद लें
टाइप 1 डायबिटीज में एंटीडिप्रेसेंट का उपयोग करने की जगह मनोचिकित्सा खास तौर पर (Cognitive behavioral therapy) की मदद लें। यह डिप्रेशन के लक्षणों में सुधार करती है। जिससे बेहतर तरीके से डायबिटीज मैंनेजमेंट हो सकेगा।
और पढ़ें: आप में होने वाले मेमोरी लॉस का कारण हो सकती है डायबिटीज की समस्या, जानें दोनों में क्या है संबंध!
दवाएं और लाइफस्टाइल में बदलाव (Medications and lifestyle changes)
डायबिटीज और डिप्रेशन दोनों के लिए रेगुलर एक्सरसाइज, योगा, हेल्दी डायट और स्मोकिंग और एल्कोहॉल से दूरी जरूरी है। इससे दोनों में सुधार में मदद मिलती है। ओवरऑल हेल्थ के लिए भी ये सभी जरूरी हैं।
डायबिटीज सेल्फ मैनेजमेंट प्रोग्राम का सहारा लें (Diabetes self-management programs)
डायबिटीज प्रोग्राम मरीजों के मेटाबॉलिक कंट्रोल, फिटनेस लेवल को बढ़ाने, वेट लॉस और दूसरे कॉर्डियोवैस्कुलर डिजीज के रिस्क फैक्टर्स को कम करवाने में मदद करते हैं। वे इस दिशा में सफल भी रहते हैं। ऐसे प्रोग्राम को ज्वॉइन करना मददगार हो सकता है।
उम्मीद करते हैं कि आपको टाइप 1 डायबिटीज में एंटीडिप्रेसेंट (Antidepressants in type 1 diabetes) के उपयोग से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
[embed-health-tool-bmi]