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क्या टाइप 2 डायबिटीज एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है या नहीं?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Nikhil deore द्वारा लिखित · अपडेटेड 21/02/2022

    क्या टाइप 2 डायबिटीज एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है या नहीं?

    ऑटोइम्यून डिजीज उन बीमारियों या डिसऑर्डर्स को कहा जाता है। जो तब होती है जब हमारे हेल्दी सेल्स को शरीर के इम्यून सिस्टम द्वारा ही नष्ट कर दिया जाता है। ऑटोइम्यून डिजीज शब्द से डायबिटीज खासतौर पर टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित लोग अवश्य परिचित होंगे। टाइप 1 डायबिटीज के मामले में हमारा डिजीज फाइटिंग सिस्टम (Disease Fighting System) गलती से हेल्दी सेल्स को खतरनाक समझ लेता है और उन पर अटैक करता है। जिससे हमारा शरीर अपने स्वयं के इंसुलिन का उत्पादन करने और ब्लड ग्लूकोज लेवल (Blood Glucose Level) को कंट्रोल में रखने में असमर्थ हो जाता है। टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) को ऑटोइम्यून डिजीज या डिसऑर्डर माना जाता है। लेकिन, आज हम बात करेंगे कि क्या टाइप 2 डायबिटीज ऑटोइम्यून डिसऑर्डर (Diabetes Type 2 Autoimmune Disorder) है? लेकिन पहले जान लेते हैं ऑटोइम्यून डिसऑर्डर के बारे में विस्तार से।

    ऑटोइम्यून डिजीज या डिसऑर्डर क्या हैं? (Autoimmune Disease or Disorders)

    टाइप 2 डायबिटीज ऑटोइम्यून डिसऑर्डर (Diabetes Type 2 Autoimmune Disorder) है या नहीं? इससे पहले थोड़ी जानकारी प्राप्त कर लेते हैं ऑटोइम्यून डिजीज के बारे में। ऐसा माना जाता है कि अस्सी विभिन्न प्रकार की ऑटोइम्यून डिजीज होती हैं, जिसमें टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) से सीलिएक बीमारी (Coeliac Disease) और रयूमेटाइड अर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis) आदि शामिल है। इम्यून सिस्टम हमारे शरीर को हानिकारक पदार्थों जैसे बैक्टीरिया, वायरस और विषाक्त पदार्थों आदि से सुरक्षित रखने का काम करता है। ऐसे में हमारा इम्यून सिस्टम एंटीबाडीज को बनाता और भेजता है, ताकि एंटीजेंस को पहचाना और उन्हें नष्ट किया जा सके।

    लेकिन, कई बार इम्यून सिस्टम हेल्दी और हार्मलेस टिश्यू और एंटीजन में अंतर नहीं कर पाता। जिसके परिणामस्वरूप यह नार्मल टिश्यू पर अटैक करता है और उन्हें नष्ट कर देता है। यह ऑटोइम्यून रिएक्शन वो हैं, जो ऑटोइम्यून डिजीज के विकास को ट्रिगर करते हैं। ऑटोइम्यून डिजीज का सही कारण ज्ञात नहीं है लेकिन ऐसी कई चीजें जो इसका कारण बन सकती हैं, जैसे:

    डायबिटीज टाइप 2 ऑटोइम्यून डिसऑर्डर

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  • बैक्टीरिया या वायरस (Bacteria or virus)
  • ड्रग्स (Drugs)
  • केमिकल इर्रिटेन्ट्स (Chemical irritants)
  •  ऑटोइम्यून डिसऑर्डर आमतौर पर जेनेटिक भी हो सकते हैं और महिलाओं को इनकी संभावना अधिक होती है। इसका कारण वायरस और एनवायर्नमेंटल एंटीजन को भी माना जाता है। टाइप 2 डायबिटीज ऑटोइम्यून डिसऑर्डर (Diabetes Type 2 Autoimmune Disorder) है या नहीं, इससे पहले इनकी गंभीरता के बारे में जान लेते हैं।

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    ऑटोइम्यून डिसऑर्डर कितने गंभीर होते हैं?

    ऑटोइम्यून रिएक्शन बॉडी सेल्स को नष्ट करने के साथ ही ऑर्गन के फंक्शन को भी प्रभावित करते हैं। जिसके कारण अंग में एब्नार्मल ग्रोथ हो सकती है। अग्न्याशय के अलावा, आमतौर पर ऑटोइम्यून डिसऑर्डर इन अंगों को भी प्रभावित करते हैं:

    • ब्लड वेसल्स (Blood vessels)
    • कनेक्टिव टिश्यू (Connective tissue)
    • जोड़ (Joints)
    • मसल्स (Muscles)
    • रेड ब्लड सेल्स (Red blood cells)
    • त्वचा (Skin)
    • थायरॉइड ग्लैंड (Thyroid gland)

    ऑटोइम्यून डिसऑर्डर में शरीर के एक से अधिक अंग एक साथ प्रभावित हो सकते हैं। यही वजह है कि कुछ लोग एक ही समय में एक से अधिक ऑटोइम्यून बीमारियों से पीड़ित हो सकते हैं। टाइप 1 डायबिटीज ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है। हालांकि, टाइप 2 के ऑटोइम्यून डिसऑर्डर होने के बारे में अभी रिसर्च चल रही है। आइए, जान लेते हैं टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज के बीच के अंतर के बारे में।  

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    टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज में क्या अंतर है?  (Type 1 Diabetes vs. Type 2 Diabetes)

    टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज (Type 1 and Type 2 Diabetes) के नाम भले ही एक जैसे हैं। लेकिन, इन दोनों को अलग-अलग तरह की बीमारिया माना जाता है। टाइप 1 डायबिटीज एक ऑटोइम्यून डिजीज है। इसे कई बार जुवेनाइल डायबिटीज भी कहा जाता है। क्योकि, इसका निदान अक्सर बच्चों और टीनएजर्स में होता है। इस तरह की डायबिटीज में हमारा इम्यून सिस्टम (Immune System) शरीर के हेल्दी सेल्स पर गलती से अटैक कर देता है और अग्नाश्य के इंसुलिन बनाने वाले सेल्स को नष्ट कर देता है। सही मात्रा में इंसुलिन के बिना सेल्स जितनी ऊर्जा चाहिए, उसे प्राप्त नहीं कर पाते हैं जिससे ब्लड शुगर लेवल (Blood Glucose level) बढ़ता है और लगातार प्यास लगना, मूत्र त्याग आदि लक्षण नजर आ सकते हैं। 

    टाइप 2 डायबिटीज तब होती है जब हमारा शरीर इंसुलिन के लिए प्रतिरोधी हो जाता है या पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता है। हार्मोन इंसुलिन, रोगी के ब्लड ग्लूकोज को आपकी कोशिकाओं में ले जाता है। रोगी की कोशिकाएं ग्लूकोज को ऊर्जा में परिवर्तित करती हैं। इंसुलिन के बिना सेल्स ग्लूकोज का प्रयोग नहीं कर पाते और डायबिटीज के लक्षण पैदा हो सकते हैं जिनमे थकावट, प्यास बढ़ना या थकावट आदि शामिल है। अब जानते हैं टाइप 2 डायबिटीज ऑटोइम्यून डिसऑर्डर (Diabetes Type 2 Autoimmune Disorder) के बारे में।

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    क्या डायबिटीज टाइप 2 ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है? (Diabetes Type 2 Autoimmune Disorder)

    लंबे समय से डॉक्टर और शोधकर्ता यह मानते आए हैं कि टाइप 2 डायबिटीज एक मेटाबोलिक डिसऑर्डर है। यह डिसऑर्डर तब होता है जब हमारे शरीर की केमिकल प्रोसेस सही से काम नहीं करती हैं। लेकिन, हाल ही में हुई रिसर्च के अनुसार टाइप 2 डायबिटीज असल में एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर हो सकता है। हालांकि, अभी इसके पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हो पाया है। लेकिन, अगर ऐसा हुआ तो इस स्थिति के उपचार के लिए नए ट्रीटमेंट और बचाव के तरीकों को विकसित किया जा सकता है। हालांकि अभी तक डॉक्टर टाइप 2 डायबिटीज का लाइफस्टाइल में बदलाव, दवाइयों और इंसुलिन की मदद से ही उपचार कर रहे हैं। जानिए टाइप 2 डायबिटीज ऑटोइम्यून डिसऑर्डर (Diabetes Type 2 Autoimmune Disorder) के बारे में क्या कहते हैं शोधकर्ता?

    डायबिटीज टाइप 2 ऑटोइम्यून डिसऑर्डर

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    टाइप 2 डायबिटीज  ऑटोइम्यून डिसऑर्डर के बारे में शोधकर्ताओं का क्या कहना है? (Research about Diabetes Type 2 as  Autoimmune Disorder)

    स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन और यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो (Stanford University School of Medicine and the University of Toronto) में कुछ समय पहले हुई एक रिसर्च के अनुसार रिसर्चर ने यह माना है कि टाइप 1 डायबिटीज  की तरह टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) भी एक ऑटोइम्यून डिजीज है। शोधकर्ताओं ने कुछ ऐसे सबूत मिले हैं कि इंसुलिन रेजिस्टेंस शरीर के सेल्स पर हमला करने वाले इम्यून सेल्स का परिणामस्वरूप हो सकता है। इन कोशिकाओं को एंटीबॉडी का उत्पादन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। जो हमलावर बैक्टीरिया, कीटाणुओं और वायरस से लड़ते हैं। टाइप २ डायबिटीज से पीड़ित लोगों में यह सेल्स गलती से हेल्दी सेल्स पर अटैक कर देते हैं। अगर टाइप 2 डायबिटीज एक ऑटोइम्यून डिजीज है, तो इस डिस्कवरी से ओबेसिटी इंड्यूस्ड टाइप 2 डायबिटीज (Obesity-induced Type 2 Diabetes) के इलाज का तरीका भी प्रभावित होगा। अभी डॉक्टर टाइप 2 डायबिटीज को दो तरीकों से ट्रीट करते हैं। पहले वो हेल्दी लाइफस्टाइल पर फोकस करते हैं।  हेल्दी डायट और लगातार व्यायाम इस ट्रीटमेंट का मुख्य हिस्सा है। 

    इसके बाद डॉक्टर ओरल मेडिकेशन्स की सलाह दे सकते हैं, जो शरीर की इंसुलिन को प्रयोग करने की क्षमता को बढ़ाती हैंअगर दवाइयां काम नहीं करती है तो आपको इंसुलिन की जरूरत हो सकती है। इंसुलिन के इंजेक्शन सेल्स को ग्लूकोज को अब्सॉर्ब करने और एनर्जी जनरेट करने में मदद कर सकते हैं। कुछ डायबिटीज से पीड़ित लोग दवाईयों और जीवनशैली में बदलाव से इंसुलिन इंजेक्शन में परिवर्तन कर सकते हैं। अगर आपको टाइप 2 डायबिटीज ऑटोइम्यून डिजीज की समस्या है, तो आप ट्रीटमेंट स्ट्रेटेजी भी बदल सकते हैं। व्यायाम और इंसुलिन के बजाय, डॉक्टर इम्यूनोसप्रेसेन्ट दवाओं पर विचार कर सकते हैं। शोधकर्ता यह भी मानते हैं की एक दिन वो टाइप 2 डायबिटीज के लिए वैक्सीन को विकसित कर लेंगे, जो हानिकारक इम्यून रीसपॉन्स के बजाय प्रोटेक्टिव इम्यून रीसपॉन्स को ट्रिगर करेंगे। 

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    टाइप 2 डायबिटीज ऑटोइम्यून डिसऑर्डर:  इम्यूनोसप्रेसेंट दवाइयां क्या हैं? (Immunosuppressant Medications)

    एक इम्यूनोसप्रेसेंट दवाई है रिटक्सिमैब (Rituximab)। यह एंटी-CD20 एंटीबॉडीज (Anti-CD20 Antibodies) नामक दवाईयों के समूह से संबंधित हैं। यह दवाईयां उन इम्युनिटी सेल्स को टारगेट और  नष्ट करने के लिए बनाई जाती हैं जो हेल्दी सेल्स पर अटैक करती हैं। कुछ रिसर्च यह भी बताती हैं कि जो दवाईयां इम्यून सिस्टम पर प्रभाव डालती हैं, वो टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित लोगों के लिए फायदेमंद हो सकती है। इम्यूनोसप्रेसेंट दवाईयां जैसे एंटी-CD20 एंटीबॉडीज (anti-CD20 antibodies) इम्यून सिस्टम सेल्स जैसे बी सेल्स को हेल्दी टिश्यू पर अटैक करने से बचाती हैं । 

    नेशनल इंस्टीटूट्स ऑफ हेल्थ (National Institutes of Health) के अनुसार नॉन-इंसुलिन-डिपेंडेंट डायबिटीज मेलिटस (Non-Insulin-Dependent Diabetes Mellitus) में सर्कुलेटिंग ऑटोएंटीबाडीज (Circulating Autoantibodies) की उपस्थिति चालीस साल पहले पहचानी जा चुकी थी। अब इन ऑटोएंटीबाडीज की उपस्थिति को एक स्थिति जिसे लटेंट ऑटोइम्यून डायबिटीज ऑफ एडल्ट्स (Latent Autoimmune Diabetes of the Adults) के रूप में जाना जाता है। 

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    यह तो थी डायबिटीज और टाइप 2 डायबिटीज ऑटोइम्यून डिसऑर्डर (Diabetes Type 2 Autoimmune Disorder) के बारे में पूरी जानकारी। रिसर्च यह बताती हैं कि  टाइप 2 डायबिटीज ऑटोइम्यून डिसऑर्डर (Diabetes Type 2 Autoimmune Disorder)  है, जो मेडिसिन और कंडीशन को समझने में लाभदायक सिद्ध हो सकती है। टाइप 2 डायबिटीज का कारण क्या हो सकता है, इसकी बेहतर समझ सही और सबसे प्रभावी उपचार प्रदान करने के लिए महत्वपूर्ण है। भविष्य में होने वाली रिसर्च यह बात साबित कर सकती है कि क्या यह सच में ऑटोइम्यून डिजीज है या नहीं?  इस शोध से इस बारे में व्यापक रूप से पता चल सकता है कि डायबिटीज क्यों और कैसे विकसित होती है और इसे रोकने के लिए क्या किया जा सकता है। यानी भविष्य में यह रिसर्च बेहद लाभदायक सिद्ध होने वाली है। 

    क्या आप जानते हैं कि डायबिटीज को रिवर्स कैसे कर सकते हैं? तो खेलिए यह क्विज!

    यही नहीं, डायबिटीज का कोई भी लक्षण नजर आने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह जरूरी है क्योंकि इससे जुडी जटिलताएं बेहद भयानक सिद्ध हो सकती है। यह समस्या जानलेवा भी हो सकती है। हालांकि, टाइप 2 डायबिटीज को ऑटोइम्यून डिसऑर्डर  मानने से पहले अभी और अधिक रिसर्च की जानी जरूरी है। अगर आपके मन में इसके बारे में कोई भी सवाल है तो आप अपने डॉक्टर से इस बारे में बात कर सकते हैं। अभी के लिए आप डायबिटीज और अन्य समस्याओं से बचने के लिए आप नियमित रूप से अपनी ब्लड शुगर लेवल की जांच करें, डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवाइयां लें, सही आहार का सेवन करें, व्यायाम करें और तनाव से दूर रहें। 

    डिस्क्लेमर

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    Nikhil deore द्वारा लिखित · अपडेटेड 21/02/2022

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