टाइप 1 डायबिटीज में पैंक्रियाज पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बना सकता है। इंसुलिन की कमी से ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है। हाय ब्लड शुगर को हायपरग्लाइसेमिया (Hyperglycemia) कहा जाता है। अगर इसका ट्रीटमेंट ना किया जाए तो यह ब्लड वेसल्स को डैमेज करने के साथ ही नर्व और दूसरे अंगों जैसे कि आंखों और किडनी को डैमेज कर सकता है। वहीं अगर ब्लड शुगर लेवल लो हो जाए तो इस कंडिशन को हायपोग्लाइसेमिया (Hypoglycemia) कहते हैं। बच्चों में हायपोग्लाइसेमिया होने पर डायट में कार्बोहाइड्रेड का उपयोग और रेगुलर ब्लड शुगर चेक करना जरूरी हो जाता है।
नॉर्मल ब्लड शुगर का रेंज 70 से 140 मिलिग्राम्स होता है। बच्चों में इस लेवल में थोड़ा अंतर हो सकता है। यह बच्चे जो खाते हैं और जिस तरह की मेडिसिन लेते हैं उस पर निर्भर करता है। डायबिटीज में इंसुलिन का उपयोग बच्चे के ब्लड शुगर लेवल को स्टेबल रखने में मदद करता है, लेकिन अक्सर इंसुलिन ट्रीटमेंट बच्चों में हायपोग्लाइसेमिया (Hypoglycemia in Children) का कारण बन सकता है। हायपोग्लाइसेमिया तब होता है जब ब्लड शुगर का लेवल 70mg/dL से कम हो जाता है। जिन बच्चों को डायबिटीज होती हैं उनमें हायपोग्लाइसेमिया कॉमन है, लेकिन इसका इलाज किया जा सकता है।
बच्चों में हायपोग्लाइसेमिया के कारण (Causes of Hypoglycemia in Children)
बच्चे जिनको टाइप 1 डायबिटीज होती है उनमें हायपोग्लाइसेमिया होने का रिस्क ज्यादा होता है। कुछ दूसरे डिसऑर्डर भी इसका कारण बन सकते हैं। बहुत ज्यादा इंसुलिन लेने या शुगर को कम करने वाली दवाइयों का उपयोग करने पर पर ऐसा होता है। कई बार गलत प्रकार के इंसुलिन या डोज को लेने से भी ब्लड शुगर (Blood sugar) कम हो सकती है। इसे इंसुलिन रिएक्शन (Insulin reaction) कहा जाता है। डायबिटीज से पीड़ित बच्चों में हायपोग्लाइसेमिया (Hypoglycemia in Children) के अन्य कारण भी हो सकते हैं।
- खाने को स्किप करना या बहुत देर से खाना
- बहुत कम खाना
- बिना खाए अधिक एक्सरसाइज करना
- उल्टी या डायरिया होना
- इंसुलिन लेने के हिसाब से खाना नहीं खाना
- चोट लगना या इंफेक्शन या बीमार होना
- दूसरी हेल्थ प्रॉब्लम्स जैसे कि सीलिएक डिजीज या एड्रेनल प्रॉब्लम (Adrenal problem) होना
- दूसरी डायबिटीज मेडिकेशन जैसे कि सल्फोनिल्यूरिया (Sulfonylurea) का उपयोग
- रेयर जेनेटिक डिसऑर्डर्स (Rare genetic disorders)
हायपोग्लाइसेमिया के ये कारण भी हो सकते हैं:
- पीरियड के समय पर कुछ ना खाना
- एल्कोहॉल का अत्यधिक उपयोग
- कंडिशन्स जो कि बॉडी में अत्यधिक इंसुलिन का कारण बनती हैं जैसे कि हायपरइंसुलिनिज्म (Hyperinsulinism)
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बच्चों में हायपोग्लाइसेमिया के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Hypoglycemia in Children)
बच्चों में हायपोग्लाइसेमिया के लक्षण (Symptoms of Hypoglycemia in Children) थोड़े अलग हो सकते हैं। कई बार बच्चों को पता नहीं चल पाता कि ब्लड शुगर लो हो गया है। बच्चों में लो ब्लड शुगर (Low Blood sugar)के निम्न लक्षण हो सकते हैं।
- कांपना
- चक्कर आना
- पसीना आना
- भूख लगना
- सिर में दर्द
- चिड़चिड़ापन
- स्किन का पीला पड़ना
- अचानक से मूड और व्यवहार में बदलाव जिसमें बिना किसी कारण के रोना और नखरे दिखाना
- भ्रम
- मुंह में गुदगुदी जैसा अनुभव होना
हायपोग्लाइसेमिया के ये लक्षण किसी दूसरी कंडिशन की तरह भी हो सकते हैं। इसलिए डॉक्टर के पास जाना जरूरी है।
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डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए?
बच्चों में हायपोग्लाइसेमिया (Hypoglycemia in Children) होने पर डॉक्टर से संपर्क करें यदि आपके बच्चे को:
- अक्सर हायपोग्लाइसेमिया (Hypoglycemia) होता है।
- हायपोग्लाइसेमिया के मध्यम से गंभीर एपिसोड होते हैं।
बच्चों में हायपोग्लाइसेमिया का पता कैसे लगाया जाता है? (Diagnosis of Hypoglycemia in Children)
हेल्थकेयर प्रोवाइडर बच्चे के लक्षण और हेल्थ हिस्ट्री के बारे में पूछेंगे। वे फैमिली की हेल्थ हिस्ट्री भी पूछ सकते हैं। फिजिकल एग्जाम के बाद बच्चे को ब्लड टेस्ट करने के लिए भी कहा जा सकता है। बच्चों में डायबिटीज होने पर हायपोग्लाइसेमिया का कारण अक्सर इंसुलिन रिएक्शन होता है। बच्चों में डायबिटीज न होने पर हायपोग्लाइसेमिया के लक्षण दिखाई देने पर डॉक्टर निम्न स्टेप फॉलो कर सकते हैं:
- ब्लड शुगर (Blood sugar) और हॉर्मोन्स (Hormones) का लेवल जांच सकते हैं।
- वे चेक करेंगे कि बच्चे के खाने या शुगर का उपयोग करने के बाद लक्षण जाते हैं या नहीं
- इंसुलिन के एक्शन को मापने के लिए टेस्ट करेंगे।
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बच्चों में हायपोग्लाइसेमिया का इलाज कैसे किया जाता है? (Treatment of Hypoglycemia in Children)
ट्रीटमेंट बच्चे की हेल्थ, लक्षण, उम्र पर निर्भर करता है। यह इस पर भी निर्भर करता है कि कंडिशन कितनी सीवियर है। डायबिटीज से पीड़ित बच्चों में ट्रीटमेंट का उद्देश्य ब्लड ग्लूकोज लेवल को सेफ रखना है। इसके लिए ब्लड ग्लूकोज टेस्टिंग, लक्षणों को पहचानना और कंडिशन का शीघ्रता के साथ इलाज करना है।
बच्चों में लो ब्लड शुगर ग्लूकोज का जल्दी से जल्दी इलाज करने के लिए जरूरी है कि बच्चे को ऐसा कुछ खिलाया जाए जिसमें शुगर हो। जिसमें निम्न शामिल हैं।
- ओरेंज जूस
- केक
- कैंडी
ऐसे में कार्बोहाइड्रेट फूड्स जिनमें प्रोटीन की मात्रा अधिक हो जैसे कि नट्स या मिल्क नहीं देना चाहिए। ये डायट्री कार्बोहाइड्रेट्स के साथ इंसुलिन के रिस्पॉन्स को बढ़ा सकते हैं। जब तक ब्लड ग्लूकोज लेवल को हर 15 से 20 मिनट में चेक किया जाना चाहिए जब तक यह 100 mg/dl तक नहीं पहुंच जाता।अगर हायपोग्लाइसेमिया सीवियर है तो बच्चे को ग्लूकागोन इंजेक्शन (Glucagon injection) की जरूरत पड़ सकती है।
बच्चों में लो शुगर लेवल के कॉम्प्लिकेशन्स क्या हैं? (Complications of hypoglycemia in a child)
ब्रेन को फंक्शन करने के लिए ब्लड ग्लूकोज की जरूरत होती है। पर्याप्त मात्रा में ग्लूकोज ना होने पर दिमाग की कार्य करने की क्षमता प्रभावित होती है। सीवियर या लंबे समय तक चलने वाला हायपोग्लाइसेमिया सीजर्स (Seizures) या सीरियस ब्रेन इंजरी (Serious brain injury) का कारण बन सकता है।
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बच्चों में हायपोग्लाइसेमिया को होने से कैसे रोका जा सकता है (Prevention of hypoglycemia in a child)
हायपोग्लाइसेमिया के सभी एपिसोड्स को रोका नहीं जा सकता है। टाइप 1 डायबिटीज वाले अधिकांश बच्चों में हायपोग्लाइसेमिया (Hypoglycemia in Children) होगा। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता जाता है, गंभीर हायपोग्लाइसेमिया की संभावना कम होती जाती है, लेकिन आप गंभीर एपिसोड को रोकने में मदद कर सकते हैं:
- बच्चे के रक्त शर्करा का अक्सर परीक्षण करना, रात में भी
- जांच करना कि ग्लूकोज परीक्षण स्ट्रिप्स पुरानी तो नहीं हैं और ग्लूकोज मीटर से मेल खाती हैं
- लक्षणों को पहचानना
- स्थिति का जल्दी से जल्दी इलाज करना
हायपोग्लाइसेमिया (बच्चों में लो शुगर लेवल) को कम करने या रोकने के अन्य तरीकों में यह सुनिश्चित करना शामिल है कि आपका बच्चा:
- सही समय पर दवा लेता है
- पर्याप्त भोजन करता है
- खाना छोड़ता तो नहीं
- व्यायाम करने से पहले ब्लड ग्लूकोज की जांच करता है
- जरूरत पड़ने पर उसे हेल्दी स्नैक दें। यदि संभव हो तो नाश्ते में कॉम्प्लैक्स कार्बोहाइड्रेट और कुछ फैट्स को शामिल करें।
इस प्रकार बच्चों में डायबिटीज के साथ हायपोग्लाइसेमिया को मैनेज किया जा सकता है। अक्सर यह गंभीर स्थिति नहीं बनती, लेकिन समय पर डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है। उम्मीद करते हैं कि आपको बच्चों में हायपोग्लाइसेमिया (Hypoglycemia in Children) या बच्चों में लो शुगर लेवल से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें।
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