डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है, जो अपने साथ और भी कई बीमारियों को लेकर आती है, जैसे कि हाय बीपी की समस्या या हार्ट की समस्या। वैसे डायबिटीज पेशेंट में ये दो बीमारियां ज्यादा देखने को मिलती है। इसलिए इन दो बीमाियों को लोग डायबिटीज से ज्यादा रिलेट करते हैं। लेकिन क्या आपको यह पता है कि डायबिटीज पेशेंट में लंग डिजीज का खतरा भी बढ़ सकता है। क्योंकि डायबिटीज और लंग डिजीज (Diabetes and lung disease) में बहुत गहरा संबंध है। इसलिए मधुमेह के मरीजों को समय-सयम पर लंग की जांच करवाते हुए कुछ नजर आने वाले लक्षणों पर भी ध्यान देना चाहिए। आइए जानते हैं कि डायबिटीज और लंग डिजीज (Diabetes and lung disease) क्या संबंध है? जानते हैं:
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डायबिटीज और लंग डिजीज (Diabetes and lung disease) में क्या संबंध है?
डायबिटीज और लंग डिजीज की बात करें, तो सामान्य लोगों की तुलना में, खासताैर पर टाइप-2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) वाले लोगों में रिस्ट्रिक्टिव फेफड़े जैसी बीमारी (आरएलडी) होने का जोखिम अधिक होता है। इस बीमारी का सबसे बड़े लक्षण की पहचान सांस फूलने की समस्या है।आरएलडी व फेफड़ों की समस्या टाइप-2 मधुमेह से जुड़ी हो सकती हैं। कई शोध में भी यह पता चलता है कि आरएलडी एल्बूमिन्यूरिया के साथ जुड़ा है और यह एक ऐसी स्थिति होती है, जिसमें यूरिन में एल्ब्यूमिन का लेवल हाय हो जाता है। डायबिटीज के मरीजों के इस बीमारी का सबसे बड़ा कारण उनकी खराब लाइफस्टाइल है। डायबिटीज और लंग डिजीज में गहरा संबंध देखा गया है। खराब जीवनशैली के अलावा, गलत खानपान के कारण डायबिटीज के मरीजों में फैट बढ़ने लगता है और जिसका प्रभाव इंसुलिन पर पड़ता है। मधुमेह तो एक ऐसी बीमारी है ही, जो धीरे-धीरे शरीर के सभी अंगों को प्रभावित करती है।
डायबिटीज के मरीजों की खराब लाइफस्टाइल होने पर बिगड़ी हुई लाइफस्टाइल का प्रभाव उनके उनके लंग्स पर भी पड़ता है, खासतौर उन डायबिटीज में मरीजों में जो अधिक ध्रूमपान करते हैं। इसीलिए डायबिटीज और लंग डिजीज में बहुत गहरा संबंध होता है। आएइज जानते हैं कि मधुमेह की मरीजों में किन लंग डिजीज का खतरा ज्यादा होता है।
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डायबिटीज और लंग डिजीज: डायबिटीज के मरीज में रिस्ट्रिक्टिव डिजीज का खतरा (Risk of restrictive disease)
डायबिटीज के मरीजों की संख्या आज के समय में तेजी से बढ़ती जा रही है। हर 10 में से एक वयस्क में डायबिटीज की समस्या देखी जाती है। डायबिटीज के मरीजों में लंग्स के अलावा दिल के दौरा का, स्ट्रोक का, आंखों की समस्या और किडनी का समस्या का खतरा अधिक बढ़ जाता है। डायबिटीज के किसी भी प्रकार में मरीज की इम्यूनिटी काफी कमजोर हो जाती है। इसका सीधा प्रभाव शरीर की इंसुलिन फैक्ट्री (बेटा-सेल) पर पड़ता है। जिसके कारण शुगर कंट्रोल करने के लिए हाॅर्मोन पर्याप्त मात्रा में नहीं बना पाता है।टाइप-2 डायबिटीज वाले लोगों में रिस्ट्रिक्टिव लंग डिसीज (आरएलडी) विकसित होने का जोखिम ज्यादा होता है। आरएलडी फेफड़ों की एक गंभीर बीमारी है। रिस्ट्रिक्टिव लंग डिजीज में बीमारियों और स्थितियों के प्रकार में शामिल हो सकते हैं:
- निमोनिया (Pneumoniae)
- सारकॉइडोसिस (Sarcoidosis)
- आइडियोपैथिक पलमोनेरी फाइब्रोसिस (Sarcoidosis)
- लंग कैंसर ( Lung Cancer)
- फाइब्रोसिस (Fibrosis)
- रूमेटाइड गठिया (Rheumatoid arthritis)
- रेसपिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (Respiratory distress syndrome)
- सूजन (Swelling)
रिस्ट्रिक्टिव लंग डिजीज, फेफड़ों के बाहरी के ऊतकों या संरचनाओं में जटिलताओं के कारण बन सकती है, जिसमें तंत्रिका तंत्र से संबंधित समस्याएं भी शामिल हैं। इससे बाहरी ऊतर और मांसपेशियां भी कमजोर हो सकती हैं। बाहरी प्रतिबंधात्मक फेफड़ों की बीमारी में शामिल बीमारियों और स्थितियों के प्रकार में शामिल हो सकती हैं:
- स्कोलियोसिस (Scoliosis), या रीढ़ की मरोड़
- न्यूरोमस्कुलर रोगऔर मस्कुलर डिस्ट्रॉफी
- मोटापा
- आंतरायिक मांसपेशियों की कमजोरी
- ट्यूमर
- डायाफ्रामिक हर्निया
- दिल की समस्या
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लक्षण (Symptoms)
रिस्ट्रिक्टिव लंग डिजीज के शिकार अधिकांश लोगों में समान लक्षण होते हैं, । जिस पर समय रहते डायबिटीज के मरीजों काे ध्यान देना आवश्यक है। इन लक्षणों में शामिल हैं:
- सांस की तकलीफ, विशेष रूप से परिश्रम के साथ
- उनकी सांस पकड़ने या पर्याप्त सांस लेने में असमर्थता
- पुरानी या लंबी अवधि की खांसी, आमतौर पर सूखी, लेकिन कभी-कभी सफेद थूक या बलगम के साथ
- वजन घटने की समस्या
- छाती में दर्द होना
- सांस के साथ घरघराहट होना
- अत्यधिक थकावट महसूस होना
- डिप्रेशन की समस्या होना
- अधिक तनाव होना
इस तरह के लक्षण महसूस होने पर आपको तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए। नहीं तो फेफड़ों की कंडिशन और भी खराब हो सकती है।
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डायबिटीज और लंग डिजीज: डायबिटीज के मरीजों में लंग इंफेक्शन का खतरा (Risk of Infection)
मधुमेह रोगियों, विशेष रूप से टाइप 1 मधुमेह वाले लोगों में किसी भी प्रकार के संक्रमण से निपटने और प्रतिक्रिया करने की कम क्षमता वाली प्रतिरक्षा प्रणाली होती है। इसका मतलब है कि वे सामान्य आबादी की तुलना में बीमारियों से अधिक ग्रस्त हैं। नतीजतन, मधुमेह वाले लोगों को सर्दी, फ्लू या अन्य संचारी बीमारी होने की संभावना अधिक होती है और उन्हें ठीक होने में अधिक समय लगेगा। यह रक्त शर्करा के स्तर और समग्र मधुमेह प्रबंधन पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है। इस पृष्ठ के लिए यहां देखें कि बीमारी आपके रक्त शर्करा को कैसे प्रभावित कर सकती है फेफड़ों के दो सबसे बड़े संक्रमण निमोनिया और तपेदिक हैं, जो दोनों ही आपके स्वास्थ्य के लिए बड़ी समस्या पैदा कर सकते हैं।
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डायबिटीज और लंग डिजीज: निमोनिया (Pneumoniae)
निमोनिया एक प्रकार का संक्रमण रोग है, जोकि फेफड़ों पर दबाव डालता है। डायबिटीज के मरीजों में नियाेनिया होने पर, उनके लिए रिस्क और भी बढ़ जाता है। निमोनिया स्ट्रेप्टोकोकस, न्यूमोनिया नामक संक्रमण के कारण होता है। ठंड के मौसम में इसके होने का रिस्क और भी बढ़ जाता है, क्योंकि ठंड में हमारी इम्यूनिटी काफी कमजोर हो जाती है। जिस कारण हमारे फेफड़े संक्रामण की चपेट में आ जाते हैं और डायबिटीज के मरीजों में इसके खतरा और भी बढ़ जाता है। मधुमेह के अलावा, गुर्दे, हृदय के साथ-साथ अस्थमा या सिस्टिक फाइब्रोसिस के शिकार लोगों में भी इसका खतरा अधिक होता है।निमोनिया होने पर इसके विशिष्ट लक्षण नजर आ सकते हैं:
- सांस लेने में तकलीफ महसूस होना
- बुखार आना
- दिल की धडक्कन तेज होना
- अत्यधिक पसीना आना
- भूख में कमी होना
- सीने में दर्द की समस्या होना
निमोनिया (Pneumoniae) एक खतरनाक बीमारी है और डायबिटीज के लिए मरीजों के लिए इसके घातक परिणाम हो सकते हैं। यह शरीर में और भी कई जटिलताओं का कारण बन सकता है। इसमें अधिक मात्रा में लंग्स में फ्लूइड जमा हो जाता है। यदि आपको ऐसा लगता है कि आप इससे पीड़ित हैं, तो आपको अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
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डायबिटीज और लंग डिजीज: सीओपीडी (Chronic obstructive pulmonary disorder)
क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिसऑर्डर (COPD) सांस की एक समस्या है, जो कि फेफड़ों के प्रभावित होने से होती है। सीओपीडी फेफड़ों से जुड़ा एक ऐसा गंभीर रोग है, जिसमें मरीज को सांस लेने में दिक्कत होती है।हमारे फेफड़े अधिक स्पॉन्जी हो जाते हैं, जो सांस के साथ हवा भी अंदर लेते हैं। ऑक्सिजन हमारे खून में आसानी से मिल जाती है और कार्बन डायऑक्साइड (Carbon dioxide) को बाहर निकालता है। लेकिन सीओपीडी एक ऐसा रोग है, जो इस प्रक्रिया को रोकता है। डायबिटीज के दोरान सीओपीडी के होने का खतरा अधिक हो जाता है। सांस लेने में परेशानी तो होती है, साथ ही ऑक्सिजन भी पूरे शरीर में नहीं पहुंच पाता है। वैसे यह फेफड़ों का सबसे आम विकार है। अगर इसके कारणों की बात करें तो स्मोकिंग (Smoking), इसका अब तक का सबसे बड़ा कारण देखा गया है। ध्रूमपान लंग्स हेल्थ के लिए बहुत नुकसानदेह है, इससे फेफड़ों की लाइफ बहुत कम हो जाती है। जिस कारण, उनकी सांस लेने की क्षमता भी कम हो जाती है। यदि डायबिटीज के मरीज अधिक ध्रूमपान करते हैं, तो इनमें सामान्य लोगों की तुलना में सीओपीडी का खतरा और अधिक होता है। इसी के साथ ही उनमें मेडिकेशन को लेकर में भी दिक्कत आती है। सीओपीडी के मुख्य लक्षणों में शामिल हैं:
- सांस फूलना, खासकर व्यायाम करते समय
- सांस के साथ घरघराहट या सीटी जैसी आवाजा निकलना
- कफ और खांसी होना
- चेस्ट इंफेक्शन होना
- थकान महसूस होना
जैसा आपने जाना कि डायबिटीज और लंग डिजीज में गहरा संबंध है। इसलिए शुगर के मरीजों काे अपने हेल्थ का विशेष ध्यान देना चाहिए। डायबिटीज के मरीजों में लंग के अलावा हार्ट डजीज होने का खतरा भी अधिक होता है। डायबिटीज के मरीजों के लिए जरूरी है कि वो समय-समय अपना चैकअप करते रहे हैं और इस तरह के लक्षण महसूसा होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। डायबिटीज और लंग डिजीज के बारे में अधिक जानने के लिए डॉक्टर से सलाह लें।
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