दवाओं के कई साइड इफेक्ट्स होते हैं और इसमें ब्लड शुगर (Blood Sugar) लेवल का बढ़ना शामिल है। ड्रग इंड्यूस्ड डायबिटीज (Drug Induced Diabetes) उसे कहते हैं जब कोई स्पेसिफिक ड्रग या दवा डायबिटीज (Diabetes) के डेवलपमेंट का कारण बनती है। कुछ मामलों में ड्रग इंड्यूस्ड डायबिटीज को रिवर्स किया जा सकता है (अगर दवा का उपयोग करना बंद कर दिया जाए), लेकिन कुछ मामलों में ड्रग इंड्यूस्ड डायबिटीज (Drug Induced Diabetes) परमानेंट हो सकती है। ड्रग इंड्यूस्ट डायबिटीज सेकेंडरी डायबिटीज (Secondary diabetes) का एक रूप है जिसे दूसरे शब्दों में समझा जाए तो डायबिटीज की ऐसी बीमारी जो दूसरी हेल्थ कंडिशन के लिए खा रहे दवा के परिणामस्वरूप होती है।
कौन सी दवाएं ड्रग इंड्यूस्ड डायबिटीज (Drug Induced Diabetes) का कारण बन सकती हैं?
कुछ दवाएं हैं जो टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) के डेवलपमेंट के रिस्क को बढ़ा सकती हैं। जिसमें निम्न शामिल हें।
कोर्टिकोस्टेरॉइड्स (Corticosteroids)
कोर्टिकोस्टेरॉइड्स मेडिसिन का पावरफुल ग्रुप है जिसका उपयोग इंफ्लामेशन जैसे कि रयूमेटॉइड अर्थराइटिस (Rheumatoid arthritis), ल्यूपस (Lupus) के इलाज में लिए किया जाता है। कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स का यूज ब्लड ग्लूकोज लेवल को बढ़ा सकता है जो स्टेरॉइड्स के बंद होने के बाद नॉर्मल रेंज में आ जाता है। हालांकि, लंबे समय तक कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स का लेने से स्थाई रूप से टाइप 2 डायबिटीज (ड्रग इंड्यूस्ड डायबिटीज) हो सकती है। स्टेरॉयड लेते समय आपको डायबिटीज की दवा यानी कि इंसुलिन लेने की जरूरत हो सकती है।
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बीटा ब्लॉकर्स (Beta-blockers)
बीटा ब्लॉकर्स एड्रेनालिन की रिलीज को ब्लॉक करके काम करती हैं जो ब्लड प्रेशर (Blood Pressure) को कम करने के साथ ही हार्ट रेट को कम करने में मदद करती है। ये दवाएं हार्ट डिजीज, एंजिना (Angina) और हायपरटेंशन (Hypertension) के इलाज के लिए प्रिस्क्राइब की जाती हैं। बीटा ब्लॉकर्स भी इंसुलिन सेंसटिविटी को कम कर सकती हैं और ड्रग इंड्यूस्ड डायबिटीज (टाइप 2 डायबिटीज) का रिस्क बढ़ा सकती हैं।
स्टेटिन्स (Statins)
स्टेटिन्स कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) को कम करने वाली दवाएं हैं। कुछ स्टडीज में स्टेटिन्स और ड्रग इंड्यूस्ड डायबिटीज (Drug Induced Diabetes) में लिंक पाया गया है। 2012 में यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनस्ट्रेशन ने वॉर्निंग दी थी कि स्टेटिन्स के उपयोग से ब्लड ग्लूकोज लेवल और मेमोरी प्रॉब्लम्स होने का रिस्क हाय है। ऐसे में इन दवाओं के उपयोग को लेकर सर्तकता बरतनी चाहिए।
थायअजाइड डायूरेटिक्स (Thiazide diuretics)
थायअजाइड डायूरेटिक्स को वॉटर पिल्स भी कहा जाता है। यह हाय ब्लड प्रेशर (Blood Pressure) को कम करने और बॉडी से अधिक मात्रा में मौजूद पानी को निकालने में मदद करती हैं। ये ब्लड ग्लूकोज लेवल को भी प्रभावित करती हैं, लेकिन हमेशा नहीं। दवाओं को बंद करने के बाद ग्लूकोज लेवल नॉर्मल रेंज में आ जाता है। यानी ये दवाएं हमेशा ड्रग इंड्यूस्ड डायबिटीज (Drug Induced Diabetes) का कारण नहीं बनती।
एंटीसाइकोटिक्स (Antipsychotics)
एंटीसाइकोटिक्स दवाओं का उपयोग स्किट्सफ़्रीनीअ और साइकोसिस का इलाज करने के लिए उपयोग की जाती हैं। एंटीसाइकोटिक्स के साइड इफेक्ट्स में वेट गेन और हायपरग्लाइसिमिया (ब्लड शुगर लेवल का बढ़ना) शामिल है, यानी ये दवाएं ड्रग इंड्यूस्ड डायबिटीज (Drug Induced Diabetes) का कारण बन सकती हैं। दवाओं का उपयोग बंद करने पर ग्लूकोज लेवल नॉर्मल हो जाता है।
ड्रग इंड्यूस्ड डायबिटीज परमानेंट हो सकती है? (Can Drug Induced Diabetes Be Permanent?)
ड्रग इंड्यूस्ड डायबिटीज परमानेंट नहीं हो सकती है, लेकिन यह दूसरे फैक्टर्स पर भी निर्भर करती है। कुछ दवाओं के साथ ब्लड ग्लूकोज लेवल नॉर्मल रेंज में वापस आ सकता है जबकि कुछ कंडिशन में ड्रग इंड्यूस्ड डायबिटीज (Drug Induced Diabetes) हमेशा के लिए हो सकती है।
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ड्रग इंड्यूस्ड डायबिटीज को मैनेज कैसे करें? (Managing drug induced diabetes)
अगर आपको उन दवाओं को जारी रखने की जरूरत है जो डायबिटीज का कारण बन रही हैं, तो आपको डायबिटीज को मैनेज करने में परेशानी हो सकती है, लेकिन अगर आप उन दवाओं को बंद करने में सक्षम हैं तो ब्लड शुगर लेवल को मैनेज करना थोड़ा आसान होगा। हेल्दी डायट और एक्सरसाइज से ब्लड शुगर लेवल में सुधार किया जा सकता है।
रेगुलर एक्सरसाइज (Regular exercise) करें
रेगुलर एक्सरसाइज करने से इंसुलिन सेंसटिविटी (Insulin sensitivity) बढ़ती है। जिससे बॉडी ब्लडस्ट्रीम में मौजूद शुगर का उपयोग अच्छी तरह से कर सकती है। एक्सरसाइज करने से मसल्स भी ब्लड शुगर को एनर्जी के लिए यूज करती हैं।
डायट (Diet) हो ऐसी
कार्ब के इंटेक को कम करें। हमारी बॉडी कार्ब्स को शुगर में ब्रेकडाउन करती है इसके बाद शुगर को एनर्जी के लिए यूज करने और स्टोर करने में इंसुलिन बॉडी की मदद करता है। जब आप अधिक मात्रा में कार्ब का सेवन करते हैं तो यह प्रॉसेस प्रभावित होती है। जिससे ब्लड ग्लूकोज का लेवल बढ़ सकता है। फायबर का इंटेक बढ़ाएं। फायबर कार्ब का डायजेशन और एब्जॉर्पशन स्लो करने में मदद करता है। जिससे यह ब्लड शुगर लेवल को धीरे-धीरे बढ़ावा देता है। सब्जियां, फल और अनाज में अधिक मात्रा में फायबर पाया जाता है।
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इन आदतों को कर दें टाटा!
तनाव से दूरी बनाकर रखें। यह आपको ब्लड शुगर लेवल को बढ़ा सकता है। एल्कोहॉल का इंटेक कर दें और स्मोकिंग से पूरी तरह दूरी बना लें।
क्या ड्रग इंड्यूस्ड डायबिटीज को होने से रोका जा सकता है? (Can drug induced diabetes be prevented?)
दवाओं का उपयोग करते वक्त हेल्दी लाइफस्टाइल को फॉलो करके डायबिटीज डेवलप होने के रिस्क को कम किया जा सकता है। ड्रग इंड्यूस्ड डायबिटीज (Drug Induced Diabetes) का कारण बनने वाली दवाओं का स्माल डोज कम समय के लिए लेने से हाय ब्लड शुगर लेवल और डायबिटीज के डेवलप होने के रिस्क को कम किया जा सकता है। डॉक्टर भी अक्सर इन दवाओं को जब तक बहुत जरूरी ना हो कम समय के लिए प्रिस्क्राइब करते हैं ताकि डायबिटीज जैसे कॉम्प्लिकेशन को टाला जा सके। अगर आप टाइप 2 डायबिटीज के हायर रिस्क पर हैं, तो आपको दवाओं के डोज और ड्यूरेशन के बारे में डॉक्टर से चर्चा करनी चाहिए।
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ड्रग इंड्यूस्ड डायबिटीज (Drug induced diabetes) का रिस्क कम करने के लिए इन बातों का रखें ध्यान
- अगर आपको ड्रग इंड्यूस्ड डायबिटीज का खतरा है तो, दवाओं के सेवन के दौरान अपने ब्लड शुगर लेवल को मॉनिटर करें।
- ब्लड शुगर लेवल के आधार पर और डॉक्टर की सलाह से इंसुलिन या ओरल मेडिकेशन का डोज लें।
- यूरिन और ब्लड कीटोन्स को मॉनिटर करें।
- दवा लेने के बाद अगर अचानक ब्लड ग्लूकोज लेवल बहुत बढ़ गया है, और इंसुलिन लेने या ओरल मेडिकेशन के डोज से शुगर लेवल कम नहीं हो रहा है, तो इस बारे में डॉक्टर को तुरंत बताएं।
बता दें कि दवाओं की वजह से होने वाली डायबिटीज के लक्षण भी सामान्य डायबिटीज की तरह ही होते हैं। जिसमें अधिक प्यास और भूख लगना, कमजोरी, थकान आदि शामिल हैं। साथ ड्रग इंड्यूस्ड हाय ब्लड शुगर के अलावा ड्रग इंड्यूस्ड लो ब्लड शुगर लेवल की भी समस्या होती है। ऐसा उन लोगों के साथ होता है जो डायबिटीज के इलाज के लिए इंसुलिन या दूसरी दवाओं का उपयोग करते हैं।
उम्मीद करते हैं कि आपको ड्रग इंड्यूस्ड डायबिटीज (Drug induced diabetes) से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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