ग्लूकोज होमियोस्टेटिस (Glucose homeostasis)
ग्लूकोज होमियोस्टेटिस को आसान भाषा में समझें तो ब्लड ग्लूकोज को मैनेज करने के लिए इंसुलिन और ग्लूकागोन में बैलेंस बनाना। मानव स्वास्थ्य के लिए ग्लूकोज होमियोस्टेटिस महत्वपूर्ण है क्योंकि ग्लूकोज एनर्जी का सोर्स है और फैक्ट यह है कि मस्तिष्क के टिशूज इसे सिंथेसाइज नहीं कर पाते। इसलिए जीवित रहने के लिए ब्लड में पर्याप्त ग्लूकोज का स्तर बनाए रखना आवश्यक है। ब्लड में ग्लूकोज का अनुचित स्तर डायबिटीज का प्राथमिक लक्षण है। ग्लूकोज होमियोस्टेटिस बॉडी के लिए जरूरी है। हालांकि इस प्रॉसेस को आज तक पूरी तरह समझा नहीं जा सका है।
खाने के बाद ग्लूकोज ग्लूकोज एब्जॉर्ब होता है और इसका प्लाज्मा लेवल बढ़ जाता है। यह पेंक्रियाटिक बीटा सेल्स को इंसुलिन सीक्रेट करने के लिए स्टिम्यूलेशन होता है। यह हॉर्मोन पेरिफेरल टिशूज (Peripheral tissues), ग्लाइजोजन सिंथेसिस (Glycogen synthesis) और लिवर में लिपिडोजेनिसिस (Lipogenesis) के जरिए ग्लूकोज डिसपोजल (Glucose disposal) को बढ़ाता है और ग्लूकोज के अपटेक को प्रमोट करता है, मांसपेशियों और एडिपोसाइट्स द्वारा क्रमशः ग्लाइकोजन या ट्राइग्लिसराइड्स में रूपांतरण को बढ़ावा देता है। इन सभी प्रक्रियाओं से ग्लूकोज के स्तर में कमी आती है और इंसुलिन स्रावित करने के लिए स्टिम्यूलेशन बंद हो जाता है।
मेटाबोलिक सिंड्रोम (MS) में ग्लूकोज होमियोस्टेसिस बाधित हो जाता है और बीटा कोशिकाएं लगातार दबाव में समाप्त हो जाती हैं, जिससे टाइप 2 डायबिटीज मेलिटस (type 2 diabetes mellitus) हो जाता है। एक्सरसाइज के दौरान मेटफॉर्मिन का ग्लूकोज होमियोस्टेटिस पर प्रभाव (Effect of Metformin on Glucose Homeostasis During Moderate Exercise) के बारे में जानने से पहले मेटफॉर्मिन टेबलेट के बारे में भी जान लीजिए।