ग्लूकोज होमियोस्टेटिस (Glucose Homeostasis) को आसान भाषा में समझें तो ब्लड ग्लूकोज को मैनेज करने के लिए इंसुलिन और ग्लूकागोन में बैलेंस बनाना है। स्वास्थ्य के लिए ग्लूकोज होमियोस्टेटिस महत्वपूर्ण है क्योंकि ग्लूकोज एनर्जी का सोर्स है। तथ्य यह है कि मस्तिष्क के टिशूज इसे सिंथेसाइज नहीं कर पाते। इसलिए जीवित रहने के लिए ब्लड में पर्याप्त ग्लूकोज का स्तर बनाए रखना आवश्यक है। ब्लड में ग्लूकोज का अनुचित स्तर डायबिटीज का प्राथमिक लक्षण है। ग्लूकोज होमियोस्टेटिस बॉडी के लिए जरूरी है। हालांकि इस प्रॉसेस को आज तक पूरी तरह समझा नहीं जा सका है। ग्लूकोज होमियोस्टेटिस पर एक्सरसाइज ट्रेनिंग का प्रभाव (Effects Of Exercise Training On Glucose Homeostasis) कैसा होता है यह जानने के लिए कई स्टडीज की गई हैं। यहां हम उसके बारे में जानकारी दे रहे हैं।
ग्लूकोज होमियोस्टेटिस पर एक्सरसाइज ट्रेनिंग का प्रभाव (Effects Of Exercise Training On Glucose Homeostasis)
डायबिटीज जर्नल्स में छपी स्टडी में ग्लूकोज होमियोस्टेटिस पर एक्सरसाइज ट्रेनिंग का प्रभाव (Effects Of Exercise Training On Glucose Homeostasis) जानने के लिए एक स्टडी की गई। इसमें 20 हफ्ते की एंड्यूरेंस ट्रेनिंग प्रोग्राम का प्रभाव इंट्रावेनस ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट (Intravenous glucose tolerance test) पर देखा गया। जिसमें टेस्ट को ट्रेनिंग प्रोग्राम के पहले और बाद में किया गया। इस टेस्ट में 316 महिलाएं और 280 पुरुष शामिल हुए। जिसमें 173 अश्वेत और 423 श्वेत लोग थे। पार्टिसिपेंट ने हफ्ते में तीन दिन साइकल इरगोमीटर्स पर 60 सेशन में एक्सरसाइज की। एक्सरसाइज की पर सेशन के अनुसार इंटेंसिटी बढ़ाई गई।
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ग्लूकोज होमियोस्टेटिस पर एक्सरसाइज ट्रेनिंग का प्रभाव (Effects Of Exercise Training On Glucose Homeostasis) : स्टडी में क्या आया सामने?
औसत इंसुलिन सेंसिटिविटी 10 प्रतिशत वृद्धि हुई, लेकिन वेरिएबिलिटी अधिक थी। पुरुषों में महिलाओं की तुलना में अधिक सुधार हुआ। जबकि फास्टिंग इंसुलिन में सुधार अल्पकालिक (Transitory) थे। जो एक्सरसाइज के अंतिम दौर के बाद 72 घंटे के बाद गायब हो गए। ग्लूकोज डिसअपीरिएंस और ग्लूकोज इफेक्टिवनेस में वृद्धि हुई । ग्लूकोज के प्रति एक्यूट इंसुलिन रिस्पॉन्स, इंसुलिन सीक्रेशन के माप में वृद्धि हुई। इंट्रावेनस ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट (Intravenous glucose tolerance test) के दौरान फास्टिंग लेवल में ग्लूकोज एरिया कम हो गया था।
स्ट्रक्चर्ड रेगुलर एक्सरसाइज का प्रभाव में काफी अंतर था। सभी इंट्रावेनस ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट वेरिएबल्स में सुधार हुआ था। पर्याप्त वजन घटाने की अनुपस्थिति में, ग्लूकोज होमियोस्टेसिस में निरंतर सुधार के लिए नियमित व्यायाम की आवश्यकता होती है। ग्लूकोज होमियोस्टेटिस पर एक्सरसाइज ट्रेनिंग का प्रभाव (Effects Of Exercise Training On Glucose Homeostasis) समझा जा सकता है।ग्लूकोज होमियोस्टेटिस पर एक्सरसाइज ट्रेनिंग का प्रभाव समझने के बाद यह भी जान लीजिए कि इंट्रावेनस ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट क्या है?
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ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट (Glucose tolerance test)
ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट एक लेब टेस्ट है जिसका उपयोग यह चेक करने के लिए किया जाता है कि आपका शरीर रक्त से शर्करा को मांसपेशियों और वसा जैसे ऊतकों में कैसे ले जाता है। परीक्षण अक्सर मधुमेह के निदान के लिए प्रयोग किया जाता है। सबसे कॉमन ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट है। परीक्षण शुरू होने से पहले, रक्त का एक नमूना लिया जाएगा। फिर आपको एक निश्चित मात्रा में ग्लूकोज (आमतौर पर 75 ग्राम) युक्त तरल पीने के लिए कहा जाएगा। घोल पीने के बाद हर 30 से 60 मिनट में आपका खून फिर से लिया जाएगा।
परीक्षण में 3 घंटे तक लग सकते हैं। इसी तरह का परीक्षण इंट्रोवेनस ग्लूकोज टॉलरेंस है। IGTT के इस संस्करण में, ग्लूकोज को आपकी नस में 3 मिनट के लिए इंजेक्ट किया जाता है। रक्त इंसुलिन के स्तर को इंजेक्शन से पहले और इंजेक्शन के 1 और 3 मिनट बाद फिर से मापा जाता है। समय भिन्न हो सकता है। यह IGTT लगभग हमेशा केवल शोध उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाता है। इसी तरह के परीक्षण का उपयोग ग्रोथ हॉर्मोन की अधिकता (Acromegaly) के निदान में किया जाता है, जब ग्लूकोज ड्रिंक के सेवन के बाद ग्लूकोज और ग्रोथ हॉर्मोन दोनों को मापा जाता है।
ग्लूकोज होमियोस्टेटिस पर एक्सरसाइज ट्रेनिंग का प्रभाव (Effects Of Exercise Training On Glucose Homeostasis) को जांचने के लिए हुई स्टडी में इसी प्रकार का टेस्ट किया गया है। प्रेग्नेंसी में इस टेस्ट को अलग तरीके से किया जाता है।
डायबिटीज (Diabetes) क्या है?
डायबिटीज एक बीमारी है जिसमें ब्लड ग्लूकोज जिसे ब्लड शुगर लेवल कहा जाता है वह हाय हो जाता है। ब्लड ग्लूकोज एनर्जी का मुख्य सोर्स है जो हम जो खाते हैं उससे आता है। इंसुलिन एक हॉर्मोन है जो पेंक्रियाज बनाता है। जो भोजन से ग्लूकोज को आपकी कोशिकाओं में ऊर्जा के लिए उपयोग करने में मदद करता है। कभी-कभी आपका शरीर पर्याप्त-या कोई भी-इंसुलिन नहीं बनाता है या इंसुलिन का अच्छी तरह से उपयोग नहीं करता है। ग्लूकोज तब आपके रक्त में रहता है और आपकी कोशिकाओं तक नहीं पहुंचता है।
समय के साथ, आपके रक्त में बहुत अधिक ग्लूकोज होने से स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। हालांकि मधुमेह का कोई इलाज नहीं है, आप अपने मधुमेह को प्रबंधित करने और स्वस्थ रहने के लिए कदम उठा सकते हैं। डायबिटीज के दो प्रकार हैं।
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टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 diabetes)
अगर आपको टाइप 1 डायबिटीज है तो बॉडी इंसुलिन नहीं बना पाती। इम्यून सिस्टम पेंक्रियाज की उन कोशिकाओं पर अटैक करता है जो इंसुलिन बनाती हैं। टाइप 1 डायबिटीज बच्चों और व्यस्क लोगों में डायग्नोस होती है। हालांकि यह किसी को भी किसी भी उम्र में हो सकती है। टाइप 1 डायबिटीज के मरीजों को हर दिन इंसुलिन लेना पड़ता है।
टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes)
अगर टाइप 2 डायबिटीज है तो बॉडी इंसुलिन नहीं बना पाती या उसका उपयोग अच्छी तरह नहीं कर पाती। टाइप 2 डायबिटीज किसी भी उम्र में हो सकती है। यहां तक कि चाइल्डहुड में भी। हालांकि अधिकतर यह डायबिटीज मिडिल एज और वृद्ध लोगों को होती है। टाइप 2 डायबिटीज डायबिटीज का सबसे कॉमन प्रकार है।
जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational diabetes)
जेस्टेशनल डायबिटीज कुछ महिलाओं में तब विकसित होती है जब वे गर्भवती होती हैं। ज्यादातर समय, बच्चे के जन्म के बाद इस प्रकार की मधुमेह खत्म हो जाती है। हालांकि, यदि गर्भावधि मधुमेह है, तो जीवन में बाद में टाइप 2 मधुमेह विकसित होने की अधिक संभावना होती है। कभी-कभी गर्भावस्था के दौरान निदान किया जाने वाला मधुमेह वास्तव में टाइप 2 मधुमेह होता है।
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उम्मीद करते हैं कि आपको ग्लूकोज होमियोस्टेटिस पर एक्सरसाइज ट्रेनिंग का प्रभाव (Effects Of Exercise Training On Glucose Homeostasis) से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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