टाइप 2 मधुमेह यानी डायबिटीज एक क्रॉनिक मेडिकल कंडीशन है, जिसमें रोगी के ब्लडस्ट्रीम में शुगर या ग्लूकोज का लेवल बहुत अधिक बढ़ जाता है। आमतौर, पर इंसुलिन नामक हॉर्मोन ब्लड से सेल्स तक ग्लूकोज को मूव करने में मदद करता है, जहां इसका इस्तेमाल एनर्जी के लिए किया जाता है। लेकिन, अगर किसी को यह समस्या हो, तो उसके शरीर के सेल्स, इंसुलिन का उस तरह से सही इस्तेमाल नहीं कर पाते, जैसे उन्हें करना चाहिए। इस कंडिशन की बाद की स्टेजेज में हमारा शरीर पर्याप्त इंसुलिन प्रोड्यूस नहीं कर पाता है। अगर इस डायबिटीज को कंट्रोल न किया जाए, तो इससे कई कॉम्प्लीकेशन्स हो सकती हैं। आज हम बात करने वाले हैं T2DM पेशेंट्स में ओबेसिटी ट्रीटमेंट (Obesity Treatment In T2DM Patients)के बारे में। T2DM पेशेंट्स में ओबेसिटी ट्रीटमेंट (Obesity Treatment In T2DM Patients) से पहले टाइप 2 डायबिटीज के लक्षणों के बारे में जान लेते हैं।
टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) के क्या हैं लक्षण?
यह बीमारी धीरे-धीरे विकसित होती है। इसके लक्षण शुरुआत में माइल्ड हो सकते हैं। अधिकतर मामलों में तो रोगी इसका कोई भी लक्षण महसूस नहीं करते हैं। लेकिन, इसके कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं:
- लगातार भूख लगना (Constant hunger)
- एनर्जी में कमी (Lack of energy)
- थकावट (Fatigue)
- अधिक प्यास लगना (Excessive thirst)
- लगातार यूरिनेशन (Frequent urination)
- नजरों का धुंधला होना (Blurry vision)
- हाथों और पैरों में दर्द, टिंगलिंग और सुन्नता (Pain, tingling, or numbness in hands or feet)
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जैसे-जैसे यह समस्या बढ़ती है, इसके लक्षण और भी गंभीर हो सकते हैं और कुछ घातक कॉम्प्लीकेशन्स का कारण बन सकते हैं। T2DM पेशेंट्स में ओबेसिटी ट्रीटमेंट (Obesity Treatment In T2DM Patients) से पहले इन कॉम्प्लीकेशन्स के बारे में जानना जरूरी है। यह कॉम्प्लीकेशन्स इस प्रकार हैं:
- आंखों में समस्या यानी डायबिटिक रेटिनोपैथी (Diabetic retinopathy)
- एक्सट्रीमिटीज में नंबनेस फीलिंग या न्यूरोपैथी (Neuropathy)
- किडनी डिजीज (Kidney disease)
- गम डिजीज (Gum disease)
- हार्ट अटैक या स्ट्रोक (Heart attack or stroke)
यह तो थे टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) के कुछ लक्षण। अब T2DM पेशेंट्स में ओबेसिटी ट्रीटमेंट (Obesity Treatment In T2DM Patients) से पहले ओबेसिटी और टाइप 2 डायबिटीज के बारे में जान लेते हैं।
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ओबेसिटी और टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes): दोनों के बीच में क्या है लिंक, जानिए
हालांकि, डायबिटीज के सही कारणों के बारे में पूरी जानकारी नहीं है। लेकिन, यह जानकारी है कि कई फैक्टर्स विभिन्न प्रकार के डायबिटीज के विकास का कारण बनते हैं। टाइप 2 डायबिटीज के लिए बॉडी मास इंडेक्स (Body mass index) का तीस या इससे अधिक होना ओवरवेट या ओबेसिटी माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि व्यक्ति का मोटा होना, टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) के डेवलप होने का रिस्क फैक्टर है।
यही नहीं, अगर आप ओवरवेट हैं तो आपमें टाइप 2 डायबिटीज होने की संभावना अधिक होती है, खासतौर पर अगर आपके पेट के आसपास आपका वजन अधिक हो। अध्ययनों से पता चलता है कि पेट की चर्बी, फैट सेल्स के ‘प्रो-इंफ्लेमेटरी’ केमिकल को रिलीज करने का कारण बनती है, जो शरीर को इंसुलिन के प्रति कम संवेदनशील बना सकती है। इससे इंसुलिन रिस्पॉन्सिव सेल्स के कार्य और इंसुलिन के रिस्पॉन्ड करने क्षमता को बाधित हो सकती है। अब जानते हैं T2DM पेशेंट्स में ओबेसिटी ट्रीटमेंट (Obesity Treatment In T2DM Patients) किस तरह से किया जा सकता है?
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T2DM पेशेंट्स में ओबेसिटी ट्रीटमेंट (Obesity Treatment In T2DM Patients): जानिए कैसे हो सकता है यह उपचार?
T2DM पेशेंट्स में ओबेसिटी ट्रीटमेंट (Obesity Treatment In T2DM Patients) में सही डायट, फिजिकल एक्टिविटीज और बिहेवियर थेरपी आदि शामिल है। आइए जानें इस बारे में विस्तार से और शुरुआत करते हैं डायट से।
डायट (Diet)
T2DM पेशेंट्स को अगर वजन कम करना है और ओबेसिटी को मैनेज करना है, तो उन्हें अपने खाने-पीने का खास ध्यान रखना चाहिए। यही नहीं, उन्हें कितनी मात्रा में खाना है, इस बारे में भी जानकारी होनी चाहिए। डॉक्टर और डायटीशियन आपके लिए सही मील प्लान करने में आपकी मदद कर सकते हैं। आपको विभिन्न प्रकार के हेल्दी फूड्स को अपने आहार में शामिल करें, जैसे:
- सब्जियां (Vegetables): ब्रोकली, गाजर, टमाटर आदि।
- फल (Fruits): जैसे अमरूद, संतरा, सेब आदि।
- अनाज (Grains): अगर आपको डायबिटीज है, तो अपने आहार में साबुत अनाज को शामिल करें जैसे ओट्स, क्विनोआ, ब्राउन राइस आदि।
- प्रोटीन (Protein): जैसे लीन मीट, फिश, अंडे, नट्स और पीनट, ड्रायड बीन्स आदि।
- डेयरी (Dairy): जो नॉनफैट या लो फैट हो जैसे दूध, दही, आदि।
- हार्ट-हेल्दी फैट्स (Heart healthy fats): ऑलिव ऑयल, फिश जैसे टूना, सल्मोन, एवोकाडो आदि।
T2DM पेशेंट्स में ओबेसिटी ट्रीटमेंट (Obesity Treatment In T2DM Patients) में डायट में अब जानिए कि इस दौरान किन चीजों को सीमित मात्रा में लेना चाहिए?
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किन चीजों का सेवन करने से बचें?
T2DM पेशेंट्स में ओबेसिटी को मैनेज करने के लिए इन चीजों का सेवन कम मात्रा में करना चाहिए या उन्हें नजरअंदाज करना चाहिए:
- फ्राइड फूड्स और अन्य फूड्स जो सैचुरेटेड फैट्स और ट्रांस फैट अधिक हो।
- फूड्स जिनमें नमक अधिक हो।
- अधिक चीनी युक्त आहार जैसे बेक्ड गुड्स, कैंडी और आइस क्रीम आदि।
- पेय पदार्थ जिनमें चीनी अधिक हो जैसे जूस, सोडा, एनर्जी ड्रिंक आदि। स्वीट पेय पदार्थों की जगह पानी पीएं।
यदि आपको डायबिटीज है और आप ओवरवेट हैं, तो आपको कितना खाना है, इसकी योजना बनाने में आपकी मदद करने के दो सामान्य तरीके हैं एक प्लेट प्लान और दूसरा कार्बोहाइड्रेट काउंटिंग, जिसे कार्ब काउंटिंग भी कहा जाता है। अपने डॉक्टर या डायटीशियन से उस प्लान के बारे में जानें, जो आपके लिए सर्वोत्तम हो। अब जानते हैं सही फिजिकल एक्टिविटी के बारे में।
T2DM पेशेंट्स में ओबेसिटी ट्रीटमेंट (Obesity Treatment In T2DM Patients): फिजिकल एक्टिविटी (Physical activity)
अगर आपको टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) की समस्या है, तो शारीरिक गतिविधि यानी फिजिकल एक्टिविटी ट्रीटमेंट प्लान का एक महत्वपूर्ण कॉम्पोनेन्ट है। यदि आवश्यक हो, तो एक हेल्दी मील प्लान और दवाओं या इंसुलिन के माध्यम से अपने ब्लड शुगर लेवल को सही बनाए रखना भी महत्वपूर्ण है। अगर आप पूरी उम्र फिट और एक्टिव रहेंगे, तो आप न केवल डायबिटीज को मैनेज कर पाएंगे बल्कि आपका वजन भी कम होगा। ऐसा पाया गया है कि जब अधिकांश लोगों को टाइप 2 मधुमेह का निदान होता है, तो अक्सर उनका वजन अधिक होता है, इसलिए व्यायाम करने का विचार उनके लिए शुरुआत में थोड़ा मुश्किल हो सकता है।
लेकिन, उन्हें अपने स्वास्थ्य के लिए, आपको एक अच्छे और उचित एक्सरसाइज प्लान पर शुरुआत करनी होगी, लेकिन पहले वो अपने डॉक्टर से बात करें। आप इन व्यायामों के बारे में विचार कर सकते हैं। जैसे एरोबिक एक्सरसाइज (Aerobic Exercises) जिसमें डांसिंग, स्विमिंग, वॉकिंग, जॉगिंग, बास्केटबॉल, टेनिस आदि या स्ट्रेंथ ट्रेनिंग (Strength Training) और फ्लेक्सिबिलिटी ट्रेनिंग (Flexibility Training) आदि शामिल है।
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T2DM पेशेंट्स में ओबेसिटी ट्रीटमेंट (Obesity Treatment In T2DM Patients): इंटेंसिव बिहेवियरल थेरेपी (Intensive behavioral therapy)
इंटेंसिव बिहेवियरल थेरेपी ओबेसिटी के लिए एक उपचार है, ताकि डायबिटीज और अधिक वजन की समस्या से कुछ हद तक राहत मिल सके। इस उपचार के माध्यम से रोगी यह जान जाते हैं कि वो अपनी ईटिंग और एक्सरसाइज हैबिट्स में क्या बदलाव ला सकते हैं, जिससे उनका वजन कम हो। यह थेरेपी बहुत अच्छे से काम करती है। इसमें रोगी की उन पुअर हैबिट्स को टारगेट किया जाता है, जो ओबेसिटी का कारण बनती हैं। इसमें अनहेल्दी ईटिंग और एक्सरसाइज न करना शामिल है। ओबेसिटी को कम करने के लिए आपको अपनी जीवनशैली में बदलाव के बारे में सीखना चाहिए, जैसे:
- अपनी ईटिंग को ट्रैक करें
- ओवरईटिंग से बचने के लिए एनवायरनमेंट में बदलाव लाएं
- एक्टिविटी लेवल में बढ़ाएं
- एक्सरसाइज प्लान बनाएं
- रीयलिस्टिक गोल्स सेट करें
इन बदलावों से T2DM पेशेंट्स वजन कम करने में सक्षम होंगे। इस थेरेपी के कुछ पार्ट अन्य वेट-लॉस प्रोग्राम्स जैसे हो सकते हैं।
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यह तो थी T2DM पेशेंट्स में ओबेसिटी ट्रीटमेंट (Obesity Treatment In T2DM Patients) के बारे में जानकारी। अगर आप टाइप 2 डायबिटीज और ओबेसिटी के शिकार हैं, तो आपके लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि आने वाले समय में आप कई कॉम्प्लीकेशन्स का सामना कर सकते हैं, जो जानलेवा हो सकती हैं। ऐसे में टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) और ओबेसिटी दोनों को मैनेज करना बेहद जरूरी है। आपकी हेल्दी लाइफस्टाइल दोनों स्थितियों में बेहद लाभदायक साबित हो सकता है। अगर इस बारे में आपके मन में कोई भी सवाल है, तो डॉक्टर से इस बारे में अवश्य बात करें।
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