स्ट्रेस और तनाव की समस्या आजकल लोगों में अधिक बढ़ गई है। ये बात जानते हुए कि तनाव स्वास्थ के लिए बहुत नुकसानदेह है, फिर भी लोग इसके शिकार हो ही जाते हैं। इस कोरोना की महामारी के दौरान लोगों को स्ट्रेस लेवल और भी बढ़ गया है। तो ऐसे में कुछ मेंटल एक्सरसाइज द्वारा तनाव को कम किया जा सकता है। जिसमें शामिल है,उत्थित हस्त पादांगुष्ठासन आसन भी। उत्थित हस्त पादांगुष्ठासन (Extended Hand-To-Big-Toe Pose) वास्तव में मानसिक एकाग्रता तथा तंत्रिका तंत्र को संतुलित करने के लिए काफी उपयोगी हैं। इसके नियमित अभ्यास से नितंब एवं पैर की मांसपेशियां मजबूत बनती हैं। उत्थित हस्त पादांगुष्ठासन में चार शब्दों का समावेश होता हैं – उत्थित, हस्त, पद और अंगुष्ठ। जिसमें उत्थित अर्थात उठा हुआ, हस्त यानी हाथ, पद मतलब पैर और अंगुष्ठ यानी पैर का अंगूठा होता है। इसका सम्पूर्ण अर्थ हुआ हाथों को उठाकर पैर के अंगूठे को पकड़ना। उत्थित हस्त पादांगुष्ठासन खड़े हो कर करने वाला आसन हैं। यह आसन बैलेंसिंग आसन हैं यानि कि संतुलन कैसे बनाये रखे, ये सीखने के लिए उपयोगी है। इसको नियमित रूप से करने पर ध्यान को एकाग्रचित करने में मदद मिलती है। इस आर्टिकल में हम उत्थित हस्त पादांगुष्ठासन (Extended Hand-To-Big-Toe Pose) करने का तरीका और इसके फायदे के बारे में बात करेंगे।
उत्थित हस्त पादांगुष्ठासन (Extended Hand-To-Big-Toe Pose) करने कि विधि क्या है?
उत्थित हस्त पादांगुष्ठासन के निम्नलिखित फायदे हैं। जैसे:
- इस आसन को करने के लिए सबसे पहले ताड़ासन की स्थिति में खड़े हो जाएं।
- अब सांस को अंदर लें और दाएं पैर को ऊपर उठाते हुए घुटने को पेट के पास ले आएं।
- इसके बाद अपना बायां हाथ कमर पर रखे और दाएं हाथ से दाएं पैर का अंगूठा पकड़ लें।
- अब दाएं पैर को आगे की तरफ बढ़ाएं। प्रयास कीजिये की आपका पूरा पैर सीधा हो जाए। जितना ऊपर हो सके उतना ऊपर कर लें। परन्तु किसी हाल में जबरदस्ती ना करें।
- इसके साथ सांस छोड़ते हुए सिर को घुटने से छूने कि कोशिश करें।
- इसके बाद सांस को अंदर लेते हुए अपने सिर को ऊपर उठाने कि कोशिश करें।
- इसके बाद अपने ध्यान को सामने की तरफ केंद्रित करते हुए सांस को छोड़े और अपने दाएं पैर को बाहर की ओर घुमाएं।
- इस मुद्रा में आने पर सिर को बायीं ओर घुमाये और बाएं कंधे को देखने कि कोशिश करें।
- जितनी देर हो सके, इस आसन में रूकने की कोशिश करें और साथ ही सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया को बनाएं रखें।
- 30-60 सेकेंड इस स्थिति में रूकने का प्रयास करें, और उसके बाद धीरे धीरे इस आसन से पहले की स्थिति में आएं।
- आसन से पहले की स्थिति में आते समय सांस अंदर लेते हुए सिर और अपने दाएं पैर को वापस सामने की ओर ले जाएं। फिर से एक बार सिर को घुटने पर टिकाएं और वापस ऊपर की तरफ ले आएं।
- इसके बाद आसन को समाप्त करने के लिए अपने दाएं पैर को नीचे कर लें और ताड़ासन की मुद्रा में आकर आसन को समाप्त करें।
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उत्थित हस्त पादांगुष्ठासन (Extended Hand-To-Big-Toe Pose) के फायदे क्या हैं?
उत्थित हस्त पादांगुष्ठासन के निम्नलिखित फायदे हैं। जैसे:
- वजन करे कम में मद्दगार है
- टांगों, घुटनों और टखनों में खिचाव लाता है और उन्हे मजबूत बनाता है।
- मांसपेशियां स्ट्रॉन्ग बनती हैं
- पाचन की समस्या को दूर करता है
- बेचैनी को दूर करने में सहायक
- नर्वस सिस्टम को मजबूत करता है
- शरीर को पुनः जीवित करता है
- नितम्ब या कूल्हों की मांशपेशियों को मजबूत करती है
- ध्यान एकाग्रचित करने में मदद करता है
- शरीर का संतुलन बनाने में सहायक
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वजन करे कम
उत्थित हस्त पादांगुष्ठासन के अनेक फायदों में से सबसे बड़ा फायदा है – वजन घटाने में मदद करना। इसका नियमित रूप से अभ्यास वजन पर अच्छा असर डालता है। यानि प्रभावी रूप से वजन कम करता है। साथ ही इसके द्वारा वजन घटाना पूरी तरह से सुरक्षित है। लेकिन इसे करने से पहले इसके तरीके को जानना अच्छे से जरूरी है, तभी आपको इसका अच्छा परिणाम मिल सकता है। इसके अलावा यदि आपको किसी प्रकार की मेडिकल प्रॉब्लम है, तो आप अपने डॉक्टर की सलाह पर ही करें।
पैरों और टखनों को मिले मजबूती
उत्थित हस्त पादांगुष्ठासन जो कि एक बैलेंसिंग आसन है, जब आप इसे करते हैं तब आपके हाथ और पैर की मांसपेशियों में खिंचाव अनुभव होता है। जिसकी वजह से शरीर के सारे अंग जैसे कि घुटने के जोड़, पैर तथा टखनों की मांसपेशियों को भी मजबूती मिलती है।
मांसपेशियां स्ट्रॉन्ग बनती हैं
पैर ऊपर उठाये रखने के कारण, दोनों पैरो के बीच खिंचाव पैदा होता है। ये खिंचाव संतुलन के साथ माँसपेशियों को मजबूत करता है। साथ ही हैमस्ट्रिंग (घुटने के पीछे की एक विशेष नस) में दर्द और खिंचाव का अनुभव करता है। ये खिंचाव लम्बे समय में जाकर उत्थित हस्त पादांगुष्ठासन करने वाले व्यक्ति के हर अंग को मजबूत और सुदृढ़ बनाते हैं।
पाचन की समस्या को दूर करता है
उत्थित हस्त पादांगुष्ठासन का ये एक प्रमुख लाभ है कि ये पाचन की समस्या को दूर करता है। इस आसन के साथ पेट तथा पाचन के सम्बंधित ग्रंथियों पर दबाव पड़ता है, जिसकी वजह से वो अच्छे से सक्रीय हो जाती हैं। परिणामस्वरूप ये अपच, एसिडिटी, कब्जियत जैसी समस्या को दूर करता है। और व्यक्ति को एक समस्या रहित पाचन शक्ति देता है।
बेचैनी को दूर करने में सहायक
तनाव और बेचैनी जैसी समस्या हमारे जीवन का अभिन्न अंग हो गया है। जिस तरह की जीवन शैली आज ज्यादातर लोग जी रहे हैं उसमें तनाव और बेचैनी का सामना करना एक अवैकल्पिक तथ्य है। लेकिन उत्थित हस्त पादांगुष्ठासन का नियमित अभ्यास व्यक्ति को तनाव और बेचैनी से दूर करने में मदद करता है।
नर्वस सिस्टम को मजबूत करता है
जिस प्रकार की जीवन शैली हम सभी आज जी रहे हैं उसमें ये बहुत जरूरी है कि नर्वस सिस्टम मजबूत हो। उत्थित हस्त पादांगुष्ठासन में संतुलन के साथ ध्यान केंद्रित होने का भी लाभ मिलता है। इसका नियमित रूप से अभ्यास करने वाले व्यक्ति के पैरासिम्पैथेटिक(Parasympathetic) नर्वस सिस्टम को मजबूती मिलती है।
शरीर को पुनः जीवित करता है
हर प्रकार के तनाव और बेचैनी को दूर करके उत्थित हस्त पादंगुष्ठासन, शरीर में एक नयी ऊर्जा का संचार करता है। जो आपको रोजाना का कार्य करने के लिए अतिरिक्त ऊर्जा प्रदान करती है।
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नितम्ब या कूल्हों की मांशपेशियों को मजबूत करती है
उत्थित हस्त पादांगुष्ठासन नितम्ब के मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए एक शानदार आसन है। ये आसन कूल्हों के मांसपेशियों को सशक्त करने के साथ नितम्बों में खून का संचार अच्छी तरह से होने में मदद करता है।
ध्यान एकाग्रचित करने में मदद करता है
जिन लोगों का एकाग्रिता की समस्या है यानि कि वो ध्यान से किसी एक काम को नहीं कर पाते हैं, उनके लिए ये आसन बेहद ही प्रभाकारी है। इससे तनाव भी कम होता है। उत्थित हस्त पादांगुष्ठासन को करने के लिए अत्यधिक ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता होती है, ताकि आप संतुलन के साथ सही तरह से ये योग कर सके। साथ की इसको करते समय आपको अपनी दृष्टि को भी एक जगह केंद्रित करना होता है। इन सभी कारणों के इस आसन का अभ्यास करने वाले के ध्यान और एकाग्रचित शक्ति को बढ़ावा मिलता है।
शरीर का संतुलन बनाने में सहायक
जैसा की हम पहले बात कर चुके हैं, ये एक बैलेंसिंग आसन है। एक पैर पर खड़े होने के वजह से उत्थित हस्त पादांगुष्ठासन शरीर के संतुलन को बेहतर बनाता है। इसके बॉडी में लचीला पन भी आता है।
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उत्थित हस्त पादांगुष्ठासन से बेहतर लाभ पाने के लिए किन-किन आसनों को करना आवश्यक है?
- उत्थित त्रिकोणासन
- परिवृत्त त्रिकोणासन
- उत्थित पार्श्वकोणासन
- परिवृत्त पार्श्वकोणासन
- प्रसारित पादोत्तासन
- पर्श्वोत्तनासन
इन ऊपर बताये पांच आसनों को पहले करें और उसके बाद उत्थित हस्त पादांगुष्ठासन करें।
उत्थित हस्त पादांगुष्ठासन (Extended Hand-To-Big-Toe Pose) किन परिस्थिति में न करें
निम्नलिखित परिस्थितियों में इस आसन को न करें। जैसे:
- अगर किसी व्यक्ति को घुटनों में या फिर टखने में किसी प्रकार की तकलीफ हो तो उन्हें ये आसन नहीं करनी चाहिए। ये आसन उनके लिए नुकसान कारक हो सकता है।
- अगर आपको ये आसन, आसान नहीं लग रहा तो कृपया अपने साथ जबरदस्ती ना करें।
- अगर आप लो ब्लड प्रेशर या हाई ब्लड प्रेशर के शिकार हैं तो ये आसन ना करें। इसके अलावा अगर आपको सर दर्द या इंसोम्निया (insomnia) की शिकायत है तो भी उत्थित हस्त पादांगुष्ठासन करने से बचे।
- गर्भवती महिलाओं को ये आसन, प्रशिक्षित योग टीचर के निरीक्षण या फिर डॉक्टर की सलाह लेकर ही करनी चाहिए।
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उत्थित हस्त पादांगुष्ठासन (Extended Hand-To-Big-Toe Pose) एक ऐसा आसन है जो स्वास्थ्य सम्बंधित काफी सारी तकलीफों से राहत दिलाने में मदद करता है। लेकिन, योग के किसी भी आसन को शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह लें। योग विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में ही करें। शुरूआत में खुद से योगासनों का अभ्यास करना आपके लिए नुकसानदायक हो सकता है। इसलिए, पहले इन्हें अच्छे से सीखना आवश्यक है।
योग से जुड़े किसी भी मुद्दे पर अगर आपका कोई सवाल है, तो कृपया इस बारे में अपने डॉक्टर या योगागुरू से परामर्श करें। यह एक अत्यंत लाभकारी आसन है। इस आसन को करने के लिए सबसे पहले इससे जुड़े जानकार से मिलें। सिर्फ कहीं भी किसी से भी सुनकर इसे अपनी दिनचर्या में शामिल न करें। इस भागती-दौड़ती जिंदगी और अनहेल्दी लाइफस्टाइल में सबसे ज्यादा आवश्यक है अपने सेहत की सही देखभाल की। अपनी व्यस्तता में भी शरीर को स्वस्थ्य रखने के लिए वक्त निकलना आवश्यक होता है। कुछ वक्त अपने हेल्थ पर दें और नियमित रूप से योगासन करें। योगासन न सिर्फ शारीरिक रूप से आपको स्वस्थ्य रखता है बल्कि यह आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होता है। अगर आप उत्थित हस्त पादांगुष्ठासन से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।
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