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Cryo practice: स्पोर्ट्स पर्सन के लिए क्यों जरूरी होती है क्रायो प्रैक्टिस?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 23/12/2021

    Cryo practice: स्पोर्ट्स पर्सन के लिए क्यों जरूरी होती है क्रायो प्रैक्टिस?

    स्पोर्ट्स पर्सन आम लोगों की तुलना में अधिक मेहनत करते हैं और उन्हें शरीर को फिट रखने के लिए एक्सरसाइज के साथ ही अन्य तरीकों की भी जरूरत पड़ती है, ताकि वो मसल्स को रिलेक्सेशन दे सकें और टिशू यानी ऊतकों को किसी प्रकार की समस्या न हो। हेल्थ बेनीफिट्स के लिए क्रायो थेरेपी या क्रायो प्रैक्टिस (Cryo practice) अहम भूमिका निभाती है। क्रायो प्रैक्टिस या क्रायोथेरेपी (Cryotherapy) को कोल्ड थेरेपी के नाम से भी जाना जाता है। थेरेपी के दौरान कुछ समय के लिए शरीर को कोल्ड टेम्परेचर में रखा जाता है। किसी एक एरिया में पूरे शरीर को ये थेरेपी दी जाती है। जानिए स्पोर्ट्स पर्सन के लिए क्यों जरूरी होती है क्रायो प्रैक्टिस (Cryo practice) और किन बातों का रखना चाहिए ध्यान।

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    क्रायो प्रैक्टिस (Cryo practice) क्या है?

    क्रायो प्रैक्टिस

    दस से 12 मिनट तक आइस बाथ लेने की तुलना में तीन मिनट की लिक्विड नाइट्रोजन कूल्ड एयर में रहना एथलीटों के बेहतर विकल्प साबित हो रहा है। तीन मिनट तक जीरो से कम टेम्परेचर में रहना आसान नहीं होता है। क्रायो प्रैक्टिस (Cryo practice) के दौरान एक चैम्बर का इस्तेमाल किया जाता है, जहां लिक्विड नाइट्रोजन कूल्ड एयर ( Liquid nitrogen cooled air) का इस्तेमाल किया जाता है। वर्कआउट के पहले (Before workout) या फिर वर्कआउट के बाद क्रायो प्रैक्टिस (Cryo practice) के अलग रिजल्ट हो सकते हैं।

    क्रायो प्रैक्टिस (Cryo practice) में ठंडे पानी में बाथ लेने भी शामिल होता है। एथलीट और जिम करने वाले लोग लंबे समय से वर्कआउट के पहले और वर्कआउट के बाद क्रायो प्रैक्टिस (Cryo practice) करते आ रहे हैं। इस प्रोसेस के दौरान ठंडे पानी में दस से बारह मिनट तक डुबकी लगाना होता है। स्पोर्ट्स पर्सन अपनी परफॉर्मेंस में सुधार के लिए इस ट्रिक को अपनाते हैं। स्विट्जरलैंड और बेल्जियम के रिसर्चर्स ने स्टडी के माध्यम से निष्कर्ष निकाला है कि व्यायाम मस्कुलोस्केलेटल (Musculoskeletal), तंत्रिका (Nervous) और मेटाबॉलिक सिस्टम (Metabolic systems) पर गंभीर दबाव डालता है। क्रायो प्रैक्टिस (Cryo practice) या कोल्ड थेरेपी सेल मेटाबॉलिज्म (Cell metabolism) को कम करके सूजन को कम करता है। ये थेरेपी तेजी से मसल्स टेंशन (Muscle tension) या फिजिकल स्ट्रेन को कम करता है और राहत दिलाता है।

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    वर्कआउट के पहले क्रायो प्रैक्टिस के फायदे (Benefits of Cryo Practice Before Workouts)

    वर्कआउट के पहले क्रायो प्रैक्टिस (Cryo practice) मसल्स को मूवमेंट के लिए सहायता प्रदान करता है और साथ ही फ्लेक्सिबिलिटी में भी मदद करता है। जिससे पूरी बॉडी में ब्लड फ्लो बेहतर होता है और साथ ही ऑक्सिजन(Oxygen) भी पूरी बॉडी में आसानी से फ्लो करती है। क्रायो प्रैक्टिस (Cryo practice) के बाद स्पोर्ट्स पर्सन को शरीर हल्का महसूस होता है और साथ ही पहले से अधिक शरीर की गतिशीलता बढ़ जाती है। साथ ही जोड़ों में भी कम स्टिफनेस महसूस होती है। प्री-कूलिंग की हेल्प से एक्सरसाइज करने की क्षमता भी बढ़ती है और साथ ही शरीर में ऑक्सीजन का फ्लो भी बढ़ जाता है। क्रायोथेरेपी (Cryotherapy) आपकी मांसपेशियों को ओपन करती है और लचीला बनाने में मदद कर सकती है। जो लोग सप्ताह में दो से तीन बार खेलते हैं, उनके लिए ये थेरेपी रिलेक्स पाने का बेहतर उपाय है। मैराथन (Marathon) में दौड़ने वाले लोगों के लिए भी क्रायो प्रैक्टिस बेहतर विकल्प माना जाता है। क्रायो प्रैक्टिस की हेल्प से उन्हें लंबी दूरी तय करने में मदद मिलती है।

    वर्कआउट से पहले क्रायो प्रैक्टिस (Cryo practice) करने से पैदा होने वाली समस्या

    क्रायो प्रैक्टिस (Cryo practice) का वर्कआउट से पहले करने पर जहां एक ओर आपको बहुत से फायदे होते हैं, वहीं कुछ नुकसान भी हो सकते हैं। ये मसल्स में माइक्रोस्कोपिक टीयर्स (Microscopic tears) का कारण भी बन सकता है। इस कारण से आपको मांसपेशियों में दर्द की समस्या भी हो सकती है। ऐसा सभी के साथ हो, ये जरूरी नहीं है लेकिन क्रायोथेरिपी (Cryotherapy) के बाद मसल्स पेन आम समस्या के रूप में सामने आ सकता है। आपको इस बारे में एक्सपर्ट से अधिक जानकारी लेनी चाहिए। हैलो स्वास्थ्य किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह उपलब्ध नहीं कराता है।

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    स्पोर्ट्स इंज्युरी मैनेजमेंट के लिए क्रायो प्रैक्टिस (Cryo Practice for Sports Injury Management)

    एथलीट को रोजाना अपनी स्ट्रेंथ को बढ़ाने की जरूरत होती है। प्रोफेशनल स्पोर्ट्स में अपनी जगह बनाएं रखने के लिए एक खिलाड़ी रोजाना अपनी बॉडी को मेंटेन रखने की जरूरत पड़ती है। क्रायो प्रैक्टिस (Cryo practice) एथलीट की परफॉर्मेंस में सुधार का काम करता है। ट्रेक एथलीट (track athletes), बास्केटबॉल (Basketball), सॉकर (Soccer) आदि के खिलाड़ियों के लिए ये थेरेपी उपयोगी साबित होती है। मुक्केबाजी के दौरान क्रायो प्रैक्टिस (Cryo practice) खिलाड़ी को तेजी से रिकवर करने में मदद करती है। एथलीट इस थेरेपी का इस्तेमाल इसलिए करते हैं क्योंकि ये दर्द से राहत दिलाने का काम करता है। कोल्ड इरिटेटेड नर्व (Irritated nerve) को नंब यानी सुन्न करने का काम करती है। एथलीट्स को इसका इस्तेमाल एक्सपर्ट की निगरानी में ही करना चाहिए और अधिक समय तक चैम्बर में नहीं रहना चाहिए। कहने का मतलब है कि तय समय तक ही इस थेरेपी या प्रैक्टिस को अपनाया जाना चाहिए।

    चैम्बर का इस्तेमाल हर स्थान पर करना आसान नहीं होता है या फिर उपलब्धता नहीं होती है। ऐसे में एथलीट के चोट लगने पर आइस बैग्स (ice bags), कोल्ड ट्यूब्स (cold tubs), कोल्ड स्लीव्स आदि का इस्तेमाल भी इंज्युरी या फिर पेन की जगह किया जा सकता है। इस प्रैक्टिस का इस्तेमाल कब किया जा सकता है. आपको इस बारे में एक्सपर्ट से जानकारी लेनी चाहिए।

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    क्रायोथेरेपी रिकवरी चैम्बर (Cryotherapy Recovery Chamber) में क्या होता है?

    क्रायोथेरेपी रिकवरी चैम्बर (Cryotherapy Recovery Chamber) का आकार आपके बाथरूम से छोटा होता है। चैम्बर में क्लाइंट को कम कपड़े पहनने की सलाह दी जाती है और फिर स्पोर्ट्स पर्सन के टो और फिगंर में प्रोटेक्टिव कवरिंग की जाती है। जैसे ही आप चैम्बर में पहुंचेंगे, चैम्बर में कोल्ड भाप भरना शुरू हो जाती है। इसे लिक्विड नाइट्रोजन के नाम से जाना जाता है। चारों ओर धुंध हो जाती है, जो पूरी तरह से सुरक्षित रहती है। चैम्बर का टेम्परेचर -100 से -170 डिग्री सेल्सियस तक जा सकता है। चैम्बर में केवल तीन से चार मिनट रहना होता है और कोल्ड का फुल इफेक्ट मिलता है। इस प्रोसेस के दौरान शरीर से एंडोर्फिन रिलीज होता है, जो बेहतर महसूस कराता है।

    क्रायोथेरेपी क्लीनिक (Cryotherapy clinics) में क्रायो प्रैक्टिस (Cryo practice) की जाती है। यहां आपको एक्सपर्ट की देखरेख में प्रैक्टिस कराई जाती है। आप इस बारे में अधिक जानकारी एक्सपर्ट से प्राप्त कर सकते हैं। अगर आप किसी प्रकार की हेल्थ कंडीशन से जूझ रहे हैं, तो क्रायो प्रैक्टिस (Cryo practice) करने से पहले इस बारे में अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें। बिना सलाह के आपको बड़ी समस्या का समाना भी करना पड़ सकता है। हैलो स्वास्थ्य किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह उपलब्ध नहीं कराता है।

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    क्रायोथेरेपी के साइड इफेक्ट्स (Side Effects of Cryotherapy)

    क्रायो प्रैक्टिस (Cryo practice) के साथ ही कुछ रिस्क और साइड इफेक्ट्स भी जुडे़ हुए होते हैं। अगर क्रायो प्रैक्टिस (Cryo practice) ठीक प्रकार से न की जाए, तो कई दुष्प्रभाव भी देखने को मिलते हैं। नंबनेस (numbness) यानी एक स्थान में सुन्नता छा जाना, आइस लगाने वाली जगह में या फिर शरीर के किसी हिस्से में लालिमा छा जाना, त्वचा में जलन ( irritation of the skin) आदि दुष्प्रभाव देखने को मिलते हैं। अगर आपको क्रायो प्रैक्टिस (Cryo practice) के बाद दिए गए साइड इफेक्ट्स 24 घंटे बाद तक नजर आते हैं, तो आपको बिना देरी किए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

    आपको क्रायोप्रैक्टिस तय समय से अधिक बिल्कुल नहीं करनी चाहिए। पूरी बॉडी के लिए क्रायोथेरेपी चार मिनट के लिए हो सकता है, वहीं किसी स्थान में अगर आप आइस पैक लगा रहे हैं, तो आइस को किसी कपड़े में लपेटने के बाद ही स्किन में लगाएं। आप अधिकत 20 मिनट तक के लिए इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर आप स्किन के सपर्क में सीधे बर्फ को टच कराएंगे, तो स्किन को नुकसान पहुंचेगा। क्रायो प्रैक्टिस (Cryo practice) की सही जानकारी बहुत जरूरी है। बेहतर होगा कि आप डॉक्टर या एक्सपर्ट से जानकारी लेने के बाद ही इसका इस्तेमाल करें। जिन लोगों को डायबिटीज की समस्या, उन्हें क्रायो प्रैक्टिस (Cryo practice) नहीं करनी चाहिए। डायबिटीज पेशेंट (Diabetic patient) क्रायो थेरेपी के प्रभाव को कम महसूस कर पाते हैं और ऐसे में नर्व डैमेज का खतरा अधिक बढ़ जाता है।

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    हैलो स्वास्थ्य किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह उपलब्ध नहीं कराता है। हम उम्मीद करते हैं कि आपको इस आर्टिकल के माध्यम से क्रायो प्रैक्टिस (Cryo practice)  के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी मिल गई होगी। आप स्वास्थ्य संबंधी अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है, तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं और अन्य लोगों के साथ साझा कर सकते हैं।

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