चाहे आपकी उम्र जो हो अगर आप डॉक्टर के पास जाते हैं तो निश्चित रूप से वह सबसे पहले आपकी ब्लड प्रेशर रीडिंग (Blood Pressure Reading) लेते हैं। डॉक्टर ब्लड प्रेशर रीडिंग लेने के बाद दो नंबर के रूप में यह रिजल्ट बताते हैं। ब्लड प्रेशर का रीडिंग सामान्य है या गंभीर यह डॉक्टर आपको बता देते हैं पर यदि आप भी जानना चाहते हैं कि ब्लड प्रेशर का रीडिंग कैसे की जा सकती है तो यह आर्टिकल पढ़ें। इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि ब्लड प्रेशर का रीडिंग कैसे की जाती है? और ब्लड प्रेशर का रीडिंग में दो नंबरों का क्या अर्थ होता है?
आपके ब्लड प्रेशर रीडिंग (Blood Pressure Reading) की संख्या का क्या अर्थ है?
ब्लड प्रेशर का रीडिंग दो नंबरों में ली जाती है।
सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर रीडिंग (पहली संख्या)
पहली संख्या या सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर का रीडिंग बताती है कि आपका दिल कितना दबाव डाल रहा है। यानी दिल के आर्टरी में ब्लड पंप करने के समय आर्टरी पर दिल कितना प्रेशर दे रहा है। दिल जब आर्टरी में ब्लड पंप करता है तो आर्टरी वॉल पर ब्लड का दबाव पड़ता है। इसे सिस्टोलिक प्रेशर कहा जाता है।
डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर रीडिंग (दूसरी संख्या)
दूसरी संख्या या डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर का रीडिंग का अर्थ हृदय के आराम करने से होता है। जब एक बार दिल ब्लड पंप करता है उसके दूसरे पल वह फैलता है या आराम करता है। इस समय आर्टरी पर कितना दबाव पड़ रहा है इसे ही डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर रीडिंग कहा जाता है।
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ब्लड प्रेशर रीडिंग (Blood Pressure Reading) में कौन सी संख्या अधिक महत्वपूर्ण है?
दोनों ही संख्या महत्वपूर्ण होती हैं। जानकारी के लिए बता दें कि आमतौर पर 50 प्रतिशत से अधिक मामलों में हृदय रोग के लिए एक प्रमुख रिस्क फैक्टर सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर (पहली संख्या) को माना जाता है। ज्यादातर लोगों में सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर उम्र के साथ तेजी से बढ़ने लगता है। इसके साथ आर्टरी का संकुचित होना भी बढ़ जाता है और ऐसे में दिल का दौरा या स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। इसका यह मतलब नहीं है कि डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर का रीडिंग से कोई फर्क नहीं पड़ता।
हाई सिस्टोलिक या हाई डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर रीडिंग के जरिए आप हाई ब्लड प्रेशर का मूल्यांकन कर सकते हैं। एक अध्ययन के अनुसार 40 से 89 वर्ष की आयु के लोगों में हर 20 mmHg सिस्टोलिक या 10 mm Hg डायस्टोलिक की बढ़ोत्तरी के कारण कोरोनरी हृदय रोग और स्ट्रोक से मृत्यु का जोखिम दुगुना हो जाता है।
ब्लड प्रेशर रीडिंग से हाइपरटेशन का पता कैसे लगाएं?
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन ने ब्लड प्रेशर की पांच रेंज बताई हैं
साधारण
120/80 mmHg से कम है तो ब्लड प्रेशर रीडिंग सामान्य सीमा के भीतर मानी जाती है। यदि आपके परिणाम इस श्रेणी में आते हैं तो संतुलित आहार और नियमित व्यायाम करने जैसी अच्छी आदतों का पालन कर आप हाइपरटेंशन से दूर रह सकते हैं।
ऐलिवेटिड (ऊपर उठा हुआ)
हाई ब्लड प्रेशर तब होता है जब रीडिंग लगातार 120-129 सिस्टोलिक और 80 mmHg डायस्टोलिक से कम होती है। ऐलिवेटिड ब्लड प्रेशर वाले लोग यदि अपनी वर्तमान स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कदम नहीं उठाते तो उनमें हाई ब्लड प्रेशर की समस्या विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है।
हाइपरटेंशन स्टेज 1
हाइपरटेंशन स्टेज 1 तब होता है जब ब्लड प्रेशर लगातार 120 -139 सिस्टोलिक या 80-89 mmHg डायस्टोलिक तक पहुंच जाता है। हाई ब्लड प्रेशर रीडिंग के इस स्तर पर, डॉक्टर आपको अपनी जीवनशैली में बदलाव लाने की सलाह देते हैं। इसके साथ ही डॉक्टर आपकी अन्य बीमारी को देखते हुए दवा दे सकते हैं।
हाइपरटेंशन स्टेज 2
हाइपरटेंशन स्टेज 2 तब होता है जब ब्लड प्रेशर लगातार 140/90 mmHg या इससे अधिक होता है। हाई ब्लड प्रेशर की इस स्टेज पर डॉक्टर आपको दवा के साथ ही अपनी जीवन शैली में परिवर्तन की सलाह देते हैं।
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हाइपरटेंसिव क्राइसिस
हाई ब्लड प्रेशर के इस चरण में मेडिकल केयर की आवश्यकता होती है। यदि आपकी ब्लड प्रेशर का रीडिंग अचानक 180/120 mmHg से अधिक हो जाती है तो पांच मिनट प्रतीक्षा करें और फिर से अपना ब्लड प्रेशर चेक करें। यदि फिर भी ब्लड प्रेशर का रीडिंग अधिक है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। यह स्थिति हाइपरटेंसिव क्राइसिस की ओर इशारा करती है।
यदि आपका ब्लड प्रेशर 180/120 mmHg से अधिक है और आप सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ, पीठ दर्द की समस्या, कमजोरी का एहसास, दृष्टि में बदलाव या बोलने में कठिनाई महसूस कर रहे हैं तो भी तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
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ब्लड प्रेशर रीडिंग (Blood Pressure Reading)?
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की रिपोर्ट के अनुसार हर उम्र और लिंग के अनुसार ब्लड प्रेशर रीडिंग में अंतर होता है।
15 से 18 वर्ष में लड़कों का ब्लड प्रेशर 117 से 77 mmHg होना चाहिए। वहीं लड़कियों का 120 से 85 mmHg तक होना चाहिए। इसके बाद की स्थिति गंभीरता को बढ़ा सकती है।
19 से 24 वर्ष में दोनों का ही ब्लड प्रेशर 120 से 79 mmHg तक होना चाहिए।
25 से 29 वर्ष में दोनों का ही ब्लड प्रेशर 120 से 80 mmHg तक होना चाहिए।
30 से 35 वर्ष में पुरुषों में यह 122 से 81 mmHg व महिलाओं में यह 123 से 82 mmHg तक होना चाहिए।
36 से 39 वर्ष में पुरुषों में यह 123 से 82 mmHg व महिलाओं में यह 124 से 83 mmHg तक होना चाहिए।
40 से 45 वर्ष में पुरुषों में यह 124 से 83 mmHg व महिलाओं में यह 125 से 83 mmHg तक होना चाहिए।
46 से 49 वर्ष में पुरुषों में यह 126 से 84 mmHg व महिलाओं में यह 127 से 84 mmHg तक होना चाहिए।
50 से 55 वर्ष में पुरुषों में यह 128 से 85 mmHg व महिलाओं में यह 129 से 85 mmHg तक होना चाहिए।
56 से 59 वर्ष में पुरुषों में यह 130 से 86 mmHg व महिलाओं में यह 131 से 87 mmHg तक होना चाहिए।
60 वर्ष से अधिक आयु के पुरुषों में यह 134 से 84 mmHg व महिलाओं में यह 133 से 88 mmHg तक होना चाहिए।
हाई ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure) से कैसे बचें?
जीवनशैली में किए गए कुछ बदलाव हाई ब्लड प्रेशर को रोकने में मदद कर सकते हैं।
हेल्दी आहार (Healthy diet)
दिल का ख्याल रखने के लिए दिल से नहीं दिमाग से खाएं। जंक या प्रोसेस्ड फूड से दूरी बनाएं और फल व सब्जियों का सेवन करें जो आपके दिल के लिए सही हों।
सोडियम (Sodium) कम खाएं
अमेरीकन हार्ट एसोसिएशन की सलाह है कि आपको सोडियम का सेवन 2400 मिलीग्राम से कम रखना चाहिए। प्रति दिन की बात की जाए तो 1500 मिलीग्राम से अधिक का सेवन नहीं करना चाहिए।
वजन (Weight) पर ध्यान दें
आपका वजन बढ़ रहा है तो बीएमआई कैलक्युलेटर से अपना वजन चेक कर सकते हैं। यदि फैट लगातार बढ़ रहा है तो फैट को काम करने के लिए भरसक प्रयास करें। चूंकि हाई ब्लड प्रेशर मोटापे के कारण बढ़ता ही है।
बुरी आदतों से दूर रहें
स्मोकिंग और एल्कोहॉल आपको हाइपरटेंशन दे सकता है। इसलिए स्मोकिंग और शराब से दूरी बनाएं।
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कम से कम आधे घंटे एक्सरसाइज (Workout) करें
हर रोज आधे घंटे की एक्सरसाइज आपको हाई ब्लड प्रेशर से भी दूर रखेगी और अन्य किसी भी बीमारी से भी। हो सके तो कार्डियो एक्सरसाइज जरूर करें।
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तनाव (Stress) से दूर रहें
आजकल की जिंदगी में हर व्यक्ति तनाव का शिकार है। यह बीमारियों की जड़ भी है। इसलिए कोशिश करें कि तनाव को दूर रखें। यदि आप डिप्रेशन से दूर नहीं हो पा रहे तो अपने डॉक्टर या साथी की मदद लें।
जैसा कि विशेषज्ञों का कहना है कि अधिकांश मामलों में मरीजों की जान चली जाती है और उन्हें पता भी नहीं चलता कि वह हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित हैं। ऐसे में ब्लड प्रेशर के रीडिंग पर ध्यान देना ही बचाव है। ब्लड प्रेशर रीडिंग आप घर पर भी ले सकते हैं।
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