हाइपरटेंशन क्या है? सेकंडरी हाइपरटेंशन
सेकंडरी हाइपरटेंशन का मुख्य कारण किडनी में ब्लड सप्लाई करने वाली आर्टरीज (धमनियों) में खराबी या असमान्यता है। इसके अन्य कारण भी हो सकते हैं जैसे एडर्नल ग्लैंड्स की बीमारी या ट्यूमर, हार्मोनल असमान्यताएं, थायरॉइड, डायट में अधिक नमक और शराब का सेवन। दवाइयों की वजह से भी सेकंडरी हाइपर टेंशन हो सकता है जिसमें इबुप्रोफेन (मोट्रिन, एडविल, और अन्य) और स्यूडोफेड्राइन (आफरीन, सूडाफेड, और अन्य) ओवर-द-काउंटर दवाएं शामिल हैं। अच्छी बात यह है कि कारण का पता लगने पर हाइपरटेंशन को कंट्रोल किया जा सकता है।
इसके अलावा खास डायग्नोस्टिक के आधार पर हाइपरटेंशन की तीन और कैटेगरी होती है।
हाइपरटेंशन क्या है? आइसोलेटेड सिस्टोलिक हाइपरटेंशन
ब्लड प्रेशर को दो नबंरों में मापा जाता है। पहला ऊपरी स्तर जिसे सिस्टोलिक प्रेशर कहते हैं, जो दिल के धड़कने के दौरान दबाव डालता है और दूसरा है डायस्टोलिक प्रेशर यह दिल की धड़कनों के बीच आराम के दौरान बनने वाले दबाव को दिखाता है। सामान्य ब्लड प्रेशर 120/80 के नीचे माना जाता है। इसोलेटेड सिस्टोलिक हाइपरटेंशन में सिस्टोलिक प्रेशर 140 के ऊपर रहता है जबकि नीचे वाला प्रेशर 90 से कम होता है। 65 साल से अधिक उम्र के लोगों में इस तरह के हाइपरटेंशन की अधिक संभावना होती है और यह धमनियों में एलास्टिसिटी कम होने की कारण होता है। जब बाद बुजुर्गों के कार्डियोवस्कुल डिसीज के जोखिम की हो तो सिस्टोलिक प्रेशर अधिक महत्वपूर्ण होता है।
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हाइपरटेंशन क्या है? मैलिगैंट हाइपरटेंशन
इस तरह का हाइपरटेंशन इस बीमारी से पीड़ित केवल एक प्रतिशत लोगों में होता है। यह कम उम्र के व्यस्कों को अधिक होता है। यह तब होता है जब आपका ब्लड प्रेशर तुरंत बहुत अधिक बढ़ जाता है। जब आपका डायस्टोलिक प्रेशर 130 के ऊपर चला जाए तो आपको मैलिगैंड हाइपरटेंशन है। यह मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति होती है और आपको अस्पताल में इलाज की आवश्यकता है। इसके लक्षणों में शामिल हैं बांह और पैरों का सुन्न होना, धुंधला दिखना, कन्फ्यूजन, छाती और सिर में दर्द।