यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (UTIs) और यीस्ट इंफेक्शन सुनने में एक जैसी समस्या लगती है। लेकिन दोनों के बीच में बहुत थोड़ा सा अंतर है। अक्सर लोग यूटीआई और यीस्ट इंफेक्शन में अंतर नहीं कर पाते हैं। जिससे वह यीस्ट इंफेक्शन को भी यूटीआई ही समझने लगते हैं। यूटीआई और यूस्ट इंफेक्शन में क्या अंतर है और दोनों का इलाज कैसे कर सकते हैं?
यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन क्या है?
यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (UTI) महिलाओं में होने वाली सबसे सामान्य बीमारी है। वर्ल्ड हेल्थ र्गनइजेशन (WHO) के रिपोर्ट के अनुसार तकरीबन 50 प्रतिशत महिलाओं को कभी ना कभी यूरिन इंफेक्शन की परेशानी हुई है। यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन का मुख्य कारण सफाई (हाइजीन) नहीं रखना माना जाता है। जिसमें योनि व मूत्रमार्ग में जलन और दर्द भी हो सकता है। UTI किसी भी उम्र की महिला को कभी भी हो सकता है। यह महिलाओं के साथ-साथ पुरुषों को भी हो सकता है। लेकिन पुरुषों में यूटीआई होने का जोखिम मात्र तीन प्रतिशत होता है।
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यीस्ट इंफेक्शन क्या है?
यीस्ट इंफेक्शन यीस्ट नामक फंफूद से होने वाली एक समस्या है। जो महिला के योनि और गुप्तांगों को प्रभावित करती है। यीस्ट इंफेक्शन के कारण योनि पर दाने निकल जाते हैं, जो संक्रमण के साथ बढ़ते जाते हैं। इंफेक्शन की समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
यूटीआई के लक्षण क्या हैं?
यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन के लक्षण निम्न हैं :
- बार-बार पेशाब लगना
- पेशाब से या वजायना/पेनिस से बदबू आना
- यूरिन पास करने में दर्द या जलन महसूस होना
- पेट के निचले हिस्से में हल्का दर्द होना
- ज्यादा देर तक टॉयलेट पास होना
- संक्रमण के कारण बुखार आना
- किडनी में इंफेक्शन होना
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इंफेक्शन की समस्या : यीस्ट इंफेक्शन के लक्षण क्या हैं?
- सेक्स करने या पेशाब करने में दर्द होना
- वजायना में खुजली होना
- वजायना के प्रभावित हिस्से में सूजन होना
- वजायना से व्हाइट डिस्चार्ज निकलना
यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन होने का कारण क्या हैं?
यूटीआई के संक्रमण के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया का नाम इश्चीरिया कोलाई (Escherichia coli) है। ये बैक्टीरिया हमारे आंतों में रहता है। फिर यह हमारे मलाशय (rectum) से गुदा (Anus) तक पहुंचता है। फिर वजायना से होते हुए मूत्रमार्ग तक बैक्टीरिया पहुंच जाता है। फिर हमारे मूत्राशय (Urinary Bladder) को प्रभावित कर देता है। जिससे ये संक्रमण हो जाता है। (मूत्राशय इंफेक्शन के लिए पायरिडियम (phenazopyridine) रिकमेंड किया जाता है।)
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इसके अलावा यूटीआई होने के निम्न कारण होते हैं :
- तनाव, बीमारी और प्रेगनेंसी से इम्यून सिस्टम में बदलाव आने के कारण यूटीआई हो सकता है।
- गर्भनिरोध, एंटीबायोटिक्स और स्टेरॉइड दवाओं के सेवन से भी यूटीआई हो सकता है।
- डायबिटीज के कारण भी यूटीआई हो सकता है।
- टाइट पैंट्स पहनने से गुप्तांगों के पास नमी हो जाती है जिसके कारण संक्रमण हो जाता है।
यीस्ट इंफेक्शन होने के क्या कारण हैं?
यीस्ट इंफेक्शन एक फंगल इंफेक्शन है जो फफूंद के कारण होता है। यीस्ट नामक फंफूद वजायना में नमी पाते ही फैलने लगता है। जिसके बाद यह पूरी वजायना में फैलने लगता है।
यूटीआई होना कितना सामान्य है?
यूटीआई होना बहुत सामान्य है। ये 25 में से 10 महिलाओं को होता ही है। इसके अलावा 25 में से 3 पुरुष भी यूटीआई की समस्या से परेशान रहते हैं। पुरुष यूटीआई से कम प्रभावित होते हैं क्योंकि उनका मूत्रमार्ग महिलाओं की तुलना में लंबा होता है। जिससे बैक्टीरिया को महिलाओं के यूरिनरी ट्रैक्ट को प्रभावित करने में आसानी होती है।
यूटीआई होने का सबसे ज्यादा खतरा निम्न लोगों को होता है :
- जो सेक्सुअली एक्टिव होते हैं
- गर्भवती महिलाओं को
- मोटापे के कारण
- मेनोपॉज की स्थिति में
- डायबिटीज
- जिनको किडनी स्टोन की समस्या हो
- कमजोर इम्यून सिस्टम
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यीस्ट इंफेक्शन होना कितना सामान्य है?
यीस्ट इंफेक्शन पुरुषों की तुलना में महिलाओं को ज्यादा होता है। लगभग 75 प्रतिशत महिलाएं यीस्ट इंफेक्शन से पीड़ित होती है। यीस्ट इंफेक्शन वजायना के अलावा स्तनों पर भी हो सकता है (अगर महिला स्तनपान करा रही है तो संभावना बनती है)। यूं तो यीस्ट इंफेक्शन सेक्स करने से नहीं फैलता है, पर कुछ मामलों में पाया गया है कि सेक्स करने से यीस्ट इंफेक्शन पार्टनर को हो जाता है। इसलिए हमेशा सुरक्षित सेक्स करना याहिए।
यीस्ट इंफेक्शन होने का सबसे ज्यादा खतरा निम्न लोगों को होता है :
- प्यूबर्टी या मेनोपॉज होने पर यीस्ट इंफेक्शन हो जाता है
- गर्भावस्था में यीस्ट इंफेक्शन का खतरा रहता है
- डायबिटीज होने पर भी यीस्ट इंफेक्शन हो जाता है
- गर्भनिरोध के इस्तेमाल से
- एंटीबायोटिक्स या स्टेरॉइड्स के इस्तेमाल से
- कमजोर इम्यून सिस्टम के कारण
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डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
यूटीआई और यीस्ट इंफेक्शन में ऊपर बताए गए लक्षण सामने आने पर आपको डॉक्टर से मिलना चाहिए। अगर यूटीआई का समय से पूरा इलाज नहीं हुआ तो किडनी इंफेक्शन हो सकता है। वहीं, यीस्ट इंफेक्शन आगे चल कतर और ज्यादा विकराल रूप ले सकता है। फिर यह सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन का रूप ले लेता है।
यूटीआई और यीस्ट इंफेक्शन का निदान कैसे करें?
ऊपर जो भी लक्षण बताए गए हैं, उनमें से अगर आप किसी भी लक्षण से गुजर रहे हैं तो आपको डॉक्टर से मिलना चाहिए। डॉक्टर लक्षणों के आधार पर आपका इलाज करेंगे, जरूरत पड़ने पर आपकी मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पूछ सकते हैं। इसके साथ ही यूटीआई को कंफर्म करने के लिए डॉक्टर मरीज की यूरीन जांच करा सकते हैं। वहीं, पुरुषों के प्रोस्टेट में यूटीआई इंफेक्शन को जानने के लिए डिजिटल रेक्टल एक्स-रे करा सकते हैं ताकि प्रोस्टेट में हुई असामान्य वृद्धि का पता लगाया जा सके।
यीस्ट इंफेक्शन में प्रभावित क्षेत्र की त्वचा को पोछ कर सैंपल को लैब में जांच के लिए भेजा जाता है। जांच में कंफर्म किया जाता है कि इंफेक्शन कैंडिडा फंगस के द्वारा हुआ है। फिर उसी आधार पर इलाज किया जाता है।
इंफेक्शन की समस्या : यूटीआई और यीस्ट इंफेक्शन का इलाज कैसे होता है?
यूटीआई और यीस्ट इंफेक्शन का इलाज बहुत आसानी से हो जाता है। यूटीआई का इलाज निम्न तरह से होता है :
- यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन का इलाज एंटीबायोटिक्स की मदद से किया जाता है। जिसे डॉक्टर के परामर्श पर ही लेना चाहिए। ये एंटीबायोटिक्स को डॉक्टर दिन में दो बार लगभग पांच से सात दिनों तक खाने के लिए कहते हैं।
- इसके अलावा संक्रमण को कम करने के लिए लो डोज की एंटीबायोटिक्स ले सकती हैं। जैसे- नाइट्रोफ्यूरैनटॉइन, ट्राइमेथॉप्रिम-सल्फामेथॉक्साजोल और सिफैलेक्सिन को आप यूटीआई दोबारा होने पर ले सकते हैं। डॉक्टर के परामर्श [3 के आधार पर आप इन एंटीबायोटिक्स को छह माह तक ले सकते हैं। जिससे यूटीआई के दोबारा होने के जोखिम कम हो जाएंगे।
- आपको ज्यादा से ज्यादा मात्रा में पानी पीना चाहिए। जिससे ज्यादा मात्रा में यूरीन होगी और यूटीआई के बैक्टीरिया फ्लश हो जाएंगे।
- यूटीआई के लिए आप चाहें तो करौंदे (cranberry) का जूस भी पी सकते हैं। करौंदा यूटीआई के संक्रमण को कम करता है।
यीस्ट इंफेक्शन होने पर एंटीफंगल दवाओं से इलाज किया जाता है। माइकॉनाजेल या टायोकॉनाजोल जैसी दवाओं को डॉक्टर यीस्ट इंफेक्शन में देते हैं। लेकिन, ये दवाएं बिना डॉक्टर के परामर्श के न खाएं।
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यूटीआई और यीस्ट इंफेक्शन से रिकवरी कैसे होती है?
यूटीआई में एंटीबायोटिक्स लेने के दो से तीन दिनों में ही आपको आराम होने लगेगा। अगर एंटीबायोटिक्स लेने के बाद भी राहत नहीं होता है तो डॉक्टर से मिलें। डॉक्टर द्वारा दी गई दवाओं को समय से और निश्चित अवधि तक लेने से यूटीआई ठीक हो जाता है। लेकिन, अगर आप दवा को बिना कोर्स पूरा हुए बंद कर देते हैं तो आपको दोबारा यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन हो सकता है। वहीं, यीस्ट इंफेक्शन के लिए दी गई एंटीफंगल दवाओं को खाने से जल्द रिकवरी होती है।
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इंफेक्शन की समस्या: इन बातों का रखें ध्यान
यूटीआई को रोकने के लिए निम्न बातों का ध्यान रखें :
- सेक्स के तुरंत बाद पेशाब करें।
- ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं।
- टाइट पैंटी और जीन्स न पहनें।
- मूत्रमार्ग और योनि को हमेशा आगे से पीछे की तरफ साफ करें।
- पेशाब को जबरदस्ती न रोकें। जब भी पेशाब आए तब कर लें। इससे यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन का रिस्क लगभग न के बराबर हो जाएगा।
यीस्ट इंफेक्शन को रोकने के लिए निम्न बातों का ध्यान रखें :
- हॉट बाथ और हॉट टब का इस्तेमाल न करें
- अगर आप किसी तरह का कॉस्मेटिक गुप्तांगो पर इस्तेमाल कर रही हैं तो आप उसे बदल लें, हो सकता है आपको उसके केमिकल से एलर्जी हो
- अगर आपको डायबीटिज है तो ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करें।
अगर आपको किसी भी तरह की इंफेक्शन की समस्या हो तो बेहतर होगा कि डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।
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