सारकॉइडोसिस क्या है?
सारकॉइडोसिस बीमारी शरीर के विभिन्न हिस्सों में इंफ्लेमेट्री सेल्स के जरूरत से ज्यादा बढ़ जाने की वजह से होती है। लंग्स, ब्लड के लिम्फ नोड, आंखें और त्वचा पर सूजन इसके प्रमुख लक्षणों में शामिल हैं।
सारकॉइट ग्रेन्युलोमास को ग्रनुलोमाटोस डिजीज के नाम से भी जाना जाता है। ग्रेन्युलोमास को ट्यूमर का शुरुआती स्टेज भी माना जाता है। माइक्रोस्कोप की मदद से ऐसे ट्यूमर को देखा जा सकता है।
कितना सामान्य है सारकॉइडोसिस?
सारकॉइडोसिस प्रायः महिलाओं में होता है। सारकॉइडोसिस की समस्या 15 से 65 साल की महिलाओं में ज्यादा होता है। कारण समझकर इस समस्या को कम किया जा सकता है। लक्षणों में बदलाव हो सकते हैं। इसलिए डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है।
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सारकॉइडोसिस के लक्षण क्या हैं?
सारकॉइडोसिस शरीर में कितना फैला हुआ है यह लक्षणों से समझा जा सकता है। सारकॉइडोसिस धीरे-धीरे बढ़ता है और इसके लक्षणों को गौर न करने पर अंदाजा लगाना मुश्किल होता है। एक्सपर्ट्स के अनुसार ऐसे भी कई पेशेंट होते हैं जिनमे लक्षण नजर नहीं आते हैं।
सारकॉइडोसिस के कुछ सामान्य लक्षण:
- थका हुआ महसूस करना।
- सांस लेने में समस्या होना।
- दिल की धड़कन का तेज चलना।
- होंठों का सूखना।
- भूख नहीं लगना।
- वजन कम होना।
- शरीर में रैश और बुखार आना।
- जोड़ों में दर्द महसूस होना।
- सूखी खांसी और जुकाम से हमेशा परेशान रहना।
अन्य लक्षणों में साफ दिखाई न देना ऐसा बीमारी के गंभीर रूप लेने पर होता है, ब्लड में कैल्शियम लेवल का बढ़ना, लंग्स-लिवर में परेशानी शुरू हो सकती है।
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लंग्स सारकॉइडोसिस के कुछ सामान्य लक्षण:
- लंबे वक्त से खांसी की परेशानी।
- सांस लेने में परेशानी महसूस होना।
- तेजी से सांस लेना।
- सीने में दर्द होना।
तकरीबन 25% लोगों में सारकॉइडोसिस होने पर त्वचा से जुड़ी परेशानी शुरू हो जाती है:
- पैरों पर रैश होना।
- गाल, नाक और कानों पर घाव होना।
- त्वचा के रंगों में बदलाव होना। प्रायः त्वचा की रंग का कम होना या डार्क होना।
- घाव या टैटू वाले जगह छोटा ट्यूमर होना।
सारकॉइडोसिस की वजह से आंखों पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। इन लक्षणों में शामिल हैं:
- धुंधला दिखाई देना।
- आंखों का लाल और सूजन होना।
- रोशनी में परेशानी महसूस होना।
इन लक्षणों के अलावा और भी लक्षण हो सकते हैं। यदि आपको किसी लक्षण के बारे में कोई चिंता है, तो कृपया अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
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डॉक्टर से कब मिलना चाहिए?
सारकॉइडोसिस गंभीर बीमारी नहीं है लेकिन, यह लंबे वक्त तक रह सकता है। सरकोइडोसिस के दो या अधिक लक्षण और भी हैं। इनमें शामिल है बुखार, कंपकंपी, धुंधली दृष्टि, छाती में दर्द या धड़कन का बढ़ना शामिल है। हर किसी का शरीर अलग तरह से कार्य करता है। बेहतर होगा आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
किन कारणों से होता है सारकॉइडोसिस?
बीमारी के कारण का अभी तक पता नहीं चल पाया है। सारकॉइडोसिस होने पर ट्यूमर बनने लगता है। दरअसल, सूजन की वजह से ट्यूमर बनता है।
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सारकॉइडोसिस का खतरा किन कारणों से बढ़ जाता है?
निम्नलिखित कारणों से सारकॉइडोसिस का खतरा बढ़ सकता है:
- ब्लड रिलेशन में सारकॉइडोसिस होने की वजह।
- इम्यून सिस्टम कमजोर होना।
- अत्यधिक पलूशन में रहना।
- साफ पानी का सेवन न करना।
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निदान और उपचार को समझें
दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने चिकित्सक से संपर्क करें और सलाह लें।
सारकॉइडोसिस का निदान कैसे किया जाता है?
सारकॉइडोसिस का निदान करना मुश्किल है क्योंकि कभी-कभी लक्षणों को समझना आसान नहीं होता है। डॉक्टर चेस्ट की रेडिओग्राफी के साथ हेल्थ चेकप भी करते हैं। इन दोनों जांच के अलावा डॉक्टर आपको ब्लड टेस्ट, ब्रीदिंग टेस्ट, टोमोग्राफी (सीटी), बायोप्सी, टीबी और ईसीजी जांच करवा सकते हैं। अगर जांच के दौरान लंग ग्रेन्युलोमा की समस्या नजर आती है तो डॉक्टर ब्रोंकोस्कोपी कर सकते हैं। डॉक्टर सर्जिकल फेफड़े की बायोप्सी कर सकते हैं।
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सारकॉइडोसिस का इलाज कैसे किया जाता है?
अगर आप बीमारी के शुरुआती चरणों ध्यान देंगे तो बीमारी से बचा जा सकता है। हालांकि, समस्या सालों पुरानी है तो इलाज में वक्त लग सकता है। ग्रेन्युलोमा और ज्यादा न बढ़ें इसलिए सबसे कम खुराक में कम से कम 6 से 12 महीने तक प्रेडनिसोन कॉर्टिसोलस्टेरॉइड इम्यूनोस्प्रेसिव और एंटी-इंफ्लेमेटरी जैसे ड्रग्स आमतौर पर दिए जाते हैं।
सारकॉइडोसिस के दुबारा होने की संभावना होती है। इसलिए डॉक्टर इलाज से पहले लक्षणों को समझ सकते हैं। इस दौरान एक्स-रे और सांस से जुड़े टेस्ट कर सकते हैं। यदि आपकी स्थिति ज्यादा गंभीर हो जाती है, तो एंटीबायोटिक्स प्रभावी नहीं होते हैं। इसलिए डॉक्टर मेथोट्रेक्सेट, इम्युनोसुप्रेसेंट एजैथोप्रिन या हाइड्रोक्सीक्लोरोलाइन एंटीवायरल जैसी ज्यादा प्रभावी वाली दवाएं दे सकते हैं। इलाज मनमाने ढंग से नहीं किया जाना चाहिए और इसे डॉक्टर द्वारा निर्देशित किया जाना चाहिए।
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जीवनशैली में बदलाव या घरेलू उपचार
निम्नलिखित टिप्स अपना कर सारकॉइडोसिस से बचा जा सकता है:
- अगर आप स्टेरॉयड का उपयोग करते हैं, तो अपने आहार में कम नमक का सेवन करें।
- ब्लड प्रेशर और डायबिटीज की जांच करते रहें।
- टीकाकरण न्यूमोकोकल, वैक्सीन निमोनिया।
- मनमाने ढंग से दवा का उपयोग बंद न करें या बेहतर महसूस होने पर भी खुराक न बदलें। बेहतर होगा की अगर आप स्वस्थ भी हो रहें हैं तो डॉक्टर से संपर्क करें।
- धूम्रपान न करें इससे इलाज पर बुरा असर पड़ता है।
- सीधी धूप से बचें इससे त्वचा पर परेशानी हो सकती है।
- नियमित रूप से डॉक्टर के पास जाते रहें और अपने सेहत की जांच कराते रहें।
- संतुलित आहार लें और उनमें ताजे फल और सब्जियों को शामिल करें।
- सौ मर्ज की एक दवा पानी हैं। दिन भर खूब पानी पिएं। इससे आपके शरीर के आधे रोग खत्म हो जाएंगे।
- रोजाना छह से आठ घंटे की नींद लें।
- नियमित एक्सरसाइज करने से आपके शरीर का वजन नियंत्रित रहेगा और आप स्वस्थ रहेंगे।
इस आर्टिकल में हमने आपको सारकॉइडोसिस से संबंधित जरूरी बातों को बताने की कोशिश की है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस बीमारी से जुड़े किसी अन्य सवाल का जवाब जानना है, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्सर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे। अपना ध्यान रखिए और स्वस्थ रहिए।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है, अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
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