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इंसानों और जानवरों पर इस्तेमाल होने वाले मेडिकल डिवाइस अब ‘ड्रग्स’ की श्रेणी में

इंसानों और जानवरों पर इस्तेमाल होने वाले मेडिकल डिवाइस अब ‘ड्रग्स’ की श्रेणी में

दवाईयों की तरह इंसानों और जानवरों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले मेडिकल डिवाइस अब ड्रग्स की श्रेणी में आएंगे। ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 की धारा 3 के सब-क्लॉज (iv) और क्लॉज (b) के तहत, केंद्र सरकार और ड्रग्स टेक्निकल एडवायजरी बोर्ड ने एक अधिसूचना जारी की है। ये कानून 1 अप्रैल 2020 से लागू हो जाएगा। इस नियम की सहायता से मेडिकल डिवाइस भी ड्रग्स की तरह कई श्रेणियों में रखे जाएंगे और इनकी क्वालिटी में सुधार किया जा सकेगा। सरकार ने ये नियम सभी मेडिकल डिवाइस में लागू किया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट के तहत सभी मेडिकल डिवाइस को मंगलवार ( 11 फरवरी ) को ड्रग्स की श्रेणी में शामिल करने की अधिसूचना जारी की थी।

मेडिकल डिवाइस का रजिस्ट्रेशन जरूरी

नियम के लागू होने के पहले मेडिकल डिवाइस को ड्रग्स की श्रेणी में नहीं रखा जा रहा था। मेडिकल डिवाइस को ‘ड्रग्स‘ की श्रेणी में रखने के साथ ही चिकित्सा संशोधन नियम 2020 में अन्य बातों को भी रखा गया है। संशोधन नियम में मेडिकल डिवाइस के रजिस्ट्रेशन को भी जरूरी बताया है। यानी अब से सभी मेडिकल डिवाइस का रजिस्ट्रेशन जरूरी हो गया है। बिना रजिस्ट्रेशन के मेडिकल डिवाइस को उपयोग में नहीं लाया जा सकेगा। मेडिकल डिवाइस को ड्रग्स की श्रेणी में लाने का मुख्य उद्देश्य क्वालिटी को मेंटेन करना है। ऑल इंडिया ड्रग्स एक्शन नेटवर्क (AIDAN) के सीओ- कंवेनर मालिनी ऐसोला ने कहा कि ‘ कंज्यूमर ग्रुप के दायरों में शामिल मेडिकल डिवाइस को रेगुलेट करने में सीडीएससीओ की वर्तमान क्षमता के बारे में कुछ कहना अभी जल्दबाजी होगी। ये बात सच है कि अभी व्यापक सुधार की आवश्यकता है।

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ये मेडिकल डिवाइस होंगी शामिल

अधिसूचना में सभी तरह के मेडिकल डिवाइस को शामिल किया गया है। कुछ मेडिकल डिवाइस जैसे कि सीटी स्कैन ( CT scan) , एमआरआई उपकरण ( MRI equipment ), डीफिब्रिलेटर ( defibrillators), डायलिसिस मशीन (dialysis machine), पीईटी उपकरण ( PET equipment), एक्स-रे मशीन (X-ray machine), बोन मैरो सेल सेपरेटर (bone marrow cell separator) आदि को शामिल किया गया है। एक बार नोटिफाई हो जाने के बाद सभी मेडिकल डिवाइस के इम्पोर्ट, एक्सपोर्ट होने से पहले सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (CDSCO) की ओर से सर्टिफाई होना जरूरी हो जाएगा। साथ ही निर्माताओं को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) से लाइसेंस लेना अनिवार्य हो जाएगा। सीनियर ऑफिसर ने जानकारी दी कि इस कानून के आ जाने के बाद मेडिकल डिवाइस क्वालिटी और सेफ्टी यानी उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ जाएगी।

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अभी केवल 23 मेडिकल डिवाइस को लॉ के तहत रेगुलेट किया जाता है। अब नई नोटिफिकेशन के बाद सभी मेडिकल डिवाइस यानी सभी इंस्ट्रुमेंट, एपरेटस, एप्लिएंसेस और इंप्लांट चाहे वो अकेले यूज किए जा रहे हो या फिर डायग्नोज, प्रिवेंशन, मॉनिटरिंग, ट्रीटमेंट या इंवेस्टिगेशन, रिप्लेसमेंट आदि को नए कानून में शामिल किया जाएगा। ड्रग्स और मेडिकल डिवाइस से संबंधित तकनीकी मुद्दों पर भारत की सर्वोच्च सलाहकार संस्था (India’s highest advisory body), ड्रग्स तकनीकी सलाहकार बोर्ड (DTAB) ने अप्रैल 2019 में सिफारिश की थी कि सभी मेडिकल डिवाइस को ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स अधिनियम के तहत दवाओं यानी ड्रग्स के रूप में अधिसूचित ( notified ) किया जाना चाहिए।

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क्या होती हैं मेडिकल डिवाइस ?

मेडिकल डिवाइस को एक उपकरण, इम्प्लीमेंट मशीन कहा जा सकता है। मेडिकल डिवाइस की हेल्प से बीमारी को डायग्नोज किया जाता है। साथ ही बीमारी का उपचार और रोकथाम भी किया जाता है। मेडिकल डिवाइस का यूज इंसान के साथ ही जानवरों में भी किया जाता है। कुछ मेडिकल उपकरण जिनके नाम आपने जरूर सुने होंगे, जानिए क्या होता है उनका काम।

मेडिकल  उपकरण : एमआरआई (MRI)

एमआरआई उपकरण (MRI) को मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग कहते हैं। एमआरआई (MRI) टेस्ट में मैग्नेटिक और रेडियो तरंगों का इस्तेमाल किया जाता है। कम्प्यूटर की हेल्प से शरीर के अंदरूनी हिस्सों की तस्वीर साफ तौर पर देखी जा सकती है। एमआरआई टेस्ट का इस्तेमाल कर डॉक्टर यह देख सकता है कि किसी इलाज का आपके शरीर पर कैसा असर हो रहा है। यह एक्स-रे और सीटी स्कैन तकनीक से अलग है, क्योंकि इसमें रेडिएशन का इस्तेमाल नहीं होता है। साथ ही एमआरआई टेस्ट की सहायता से चोट की जानकारी भी मिल जाती है। ये दिमाग और रीढ़ की हड्डी के साथ ही शरीर के अन्य हिस्सों में भी की जा सकती है।

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मेडिकल  उपकरण : सीटी स्कैन ( Computerized tomography)

सीटी स्कैन की हेल्प शरीर की सेक्शन या स्लाइस की टू-डायमेंशनल इमेज प्राप्त होती है। साथ ही इससे थ्री-डायमेंशनल इमेज भी मिलती है। सीटी स्कैन को एक्स-रे मशीन का दूसरा तरीका कहा जा सकता है। ये वन रेडिएशन बीम भेजने का काम करता है। सीटी-स्कैन की मदद से एक्स-रे अपेक्षा पिक्चर में ज्यादा डिटेल मिलती है। सीटी-स्कैन की मदद से सॉलिड ऑर्गन के टिशू को साफ तौर पर देखा जा सकता है। डिटेल मिल जाने के बाद डाटा को कम्प्युटर में ट्रांसमिट किया जा सकता है। कम्प्युटर में 3-D क्रॉस सेक्शनल पिक्चर तैयार हो जाती है और बॉडी के जिस पार्ट का सीटी-स्कैन किया जाता है, वो भी कम्प्यूटर में दिखने लगता है। कभी-कभी कॉन्ट्रास्ट डाई (contrast dye) का भी यूज किया जाता है, जिससे पिक्चर अधिक क्लीयर दिखाई देती है। सीटी-स्कैन की हेल्प से सॉफ्ट टिशू, ब्लड वैसल, लंग्स, ब्रेन, एब्डॉमन, बोन्स और पेल्विक की इमेज को क्लीयर देखा जा सकता है। सीटी-स्कैन का यूज कैंसर डायग्नोज करने में भी किया जाता है। कुछ कैंसर जैसे कि लंग कैंसर, लिवर कैंसर, पैंक्रिएटिक कैंसर आदि।

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मेडिकल  उपकरण :  एक्स-रे मशीन (X-ray machine)

एक्स-रे मशीन की मदद से कॉमन इमेजिंग टेस्ट किया जाता है। बिना किसी चीर-फाड़ के डॉक्टर शरीर के अंदरूनी हिस्सों की जानकारी मिल जाती है। डिफरेंट परपज के लिए डिफरेंट एक्स-रे का यूज किया जा सकता है। जैसे कि डॉक्टर ब्रेस्ट में अंदरूनी जानकारी के लिए मैमोग्राम (mammogram ) सजेस्ट कर सकता है। साथ ही गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट को करीब से देखने के लिए डॉक्टर बेरियम एनीमा के साथ एक्स-रे सजेस्ट कर सकता है। शरीर के विभिन्न हिस्सो में दर्द की समस्या होने पर डॉक्टर एक्स-रे की सलाह देता है। बोन कैंसर, ब्रेस्ट ट्युमर, डायजेस्टिव प्रॉब्लम, इंफेक्शन आदि के लिए एक्स-रे की सलाह दी जा सकती है। एक्स-रे स्टैंडर्ड प्रोसीजर होता है। ज्यादातर केस में एक्स-रे के पहले किसी भी प्रकार की तैयारी की जरूरत नहीं पड़ती है। रेडियोलॉजिस्ट आपको आरामदायक कपड़े पहनने की सलाह दे सकता है।

हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार मुहैया नहीं कराता।

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

(Accessed on 17/2/2020)

Union Health Ministry notifies medical equipment used on humans or animals as “drugs”

https://economictimes.indiatimes.com/industry/healthcare/biotech/healthcare/union-health-ministry-notifies-medical-equipment-used-on-humans-or-animals-as-drugs

Medical devices to be treated as drugs from the next financial year

https://www.business-standard.com/article/economy-policy/medical-devices-to-be-treated-as-drugs-from-the-next-financial-year

Govt notifies medical equipment as ‘drugs’

https://indianexpress.com/article/india/health-ministry-notifies-medical-equipment-as-drugs

Centre notifies all medical devices used on humans or animals as ‘drugs’

https://www.theweek.in/news/health/2020/02/11/centre-notifies-all-medical-devices-used-on-humans-or-animals-as.html

Medical equipment to be notified as drugs

https://www.hindustantimes.com/india-news/medical-equipment-to-be-notified-as-drugs/story-

How does a CT or CAT scan work?

https://www.medicalnewstoday.com/articles/153201#uses

Current Version

23/04/2021

Bhawana Awasthi द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Nikhil deore


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Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 23/04/2021

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