म्यूजिक थेरेपी (Music therapy) क्या है ?
म्यूजिक (संगीत)…म्यूजिक सुनने या समझने के लिए पूरे मस्तिष्क का उपयोग किया जाता है। यह संस्कृतियों समझने, सीखने की भाषा, स्मृति (याददाश्त) सुधरने, ध्यान केंद्रित करने के लिए, शारीरिक समन्वय और शारीरिक विकास के लिए अत्यंत महत्वपर्ण है। म्यूजिक थेरेपी की मदद से दर्द, ब्लड प्रेशर, स्ट्रोक, दिल से जुड़ी बीमारी, अल्जाइमर, सिरदर्द और माइग्रेन जैसी समस्या का समाधान किया जा सकता है। इस आर्टिकल में जानें कि कैसे म्यूजिक से आप कई बीमारियों को दूर भगा सकते हैं।
संगीत का हम पर प्रभाव
रिसर्च के अनुसार बच्चों को म्यूजिक प्रशिक्षण देने से सिर्फ उनमें म्यूजिक के प्रति सकारात्मक भाव ही नहीं आते हैं बल्कि उनमें किसी भी चीज को जल्दी सिखने में सहायक होती है। इसलिए म्यूजिक को मनोरंजन के साथ-साथ इलाज दोनों ही तरह से देखा जाता है। इस भागती-दौड़ती लाइफस्टाइल में आप म्यूजिक का सहारा लेकर अपने आपको फिट भी रह सकते हैं। म्यूजिक थेरेपी एक्सपर्ट म्यूजिक बैकग्राउंड को समझकर मरीज की परेशानियों को दूर करने के लिए म्यूजिक का इस्तेमाल करते हैं। एक्सपर्ट मरीज की स्थिति भी मॉनिटर करते हैं।
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म्यूजिक थेरेपी कैसे काम करती है ?
ये अभी तक साफ नहीं है। लेकिन, इससे जुड़े एक्सपर्ट अभी-भी इसपर रिसर्च कर रहें हैं। म्यूजिक दिल और दिमाग पर कैसे सकारात्मक प्रभाव डालता है ये भी समझा जा रहा है। लेकिन, कुछ रिसर्च के अनुसार म्यूजिक दिमाग के विभिन्न हिस्से को नकारात्मक से सकारात्मक बदल सकता है।
- कोई भी म्यूजिक (नए गाने, पुराने गाने, म्यूजिक के धुन) जो आपको पसंद हो वो जरूर सुनें।
- म्यूजिक का आनंद लें।
- रोजाना 15 मिनट अपनी पसंदीदा म्यूजिक सुनें।
- समय के अभाव में ड्राइविंग, खाने या जिम (व्यायाम) के समय म्यूजिक सुन सकते हैं।
- गाना सुनने के दौरान खुद भी गाएं।
- अपने घर और अपनी कार में अपनी पसंदीदा म्यूजिक कलेक्शन जरूर रखें।
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म्यूजिक थेरेपी से कौन-कौन सी परेशानी हो सकती है ठीक या काम ?
- ब्लड-प्रेशर: सुबह-शाम आराम से रोजाना म्यूजिक सुनने से हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल किया जा सकता है।
- स्ट्रोक: अन्य इलाज के साथ-साथ म्यूजिक से भी स्ट्रोक का इलाज किया जा सकता है। बंद कमरे में चैंटिंग कर इलाज किया जाता है।
- तनाव या घबराहट: घबराहट या तनाव लंबे वक्त तक होने पर हाई ब्लड प्रेशर समेत दिल से जुड़ी बीमारियां का खतरा बढ़ जाता है। डॉक्टर द्वारा दी गई हिदायत का पालन करें और जैसे गाने आपको पसंद हैं, उसे अवश्य सुनें।
- पार्किंसन और अल्जाइमर: पार्किंसन से पीड़ित व्यक्ति का शरीर हर वक्त कांपता रहता है। ब्रेन से जुड़े एक्सपर्टस का मानना है की म्यूजिक का ब्रेन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अल्जाइमर के पेशेंट पिछली चीजों को भूलते जाते हैं, ऐसे में उनके लिए भी म्यूजिक याददाश्त को ठीक करने में सहायक हो सकती है।
- डिप्रेशन: डिप्रेशन एक ऐसी बीमारी है की इससे पीड़ित व्यक्ति अपनी जान भी दे देता है। लेकिन, कुछ देर तक रोजाना म्यूजिक सुनने से इस बीमारी से भी छुटकारा पाया जा सकता है।
म्यूजिक थेरेपी के प्रकार
म्यूजिक थेरेपी कई तरह की होती हैं। हर प्रकार की म्यूजिक थेरेपी अलग-अलग होती है और इनके बेनिफिट्स भी अलग-अलग होते हैं। हालांकि, यह भी है कि कुछ म्यूजिक थेरेपीज से होने वाले फायदे अभी किसी रिसर्च में साबित नहीं हुए हैं।
गाइडेड मेडिटेशन म्यूजिक थेरेपी
गाइडेड मेडिटेशन म्यूजिक थेरेपी का एक रूप है, जिसमें आप आवाजों से दिए जाने वाले निर्देशों के तहत ध्यान लगाते हैं। इसके तहत आप किसी सेशन, क्लास, वीडियो या ऐप का उपयोग करते हैं। इस तरह की म्यूजिक थेरेपी में ध्यान लगाते समय मंत्र, प्रार्थना या जाप को शामिल किया जाता है।
इस म्यूजिक थेरेपी पर किए गए अध्ययन में पाया गया कि इसके कई स्वास्थ्य लाभ भी हैं:
- तनाव में कमी
- घबराहट और अवसाद में कमी
- याददाश्त में सुधार
- रक्तचाप में कमी
- दर्द में कमी
- कम कोलेस्ट्रॉल
- हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा कम
न्यूरोलॉजिक म्यूजिक थेरेपी
म्यूजिक थेरेपी तनाव को कम कर सकती है और साथ ही रिलेक्स करने में मदद करती है। कई अध्ययनों में साबित हुआ है कि म्यूजिक थेरेपी सर्जरी से पहले तनाव को कम करने के लिए दी जाने वाली दवाओं से भी ज्यादा प्रभावशाली होती है। साल 2017 में जारी की गई एक रिपोर्ट के अनुसार, पारंपरिक तरीकों के साथ-साथ म्यूजिक थेरेपी के इस्तेमाल से दर्द को कम करने में मदद मिल सकती है।
म्यूजिक थेरेपी को पीड़ित के अनुसार चुना जा सकता है। इस तरह की म्यूजिक थेरेपी का फिजीकल रिहेब, पेन मेनेजमेंट और दिमाग की चोटों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
बोनी मेथड म्यूजिक थेरेपी
बोनी मेथड म्यूजिक थेरेपी का नाम हेलन एल. बोनी के नाम पर रखा गया है। उन्होंने इस तरह की म्यूजिक थेरेपी को विकसित करने में महत्वपूर्ण योगदान निभाया था। साल 2017 में प्रकाशित एक रिसर्च में साबित हुआ कि गाइडेड इमेजरी और म्यूजिक सेशन्स साइकोलॉजिकल और फिजियोलॉजिकल हेल्थ के लिए बेहतर साबित होती है।
नॉर्डऑफ-रॉबिंस
इस म्यूजिक थेरेपी को कुशल संगीतकारों द्वारा ही दी जाती है। इन संगीतकारों नॉर्डऑफ-रॉबिंस का दो साल का मास्टर प्रोग्राम पूरा करना होता है। इस प्रोग्राम को करने के बाद ये संगीतकार लोगों को म्यूजिक से परिचित कराते हैं और साथ ही ये नई तरह के संगीत बनाते हैं। इसके अलावा इस म्यूजिक थेरेपी में परफॉर्मेंस का भी इस्तेमाल किया जाता है।
नॉर्डऑफ-रॉबिंस का उपयोग विकास संबंधी देरी, मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों, सीखने की कठिनाइयों, आत्मकेंद्रित स्पेक्ट्रम विकार, मनोभ्रंश, और अन्य स्थितियों के साथ जूझ रहे बच्चों के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
म्यूजिक थेरेपी के हैं ये लाभ भी:
ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है:
एक शोध के अनुसार, सुबह शाम म्यूजिक सुनने से हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित किया जा सकता है।
तनाव या घबराहट:
यदि किसी को लंबे समय से घबराहट हो रही है या कोई लंबे समय से तनाव में है तो अपने पसंदीदा गानों को सुनकर अपना ध्यान भटकाएं। लंबे समय से तनाव और घबराहट होने से दिल से जुड़ी बीमारियों के होने का खतरा होता है। ऐसे में अपने डॉक्टर द्वारा दी गई हिदायत का पालन करें।
दिल को रखे स्वस्थ:
जब हम अपने पसंद का म्यूजिक सुनते हैं तब हमारे दिमाग में एंडॉर्फिन नामक हारमोर्न रिलीज होता है। ये हारमोर्न हृदय रोगों से राहत प्रदान करता है। दिमाग के लिए म्यूजिक सुनना व्यायाम की तरह होता है।
इन सभी बातो को ध्यान रखते हुए यह याद रखना बहुत जरूरी है कि म्यूजिक थेरपिस्ट से आप अपनी परेशानी बताएं, जिससे आपका इलाज सही तरीके से किया जाए। म्यूजिक पॉवरफुल तरीका है, जो आपकी किसी भी परेशानी को कम करने में आपकी मदद कर सकता है।
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