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भारतीय रिसर्चर ने खोज निकाला बच्चों में बोन कैंसर का इलाज

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar


Govind Kumar द्वारा लिखित · अपडेटेड 16/07/2020

    भारतीय रिसर्चर ने खोज निकाला बच्चों में बोन कैंसर का इलाज

    भारतीय रिसर्चर डॉ स्वाति श्रीवास्तव और इजरायल के वेजमेन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस में प्रोफेसर योसेफ यार्डेन और अन्य सहयोगियों ने साथ मिलकर बच्चों में बोन कैंसर को रोकने के लिए एक नया इलाज ढूंढ निकाला है। डॉ स्वाति श्रीवास्तव ने आईआईटी (IIT) रुड़की से अपनी पीएचडी की पढ़ाई पूरी की है और वर्तमान में वेजमेन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस में अपनी पोस्ट-डॉक्टरल रिसर्च कर रही हैं।

    क्या कहती है बोन कैंसर से जुड़ी रिसर्च

    सेल रिपोर्ट्स (Cell reports) द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया कि डॉ श्रीवास्तव ने मोलिक्यूल लेवल पर इविंग सारकोमा (Ewing sarcoma) के संबंध में खोज की है और एक उपचार का प्रस्ताव दिया है। चूहों पर किए गए इस अध्ययन में इसकी सकारात्मक प्रतिक्रिया दिखने के बाद पाया गया कि यह इसे फैलने से रोकता है। आपको बता दें कि इविंग सारकोमा हड्डी के कैंसर का एक रूप है। यह खास तौर पर किशोरों और युवाओं में पाया जाता है। इसमें हड्डी या सॉफ्ट टिशू में ट्यूमर बन जाता है।

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    बच्चों में कैंसर के ट्यूमर को बढ़ने से रोकने में सहायक

    शोध के दौरान ग्लूकोकॉर्टीकॉइड (glucocorticoids) नाम के स्टेरॉयड हॉर्मोन लेने वालों पर विशेष ध्यान दिया गया। इनके परिणामों में खुलासा हुआ कि इनमें इविंग सरकोमा का विकास काफी तेजी से होता है। रिसर्च में शामिल चूहों में ग्लूकोकॉर्टीकॉइड रिसेप्टर्स और प्रोटीन के बीच संबंध से इविंग सारकोमा ओनकोजीन (Ewing sarcoma oncogene) की विकास दर बढ़ गई। आपकों बता दें कि ओनकोजीन कैंसर का कारण बनने वाला जीन होता है। बाद में, शोधकर्ताओं ने इविंग सारकोमा कोशिकाओं को चूहों में प्रत्यारोपित किया और उन्हें ऐसी दवा दी जो ग्लूकोकॉर्टीकॉइड के संश्लेषण को रोक सकती थी। शोधकर्ताओं ने पाया कि दवा के बाद ट्यूमर के बढ़ने की दर पहले की तुलना में कम हो गई।

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    जल्द होगा मानवों पर इस्तेमाल

    शोधकर्ता मानव रोगियों पर जल्द ही इसका परीक्षण करने की योजना बना रहे हैं। यदि परिणाम सकारात्मक आते हैं, तो यह उन युवाओं के लिए नई आशा की किरण साबित हो सकता है, जो बोन कैंसर से प्रभावित हैं। डॉ श्रीवास्तव ने एक बयान में कहा, “शोध के निष्कर्ष ईविंग सरकोमा के उपचार के लिए आधार साबित हो सकते हैं। साथ ही अध्ययन में इस्तेमाल दवाओं के इस्तेमाल को पहले से ही अन्य उपयोगों के लिए अनुमित प्राप्त है, जिस कारण इस शोध के कार्यान्वयन में आसानी होगी।

    बच्चों में बोन कैंसर (Bone Cancer in Children)

    ओस्टियोसार्कोमा, बच्चों में सबसे ज्यादा होने वाला बोन कैंसर है। यह 10 से 20 वर्ष की आयु के बीच के बच्चों और युवा वयस्कों में सबसे अधिक होता है। यह एक बोन कैंसर है जो शरीर के अन्य अंगों या ऊतकों में फैल सकता है, जो आमतौर पर फेफड़ों से शुरू होता है।

    बच्चों में बोन कैंसर (osteosarcoma) के लक्षण

    ओस्टियोसार्कोमा के लक्षण हड्डी के ट्यूमर के आकार और स्थान के साथ-साथ आपके बच्चे की उम्र और सामान्य स्वास्थ्य पर निर्भर करते हैं। आपके बच्चे में निम्नलिखित लक्षण नजर आ सकते हैं:

    • ट्यूमर की जगह पर दर्द, कठोरता या कोमलता (Pain, stiffness or tenderness at the site of the tumor)
    • दर्द जो समय के साथ बरदाश से बाहर हो जाता है (Pain that gets progressively worse over time)
    • दर्द जो बच्चे को साउंड स्लीप से जगाता है (Pain that awakes the child from sound sleep)
    • प्रभावित हड्डी के आसपास सूजन या द्रव्यमान (Swelling or mass around the affected bone)
    • चलने में दिक्कत होना या लंगड़ा कर चलना (including difficulty walking or limping)
    • कमजोर हड्डियां, जो फ्रैक्चर का कारण बन सकती हैं (Weak bones, which may lead to a fracture)
    • थकान (Fatigue)
    • वजन घटना (Weight loss)
    • रक्ताल्पता (Anemia)

    क्या है बोन कैंसर? (What is Bone Cancer)

    कैंसर शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। लेकिन, बोन कैंसर हड्डियों की कोशिकाओं से शुरू होता है। सभी प्रकार के बोन कैंसर में कैंसर वाले स्थान पर हड्डियों में वृद्धि होती है, जिस कारण सूजन आ जाती है। जिस कारण से हड्डियों से काम करना थोड़ा कठिन हो जाता है।

    धीरे-धीरे कैंसर सेल्स पूरे शरीर में फैल जाता है। कैंसर सेल्स हड्डियों से होते हुए फेफड़े और आसपास के अंगों में भी फैल जाते हैं। जब कैंसर सेल्स आगे और ज्यादा फैलने लगती हैं, तो ऐसी स्थिति को मेटास्टैसिस कहा जाता है। लेकिन आपको जान कर हैरानी होगी कि बोन कैंसर हड्डियों से होते हुए जब फेफड़ों में फैलता है तो इसे लंग कैंसर नहीं कहते हैं। हड्डियों के कैंसर के कारण फेफड़े में फैले कैंसर को भी बोन कैंसर ही कहते हैं।

    बोन कैंसर (Bone Cancer)  होने का कारण क्या है?

    बोन कैंसर के होने की वजह अभी तक स्पष्ट नहीं है। लेकिन फिर भी कुछ रिसर्च के आधार पर वैज्ञानिक बोन कैंसर के कारणों को लेकर कुछ निष्कर्षों पर पहुंचे हैं।

    • कैंसर होने का कारण आनुवांशिकता हो सकती है। अगर आपके परिवार में किसी को पहले से कैंसर है या कभी भी किसी को कैंसर हुआ था तो भी आपको कैंसर होने का जोखिम होता है।
    • अगर पहले कभी आपको कैंसर हुआ है और आपने रेडिएशन थेरिपीकीमोथेरिपी या स्टेम सेल ट्रांसप्लांटेशन किया है तो भी आपको बोन कैंसर हो सकता है। इसका कारण यह है कि रेडिएशन या कीमोथेरिपी में एक ही स्थान पर लगातार रेडिएशन को डाला जाता है, जिससे बोन की कोशिकाओं में कैंसर सेल्स पनप सकती हैं। इस कारण से बोन कैंसर हो सकता है।
    • बोन कैंसर 40 साल के ऊपर के लोगों में हो सकता है। खासकर उन लोगों में जिन्हें हड्डियों से संबंधित कोई बीमारी होती है। वहीं, ऑस्टियोसार्कोमा से ग्रसित व्यक्ति को कैंसर होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है।

    इन वजहों से बढ़ जाता है बोन कैंसर का खतरा

    • परिवार में किसी को कैंसर हुआ हो।
    • जेनेटिक (अनुवांशिक) कारण भी हो सकता है।
    • पर्यावरण में हो रहे बदलाव की वजह से।

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    कैसे करें बचाव

    विशेषज्ञों की मानें तो आजकल बच्चों की लाइफस्टाइल में भी बड़ों की तरह बदलाव देखा गया है। कम उम्र में ही कुछ बच्चे सिगरेट, तम्बाकु और शराब जैसी खतरनाक चीजों का सेवन करने लगे हैं। ये भी कैंसर होने का कारण माना जा सकता है। वैसे शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होगी तब भी कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। लेकिन ऐसा नहीं है कि इसका इलाज नहीं है। कैंसर का इलाज प्रायः सर्जरी और कीमोथेरेपी से किया जाता है तो ऐसे में कैंसर पीड़ित बच्चे का आहार भी पौष्टिक और खनिज तत्वों से भरपूर होना चाहिए। आहार के साथ-साथ हाइजीन का भी ख्याल रखना चाहिए। जैसे खाना बनाने और खिलाने के पहले हाथों की सफाई ठीक से होनी चाहिए। फ्रोजेन खाद्य पदार्थों को डाइट में शामिल नहीं करें एवं संतुलित आहार लें।

    हम उम्मीद करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। यदि आप इससे जुड़ी अन्य कोई जानकारी पाना चाहते हैं तो बेहतर होगा आप अपने डॉक्टर से कंसल्ट करें।

    डिस्क्लेमर

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