अधिसूचना में सभी तरह के मेडिकल डिवाइस को शामिल किया गया है। कुछ मेडिकल डिवाइस जैसे कि सीटी स्कैन ( CT scan) , एमआरआई उपकरण ( MRI equipment ), डीफिब्रिलेटर ( defibrillators), डायलिसिस मशीन (dialysis machine), पीईटी उपकरण ( PET equipment), एक्स-रे मशीन (X-ray machine), बोन मैरो सेल सेपरेटर (bone marrow cell separator) आदि को शामिल किया गया है। एक बार नोटिफाई हो जाने के बाद सभी मेडिकल डिवाइस के इम्पोर्ट, एक्सपोर्ट होने से पहले सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (CDSCO) की ओर से सर्टिफाई होना जरूरी हो जाएगा। साथ ही निर्माताओं को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) से लाइसेंस लेना अनिवार्य हो जाएगा। सीनियर ऑफिसर ने जानकारी दी कि इस कानून के आ जाने के बाद मेडिकल डिवाइस क्वालिटी और सेफ्टी यानी उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ जाएगी।
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अभी केवल 23 मेडिकल डिवाइस को लॉ के तहत रेगुलेट किया जाता है। अब नई नोटिफिकेशन के बाद सभी मेडिकल डिवाइस यानी सभी इंस्ट्रुमेंट, एपरेटस, एप्लिएंसेस और इंप्लांट चाहे वो अकेले यूज किए जा रहे हो या फिर डायग्नोज, प्रिवेंशन, मॉनिटरिंग, ट्रीटमेंट या इंवेस्टिगेशन, रिप्लेसमेंट आदि को नए कानून में शामिल किया जाएगा। ड्रग्स और मेडिकल डिवाइस से संबंधित तकनीकी मुद्दों पर भारत की सर्वोच्च सलाहकार संस्था (India’s highest advisory body), ड्रग्स तकनीकी सलाहकार बोर्ड (DTAB) ने अप्रैल 2019 में सिफारिश की थी कि सभी मेडिकल डिवाइस को ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स अधिनियम के तहत दवाओं यानी ड्रग्स के रूप में अधिसूचित ( notified ) किया जाना चाहिए।
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क्या होती हैं मेडिकल डिवाइस ?
मेडिकल डिवाइस को एक उपकरण, इम्प्लीमेंट मशीन कहा जा सकता है। मेडिकल डिवाइस की हेल्प से बीमारी को डायग्नोज किया जाता है। साथ ही बीमारी का उपचार और रोकथाम भी किया जाता है। मेडिकल डिवाइस का यूज इंसान के साथ ही जानवरों में भी किया जाता है। कुछ मेडिकल उपकरण जिनके नाम आपने जरूर सुने होंगे, जानिए क्या होता है उनका काम।