हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में कई तरह के हादसे होते हैं। जिनमें से एक सबसे सामान्य घटना है ‘त्वचा का जलना’। अक्सर हम खाना बनाते समय या कोई अन्य काम करते समय जल जाते हैं और दर्द व जलन का सामना करना पड़ता है। हम किसी भी तरह जले, लेकिन त्वचा के जलने को हमेशा एक जैसा ही समझते हैं। जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है। त्वचा के जलने के प्रकार (Types of burns) होते हैं और जलने के प्रकार (Types of burns) के आधार पर इनका इलाज भी अलग होता है। इस आर्टिकल में हम जलने के प्रकार, उनके कारण और उनके इलाज के बारे में जानेंगे।
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बर्न यानी कि जलना क्या है?
जलना एक दुर्घटना है, जिसमें हमारी त्वचा या शरीर के टिश्यू हीट, केमिकल आदि के कारण डैमेज हो जाती है। किसी चीज से जलने पर स्किन को क्षति बहुत जल्दी पहुंचती है। ऐसे में दिमाग हमें इसके दर्द का अहसास ज्यादा कराता है। ऐसा इसलिए होता है ताकि इससे नीचे मौजूद त्वचा, सेल्स और मसल्स को नुकसान न पहुंचे। अक्सर हम घरों या कारखानों में काम करते हुए जल जाते हैं। जलने के कारण मौत भी हो सकती है क्योंकि हमारी त्वचा जब अंदर तक डैमेज हो जाती है और इसके कारण हमारे आंतरिक अंग प्रभावित होते हैं। ज्यादातर लोग जलने के बाद ठीक हो जाते हैं और उन्हें कुछ खास स्वास्थ्य संबंधी समस्या नहीं होती है।
जलने के कारण क्या होते हैं?
अमूमन लोग आग से जलने को ही जलना समझते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। हम ऐसी कई चीजों से जल सकते हैं, जिन पर हम कभी ध्यान भी नहीं देते हैं।
- फ्रिक्शन बर्न: फ्रिक्शन को हिंदी में घर्षण कहते हैं, जब कभी हमारी त्वचा किसी कठोर सतह पर घिसती है तो त्वचा की कुछ सतह हट जाती है। जिसके कारण जलन होने लगता है। ये जलन अक्सर रोड एक्सिडेंट के समय होता है।
- कोल्ड बर्न : नाम से ही साफ पता चल रहा है कि ठंड से जलना, लेकिन आप सोचेंगे कि ठंडे से कोई कैसे जल सकता है। जी हां! हमारी त्वचा कोल्ड से जल सकती है। जब हमारी त्वचा किसी ठंडी चीज के संपर्क में सीधे और लंबे समय के लिए आती है तो स्किन डैमेज हो जाती है। जिससे जलन महसूस होती है। इसी को कोल्ड बर्न कहते हैं।
- थर्मल बर्न : किसी गर्म चीज को छूने से या हमारी त्वचा उसके संपर्क में आने से जल जाती है, तो उसे ही आप जलना समझते हैं। जैसे- खाना बनाते समय बर्तनों से जल जाना, गर्म खाना खाने के दौरान जल जाना, भांप से जल जाना आदि।
- रेडिएशन बर्न : सनबर्न एक प्रकार का रेडिएशन बर्न है। इसके अलावा लंबे समय तक एक्स-रे या रोडिएशन थेरिपी के अंदर रहने पर भी रेडिएशन बर्न हो जाता है।
- केमिकल बर्न : त्वचा एसिड के संपर्क में आते ही जल जाती है। एसिड बर्न को केमिकल बर्न या कॉस्टिक बर्न भी कहते हैं। एसिड आंतरिक अंगों को भी जला देता है।
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जलने के प्रकार (Types of burns) क्या हैं?
जलने के प्रकार (Types of burns) तीन हैं, जो निम्न हैं :
- फर्स्ट डिग्री बर्न
- सेकेंड डिग्री बर्न
- थर्ड डिग्री बर्न
आप जलने के प्रकार (Types of burns) के नाम के आधार पर इतना जरूर समझ गए होंगे कि फर्स्ट डिग्री हल्का और थर्ड डिग्री बर्न ज्यादा जले हुए को कहते हैं। आइए जानते हैं तीनों के बारे में।
फर्स्ट डिग्री बर्न (First degree burn) क्या है?
फर्स्ट डिग्री बर्न जैसे जलने के प्रकार (Types of burns) में त्वचा जलने के कारण कम क्षति होती है। इसे ‘सतही जलन’ भी कहा जाता है, क्योंकि इस जलने के प्रकार में त्वचा की सबसे ऊपरी सतह ही जलती है।
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फर्स्ट डिग्री बर्न के लक्षण क्या है?
- त्वचा पर लालपन
- मामूली सूजन
- दर्द होना
- सूखी या घर्षण के कारण छीली हुई त्वचा में जलन होना
जैसा कि जलने के प्रकार (Types of burns) के नाम के आधार पर ही साफ है कि फर्स्ट डिग्री में त्वचा की सिर्फ ऊपरी परत ही प्रभावित होती है। सिर्फ ऊपरी त्वचा की कोशिकाएं जलती हैं और वे खुद बखुद ठीक भी होने लगती हैं। इशके साथ ही जलने का निशान भी धीरे-धीरे गायब हो जाता है। फर्स्ट डिग्री बर्न आमतौर पर 7 से 10 दिनों में ठीक हो जाता है।
फर्स्ट डिग्री बर्न में डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
इस जलने के प्रकार (Types of burns) में भी आपको को डॉक्टर को दिखाने की जरूरत पड़ सकती है, अगर जलन त्वचा के एक बड़े हिस्से में होती है। दूसरे शब्दों में समझा जा सकता है कि तीन इंच से अधिक परिधि में अगर त्वचा जली है तो आपको डॉक्टर से जरूर मिलना चाहिए। अगर निम्न अंग जले तो भी डॉक्टर से मिलें
- चेहरा
- घुटना
- टखना
- पैर
- रीढ़ की हड्डी
- कंधा
- कोहनी
- कलाई
फर्स्ट डिग्री बर्न का इलाज क्या है?
फर्स्ट डिग्री बर्न का इलाज आमतौर पर घरेलू तरीके से किया जा सकता है। इस जलने के प्रकार (Types of burns) का इलाज ऐसे करें:
- जले हुए भाग को ठंडे पानी में तब तक डाले रहें, जब तक कि आपको अंदर से ठंडक न महसूस होने लगे।
- दर्द से राहत के लिए एसिटामिनोफेन या आईूब्यूप्रोफेन ले सकते हैं।
- जले हुए स्थान पर एलोवेरा जेल या क्रीम के साथ लिडोकाइन (सुन्न करने की दवा) लगा सकते हैं।
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क्या न करें
जलने पर त्वचा पर सीधे बर्फ का उपयोग नहीं करना चाहिए। इससे मामला और भी बदतर हो सकता है। कभी भी रूई से जले स्थान पर न पोछें। क्योंकि छोटे टिश्यू चोट से चिपक सकते हैं और इंफेक्शन का खतरा बढ़ा जाता हैं। इसके अलावा, मक्खन, अंडे आदि लगाने जैसे घरेलू इलाज से बचें क्योंकि ये मददगार नहीं साबित होते हैं।
सेकेंड डिग्री बर्न (Secind degree burn) क्या है?
जलने के प्रकार (Types of burns) में सेकेंड डिग्री बर्न में जलना अधिक गंभीर स्थिति होती है। क्योंकि त्वचा की पहली के अलावा दूसरी पर्त भी जल जाती है। इस जलने के प्रकार से त्वचा पर छाले पड़ जाते हैं और जले हिए स्थान पर लालपन हो जाता है।
सेकेंड डिग्री बर्न के लक्षण क्या है?
सेकेंड डिग्री बर्न में त्वचा पर फफोले (पानी से भरे हुए छाले) पड़ जाते हैं। जलने के बाद जैसे-जैसे समय बीतता है, वैसे-वैसे जले हुए घाव के ऊपर फाइब्रिनस एक्स्यूडेट नामक मोटे, मुलायम, पपड़ी जैसे टिश्यू विकसित हो जाते है। जला हुआ स्थान बहुत सेंसटिव हो जाता है। जिससे उसका खाना ध्यान रखना पड़ता है। जलने से तुरंत बाद तो नहीं, लेकिन कुछ वक्त बीतने के बाद जले हुए स्थान पर पट्टी की जाती है। ताकि वहां पर किसी भी प्रकार का कोई इंफेक्शन न हो। इससे चोट को जल्दी से ठीक होने में मदद मिलती है।
सेकेंड-डिग्री बर्न को ठीक होने में लगभग तीन हफ्ते से अधिक समय लगता है, लेकिन सेकेंड डिग्री बर्न के कारण त्वचा का रंग बदल जाता है और यह हल्का सा निशान छोड़ जाता है, लेकिन सभी मामलों में नहीं होता है। कुछ मामलों में निशान गायब भी हो जाते हैं।
सेकेंड डिग्री बर्न में डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
सेकेंड डिग्री बर्न में आपको सीधे डॉक्टर के पास जाना चाहिए। अगर आप लापरवाही करते हैं तो त्वचा पर जले हुए स्थान पर इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। क्योंकि जितना ज्यादा आप जले होते हैं फफोले उतने ही बुरे पड़ते हैं। निम्न स्थानों पर जलने पर डॉक्टर के पास तुरंत जाएं :
- चेहरा
- हाथ
- हिप्स
- पैर का पंजा
सेकेंड डिग्री बर्न का इलाज क्या है?
सेकेंड डिग्री बर्न के कुछ गंभीर मामलों में स्किन ग्राफ्टिंग की भी जरूरत पड़ सकती है। स्किन ग्राफ्टिंग में शरीर के भाग से त्वचा लेकर जली हुई त्वचा पर लगा कर उसे ठीक किया जाता है।
सेकेंड डिग्री के जलने पर आप निम्न प्राथमिक इलाज कर सकते हैं :
- जले हुए हिस्से को ठंडे पानी में तब तक डालें जब तक कि वह अंदर से ठंडा न हो जाए।
- ओवर-द-काउंटर दर्द दवा ले सकते हैं, लेकिन डॉक्टर के परामर्श पर लें तो ज्यादा बेहतर होगा।
- फफोले पर एंटीबायोटिक क्रीम लगाएं।
थर्ड डिग्री बर्न (Third degree burn) क्या है?
थर्ड डिग्री बर्न जलने के प्रकार (Types of burns) में सबसे सीरियस बर्न है। इसमें त्वचा की हर परत जल जाती है और आंतरिक अंगों को भी सबसे अधिक नुकसान पहुंचाते हैं। एक मिथ है कि थर्ड-डिग्री बर्न सबसे ज्यादा दर्दनाक होता है। हालांकि, फैक्ट ये है कि जलने के इस प्रकार की जलन से स्किन डैमेज इतनी ज्यादा हो जाती है कि नर्व भी डैमेज हो जाती है, जिससे जलन का पता नहीं चलता है।
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थर्ड डिग्री बर्न के लक्षण क्या है?
थर्ड डिग्री बर्न के कारण के आधार पर निम्न लक्षण हैं :
- त्वचा का मोम जैसा दिखना और सफेद रंग दिखना
- त्वचा का काला पड़ जाना
- त्वचा का गहरा भूरा रंग होना
- उभरा हुआ और लेदर जैसा दिखाई देना
- अविकसित फफोले पड़ना
थर्ड डिग्री बर्न में डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
थर्ड डिग्री बर्न में आपको सीधे डॉक्टर के पास जाना चाहिए। अगर आप लापरवाही करते हैं तो त्वचा के साथ अंदरूनी अंगों के डैमेज होने का खतरा बढ़ जाता है।
थर्ड डिग्री बर्न का इलाज क्या है?
थर्ड डिग्री बर्न में घाव गंभीर निशान और त्वचा पर सिकुड़न के साथ ठीक होते हैं। जरूरत पड़ने पर सर्जरी भी की जाती है। थर्ड डिग्री बर्न में घाव कब तक ठीक होगा, ये उसके स्थिति पर निर्भर करता है। कभी भी थर्ड डिग्री बर्न पर घरेलू इलाज अप्लाई करने की कोशिश न करें। तुरंत हॉस्पिटल में कॉल करें। जब आप चिकित्सा उपचार की प्रतीक्षा कर रहे हों, तो कपड़ों को उतारने की कोशिश कतई न करें। इसके अलावा कोई भी कपड़ा शरीर पर न डालें।
इसके अलावा फोर्थ डिग्री बर्न भी जलने के प्रकार (Types of burns) में शामिल है, लेकिन ये काफी रेयर स्थिति है। फोर्थ डिग्री ऊपर दिए गए सभी जलने के प्रकार में से सबसे खतरनाक और जानलेवा है। फोर्थ डिग्री जलने पर जान भी जा सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस मामले में त्वचा पूरी तरह जल जाती है और अंदरूनी अंगों, नसों, हड्डियों तक को भी नुकसान पहुंचता है।
जलने पर फर्स्ट एड क्या करें?
- हल्का -फुल्का जलने पर सबसे पहले उस जगह पर पानी डालें। इसके लिए आप नल के सादे पानी का इस्तेमाल करें। लगभग 20 मिनट तक पानी के संपर्क में रखने के बाद साबुन से धो लें।
- जलने पर उस स्थान पर ठंडा, गीला, साफ, मुलायम कपड़ा रखने से आराम मिलता है। कम्प्रेसेज बहुत ठंडा इस्तेमाल न करें वरना इससे जलन बढ़ भी सकती है। 5 से 10 मिनट के गैप पर कम्प्रेसर लगाएं इससे काफी राहत मिलती है।
- एंटीबायोटिक क्रीम और मलहम जलने के दर्द और इंफेक्शन को कम करती है। जलने पर एंटी बैक्टीरियल क्रीम का उपयोग करें और उसे कपड़े से ढंकें।
- शहद में एंटी बैक्टीरियल, एंटी- इंफ्लमेटरी और एंटी फंगल गुण होते हैं। जलने पर शहद की एक पतली परत लगा लें इससे काफी आराम मिलेगा।
- एलोवेरा फर्स्ट और सेकेंड डिग्री बर्न दोनों को ठीक करने में उपयोगी है। जलने पर प्रभावित स्किन में बैक्टीरिया भी पनप सकते हैं, ये बैक्टीरिया को बढ़ने से भी रोकता है। उपचार के लिए एलोवेरा की पत्ती को काटकर उसका जेल निकल लें और उसे जलने के स्थान पर लगाएं।
- जलने पर स्किन बहुत सेंसिटिव हो जाती है। ऐसे में तेज धूप में बहुत देर तक नहीं रहना चाहिए। इससे जलन और तकलीफ बढ़ सकती है इसलिए जले स्थान को ढंक कर रखें।
- अगर जलने पर आपको छाले या फफोले आ गए हैं तो उन्हें फोड़ें नहीं इससे इंफेक्शन बढ़ सकता है।
जलने पर क्या खाएं?
- ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ लें और डिहाइड्रेशन से बचें।
- विटामिन-सी युक्त खाद्य-पेय पदार्थ लें, जिससे स्किन जल्दी ठीक हो सके।
- स्किन टिशू को जल्द ठीक करने के लिए विटामिन-ई लें।
- रिकवरी के लिए हाई प्रोटीन और हाई कैलोरी डायट लें।
जलने पर क्या ना खाएं?
शरीर में गर्मी बढ़ाने वाली चीजें जैसे- लहसुन, काली मिर्च, लौंग आदि खाने से बचें। इसके अलावा जली हुई स्किन पर किसी भी तरह का घी, बटर या तेल न लगाएं।
जलने के प्रकार (Types of burns) तो आप समझ ही गए होंगे। अगर आपके यहां किसी दूसरे के साथ ऐसी कोई दुर्घटना हो जाती है तो ऊपर बताए गए उपायों का सहारा लिया जा सकता है।
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