हार्ट हेल्थ से जुड़ी हुई कई अलग-अलग तरह की बीमारियां होती हैं और बीमारियों के बारे में समझने के लिए डॉक्टर पेशेंट से बात करते हैं और अलग-अलग टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं। इसलिए आज हार्ट हेल्थ से जुड़ी समस्या लो इजेक्शन फ्रैक्शन (Low Ejection Fraction) के बारे में समझें। इसलिए आर्टिकल में सबसे पहले इजेक्शन फ्रैक्शन के बारे में समझेंगे और फिर लो इजेक्शन फ्रैक्शन (Low Ejection Fraction) के बारे में।
इजेक्शन फ्रैक्शन क्या है?
लो इजेक्शन फ्रैक्शन क्या है?
लो इजेक्शन फ्रैक्शन के लक्षण क्या हो सकते हैं?
लो इजेक्शन फ्रैक्शन के कारण क्या हो सकते हैं?
लो इजेक्शन फ्रैक्शन का निदान कैसे किया जाता है?
लो इजेक्शन फ्रैक्शन से बचाव के लिए क्या करें?
चलिए अब जानते हैं लो इजेक्शन फ्रैक्शन (Low Ejection Fraction) से जुड़े सवालों का जवाब।
इजेक्शन फ्रैक्शन (EF) एक मेजरमेंट है, जिसे प्रतिशत के रूप में दिखाया जाता है। इजेक्शन फ्रैक्शन से यह पता चलता है कि प्रत्येक कॉन्ट्रैक्शन के साथ लेफ्ट वेंट्रिकल कितना ब्लड पंप करता है। इजेक्शन फ्रैक्शन 60 प्रतिशत का मतलब है कि लेफ्ट वेंट्रिकल में ब्लड की कुल मात्रा का 60 प्रतिशत हर एक हार्टबीट के साथ बाहर पुश कर दिया जाता है। हालांकि अगर लो इजेक्शन फ्रैक्शन (Low Ejection Fraction) की समस्या शुरू हो जाए तो इससे बचाव जरूरी है।
इजेक्शन फ्रैक्शन 60 प्रतिशत का मतलब है कि लेफ्ट वेंट्रिकल में ब्लड की कुल मात्रा का 60 प्रतिशत हर एक हार्टबीट के साथ बाहर पुश करता है और जब इससे कम होने लगता है, तो ऐसी स्थिति लो इजेक्शन फ्रैक्शन (Low Ejection Fraction) कहलाती है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (American Heart Association) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार लो इजेक्शन फ्रैक्शन (Low Ejection Fraction) की समस्या से बचा जा सकता है या लो इजेक्शन फ्रैक्शन से बचाव (Low Ejection Fraction) संभव है, लेकिन ऐसी स्थिति से निपटने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। इसलिए लो इजेक्शन फ्रैक्शन के लक्षण को समझें।
लो इजेक्शन फ्रैक्शन के लक्षण क्या हो सकते हैं? (Symptoms of Low Ejection Fraction)
अगर पेशेंट पहले से किसी हार्ट कंडिशन (Heart Condition) की समस्या से पीड़ित हैं और इसके साथ-साथ निम्नलिखित परेशानी महसूस करते हैं, तो ऐसी स्थिति लो इजेक्शन फ्रैक्शन के लक्षण की ओर इशारा कर सकती है, जैसे-
एक्सरसाइज इन्टॉलरेंस (Exercise Intolerance) यानी फिजिकल या एक्सरसाइज करने की क्षमता कम होना।
अत्यधिक थकान (Tiredness) और कमजोरी (Weakness) महसूस होना।
लो इजेक्शन फ्रैक्शन के कारण क्या हो सकते हैं? (Cause of Low Ejection Fraction)
लो इजेक्शन फ्रैक्शन की समस्या के एक नहीं, बल्कि कई कारण हो सकते हैं, जो इस प्रकार हैं-
हार्ट अटैक (Heart attack) की समस्या होना।
कोरोनरी आर्टरी डिजीज (Coronary artery disease) की समस्या होना।
डायबिटीज (Diabetes) की समस्या होना।
कंट्रोल ना हो पाने वाले हाय ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure) की समस्या होना।
एल्कोहॉल (Alcohol) का सेवन करना।
दवाओं (Drug) का सेवन ठीक तरह से नहीं करना।
अनहेल्दी डायट प्लान (Unhealthy diet) फॉलो करना।
एक्सरसाइज (Lack of exercise) नहीं करना।
मोटापे (Obesity) का शिकार होना।
स्मोकिंग (Smoking) करना।
ये कई ऐसी शरीरिक बीमारियां (Health Condition), अनहेल्दी लाइफस्टाइल (Unhealthy Lifestyle) और स्मोकिंग (Smoking) या एल्कोहॉल (Alcohol) के सेवन की आदतें लो इजेक्शन फ्रैक्शन के कारण (Low Ejection Fraction cause) हो सकते हैं।
लो इजेक्शन फ्रैक्शन का निदान कैसे किया जाता है? (Diagnosis of Low Ejection Fraction cause)
लो इजेक्शन फ्रैक्शन के निदान के लिए डॉक्टर सबसे पहले पेशेंट्स से लक्षण एवं तकलीफों को जानने की कोशिश करते हैं और फिर निम्नलिखित टेस्ट की सलाह देते हैं। जैसे:
लो इजेक्शन फ्रैक्शन से बचाव के लिए क्या करें? (Tips to prevent Low Ejection Fraction)
लो इजेक्शन फ्रैक्शन से बचाव के लिए निम्नलिखित टिप्स फॉलो किये जा सकते हैं। जैसे:
1. वर्कआउट एवं फिजिकल एक्टिविटी (Workout and Physical activity)
लो इजेक्शन फ्रैक्शन से बचाव के लिए नियमित 20 से 30 मिनट कार्डियो एक्सरसाइज जरूर करना चाहिए। हालांकि कार्डियो एक्सरसाइज या अन्य एक्सरसाइज के लिए डॉक्टर के बताये अनुसार ही वर्कआउट रूटीन फॉलो करना चाहिए। इसके साथ ही फिजिकल एक्टिविटी (Physical activity) में भी खुद को जरूर इन्वॉल्व करना चाहिए।
2. वेट मैनेजमेंट (Weight management)
कार्डियोवैस्कुलर हेल्थ को हेल्दी रखने के लिए वेट मैनेजमेंट weight management करना बेहद जरूरी है। इसलिए हेल्दी वेट मेंटेन करें।
3. सोडियम लिमिट्स (Sodium limits)
डेली रूटीन में सोडियम का लेवल मेंटेन करना बेहद जरूरी है, क्योंकि सोडियम का ज्यादा सेवन ब्लड प्रेशर (Blood Pressure) समेत कई परेशानियों को दावत देने में सक्षम माना गया है।
4. नो स्मोकिंग (No Smoking)
लो इजेक्शन फ्रैक्शन ही नहीं, बल्कि कई अन्य गंभीर रोगों में स्मोकिंग (Smoking) की अहम भागीदारी है। इसलिए स्मोकिंग ना करें और स्मोकिंग जोन से भी खुद को दूर रखें।
5. तनाव से बचें (Reducing stress)
तनाव की वजह से हार्ट रेट (Heart rate) बढ़ने के साथ-साथ ब्लड प्रेशर (Blood pressure) भी बढ़ने लगता है। इसलिए तनाव से बचें। तनाव से बचने के लिए नियमित योगासन (Yoga), डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज (Deep breathing exercise) या मेडिटेशन (Meditation) करने से लाभ मिल सकता है।
इन पांच बातों को ध्यान में रखकर हार्ट (Heart) या लो इजेक्शन फ्रैक्शन के कारण (Low Ejection Fraction cause) से बचने में मदद मिल सकती है।
अगर आप लो इजेक्शन फ्रैक्शन (Low Ejection Fraction) से जुड़े सवालों का जवाब तलाश कर रहें थें, तो उम्मीद करते हैं कि लो इजेक्शन फ्रैक्शन (Low Ejection Fraction) से जुड़ी यहां शेयर की गई जानकारी लाभकारी हो सकते हैं। वैसे अगर आप या आपके कोई भी करीबी लो इजेक्शन फ्रैक्शन (Low Ejection Fraction) या कार्डियोवैस्कुलर डिजीज (Cardiovascular Disease) से पीड़ित हैं, तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर से कंसल्टेशन अत्यधिक जरूरी है। क्योंकि ये बीमारियां गंभीर बीमारियों की लिस्ट में शामिल है। अगर इनका समय पर इलाज ना करवाया जाए तो पेशेंट की स्थिति गंभीर हो सकती है। डॉक्टर के संपर्क में रहने से पेशेंट की हेल्थ कंडिशन (Health Condition) और बीमारी (Disease) की गंभीरता को ध्यान में रखकर इलाज किया जाता है।
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Study to Evaluate the Effect of Dapagliflozin on the Incidence of Worsening Heart Failure or Cardiovascular Death in Patients With Chronic Heart Failure (DAPA-HF)/https://clinicaltrials.gov/ct2/show/NCT03036124/Accessed on 13/06/2022