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लो इजेक्शन फ्रैक्शन (Low Ejection Fraction) क्या है? जानिए हार्ट से जुड़ी इस समस्या के बारे में

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 11/09/2023

    लो इजेक्शन फ्रैक्शन (Low Ejection Fraction) क्या है? जानिए हार्ट से जुड़ी इस समस्या के बारे में

    हार्ट हेल्थ से जुड़ी हुई कई अलग-अलग तरह की बीमारियां होती हैं और बीमारियों के बारे में समझने के लिए डॉक्टर पेशेंट से बात करते हैं और अलग-अलग टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं। इसलिए आज हार्ट हेल्थ से जुड़ी समस्या लो इजेक्शन फ्रैक्शन (Low Ejection Fraction) के बारे में समझें। इसलिए आर्टिकल में सबसे पहले इजेक्शन फ्रैक्शन के बारे में समझेंगे और फिर लो इजेक्शन फ्रैक्शन (Low Ejection Fraction) के बारे में। 

    लो इजेक्शन फ्रैक्शन (Low Ejection Fraction) क्या है?

    इजेक्शन फ्रैक्शन (EF) एक मेजरमेंट है, जिसे प्रतिशत के रूप में दिखाया जाता है। इजेक्शन फ्रैक्शन से यह पता चलता है कि प्रत्येक कॉन्ट्रैक्शन के साथ हार्ट का लेफ्ट वेंट्रिकल कितना ब्लड पंप करता है। इजेक्शन फ्रैक्शन 60 प्रतिशत का मतलब है कि लेफ्ट वेंट्रिकल में ब्लड की कुल मात्रा का 60 प्रतिशत हर एक हार्टबीट के साथ बाहर पुश कर दिया जाता है। हालांकि अगर इससे कम मात्रा में ब्लड पंप हो रहा है तो यह लो इजेक्शन फ्रैक्शन (Low Ejection Fraction) है और इससे बचाव जरूरी है। 

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    लो इजेक्शन फ्रैक्शन (Low Ejection Fraction) का कैसे पता चलता है? 

    लो इजेक्शन फ्रैक्शन (Low Ejection Fraction)

    जब हार्ट का लेफ्ट वेंट्रिकल ब्लड की कुल मात्रा का 60 प्रतिशत हर एक हार्टबीट के साथ बाहर पुश करता है और जब ब्लक फ्लो इससे कम होने लगता है, तो ऐसी स्थिति को लो इजेक्शन फ्रैक्शन (Low Ejection Fraction) कहते हैं। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (American Heart Association) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार लो इजेक्शन फ्रैक्शन (Low Ejection Fraction) की समस्या से बचा जा सकता है या लो इजेक्शन फ्रैक्शन से बचाव (Low Ejection Fraction) संभव है, लेकिन ऐसी स्थिति से निपटने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। इसलिए लो इजेक्शन फ्रैक्शन के लक्षण को समझें।

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    लो इजेक्शन फ्रैक्शन के क्या लक्षण हैं? (Symptoms of Low Ejection Fraction)

    अगर पेशेंट पहले से किसी हार्ट कंडिशन (Heart Condition) से पीड़ित हैं और इसके साथ-साथ निम्नलिखित परेशानी महसूस करते हैं, तो ऐसी स्थिति लो इजेक्शन फ्रैक्शन के लक्षण की ओर इशारा कर सकती है, जैसे- 

  • एक्सरसाइज इन्टॉलरेंस (Exercise Intolerance) यानी फिजिकल या एक्सरसाइज करने की क्षमता कम होना।
  • अत्यधिक थकान (Tiredness) और कमजोरी (Weakness) महसूस होना।
  • ब्लोटेड (Bloated) की समस्या महसूस होना ।
  • हार्ट पाल्पिटेशन (Heart Palpitation) की समस्या होना।
  • भूख (Low appetite) नहीं लगना।
  • मेंटल कंफ्यूजन (Mental confusion) में रहना।
  • मतली (Nausea) की समस्या होना।
  • रैपिड, फोर्सफुल या इर्रेगुलर हार्टबीट (Irregular Heartbeat) की समस्या होना।
  • सांस लेने में कठिनाई (Breathing problem) महसूस होना।
  • पैरों के निचले हिस्से और तलवों में सूजन (Swelling) की समस्या होना।
  • ऐसे लक्षण लो इजेक्शन फ्रैक्शन के लक्षण को दर्शाता हैं। इन लक्षणों को कभी इग्नोर नहीं करना चाहिए। 

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    लो इजेक्शन फ्रैक्शन के कारण क्या हो सकते हैं? (Cause of Low Ejection Fraction)

    इस समस्या के एक नहीं, बल्कि कई कारण हो सकते हैं, जो इस प्रकार हैं-

    • हार्ट अटैक (Heart attack) की समस्या होना।
    • कोरोनरी आर्टरी डिजीज (Coronary artery disease) की समस्या होना।
    • डायबिटीज (Diabetes) की समस्या होना।
    • कंट्रोल ना हो पाने वाले हाय ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure) की समस्या होना।
    • एल्कोहॉल (Alcohol) का सेवन करना।
    • दवाओं (Drug) का सेवन ठीक तरह से नहीं करना।
    • अनहेल्दी डायट प्लान (Unhealthy diet) फॉलो करना।
    • एक्सरसाइज (Lack of exercise) नहीं करना।
    • मोटापा (Obesity)
    • स्मोकिंग (Smoking) करना।

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    लो इजेक्शन फ्रैक्शन का निदान कैसे किया जाता है? (Diagnosis of Low Ejection Fraction cause)

    Low Ejection Fraction के निदान के लिए डॉक्टर सबसे पहले पेशेंट्स से लक्षण एवं तकलीफों को जानने की कोशिश करते हैं और फिर निम्नलिखित टेस्ट की सलाह देते हैं। जैसे:

    • इकोकार्डियोग्राम (Echocardiogram)
    • न्यूक्लीयर हार्ट स्कैन (Nuclear heart scan)
    • मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (Magnetic resonance imaging)

    लो इजेक्शन फ्रैक्शन से बचाव के लिए क्या करें? (Tips to prevent Low Ejection Fraction)

    लो इजेक्शन फ्रैक्शन (Low Ejection Fraction)

    लो इजेक्शन फ्रैक्शन से बचाव के लिए निम्नलिखित टिप्स फॉलो किये जा सकते हैं। जैसे:

    1. वर्कआउट एवं फिजिकल एक्टिविटी (Workout and Physical activity)

    लो इजेक्शन फ्रैक्शन (Low Ejection Fraction) से बचाव के लिए नियमित 20 से 30 मिनट कार्डियो एक्सरसाइज जरूर करना चाहिए। हालांकि कार्डियो एक्सरसाइज या अन्य एक्सरसाइज के लिए डॉक्टर के बताए अनुसार ही वर्कआउट रूटीन फॉलो करना चाहिए। इसके साथ ही फिजिकल एक्टिविटी (Physical activity) में भी खुद को जरूर इन्वॉल्व करना चाहिए।

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    2. वेट मैनेजमेंट (Weight management)

    कार्डियोवैस्कुलर हेल्थ को हेल्दी रखने के लिए वेट मैनेजमेंट weight management करना बेहद जरूरी है। इसलिए हेल्दी वेट मेंटेन करें।

    3. सोडियम लिमिट्स (Sodium limits)

    डेली रूटीन में सोडियम का लेवल मेंटेन करना बेहद जरूरी है, क्योंकि सोडियम का ज्यादा सेवन ब्लड प्रेशर (Blood Pressure) समेत कई परेशानियों को दावत देने में सक्षम माना गया है।

    4. नो स्मोकिंग (No Smoking)

    Low Ejection Fraction ही नहीं, बल्कि कई अन्य गंभीर रोगों में स्मोकिंग (Smoking) की अहम भागीदारी है। इसलिए स्मोकिंग ना करें और स्मोकिंग जोन से भी खुद को दूर रखें।

    5. तनाव से बचें (Reducing stress)

    तनाव की वजह से हार्ट रेट (Heart rate) बढ़ने के साथ-साथ ब्लड प्रेशर (Blood pressure) भी बढ़ने लगता है। इसलिए तनाव से बचें। तनाव से बचने के लिए नियमित योगासन (Yoga), डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज (Deep breathing exercise) या मेडिटेशन (Meditation) करने से लाभ मिल सकता है।

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    इन पांच बातों को ध्यान में रखकर हार्ट (Heart) या लो इजेक्शन फ्रैक्शन के कारण (Low Ejection Fraction cause) से बचने में मदद मिल सकती है।

    उम्मीद है कि अब आप इजेक्शन फ्रैक्शन और Low Ejection Fraction के बारे में काफी कुछ समझ चुके होंगे। अगर आप या आपके कोई भी करीबी Low Ejection Fraction या कार्डियोवैस्कुलर डिजीज (Cardiovascular Disease) से पीड़ित हैं, तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर से कंसल्टेशन अत्यधिक जरूरी है।

    स्वस्थ रहने के लिए अपने डेली रूटीन में योगासन शामिल करें। नीचे दिए इस 👇 वीडियो लिंक पर क्लिक कर योगासन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी जानिए।

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