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LDL कोलेस्ट्रॉल को क्यों कहते हैं बुरा कोलेस्ट्रॉल, जानिए इससे जुड़े रिस्क क्या हैं!

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Sayali Chaudhari · फार्मेकोलॉजी · Hello Swasthya


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 20/05/2022

LDL कोलेस्ट्रॉल को क्यों कहते हैं बुरा कोलेस्ट्रॉल, जानिए इससे जुड़े रिस्क क्या हैं!

कोलेस्ट्रॉल का नाम सुनते ही लोगों के मन में ऐसे पदार्थ की इमेज बन जाती है, जो शरीर के लिए हानिकारक होता है। ये सच है कि शरीर में हाय कोलेस्ट्रॉल के कारण हार्ट संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है लेकिन कोलेस्ट्रॉल की संतुलित मात्रा शरीर के लिए खतरनाक नहीं होती है। कोलेस्ट्रॉल पूरे शरीर की हेल्थ के लिए जरूरी होता है। कोलेस्ट्रॉल का इस्तेमाल हॉर्मोन क्रिएशन और फैटी फूड्स के डायजेशन के लिए जरूरी होता है। हमारा शरीर जरूरत के हिसाब से कोलेस्ट्रॉल का निर्माण कर लेता है। जबकि डायटरी कोलेस्ट्रॉल एनिमल फूड्स, मीट, पॉल्ट्री, एग, सीफूड्स और डेयरी प्रोडक्ट्स में पाया जाता है। हमारे शरीर में अच्छा और बुरा, दोनों प्रकार का कोलेस्ट्रॉल पाया जाता है। अच्छे कोलेस्ट्रॉल को HDL कोलेस्ट्रॉल के नाम से जाना जाता है, वहीं बुरे कोलेस्ट्रॉल को LDL कोलेस्ट्रॉल के नाम से जाना जाता है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको LDL कोलेस्ट्रॉल (LDL cholesterol) के बारे में जानकारी देंगे। जानिए LDL कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए क्यों हानिकारक होता है और इससे जुड़े रिस्क क्या है?

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LDL कोलेस्ट्रॉल (LDL Cholesterol) क्या है?

LDL Cholesterol

कोलेस्ट्रॉल ब्लड के माध्यम से दो प्रकार के प्रोटीनों पर ले जाया जाता है, जिन्हें लिपोप्रोटीन (Lipoproteins) कहा जाता है। इन लिपोप्रोटीन में एलडीएल (लो-डेंसिटी लिपोप्रोटीन) शामिल हैं, जिसे कभी-कभी ‘खराब’ कोलेस्ट्रॉल’ भी कहते हैं वहीं, HDL (हाय डेंसिटी लिपोप्रोटीन) के रूप में जाना जाता है। इसे ‘अच्छा’ कोलेस्ट्रॉल’ भी कहा जाता है। अगर शरीर में अधिक मात्रा में एलडीएल LDL कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाता है, तो प्लाक बनने की संभावना बढ़ जाती है। आर्टरीज में प्लाक बनने के कारण ब्लड फ्लो में दिक्कत होती है। ब्लड वैसल्स में प्लाक बनने के कारण वैसल्स संकुचित हो जाती हैं और फिर अन्य ऑर्गन में ब्लड फ्लो में दिक्कत शुरू हो जाती है।

ब्लड के ठीक प्रकार से फ्लो ना करने के कारण हार्ट में दर्द की समस्या पैदा हो जाती है, जिसे एंजाइना  (Angina)  के नाम से भी जाना जाता है। इस कारण से हार्ट अटैक ( Heart attack) की समस्या भी हो सकती है यानी कि शरीर में खराब कोलस्ट्रॉल (Bad cholesterol) बढ़ने के कारण हार्ड को खतरा बढ़ जाता है जानिए आइडल का लेवल कितना होना चाहिए

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LDL कोलेस्ट्रॉल का कितना लेवल माना जाता है नॉर्मल?

LDL कोलेस्ट्रॉल

जैसा कि हमने आपको पहले बताया कि हमारे शरीर में कोलेस्ट्रॉल की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यानी कि हम कोलेस्ट्रोल को इग्नोर नहीं कर सकते हैं लेकिन कोलेस्ट्रोल की अधिक मात्रा नुकसान पहुंचाती है। शरीर में कुछ लेवल पर कोलेस्ट्रॉल उपस्थित है, तो उसे खतरनाक नहीं माना जा सकता है। यहां पर आपको कुछ मात्रा दी गई है,  जिसे देखकर आप पता लगा सकते हैं कि कोलेस्ट्रॉल का लेवल आपके लिए खतरनाक है या फिर नहीं। आप समय-समय पर अपने कोलेस्ट्रॉल की जांच (Cholesterol test) कराकर डॉक्टर से इस बारे में जानकारी ले सकते हैं। अगर आपका कोलेस्ट्रॉल लेवल बहुत ज्यादा है, तो आपको अपने खान-पान पर एहतियात बरतने के साथ ही एक्सरसाइज पर भी ध्यान देना होगा। ऐसा करके आप कोलेस्ट्रॉल लेवल को नियंत्रण में रख सकते हैं।

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हाय कोलेस्ट्रॉल कैसे किया जाता है डायग्नोज?

शरीर में अधिक मात्रा में बैड कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर उसे डायग्नोज करना आसान नहीं होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि शरीर में जब आ कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ जाती है तो दौरान कोई भी लक्षण नजर नहीं आते हैं। लेकिन जब शरीर में बहुत ज्यादा मात्रा में कोलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ जाता है तो ग्रे और वाइट रंग के निशान नजर आने लगते हैं। साथ रही आंख के कॉर्निया के आसपास जेैंथोमास (xanthomas) या ग्रे-व्हाइट रिंग भी नजर आने लगते हैं। इसे कॉर्नियल आर्कस (corneal arcus) कहा जाता है। शरीर में हाय कोलेस्ट्रोल की मात्रा की जांच के लिए डॉक्टर ब्लड टेस्ट (Blood test) कराने की सलाह देते हैं। ब्लड टेस्ट के माध्यम से शरीर में कोलेस्ट्रॉल के लेवल के बारे में जानकारी मिलती है। डॉक्टर आपसे कोलेस्ट्रॉल की फैमिली हिस्ट्री के बारे में भी पूछ सकते हैं। डॉक्टर आपसे पूछेंगे कि क्या आपके परिवार में भी किसी को हाय कोलेस्ट्रॉल की समस्या रही है। डॉक्टर हार्ट संबंधी बीमारियों (heart diseases) के बारे में भी जानकारी ले सकते हैं।डॉक्टर ने जांच के लिए जो टेस्ट किया जाता है, उसे लिपिड पैनल कहते हैं। साथ ही डॉक्टर फॉलो टेस्ट भी कर सकते हैं।

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क्या LDL कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना होता है कॉमन?

सीडीसी (Centers for Disease Control and Prevention ) के अनुसार साल 2015 और 2016 में करीब 12 परसेंट एडल्ट्स को 20 साल की उम्र या उससे अधिक की उम्र में हाय कोलेस्ट्रॉल लेवल की समस्या थी। उनका कुल कोलेस्ट्रॉल लेवल 240 मिलीग्राम/डीएल से अधिक था, जो कि अधिक कोलेस्ट्रॉल का लेवल माना जाता है। हाय कोलेस्ट्रोल लेवल की समस्या किसी भी व्यक्ति को हो सकती है। अगर किसी व्यक्ति को लंबे समय से हाय कोलेस्ट्रॉल की समस्या है, तो भविष्य में उसे हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ जाता है। जिन लोगों को हाय ब्लड प्रेशर (High blood pressure) की समस्या रहती है या फिर जिनके खानपान में खराबी होती है, उनमें हार्ट डिजीज का खतरा अधिक होता है। अगर आपको भी हाय कोलेस्ट्रॉल की समस्या हो चुकी है या फिर डॉक्टर ने हाय कोलेस्ट्रोल डायग्नोज किया है, तो आपको सतर्क रहने की जरूरत है। डॉक्टर से जानकारी लें कि ऐसे मैं आपको कौन सी लाइफस्टाइल अपना नहीं चाहिए और किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

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कोलेस्ट्रोल लेवल की जांच कराना बहुत जरूरी है। 20 साल की उम्र से लगाकर 70 साल की उम्र तक कोलेस्ट्रॉल की जांच अवश्य होनी चाहिए। 20 साल की उम्र में आप एक बार जांच कराने के बाद 4 से 5 सालों में दोबारा कोलेस्ट्रॉल लेवल चेक करा सकते हैं। वहीं 50 से 65 तक की उम्र में आप 1 से 2 साल के भीतर कोलेस्ट्रॉल टेस्ट जरूर कराएं। डॉक्टर से इस बारे में जानकारी लें कि आपको कब टेस्ट कराना है। ऐसा करके आपको कोलेस्ट्रॉल के बारे में समय पर जानकारी मिल जाएगी और आप जरूरी एहतियात बरत सकते हैं।

हाय कोलेस्ट्रॉल रिस्क फैक्टर्स क्या हैं?

हाय कोलेस्ट्रॉल रिस्क पर कोई भी व्यक्ति हो सकता है। व्यक्ति की उम्र अधिक होने पर,  टाइप 2 डायबिटीज की समस्या होने पर, स्मोकिंग अधिक करने पर, खानपान में हेल्दी फूड शामिल न करने पर हाय कोलेस्ट्रॉल की समस्या हो सकती है। अधिक मात्रा में एल्कोहॉल का सेवन करना और एक्सरसाइज ना करना भी हाय कोलेस्ट्रोल के रिस्क फैक्टर में शामिल हो सकता है

एलडीएल कोलेस्ट्रॉल कैसे कम करें?

कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम करने के लिए आपको खानपान में ख्याल रखने के साथ ही कुछ दवाओं का सेवन करने की भी सलाह दी जाती है। दवाओं का सेवन कर आप बुरे कोलेस्ट्रॉल को कम कर हार्ट संबंधी समस्याओं से बच सकते हैं। यहां पर हम आपको कुछ मेडिसिंस के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं जो कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम करती हैं।

स्टेटिन (Statins)- हाय कोलेस्ट्रॉल के लिए स्टेटिन सबसे पॉपुलर दवा है। इसे उच्च एलडीएल वाले व्यक्तियों में दिल के दौरे और स्ट्रोक के जोखिम को कम करने के लिए दिया जाता है।

एजेटिमीब (Ezetimibe)। अगर स्टेटिन प्रभावी नहीं होता है, तो ये दवाएं लेने की सलाह आपका डॉक्टर दे सकता है। आपको इस बारे में डॉक्टर से जानकारी लेनी चाहिए।

बाइल एसिड सीक्वेंस्ट्रेन्ट्स (Bile acid sequestrants)- इस दवा को लेने की सलाह तब दी जाती है जब कोई व्यक्ति स्टेटिन नहीं ले पा रहा है या फिर स्टेटिन का असर व्यक्ति पर नहीं हो रहा है। आपको इस बारे में डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए

इस आर्टिकल में हमने आपको LDL कोलेस्ट्रॉल (LDL cholesterol) के बारे में  बारे में जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।

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