बढ़ते तनाव के साथ लोगों में हार्ट प्रॉब्लम भी बढ़ती जा रही है, जिसमें शामिल हैं क्लॉटिंग की प्रॉब्लम (Clotting problem), ब्लॉकेज (Blockage), हार्ट फेल्योर (Heart failure) और हार्ट अटैक (Heart attack) आदि। जिसके शिकार पुरुष और माहिलाएं दोनों ही हो रहे हैं। लेकिन आज हम यहां बात करेंगे औरतों में हार्ट डिजीज (Heart Disease in women) की। अगर औरतों में हार्ट डिजीज (Heart Disease in women) की बात करें, तो तनाव उनमें इसका सबसे बड़ा कारण है। इसके अलावा और भी कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि खराब लाइफस्टाइल। सबसे बड़ी दिक्कत की बात यह है कि आजकल कम उम्र वाली महिलाएं भी हार्ट प्राॅब्लम की शिकार हो रही हैं। जिनके लक्षण उनमें पहले से ही नजर आने लगते हैं, पर अक्सर महिलाएं इसे अनदेखा कर देती हैं। महिलाएं अपनी हेल्थ को उतनी प्राथमिकता नहीं देती, जो आगे जाकर उनमें गंभीर स्थिति का कारण बन सकती है। आइए जानते हैं औरतों में हार्ट डिजीज (Heart Disease in women) के कारणों और लक्षणों के बारे में।
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औरतों में हार्ट डिजीज क्या है? (Heart Disease in women)
तनाव (Stress), खराब लाइफस्टाइल के अलावा मेनोपॉज (Menopause) की वजह से भी महिलाओं में हार्ट प्राॅब्लम होती है। आमतौर पर महिलाओं में 45 साल के बाद ही मेनोपॉज की शुरुआत होती है, जो उनमें हार्ट डिजीज के रिस्क को भी बढ़ाती है। लेकिन कुछ महिलाओं में यह प्रक्रिया कम उम्र में भी देखने को मिलती है, जिसके कारण आजकल कई कम उम्र वाली महिलाएं भी हार्ट प्रॉब्लम (Heart Problem) की जकड़ में आ रही हैं। जिन महिलाओं में मेनोपॉज 40 की उम्र या इसके आस-पास होता है, उनमें इसका खतरा और भी ज्यादा होता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो महिलाओं में 40 साल के बाद मेनॉपॉज की स्थिति आती है, जिस कारण वो कार्डियोवस्कुलर (Cardiovascular) और डायबिटीज (Diabetes) जैसी क्रॉनिक डिजीज का शिकार हो सकती हैं। जिन महिलाओं को 50 साल के बाद मेनोपॉज होता है, उनमें 60 साल की उम्र और इसके आस-पास गंभीर बीमारियों के होने का खतरा कम होता है।
महिलाओं में होने वाली हार्ट प्रॉब्लम: हार्ट अटैक (Heart attack)
महिलाओं के होने वाले हार्ट अटैक (Heart Attack) की बात करें, तो उनके दिल में खून की आपूर्ति कम हो जाती है। जिसकी वजह से उनके हार्ट की मांसपेशियों पर दबाव पड़ने लगता है। ऐसी स्थिति में उनमें हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। जब एक या एक से अधिक कोरोनरी आर्टरी (Coronary artery) में फैट ब्लॉकेज शुरु हो जाता है, तो ऐसी स्थिति में हार्ट अटैक होता है।
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औरतो में हार्ट डिजीज : हार्ट फेल्योर (Heart failure)
हार्ट फेल्योर एक क्रॉनिक कंडिशन (Chronic condition) है, जो कि उनमें लंबे समय से चली आ रही स्वास्थ्य प्रॉब्लम से जुड़ी होती है। कोई क्रॉनिक डिजीज या हैवी डोज वाला मेडिकेशन भी इसका कारण हो सकता है। इसमें दिल की कोशिकाएं पर्याप्त मात्रा में खून पास नहीं कर पाती हैं, जिसकी वजह से हार्ट में रक्त ठीक से पहुंच नहीं पाता है। इस कारण दिल की मांसपेशियों पर जोर पड़ने लगता है। इसके अलावा कंजेस्टिव हार्ट फेल्योर (Congestive heart failure) भी एक गंभीर स्थिति है, जिसमें दिल की मांसपेशियों की संकुचन क्षमता कमजोर हाेने लगती है। दिल से निकलने वाले खून का बहाव भी धीमा हो जाता है।
औरतो में हार्ट डिजीज : कार्डियक अरेस्ट (Cardiac Arrest)
औरतों में हार्ट डिजीज (Heart Disease in women) में कार्डियक अरेस्ट (Cardiac arrest) भी शामिल है, इसमें दिल के अंदरुनी हिस्सों में खून का संचार रूक जाता है। उन भागों में किसी भी प्रकार की सूचनाओं का इंटरैक्शन बंद हो जाता है। इसका दिल की धड़कन पर बुरा असर पड़ता है। कार्डियोपल्मोनरी रेसिस्टेशन (Cardiopulmonary resistance) के जरिए हार्ट रेट को नियमित किया जाता है। जिन लोगों में पहले हार्ट अटैक या कोई हार्ट प्रॉब्मल रह चुकी है, उनमें कार्डियक अरेस्ट होने का खतरा ज्यादा होता है।
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महिलाओं में हार्ट डिजीज से पहले दिखने वाले लक्षण (Early signs of heart disease in women)
हम मानते हैं कि लोगों को अचानक से हार्ट अटैक (Heart attack) आता है, लेकिन हार्ट अटैक होने से पहले उसके लक्षण महिलाओं में सप्ताह भर पहले से ही दिखने लगते हैं। बस कुछ में बहुत ज्यादा लक्षण नजर आते हैं और कुछ में बहुत हल्के लक्षण दिखते हैं। जिस पर लोगों का ध्यान नहीं जाता है। महिलाओं में जो लक्षण नजर आने लगते हैं, वो इस प्रकार हैं –
औरतों में हार्ट डिजीज (Heart Disease in women) के लक्षण में शामिल है सीने में दर्द (Chest pain)
अगर किसी महिला को हार्ट की प्रॉब्लम या हार्ट अटैक का खतरा है, तो उनमें इस तरह के लक्षण नजर आ सकते हैं –
- सीने में जकड़न (Tightness)
- सीने में दबाव महसूस होना (Pressure)
- दर्द होना (Aching)
औरतों में हार्ट डिजीज (Heart Disease in women) : बहुत ज्यादा थकावट महसूस होना (Extreme fatigue)
महिलाओं में हार्ट प्रॉब्लम का एक लक्षण है उनमें जरुरत से ज्यादा थकावट महसूस होने लगती है, जैसे थोड़ा सा चलते ही थकान लगना, काम करने में थकावट महसूस होना। ऐसा लगना कि शरीर बहुत ज्यादा ही थका हुआ (Fatigue) है। घर के रोजाना काम करने में भी ऐसी थकान महसूस होना। इन लक्षणों को अनदेखा नहीं करना चाहिए।
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औरतों में हार्ट डिजीज (Heart Disease in women) के लक्षण: कमजोरी लगना (Weakness)
महिलाओं में कई बार कमजोरी का कारण भी उनमें होने वाली हार्ट प्रॉब्लम का संकेत हो सकती है। जिसमें कमजोरी के साथ और भी लक्षण हो सकते हैं, जैसे कि:
- तनाव (Anxiety)
- चक्कर आना (Dizziness)
- बेहोशी (Fainting)
- हल्का सिर दर्द होना (Feeling lightheaded)
औरतों में हार्ट डिजीज (Heart Disease in women) के लक्षण: सांस लेने में दिक्कत महसूस होना (Shortness of breath)
सीने में दर्द (Chest Pain) और सांस लेने में दिक्कत होना यह हार्ट प्रॉब्लम होने का लक्षण हो सकता है, जिसे अनदेखा नहीं करना चाहिए। लेकिन इन सब लक्षणों को महिलाएं शरीर में हो रही कमजोरी समझ लेती हैं। जो आगे चल कर हार्ट की समस्या का कारण बनती है।
औरतों में हार्ट डिजीज के लक्षण में पसीना आना (Sweating)
बहुत ज्यादा पसीना आना साधारण नहीं है। वैसे तो ऐसे होने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि हाय ब्लड प्रेशर (High blood pressure) या डायबिटीज (Diabetes) आदि। पर अत्यधिक पसीना हार्ट प्राॅब्लम होने का कारण हो सकता है। इसके अलावा नींद में कमी (Lack of sleep), उल्टी आना और पेट की दिक्कत भी हो सकती है। इन लक्षणों को अनदेखा नहीं करना चाहिए।
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महिलाओं में अन्य हार्ट कंडिशन (Heart Condition)
हार्ट अटैक और हार्ट फेल्योर (Heart failure) के अलावा महिलाओं में इस तरह की हेल्थ कंडिशन देखने को मिल सकती हैं –
- क्रोरोनरी आर्टरी डिजीज (coronary artery disease) – हृदय के चारों ओर रक्त वाहिकाओं में ब्लॉकेज होने लगती है।
- पैरिफेरल आर्टरी डिजीज (peripheral artery disease) – हाथ या पैर में रक्त वाहिकाओं में ब्लॉकेज।
- वाल्वुलर हार्ट डिजीज (valvular heart disease)
- कंजेस्टिव हार्ट फेलियर (congestive heart failure)
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महिलाओं में होने वाले अन्य हार्ट डिजीज के लक्षण (Symptoms of Heart Disease in women)
औरतों में हार्ट डिजीज (Heart Disease in women) में हार्ट अटैक के अलावा महिलाओं में होने वाले अन्य हार्ट डिजीज के लक्षण इस प्रकार हैं, जो महिलाओं में अलग-अलग प्रकार से देखने को मिल सकते हैं। किसी भी हार्ट डिजीज में सीने में दर्द के अलावा और भी कई लक्षण नजर आ सकते हैं, जैसे कि:
- पैरों में सूजन आना (Swelling in legs)
- वजन बढ़ना (Weight gain)
- नींद की समस्या होना (Sleeping)
- हार्ट बीट का तेज होना
- खांसी आना (coughing)
- पसीना आना (sweating)
- हल्का सिरदर्द होना (lightheadedness)
- खट्टी डकार आना (indigestion)
- सीने में जलन महसूस होना (heartburn)
- तनाव आना (anxiety)
- बेहोशी होना (fainting)
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हार्ट डिजीज के रिस्क फैक्टर (Risk factors for heart disease in women)
औरतो में हार्ट डिजीज (Heart Disease in women) के जाेखिम को बढ़ाने वाले कई कारण हो सकते हैं। जिसके कारण उनमें हार्ट से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं। हम यहां आपको बता रहे हैं जाखिमों को बढ़ाने वाले कारकों के बारे में –
- मधुमेह (Diabetes)
- उच्च रक्तचाप (Hypertension)
- डिप्रेशन (Depression)
- धूम्रपान (Smoking)
- क्रॉनिक स्ट्रेस (Chronic stress)
- हार्ट डिजीज की कोई फेमिली हिस्ट्री होना (family history of heart disease0
- एचआईवी (HIV)
- रजोनिवृत्ति (Menopause)
- एक्सरसाइज न करना
- गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप या मधुमेह होना
- मोटापे का शिकार होने पर (Obesity)
ऊपर दी गई स्थितियां महिलाओं में इस तरह के हार्ट प्रॉब्लम का कारण बन सकती हैं, जैसे कि:
- हार्ट अटैक (Heart attack)
- स्ट्रोकी समस्या (Stroke)
- हार्ट फेलियर (Heart failure)
- कार्डियक अरेस्ट (Cardiac arrest)
- एन्यूरिज्म (Aneurysm)
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डॉक्टर से कब मिलें?
अगर आप चाहती है कि आपमें हार्ट प्रॉब्लम न बढ़े, तो सबसे पहले उन जाेखिमों को दूर करने की कोशिश करें, जो आपके लिए हार्ट डिजीज (Heart disease) का कारण बन सकते हैं। ऊपर दिए गए रिक्स फैक्टर (Risk Factor) में से अगर आपको भी कोई दिक्कत है, तो आपको डॉक्टर से मिलना चाहिए और उस डिजीज का समय रहते इलाज करना चाहिए। ताकि वो बीमारी आपके हार्ट पर भारी न पड़ें। इसके अलावा ऊपर बताए गए हार्ट डिजीज के लक्षणों के दिखने पर भी आपको डॉक्टर की सलाह की जरूरत है। ताकि समय रहते आपका मेडिकेशन (Medication) शुरु हो जाए। समय पर होने वाले मेडिकेशन से आप भविष्य में होने वाले खतरे से बच सकते है। औरतों में हार्ट डिजीज (Heart Disease in women) से बचने के लिए डॉक्टर की राय को फॉलो करना जरूरी है।
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हृदय रोग का निदान (Diagnosing heart disease in women)
हृदय रोग का निदान करने के लिए डॉक्टर आपकी और आपकी फैमिली हिस्ट्री (Family History) के बारे में पूछेंगे। यदि आपका पहले से कोई मेडिकेशन चल रहा हो। इसी के साथ आपमें दिखने वाले लक्षणों (Symptoms) के बारे में पूछेंगे। ताकि उसके आधार पर आपका मेडिकेशन शुरु हो सके। इसके अलावा आप कहीं ध्रूमपान (Smoking) तो नहीं करते हैं या आपकी लाइफस्टाइल कैसी और किन बदलावों की जरूरत हैं, डाॅक्टर इन पर चर्चा करेंगे।
इसके अलावा डॉक्टर आपका कोलेस्ट्रॉल लेवल और ट्राइग्लिसराइड्स (Triglycerides) को चेक करने के लिए कुछ टेस्ट की भी सलाह दे सकते हैं। आपके लक्षणों के आधार पर, आपका डॉक्टर अन्य रक्त परीक्षण के लिए आपको बोल सकते हैं, जैसे कि:
- सोडियम और पोटेशियम का लेवल (Sodium and potassium levels)
- किड्नी फंक्शन (Kidney function)
- ब्लड सेल काउंट (Blood cell counts)
- लिवर फंक्शन के लिए टेस्ट (Liver function)
- थायराइड फंक्शन (Thyroid function)
कुछ अन्य टेस्ट (Other tests include):
- दिल में गतिविधि को मापने के लिए इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईकेजी) Electrocardiogram (EKG)।
- इकोकार्डियोग्राम (Echocardiogram), जो हृदय का अल्ट्रासाउंड है और आपके हृदय की संरचना, कार्य और हार्ट फंक्शन को चैक करता है।
- स्ट्रोक के जोखिम को देखने के लिए आपकी गर्दन में कैरोटिड धमनियों का अल्ट्रासाउंड (Ultrasound) डाॅक्टर करवा सकते हैं।
- किसी प्रकार की ब्लॉकेज चेक करने के लिए कोरोनरी सीटीए (Coronary CTA) किया जा सकता है।
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महिलाओं के लिए लाइफस्टाइल में बदलाव
जो महिलाएं हार्ट डिजीज की शिकार हैं, तो अपने लाइफस्टाइल में इन 5 बातों का ध्यान रखने की जरूरत है। जिससे उनकी बीमारी उन पर हावी नहीं होगी।
रोज एक्सरसाइज करें: हेल्दी हार्ट और ह्रदय रोग के इलाज करने लिए व्यायाम (Exercise) बहुत जरूरी है। लेकिन आपको कौन सी एक्सरसाइज़ करनी है, यह डॉक्टर की सलाह पर ही करें।
दवाई लेना न भूलें: हार्ट पेशेंट के लिए समय पर दवाई लेना बहुत जरूरी है। उनकी यह भूल उनकी सेहत पर भारी पड़ सकताी है। हर डोज को समय पर ही लें। दो डोज एक साथ कभी न लें।
ईसीजी या ब्लड टेस्ट कराना: ह्रदय रोग (Heart Problem) से निजात पाने और उसके खतरे से बचने के लिए डॉक्टर की सलाह पर समय-समय पर ईसीजी टेस्ट (ECG Test) भी जरूर करवाएं।
डायट पर ध्यान दें: हार्ट पेशेंट को अपनी डायट पर विशेष ध्यान देना चाहिए। कई बार डायट प्लान में बदलाव करके दिल की बीमारी से भी बचा जा सकता है। खाने में हरी सब्जी, मिनरल्स वाले फूड लें। ऑयली और कैलोरी वाले फूड से बचें।
टेस्ट: कोलेस्ट्राल (Cholesterol) और अन्य बल्ड टेस्ट (Blood Test) भी समय-समय पर कराते रहें।
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हार्ट डिजीज से बचाव के टिप्स (Preventing heart disease)
औरतों में हार्ट डिजीज (Heart Disease in women) के कारको को बढ़ाने वाले कारणों को दूर करने और अपने लाइफस्टाइल में बदलाव लाने के साथ इन बातों का भी ध्यान रखें, जैसे कि:
- औरतों में हार्ट डिजीज (Heart Disease in women) से बचने के लिए नियमित रूप से ब्ल्ड प्रेशर चेक करवाएं
- औरतों में हार्ट डिजीज से बचने के लिए स्मोकिंग (Smoking) छोड़ दें
- समय-समय पर डायबिटीज टेस्ट करवाते रहें
- एक्सरसाइज रोज करें
- डायट (Diet) में हरी सब्जियों को शामिल करें
- कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) का लेवल समय-समय पर चेक करवाते रहें
- औरतों में हार्ट डिजीज से बचने के लिए नींद पूरी लें
- खाने में चीनी और नमक का कम सेवन करें
इन सब तरह टिप्स को अपनाकर आप भविष्य में होने वाले हार्ट प्रॉब्लम से बच सकते हैं। वैसे तो महिलाओं में हार्ट प्रॉब्लम होने के बहुत से कारण हो सकते हैं, लेकिन यहां दिए गए कुछ कारण मुख्य हैं। इसलिए कुछ भी लक्षण महसूस होते ही आप डॉक्टर से मिलें। इसका समय रहते इलाज बहुत जरूरी है, नहीं तो भविष्य में आपके लिए खतरा हो सकता है। इसके अलावा हार्ट पेशेंट को अपनी डायट, एक्सराइज और लाइफस्टाइल हमेशा डाॅक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए। अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।
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