कोरोनरी वास्कुलर डिजीज को स्मॉल आर्टरी डिजीज (small artery disease) के नाम से भी जाना जाता है। कोरोनरी माइक्रोवास्कुलर डिजीज (Coronary Microvascular Disease) एक हार्ट डिजीज है, जो कोरोनरी आर्टरी ब्लड वेसल्स की आंतरिक लाइनिंग को प्रभावित करती है। कोरोनरी आर्टरी डिजीज को कोरोनरी हार्ट डिजीज के नाम से भी जाना जाता है। बीमारी के दौरान प्लाक का फॉर्मेशन होता है, जो ब्लड फ्लो को रोकने का काम करता है। कोरोनरी माइक्रोवास्कुलर डिजीज में हार्ट कोरोनरी आर्टरी ब्लड वेसल्स में प्लाक की समस्या नहीं होती है लेकिन आंतरिक ब्लड वैसल्स को नुकसान पहुंचता है, जिसके कारण ब्लड फ्लो में कमी आ जाती है। मुख्य कोरोनरी धमनियों से निकलने वाली छोटी आर्टरीज में असामान्यताओं कोरोनरी माइक्रोवास्कुलर डिजीज (Coronary Microvascular Disease) का कारण बनती है। आइए जानते हैं इस बीमारी के बारे में विस्तार से।
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कोरोनरी माइक्रोवास्कुलर डिजीज (Coronary Microvascular Disease)
कोरोनरी माइक्रोवास्कुलर डिजीज (Coronary Microvascular Disease) का खतरा किसी को भी हो सकता है। पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में यह बीमारी तेजी से विकसित हो सकती है। कम उम्र की महिलाओं में भी यह बीमारी पाई जाती है। कुछ रिस्क फैक्टर इस बीमारी के खतरे को बढ़ाते हैं। कुछ रिस्क फैक्टर जैसे कि डायबिटीज (Diabetes), हाय ब्लड प्रेशर (High blood pressure), हाय कोलेस्ट्रॉल आदि के कारण इस बीमारी का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है। कोरोनरी माइक्रोवास्कुलर डिजीज की पहचान करना भी एक चैलेंज है। पीईटी स्कैन या इमेजिंग के जरिए ब्लड फ्लो को जांचा जाता है।
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कोरोनरी माइक्रोवास्कुलर डिजीज के कारण (Coronary Microvascular Disease causes)
अगर आपको हार्ट संबंधित कोई भी बीमारी हुई है, तो उसके पीछे यकीनन कोई ना कोई कारण या रिस्क फैक्टर जरूर होगा। कोरोनरी माइक्रोवास्कुलर डिजीज (Coronary Microvascular Disease) से भी कुछ रिस्क फैक्टर जुड़े हुए हैं, जो बीमारी को जन्म देते हैं। एथरोस्क्लेरोसिस (atherosclerosis) बीमारी के कारण आर्टरीज में प्लाक बनने की समस्या पैदा होती है, जिसके कारण ब्लड फ्लो में दिक्कत आती है। जानिए एथरोस्क्लेरोसिस से जुड़े रिस्क फैक्टर्स के बारे में।
- अनहेल्दी ब्लड कोलेस्ट्रॉल लेवल (Unhealthy blood cholesterol levels)
- हाय ब्लड प्रेशर (High blood pressure)
- स्मोकिंग (Smoking)
- डायबिटीज (Diabetes)
- मोटापा (Obesity)
- फिजिकल एक्टिविटी न होना (physical activity)
- डायट ठीक न होना
- अधिक उम्र होना
- हार्ट डिजीज की फैमिली हिस्ट्री
उन कम उम्र की महिलाओं में इस बीमारी का खतरा तब अधिक बढ़ जाता है, जब एस्ट्रोजन लेवल सामान्य से कम होता है। लो एस्ट्रोजन लेवल अगर मीनोपॉज के पहले हो जाता है, तो कम उम्र में ही महिलाओं को हार्ट संबंधित बीमारी का सामना करना पड़ सकता है। कोरोनरी माइक्रोवास्कुलर डिजीज (Coronary Microvascular Disease) में स्ट्रेस भी अहम भूमिका निभाता है। जिन महिलाओं को हाय ब्लड प्रेशर की समस्या होती है, उनमें इस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।
अगर आपको उपरोक्त दी गई बीमारियों में से कोई भी बीमारी है, तो हो सकता है कि आपको भी कोरोनरी माइक्रोवास्कुलर डिजीज (Coronary Microvascular Disease) का खतरा बढ़ जाए। ऐसे में आपको डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए और पूछना चाहिए कि किस तरह से बीमारियों के खतरे को कम किया जा सकता है। अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से जरूर संपर्क करें
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कोरोनरी माइक्रोवास्कुलर डिजीज के लक्षण (Coronary Microvascular Disease symptoms)
आपके मन में सवाल होगा कि आखिर इस बीमारी के लक्षण क्या होते हैं? जिन महिलाओं को इस बीमारी की समस्या होती है, उन्हें छाती में दर्द हो सकता है। इसको एंजाइना (Angina) के नाम से भी जाना जाता है लेकिन इसको माइक्रोवास्कुलर एंजाइना कहेंगे। ऐसा आराम करने के दौरान हो सकता है। बीमारी के लक्षणों के रूप में सांस लेने में दिक्कत महसूस होना, सोने के दौरान समस्या, थकान का एहसास होना (Fatigue) एनर्जी में कमी महसूस होना आदि लक्षण महसूस हो सकते हैं। कोरोनरी माइक्रोवास्कुलर डिजीज (Coronary Microvascular Disease) के लक्षण मेंटल स्ट्रेस के दौरान डेली रूटीन एक्टिविटीज में भी महसूस हो सकते हैं। वहीं फिजिकल एक्टिविटी के दौरान इस बीमारी के लक्षण कम महसूस होते हैं। इस बीमारी के लक्षण कुछ भिन्न हो सकते हैं। आपको डॉक्टर से इसके के बारे में जानकारी लेनी चाहिए।
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कोरोनरी माइक्रोवास्कुलर डिजीज का डायग्नोसिस (Coronary Microvascular DiseaseDiagnosis)
कोरोनरी माइक्रोवास्कुलर डिजीज को डायग्नोज करने के लिए डॉक्टर पेशेंट की मेडिकल हिस्ट्री जान सकते हैं और साथ ही में फिजिकल एग्जाम और कुछ टेस्ट भी लिख सकते हैं। डॉक्टर हार्ट डिजीज के रिस्क फैक्टर के बारे में भी जानकारी ले सकते हैं। हाय कोलस्ट्रोल, मेटाबॉलिक सिंड्रोम, डायबिटीज या फिर अधिक मोटे व्यक्ति को इस बीमारी का खतरा अधिक रहता है। ऐसे में डॉक्टर कुछ टेस्ट जैसे कि कोरोनरी एंजियोग्राफी (Coronary angiography), स्ट्रेस टेस्ट (Stress test), कोरोनरी मैग्नेटिक रीसोनेंस इमेंजिंग (Coronary magnetic resonance (CMR) imaging) आदि की सलाह दी जा सकती है।
कोरोनरी माइक्रोवास्कुलर डिजीज (Coronary Microvascular Disease) छोटी कोरोनरी धमनियों को प्रभावित करता है। यदि आपको एंजाइना है, लेकिन परीक्षणों से पता चलता है कि आपकी कोरोनरी धमनियां सामान्य हैं, तब भी आपको कोरोनरी माइक्रोवास्कुलर डिजीज (Coronary Microvascular Disease) हो सकती है। डॉक्टर अन्य टेस्ट की सलाह दे सकते हैं। डॉक्टर ड्यूक एक्टिविटी स्टेटस इंडेक्स (DASI) की मदद से आपके कुछ प्रश्न पूछ सकते हैं। डॉक्टर को इससे अन्य टेस्ट के बारे में जानकारी मिलती है। यहां हम आपको कुछ प्रश्नों के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं, जो डॉक्टर आपसे कोरोनरी माइक्रोवास्कुलर डिजीज के डायग्नोसिस के दौरान पूछ सकते हैं।
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- क्या आप खाना, कपड़े पहनना, स्नान करना या शौचालय आदि खुद से कर सकते हैं?
- क्या आपको घर के अंदर या घर के आसपास जाने में कोई परेशानी है?
- क्या आप समतल जमीन पर एक या दो कदम आसानी से चल सकते हैं?
- क्या आप सीढ़ियां चढ़ सकते हैं या पहाड़ी पर चल सकते हैं?
- क्या आप थोड़ी दूरी तक दौड़ सकते हैं?
- क्या आप घर के हल्के-फुल्के काम जैसे कि बर्तन धोना या कपड़े धोना आदि कर सकते हैं?
- क्या आप घर के भारी काम जैसे फर्श को साफ करना या भारी फर्नीचर उठाना और हिलाना आदि कर सकते हैं?
- क्या आप यार्ड का काम कर सकते हैं, जैसे पत्तियों को तोड़ना, निराई करना आदि?
- क्या आप सेक्शुअल रिलेशन बना सकते हैं?
- क्या आप कुछ गतिविधियों जैसे गोल्फ, बॉलिंग, डांसिंग, डबल्स टेनिस या बेसबॉल या फ़ुटबॉल आदि में भाग ले सकते हैं?
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कोरोनरी माइक्रोवास्कुलर डिजीज का ट्रीटमेंट (Coronary Microvascular Disease treatment)
कोरोनरी माइक्रोवास्कुलर डिजीज (Coronary Microvascular Disease) के ट्रीटमेंट के लिए डॉक्टर के लिए बड़ी चुनौती होती है छाती के दर्द की परेशानी से पेशेंट को छुटकारा दिलाना। ट्रीटमेंट के दौरान बीमारी के कुछ रिस्क फैक्टर्स के लक्षणों को भी कंट्रोल किया जाता है। ट्रीटमेंट के दौरान कोलेस्ट्रोल के हाय लेवल को कम करने के लिए मेडिसिंस दी जाती हैं। साथ ही में जिन लोगों को हाय ब्लड प्रेशर की समस्या होती है, उनको ब्लड प्रेशर कम करने वाली दवाई दी जाती हैं। ब्लड क्लॉट्स बनने से रोकने के लिए एंटीप्लेटलेट मेडिसिंस लेने की सलाह दी जाती है। दवाइयों के इस्तेमाल से ब्लड वैसल्स को आराम मिलता है और ब्लड फ्लो भी प्रॉपर तरीके से होता है।
अगर आप हार्ट संबंधी बीमारी से या फिर इस बीमारी से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो आपको कुछ बातों का खास ख्याल रखना होगा। वैसे तो इस संबंध में अभी कोई भी स्टडी नहीं हुई है कि कोरोनरी माइक्रोवास्कुलर डिजीज (Coronary Microvascular Disease) से बचने के लिए क्या किया जाए, लेकिन कुछ रिसर्च के दौरान पता चलता है कि इस बीमारी से बचा जा सकता है। यहां आपको कुछ ऐसी चीजों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो आपको इस बीमारी से बचने में मदद कर सकती है।
अगर आपको हाय ब्लड प्रेशर की समस्या रहती है, तो डॉक्टर से चेक कराएं और समय पर मेडिसिंस लें।हाय कोलेस्ट्रॉल की समस्या है, तो उसे मैनेज करने के लिए अपने खानपान में बदलाव करें और साथ ही डॉक्टर से जांच कराने के बाद जरूरी मेडिसिंस भी लें। अगर आपको मधुमेह की समस्या है, तो अपनी लाइफ स्टाइल में बदलाव करें। फिजिकल एक्टिविटी जरूर करें और खाने में पौष्टिक आहार को शामिल करें। आप वेट को कम करके और स्मोकिंग को बंद करके इस बीमारी के खतरे को काफी हद तक कम कर सकते हैं। अगर आपको इस बीमारी के बारे में अधिक जानकारी चाहिए, तो डॉक्टर से जरूर पूछें।
इस आर्टिकल में हमने आपको कोरोनरी माइक्रोवास्कुलर डिजीज (Coronary Microvascular Disease) के बारे में जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।
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