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डिप्रेशन से होने वाली इंफ्लेमेशन बन सकती है हार्ट अटैक की वजह, कैसे करें इसे मैनेज?

डिप्रेशन से होने वाली इंफ्लेमेशन बन सकती है हार्ट अटैक की वजह, कैसे करें इसे मैनेज?

हमारी बॉडी और माइंड के बीच में गहरा संबंध है। इसलिए, हमारे लिए शारीरिक और मानसिक रूप से हेल्दी रहना बेहद जरूरी है। स्ट्रेस या डिप्रेशन को मैनेज करना शारीरिक और मेंटल हेल्थ के लिए भी महत्वपूर्ण है। डिप्रेशन या स्ट्रेस से हमारे शारीरिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है। ऐसे ही, हमारे शारीरिक रूप से बीमार रहने का असर हमारी मेंटल हेल्थ पर पड़ सकता है। आज हम बात करने वाले हैं कि डिप्रेशन से होने वाली इंफ्लेमेशन और हार्ट अटैक (Inflammation caused by Depression and heart attack) के बीच के संबंध के बारे में। डिप्रेशन से होने वाली इंफ्लेमेशन और हार्ट अटैक (Inflammation caused by Depression and heart attack) के बारे में जानने से पहले डिप्रेशन के बारे में जान लेते हैं।

डिप्रेशन: क्या है यह समस्या जानिए

डिप्रेशन एक कॉम्प्लेक्स मेंटल हेल्थ कंडिशन है, जिसमें व्यक्ति लगातार उदास और होपलेस महसूस करता है। किसी दुख या ट्रॉमा के रिस्पांस में डिप्रेशन के लक्षणों का अस्थायी रूप से अनुभव हो सकता है। लेकिन, जब यह लक्षण 2 सप्ताह से अधिक समय तक रहते हैं, तो यह एक गंभीर डिप्रेसिव डिसऑर्डर का संकेत हो सकता है। यह लक्षण किसी अन्य मेंटल हेल्थ कंडिशन के भी हो सकते हैं जैसे बायपोलर या पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (Post-traumatic stress disorder)। इसके कुछ लक्षण इस प्रकार हैं:

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  • अधिकतर मूड का खराब रहना, जिसमें दुख या खालीपन का अहसास होना शामिल है
  • जिन चीजों को करने में आपको मजा आता है, उनमें नीरसता का अनुभव होना
  • अधिकतर बहुत कम या बहुत अधिक सोना
  • अस्पष्ट रूप से वजन का कम होना या बढ़ना या भूख में बदलाव
  • एनर्जी का कम होना या थकावट
  • खुद को बेकार या दोषी महसूस करना
  • कंसन्ट्रेट करने या डिसीजन लेने में समस्या होना
  • सुसाइड या मृत्यु के ख्याल आना

इसके लक्षण समय के साथ ही बदल सकते हैं। डिप्रेशन से होने वाली इंफ्लेमेशन और हार्ट अटैक (Inflammation caused by Depression and heart attack) के लिंक के बारे में जानने से पहले डिप्रेशन और इंफ्लेमेशन के बारे में जान लेते हैं।

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क्या डिप्रेशन में इंफ्लेमेशन की समस्या हो सकती है?

ऐसा माना जाता है कि कई तरीकों से डिप्रेशन, फिजिकल हेल्थ को प्रभावित कर सकता है। डिप्रेशन के फिजिकल सिम्पटम्स में वजन का कम या अधिक होना, क्रॉनिक पेन, हार्ट डिजीज, सेक्शुअल हेल्थ प्रॉब्लम,सोने में समस्या. गैस आदि शामिल है। ऐसे ही डिप्रेशन के कारण इंफ्लेमेशन की समस्या भी आपको हो सकती है। शोध यह बताते हैं कि क्रॉनिक स्ट्रेस और डिप्रेशन को इंफ्लेमेशन और इम्यून सिस्टम में बदलाव को भी महसूस किया जा सकता है। ऐसा भी पाया गया है कि डिप्रेशन का कारण भी क्रॉनिक इंफ्लेमेशन हो सकती है।

जो लोग डिप्रेशन का शिकार होते हैं उन्हें इंफ्लेमेटरी कंडिशंस या ऑटोइम्यून डिसऑर्डर्स जैसे इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (Irritable bowel syndrome),टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) आदि का रिस्क अधिक रहता है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि डिप्रेशन इंफ्लेमेशन का कारण बनता है या क्रॉनिक इंफ्लेमेशन किसी व्यक्ति को डिप्रेशन के प्रति अधिक संवेदनशील बनाती है। दोनों के बीच के लिंक को समझने के लिए अभी और अधिक शोध की आवश्यकता है। अब जानते हैं डिप्रेशन से होने वाली इंफ्लेमेशन और हार्ट अटैक (Inflammation caused by Depression and heart attack) के बीच के कनेक्शन के बारे में।

डिप्रेशन से होने वाली इंफ्लेमेशन और हार्ट अटैक,Inflammation caused by Depression and heart attack

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डिप्रेशन से होने वाली इंफ्लेमेशन और हार्ट अटैक (Inflammation caused by Depression and heart attack) के कनेक्शन को समझें

ऐसा माना जाता है कि जो लोग डिप्रेशन का शिकार होते हैं, उनमें हार्ट डिजीज (Heart disease) का जोखिम अधिक रहता है। ऐसी कई चीजें है जो ऐसे में हार्ट डिजीज कि संभावना को कम कर सकती हैं। जैसे एक्सरसाइज करने से हमारे हार्ट और मूड पर पॉजिटिव प्रभाव पड़ा है। यहां तक कि तीस मिनटों तक व्यायाम करने ही आपको लाभ होगा। स्मोकिंग उन आदतों में से एक है जो आपके हार्ट और वैस्कुलर सिस्टम पर सबसे अधिक प्रभाव डाल सकती है। डिप्रेशन के दौरान कुछ आदतों को छोड़ना या विकसित करना बेहद मुश्किल हो सकता है। यदि ऐसा है, तो डॉक्टर आपकी इसमें मदद कर सकते हैं। जिन लोगों को कभी हार्ट अटैक की समस्या नहीं हुई हो, उनकी तुलना में हार्ट अटैक पेशेंट्स में डिप्रेशन की संभावना अधिक रहती है।

ऐसे ही, डिप्रेशन से हार्ट डिजीज (Heart disease) के डेवलप होने की संभावना अधिक होती है। अगर बात की जाए डिप्रेशन से होने वाली इंफ्लेमेशन और हार्ट अटैक (Inflammation caused by Depression and heart attack) की, तो यह तो आप जानते ही हैं कि डिप्रेशन से लाइफस्टाइल और अन्य हैबिट्स प्रभावित होती हैं। इसका शरीर पर भी सीधे तौर असर होता है। इसे लो-ग्रेड इंफ्लेमेशन से लिंक किया गया है। इस इंफ्लेमेशन से आर्टरीज क्लोग हो सकती हैं, स्ट्रेस हॉर्मोन्स के प्रोडक्शन बढ़ता है और ब्लड क्लॉट आसानी से बन सकते हैं। इसलिए, जब कोई आपसे कहे कि डिप्रेशन केवल मानसिक हेल्थ को प्रभावित करता है, तो उसकी बात न सुनें। डिप्रेशन शरीर को बड़े पैमाने पर प्रभावित करता है।

यह तो थी जानकारी डिप्रेशन से होने वाली इंफ्लेमेशन और हार्ट अटैक (Inflammation caused by Depression and heart attack) के बीच के कनेक्शन के बारे में। अब जानिए डिप्रेशन और हार्ट डिजीज (Heart disease) से कैसे छुटकारा पाया जा सकता है?

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डिप्रेशन और हार्ट डिजीज (Heart disease) को मैनेज कैसे करें?

हार्ट डिजीज (Heart disease) और डिप्रेशन दोनों बीमारियां परेशानी और कई जटिलताओं की वजह बन सकती हैं। इन दोनों परेशानियों को मैनेज करने के कुछ तरीके अपनाने से आपको लाभ होगा। इसके कुछ तरीके इस प्रकार हैं:

  • डिप्रेशन की स्थिति में मेडिकल हेल्प लें। इसके बारे में अपने डॉक्टर या थेरेपिस्ट से बात करें। वो आपके लिए सही दवाइयों, थेरेपी और अन्य तरीकों की सलाह दे सकते हैं। स्ट्रेस की स्थिति में आप योगा या मेडिटेशन भी कर सकते हैं।
  • स्मोकिंग करने से बचें। यह हार्ट डिजीज (Heart disease) का मुख्य रिस्क फैक्टर है। डिप्रेशन में, कई लोग स्मोकिंग करने से अच्छा महसूस करते हैं। लेकिन, याद रखें यह आपके स्वास्थ्य और हार्ट के लिए हानिकारक है। इसलिए, इसे छोड़ दें। इसे छोड़ने के लिए डॉक्टर की सलाह लें।
  • पर्याप्त नींद लें। नींद में कमी से डिप्रेशन बदतर हो सकता है। इसके साथ ही एल्कोहॉल का कम से कम सेवन करें। न केवल एल्कोहॉल से डिप्रेशन बढ़ सकता है, बल्कि इससे ब्लड प्रेशर भी अधिक होता है। हाय ब्लड प्रेशर से हार्ट अटैक या स्ट्रोक का जोखिम बढ़ सकता है।
  • एक्टिव रहें। अगर आप अपने शरीर में फील-गुड हॉर्मोन्स के लेवल को बढ़ाना चाहते हैं, तो एक्सरसाइज आपके लिए मददगार साबित हो सकती है। अधिक एक्टिव रहने से हार्ट हेल्थ सुधरती है।
  • सही आहार के सेवन से आपका शरीर स्वस्थ रहता है। ऐसे में अपने आहार में अधिक से अधिक फल, सब्जियों और साबुत अनाज आदि को शामिल करें। इससे न केवल आपका डिप्रेशन कम होगा बल्कि इससे शरीर सही से काम करता है ताकि हार्ट डिजीज (Heart disease) से बचा जा सके। डिप्रेशन से होने वाली इंफ्लेमेशन और हार्ट अटैक (Inflammation caused by Depression and heart attack) के बारे में यह जानकारी आपके बेहद काम आने वाले हैं।

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इंफ्लेमेशन डिप्रेशन का एक लक्षण है और हार्ट अटैक के बाद डिप्रेस्ड होना सामान्य है। लेकिन, अगर आपको कभी भी दिल की समस्या नहीं हुई है, तो भी आपका डिप्रेशन आपको हार्ट डिजीज के खतरे में डाल सकता है। अपना ख्याल रखने से आपको डिप्रेशन और हार्ट डिजीज (Heart disease) दोनों में मदद मिल सकती है।

उम्मीद है कि डिप्रेशन से होने वाली इंफ्लेमेशन और हार्ट अटैक (Inflammation caused by Depression and heart attack) के बारे में यह जानकारी आपको पसंद आई होगी। यह तो आप समझ ही गए होंगे कि डिप्रेशन के कारण होने वाली इंफ्लेमेशन से हार्ट आर्टरीज ब्लॉक या तंग हो सकती हैं। इससे हार्ट अटैक का जोखिम बढ़ सकता है। ऐसे में इस परेशानी से बचने के लिए डिप्रेशन और हार्ट डिजीज (Heart disease) से बचाव बेहद जरूरी है। अगर इस बारे में आपके मन में कोई भी सवाल हो तो डॉक्टर से अवश्य बात करें।

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डिस्क्लेमर

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Heart disease and depression. https://medlineplus.gov/ency/patientinstructions/000790.htm .Accessed on 1/6/22

 

Current Version

01/06/2022

AnuSharma द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Nidhi Sinha


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AnuSharma द्वारा लिखित · अपडेटेड 01/06/2022

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