हार्ट यानी दिल उस मस्कुलर ऑर्गन को कहा जाता है जो सर्कुलेटरी सिस्टम के ब्लड वेसल्स के माध्यम से ब्लड को पंप करता है। यह पंप्ड ब्लड ऑक्सीजन और न्यूट्रिएंट्स को शरीर में कैरी करता है, जबकि कार्बन डाइऑक्साइड जैसे मेटाबोलिक वेस्ट को फेफड़ों तक ले जाता है। हमारा हार्ट दो भागों में विभाजित होता है। हार्ट का राइट साइड ऑक्सीजन रिसीव करने के लिए फेफड़ों में ब्लड पंप करता है। लेफ्ट साइड शरीर के बाकी हिस्सों में ऑक्सीजनेटेड ब्लड को पंप करता है। राइट वेंट्रिकुलर हायपरट्रॉफी (Right ventricular hypertrophy) की समस्या तब होती है, जब हार्ट के राइट साइड के मसल्स थिक और एंलार्जड हो जाते हैं। आइए, जानें राइट वेंट्रिकुलर हायपरट्रॉफी (Right ventricular hypertrophy) के बारे में विस्तार से।
राइट वेंट्रिकुलर हायपरट्रॉफी (Right ventricular hypertrophy) क्या है?
हायपरट्रॉफी उस टर्म को कहा जाता है जिसका इस्तेमाल ऑर्गन या टिश्यू के बढे हुए साइज को डिस्क्राइब करने के लिए किया जाता है। यह साइज का बढ़ना अफेक्टेड एरिया में सेल्स के अपने सामान्य आकार से बड़ी होने के कारण होती है। हार्ट में, हायपरट्रॉफी के कारण एक या अधिक चैम्बर्स की दीवारें मोटी हो जाती हैं। यह उस एरिया में सेल्स के बढ़ने के कारण होता है। जब हार्ट में यह समस्या होती है, तो थिक हार्ट मसल समय के साथ इलास्टिसिटी खो देती हैं। राइट वेंट्रिकल के मामले में हार्ट को अधिक ऑक्सीजन प्राप्त करने के लिए लंग्स में ब्लड पंप करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। समय के साथ यह समस्या कई कॉम्प्लीकेशन्स का कारण बन सकती है। अब जानते हैं कि क्या हैं राइट वेंट्रिकुलर हायपरट्रॉफी (Right ventricular hypertrophy) के लक्षण?
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राइट वेंट्रिकुलर हायपरट्रॉफी (Right ventricular hypertrophy) के क्या हैं लक्षण?
राइट वेंट्रिकुलर हायपरट्रॉफी (Right ventricular hypertrophy) की समस्या हमेशा लक्षणों का कारण नहीं बनती है। अक्सर, लेफ्ट वेंट्रिकल, राइट वेंट्रिकल की समस्याओं की भरपाई करने की कोशिश करता है। इसका मतलब यह है कि कुछ लोगों को पता नहीं है कि उन्हें राइट वेंट्रिकुलर हायपरट्रॉफी की समस्या है, जब तक कि यह अधिक एडवांस लेवल तक न पहुंच जाए। अगर आपको यह बीमारी किसी अंडरलायिंग लंग कंडिशन के कारण है जैसे पल्मोनरी आर्टेरिअल हायपरटेंशन, तो आप उन्हें निम्नलिखित लक्षण नजर आ सकते हैं, जैसे:
- छाती में दर्द और प्रेशर (Chest pain and pressure)
- चक्कर आना (Dizziness)
- बेहोशी (Fainting)
- सांस लेने में समस्या होना (Shortness of breath)
- एड़ियों, पैरों और टांगों में सूजन (Swelling)
यह लक्षण कई अन्य कंडिशंस के जैसे हो सकते हैं जैसे कंजेस्टिव हार्ट फेलियर (Congestive heart failure) आदि। ऐसे में, इनमें से कोई भी लक्षण नजर आने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है। अब जानिए क्या हैं इस बीमारी के कारण?
राइट वेंट्रिकुलर हायपरट्रॉफी (Right ventricular hypertrophy) के कारण
राइट वेंट्रिकुलर हायपरट्रॉफी (Right ventricular hypertrophy) जैसा रोग या तो जन्मजात हार्ट डिजीज (Congenital heart conditions) या हाय ब्लड प्रेशर के कारण होता है, जिसे पल्मोनरी हायपरटेंशन (Pulmonary hypertension) के रूप में जाना जाता है। इसके अलावा इसके कुछ अन्य कारण भी हो सकते हैं, जैसे:
- क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (Chronic obstructive pulmonary disease)
- पल्मोनरी एम्बोली (Pulmonary emboli)
- क्रॉनिक लंग डिजीज जैसे सारकॉइडोसिस (Sarcoidosis) और पल्मोनरी फाइब्रोसिस (Pulmonary Fibrosis)
- पल्मोनरी वॉल्व स्टेनोसिस (Pulmonary valve stenosis)
- कार्डियक फाइब्रोसिस (Cardiac fibrosis)
- सिकल सेल एनीमिया (Sickle cell anemia)
- क्रॉनिक एनीमिया (Chronic anemia) जैसे आयरन डेफिशियेंसी (Iron deficiency), फोलेट (Folate) या बी12 डेफिशियेंसी (B12 deficiency) आदि
- स्लीप एप्निया (Sleep Apnea)
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इसके अलावा भी इसके कुछ अन्य लक्षण हो सकते हैं। यही नहीं, कुछ खास कंडिशंस या हैबिट्स से भी इस रोग का रिस्क बढ़ सकता है। यह कंडिशंस इस प्रकार हैं:
- स्मोकिंग (Smoking), स्मोकिंग से कई हार्ट और पल्मोनरी कंडिशंस का जोखिम बढ़ सकता है।
- स्लीप एप्निया (Sleep Apnea), जो राइट वेंट्रिकुलर हायपरट्रॉफी (Right ventricular hypertrophy) का एक सामान्य रिस्क फैक्टर है ।
- स्ट्रेनियस एक्टिविटी (Strenuous activity), यानी ओवरएक्सेरशन भी इस रोग के रिस्क को बढ़ा सकता है।
राइट वेंट्रिकुलर हायपरट्रॉफी (Right ventricular hypertrophy) से जुड़ी मुख्य जटिलताएं, हार्ट पर पड़ने वाले अनावश्यक स्ट्रेस के कारण होती हैं। अगर इसका उपचार न किया जाए तो हार्ट कमजोर हो सकता है और इससे हार्ट फेलियर और अन्य गंभीर समस्याओं का जोखिम बढ़ सकता है। अब जानिए कैसे किया जा सकता है इस कंडिशन का निदान?
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इस बीमारी का इस तरह से संभव है निदान
इस रोग के निदान के लिए सबसे पहले डॉक्टर रोगी से मेडिकल हिस्ट्री के साथ ही लाइफस्टाइल फैक्टर्स के बारे में पूछेंगे। इसके साथ ही वो रोगी से लक्षणों के बारे में भी जानेंगे। डॉक्टर इन टेस्ट्स की सलाह भी आपको दे सकते हैं, ताकि जाना जा सके कि रोगी का हार्ट कैसे काम कर रहा है, जैसे:
- चेस्ट एक्स-रे (Chest X-ray): चेस्ट एक्स-रे के माध्यम से डॉक्टर को यह जानने में मदद मिलेगी कि रोगी के हार्ट का राइट साइड सामान्य में बड़ा दिख रहा है या नहीं।
- इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (Electrocardiogram): इस टेस्ट से डॉक्टर यह मेजर करते है कि रोगी का हार्ट, हार्टबीट्स को ट्रिगर करने वाले इलेक्ट्रिकल इम्पल्सेस को कितनी अच्छी तरह कंडक्ट करता है। यदि आपके हार्ट का राइट साइड बड़ा है, तो इन इम्पल्सेस को कंडक्ट करने में हार्ड समय लगेगा।
- इकोकार्डियोग्राम (Echocardiogram): इकोकार्डियोग्राम हार्ट के चैम्बर्स और वॉल्व्स के अल्ट्रासाउंड को कहा जाता है। इस टेस्ट का इस्तेमाल डॉक्टर यह देखने के लिए करते हैं कि हार्ट का राइट साइड सामान्य से अधिक लार्ज है या नहीं। इसके अलावा भी डॉक्टर अन्य टेस्ट्स के लिए भी कह सकते हैं।
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राइट वेंट्रिकुलर हायपरट्रॉफी (Right ventricular hypertrophy) का उपचार
राइट वेंट्रिकुलर हायपरट्रॉफी (Right ventricular hypertrophy) का उपचार इसके अंडरलायिंग कारणों पर निर्भर करता है। अगर पल्मोनरी एट्रिअल हायपरटेंशन इसका कारण है तो आपको कुछ मेडिकेशन्स की जरूरत हो सकती है, जो पल्मोनरी आर्टरी को रिलैक्स करती है जैसे सिल्डेनाफिल (Sildenafil)। हार्ट फंक्शन्स को सुधारने के लिए जिन अन्य दवाईयों की सलाह दी जाती है, वो इस प्रकार हैं:
- एंजियोटेंसिन-कंवर्टिंग-एंजाइम इन्हिबिटर्स (Angiotensin-converting-enzyme inhibitors)
- एंजियोटेंसिन II रिसेप्टर ब्लॉकर्स (Angiotensin II receptor blockers)
- बीटा-ब्लॉकर्स (Beta-blockers)
- डिजोक्सिन (Digoxin)
- डाययुरेटिक्स (Diuretics)
अगर इस रोग की वजह से रोगी के हार्ट को लगातार बीट करने में समस्या हो रही हो, तो रोगी को पेसमेकर की जरूरत पड़ सकती है। यह वो डिवाइस है, जो हार्ट को रेगुलर रिदम मेंटेन करने में मदद करता है। इसके साथ ही रोगी को अगर हार्ट के स्ट्रक्चर या वॉल्व्स में समस्या है, तो सर्जरी की आवश्यकता भी हो सकती है।
इसके उपचार का उद्देश्य राइट वेंट्रिकल की वॉल्स की थिकनिंग को कम करना या रोकना होता है। अभी इन वॉल्स से पूरी तरह से थिकनिंग को रिवर्स करने के लिए कोई ट्रीटमेंट नहीं है। हालांकि, दवाईयों से कुछ राहत मिल सकती है। कुछ मामलों में राइट वेंट्रिकुलर हायपरट्रॉफी (Right ventricular hypertrophy) को बदतर होने से बचा जा सकता है। इसमें रिस्क फैक्टर्स को कम करना और हार्ट और लंग हेल्दी लाइफस्टाइल को प्रोमोट करना शामिल है। इसके अलावा रोगी के लिए स्मोकिंग को छोड़ना, सही आहार का सेवन करना, नियमित व्यायाम, सही वजन को मेंटेन रखना जरूरी है।
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हर मामलें में राइट वेंट्रिकुलर हायपरट्रॉफी (Right ventricular hypertrophy) की स्थिति में लक्षण नजर नहीं आते हैं। लेकिन, इसका उपचार बेहद जरूरी है। क्योंकि, इसके परिणाम बेहद गंभीर हो सकते हैं, जिनमें हार्ट फेलियर भी शामिल हैं। ऐसे में इसके लक्षणों को सही समय पर पहचानना और उपचार जरूरी है। अगर इसके बारे में आपके मन में कोई भी सवाल है तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें। आप हमारे फेसबुक पेज पर भी अपने सवालों को पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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