अल्ट्रा प्रोसेस्ड डायट और टीन्स में हार्ट रिस्क (Ultra processed diet and heart risk in teens) लोगों के बीच चिंता का विषय बना हुआ है। स्वस्थ रहने का एक ही मूल मंत्र है ‘अच्छा खाओ और व्यायाम करो’। अच्छा खाने से मतलब है कि आप जो भी खाना खा रहे हैं उसमें पर्याप्त मात्रा में न्यूट्रीशन यानी कि पोषण होना चाहिए। जो खाना बिना किसी प्रिजर्वेटिव्स के प्राकृतिक रूप में आप तक पहुंचे, वह खाना पोषण से भरपूर होता है। जैसे कि फल सब्जियां या फिर खेत में पैदा होने वाला अनाज, फ्रेश मीट आदि। जिन फूड्स को बिना बिना किसी प्रोसेस के खाया जाता है, शरीर को उनसे पूरा पोषण मिलता है। प्रोसेस्ड फूड्स या अधिक प्रोसेस्ड फूड्स (अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स) को प्रिजर्वेटिव्स की मदद से लंबे समय तक सुरक्षित रखा जाता है। प्रोसेस्ड फूड्स सेहत के लिए अच्छे नहीं होते हैं। भले ही ये बाजार में आसानी से मिल जाए, लेकिन सेहत के लिए अच्छे नहीं माने जाते हैं। अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स टीन्स के बीच बेहद पॉपुलर होते हैं। अल्ट्रा प्रोसेस्ड डायट और टीन्स में हार्ट रिस्क (Ultra processed diet and heart risk in teens) का संबंध जानना आपके लिए बेहद जरूरी है।
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अल्ट्रा प्रोसेस्ड डायट और टीन्स में हार्ट रिस्क (Ultra processed diet and heart risk in teens)
अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स या डायट (Ultra processed diet) में नाश्ता, ड्रिंक्स, तैयार भोजन और कई अन्य उत्पाद जो ज्यादातर या पूरी तरह से खाद्य पदार्थों से बनाएं जाते हैं या फिर खाद्य पदार्थों के ही कंपोनेंट से तैयार किए जाते हैं।अल्ट्रा प्रोसेस्ड शब्द दशकों पहले इस्तेमाल करना शुरू कर दिया गया था। आइए जानते हैं कि आखिर अल्ट्रा प्रोसेस्ड डायट (Ultra processed diet) सेहत के लिए क्यों अच्छे नहीं होते हैं। अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स या डायट (Ultra processed diet) में शुगर यानी कि शक्कर अधिक मात्रा में इस्तेमाल की जाती है साथ ही इसमें ज्यादा नमक या सोडियम का इस्तेमाल किया जाता है। इस डायट में कम मात्रा में फाइबर पाया जाता है और माइक्रोन्यूट्रिएंट (Micronutrient) की मात्रा भी बहुत कम होती है, इसलिए इसे सेहत के लिए अच्छा नहीं मानते हैं।
डाइट में अधिक मात्रा में ट्रांस फैट (Trans fat) और सैचुरेटेड फैट का सेवन करने से हार्ट संबंधी बीमारियों का खतरा (Risk for heart disease) बढ़ जाता है। जो टीन्स अपने खाने में अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड का सेवन अधिक करते हैं, उन लोगों को हार्ट संबंधित बीमारियों का खतरा अधिक बना रहता है। अल्ट्रा प्रोसेस्ड डायट और टीन्स में हार्ट रिस्क फूड्स में पाए जाने वाले फैट के कारण हो सकता है।
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अल्ट्रा प्रोसेस्ड डायट और टीन्स में हार्ट रिस्क: अल्ट्रा प्रोसेस्ड डाइट और अनप्रोसेस्ड डाइट का वजन पर असर
अल्ट्रा प्रोसेस्ड डाइट और अनप्रोसेस्ड डाइट का सेहत पर क्या असर होता है, इसके लिए स्टडी भी की गई। जर्नल सेव मेटाबॉलिज्म (Journal Cell Metabolism ) में पब्लिश्ड रिसेंट स्टडी की बात करें, तो उसमें करीब 20 हेल्दी लोगों को और ओवरवेट एडल्ट्स को शामिल किया गया। पार्टिसिपेंट्स को अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स और अनप्रोसेस्ड करीब 14 दिनों के लिए दिया गया। दोनों ही लोगों को करीब 14 दिनों के लिए 60 मिनट तक दोनों प्रकार के फूड्स ( ultra-processed or unprocessed) खाने की इजाजत दी गई। कैलोरी में कार्बोहाइड्रेट (carbohydrates), प्रोटीन (Protein), फाइबर, और सोडियम को शामिल किया गया। कैलोरी के सोर्स में अंतर रखा गया।
अल्ट्रा-प्रोसेस्ड डाइट फेज में 83.5% कैलोरी अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड से आती है; जबकि अनप्रोसेस्ड फूड्स में, 83.3% कैलोरी अनप्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों से आती है। अल्ट्रा-प्रोसेस्ड डाइट फेज में कार्बोहाइड्रेट और वसा के ज्यादा इनटेक के साथ मार्के किया गया, जिसमें प्रोटीन नहीं थी। अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स फेज के दौरान प्रतिभागियों ने औसतन दो पाउंड वेट बढ़ा लिया, और अनप्रोसेस्ड फूड्स खाने वाले प्रतिभागियों ने दो पाउंड वजन कम किया। अब आप खुद ही समझ सकते हैं कि जो टीन्स अल्ट्रा प्रोसेस्ड डाइट को लंबे समय तक अपनाते हैं, उनका वजन अधिक बढ़ने की संभावना होती है। अधिक वजन हार्ट रिस्क से जुड़ा हो सकता है।
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अल्ट्रा प्रोसेस्ड डायट और टीन्स में हार्ट रिस्क से संबंधित स्टडी
शोधकर्ताओं ने एक बड़े राष्ट्रीय सर्वेक्षण में भाग लेने वाले 12 से 19 वर्ष की आयु के 5,565 लोगों को स्टडी के दौरान शामिल किया गया। स्टडी के दौरान पाया गया कि एडल्ट्स की तुलना में टीन्स अधिक अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स खाते हैं। उन्हें करीब 66 प्रतिशत कैलोरी अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स से ही मिलती है। किशोरों की पसंद के कारण उनके हार्ट को खतरा बढ़ जाता है। लंबे समय तक इस तरह के फूड्स का सेवन करने से टीन्स में लंबे समय के लिए हार्ट से संबंधित बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। शिकागो में नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी फीनबर्ग स्कूल ऑफ मेडिसिन में पिडिएट्रिक और प्रिवेंटिव मेडिसिन के सहायक प्रोफेसर डॉ अमांडा मार्मा पेराक ने कहा कि निष्कर्ष चौंकाने वाले थे – किशोरों ने अल्ट्रा-प्रोसेस्ड भोजन से करीब 42% से 88% कैलोरी का कंज्यूम की। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की ये रिपोर्ट वाकई चौंकाने वाली है।
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ये सच है कि बच्चों के लिए या फिर टीन्स के लिए किसी भी ऐसे खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन करना आसान है जो स्वादिष्ट होते हैं और साथ ही आसानी से उपलब्ध भी हो जाते हैं। टीन्स इन खाद्य पदार्थों को अधिक खा सकते हैं, भले ही वे भूखे न हों। अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स का सेवन अधिक मात्रा पर करने पर आपच की समस्या भी हो सकती है क्योंकि इनमें फाइबर अधिक मात्रा में नहीं होता है। फाइबर की कमी होने के कारण कब्ज की समस्या भी पैदा हो सकती है। कब्ज की समस्या एक नहीं बल्कि कई बीमारियों को जन्म देने का काम कर सकती है। इसीलिए लोगों को रीयल फूड्स या नैचुरल फूड्स को खाने की सलाह दी जाती है। पैकिट बंद फूड्स को खाने से बेहतर होता है कि आप उन्हें फ्रेश खाएं। अल्ट्रा प्रोसेस्ड डायट और टीन्स में हार्ट रिस्क के बारे में डॉक्टर से जरूर पूछें।
बच्चों को समझाएं पोषण का मतलब!
अल्ट्रा प्रोसेस्ड डायट और टीन्स में हार्ट रिस्क एक दूसरे से संबंधित है। टीन्स को इससे बचाने के लिए आपको बचपन से ही उन्हें पोषण के बारे में जानकारी देनी पड़ेगी।अगर बचपन से ही बच्चों को हेल्दी फूड के बारे में जानकारी दी जाती है, तो उन्हें हेल्दी खाने का मतलब समझ आएगा। आप बच्चों को ऐसी रेसिपीज बना कर खिलाएं, जो उन्हें बेहद पसंद आए। ऐसा करने पर यकीनन बच्चों को फ्रेश वेजिटेबल्स और फ्रूट्स से बनी रेसिपी पसंद आएगी। आप बच्चों को हेल्दी फूड्स के फायदों के बारे में बताएं। साथ ही ये भी बताएं कि किन फूड्स से उन्हें अधिक न्यूट्रीशन मिलता है और क्या खाने पर न्यूट्रिशन नहीं मिल पाता है। आप चाहे तो बच्चों के साथ मिलकर रेसिपी भी तैयार कर सकते हैं। ऐसा करने से उनकी खाने की प्रति उत्सुकता बढ़ेगी और साथ ही वो अल्ट्रा-प्रोसेस्ड डाइट के बारे में नहीं सोचेंगे। हेल्दी चॉइस हार्ट हेल्थ को बेहतर बना सकता है। अगर आप बच्चों को इस बारे में जानकारी देंगे तो यकीनन वह ऐसे फू्डस से दूरी बना लेंगे, जो उनकी हार्ट हेल्थ को खराब करता है।
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इस आर्टिकल में हमने आपको अल्ट्रा प्रोसेस्ड डायट और टीन्स में हार्ट रिस्क (Ultra processed diet and heart risk in teens) के बारे में जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।
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