हाय ब्लड प्रेशर और लो पल्स (High blood pressure and low pulse) के बारे में आपको पता है क्या ? रक्तचाप और नब्ज यानि कि पल्स दो ऐसी माप हैं, जिनका उपयोग डॉक्टर आपके दिल और समग्र स्वास्थ्य की निगरानी के लिए करते हैं। पल्स, जिसे हृदय गति भी कहा जाता है, यह दर्शाती है कि आपका दिल एक मिनट में कितनी बार धड़कता है। विशिष्ट नाड़ी माप 60 से 100 बीट प्रति मिनट तक होता है। ब्लड प्रेशर आपके रक्त वाहिकाओं पर आपके रक्त द्वारा डाले जा रहे दवाब का एक अनुमान होता है। रक्तचाप के लिए एक विशिष्ट मूल्य 120/80 (एमएमएचजी [mmHg]) है।
यदि आपको लो पल्स के साथ हाय ब्लड प्रेशर है, तो इसका मतलब है कि आपका रक्त आपकी रक्त वाहिकाओं पर दबाव बढ़ा रहा है, लेकिन आपके दिल की धड़कन प्रति मिनट 60 बार से कम हो रही है। आइए जानते हैं कि हाय ब्लड प्रेशर और लो पल्स (High blood pressure and low pulse) में क्या संबंध है:
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हाय ब्लड प्रेशर और लो पल्स के बीच क्या संबंध है (What is the relation between High Blood Pressure and Low Plus)?
यह एक बड़ा सवाला है कि आपकी पल्स और रक्तचाप एक-दूसरे को कैसे प्रभावित कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर आप अपनी पल्स को विद्युत प्रणाली और अपने रक्तचाप को प्लंबिंग के रूप में कल्पना कर के देंखे। आपकी पल्स ज्यादातर विद्युत आवेगों द्वारा नियंत्रित होती है। ये आवेग आपके हृदय के माध्यम से फ्लो करते हैं, दिल को धड़कने का संदेश देते हैं। व्यायाम, तनाव, भय और अन्य कारक आपकी नब्ज को तेज कर सकते हैं। यदि आपकी रक्त वाहिकाएं संकरी हैं या किसी प्रकार की रुकावट है, तो आपके हृदय को रक्त पंप करने के लिए या तो अधिक जोर से चलना होगा या तेजी से धड़कना होगा। इसके परिणामस्वरूप उच्च रक्तचाप की समस्या होना स्वभाविक है। जब आपका रक्तचाप और नाड़ी संतुलन से बाहर हो जाता है, तो यह आपके हृदय पर दबाव डालता है। ऐसे में आप जिन लक्षणों का अनुभव कर सकते हैं, उनमें शामिल हैं:
- उलझन होना
- व्यायाम करने में कठिनाई
- सिर चकराना
- बेहोशी या लगभग बेहोशी
- थकान महसूस होना
- सांस लेने में कठिनाई होना
इसके लक्षणों पर ध्यान देना बहुत आवश्यक है, नहीं तो हाय ब्लड प्रेशर और लो पल्स से कार्डियक अरेस्ट हो सकता है। ऐसे लक्षण महसूस होने पर डॉक्टर से तुरंत बात करें।
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हाय ब्लड प्रेशर और लो पल्स का क्या कारण है (What causes high blood pressure and low Pulse)?
कई चीजें हाय ब्लड प्रेशर और लो पल्स के संयोजन का कारण बन सकती हैं, जिनमें शामिल हैं:
रक्तचाप की दवाएं (Blood pressure drugs)
उच्च रक्तचाप के लिए उपयोग की जाने वाली कुछ दवाएं, विशेष रूप से बीटा-ब्लॉकर्स और कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स, भी लो पल्स का कारण बन सकता है। आपके रक्तचाप को कम करने वाली ये दवाएं पल्स को भी कम करती हैं, आपके दिल पर दबाव भी कम करती हैं।
दर्दनाक चोटें या इंटरनल ब्लीडिंग (Traumatic injuries or Internal bleeding)
मस्तिष्क की चोट या रक्तस्राव भी उच्च रक्तचाप और कम नाड़ी के संयोजन का कारण बन सकता है। चोट और रक्तस्त्राव दोनों ही आपके मस्तिष्क पर दबाव बढ़ाते हैं। चोट के कारण इंटरनल ब्लीडिंग भी होने लगती है। जिसके कारण इस तरह के लक्षण भी नजर आ सकते हैं:
- धीमी हृदय गति
- उच्च रक्त चाप की समस्या
- अनियमित या बहुत धीमी गति से सांस लेना
यदि आपको हाल ही में किसी प्रकार की सिर में चोट लगी है और इन लक्षणों को नोटिस करते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। रक्तचाप रक्त वाहिकाओं के अंदर रक्त के बल का माप है। हाय ब्लड प्रेशर संचार प्रणाली को प्रभावित कर सकता है, जिससे दिल के दौरे और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन द्वारा जारी किए गए नए दिशानिर्देशों के अनुसार, अधिकांश डॉक्टर उच्च रक्तचाप को 130/80mmHg से अधिक मानते हैं। गंभीर रूप से उच्च रक्तचाप 170/100mmHg से अधिक माना जाता है। हाय ब्लड प्रेशर और लो पल्स के संभावित कारणों पर एक नजर डालते हैं।
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बीटा ब्लॉकर्स (Beta blockers)
रक्तचाप रक्त वाहिकाओं के अंदर रक्त के बल का माप है। उच्च रक्तचाप संचार प्रणाली पर अधिक दवाब डाल कर सकता है, जिससे दिल का दौरा और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन द्वारा जारी किए गए नए दिशानिर्देशों के अनुसार, अधिकांश डॉक्टर उच्च रक्तचाप को 130/80 से अधिक मानते हैं। गंभीर रूप से उच्च रक्तचाप 170/100 से अधिक माना जाता है। अब उच्च रक्तचाप के संभावित कारणों पर एक नजर डालते हैं। बीटा-ब्लॉकर्स दवाओं का एक वर्ग है, जो डॉक्टर कभी-कभी उच्च रक्तचाप का इलाज करने और दिल की विफलता के प्रभाव को कम करने के लिए देते हैं। बीटा-ब्लॉकर्स के उदाहरणों में शामिल हैं:
- एटेनोलोल (टेनोर्मिन)
- मेटोप्रोलोल (लोप्रेसर, टोपोल एक्सएल)
- नेबिवोलोल (बायस्टोलिक)
- प्रोप्रानोलोल (इंडरल)
ये दवाएं दिल में बीटा रिसेप्टर्स को ब्लॉक करने का काम करती हैं। इन रिसेप्टर्स को उत्तेजित करने से हृदय गति बढ़ जाती है, जबकि उन्हें ब्लॉक करने से हृदय गति कम हो जाती है। कम हृदय गति उस व्यक्ति के लिए फायदेमंद होती है, जिसे हृदय की समस्या है। जब दिल धीमी गति से धड़कता है, तो उसे भी कम ऑक्सिजन की आवश्यकता होती है। यह हृदय पर कम दबाव डालता है। जब हृदय अनियमित रूप से धड़कता है, तो डॉक्टर कभी-कभी उच्च रक्तचाप, कंजेस्टिव दिल की विफलता या कार्डियक प्रॉब्लम वाले लोगों को बीटा-ब्लॉकर्स की सलाह दे सकते हैं। इस कारण से, एक व्यक्ति जिसे पहले से ही उच्च रक्तचाप की समस्या है, उसकी हृदय गति बीटा-ब्लॉकर्स के साथ कम हो सकती है।
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उपचार (Treatment)
डॉक्टर रक्तचाप को कम करने के लिए अन्य दवाएं भी लिख सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स
- एंजियोटेंसिन रिसेप्टर ब्लॉकर्स
- एंजियोटेंसिन परिवर्तित एंजाइम ब्लॉकर्स
रक्तचाप का इलाज करते समय ये दवाएं आमतौर पर हृदय गति को प्रभावित नहीं करती हैं।
कुशिंग रिफ्लेक्स (Cushing’s reflex)
कुशिंग रिफ्लेक्स एक दुर्लभ घटना है जो हाय ब्लड प्रेशर और लो पल्स का कारण बन सकती है। रिफ्लेक्स बढ़े हुए इंट्राकैनायल दबाव के लिए शरीर की प्रतिक्रिया का परिणाम है। इंट्राक्रैनील दबाव सिर के अंदर होने वाला दबाव है और मस्तिष्क में रक्तचाप का माप करता है। मस्तिष्क किसी व्यक्ति की खोपड़ी के अंदर का हिस्सा होता है। इसलिए, यदि इसमें सूजन आ जाती है, तो इसके कारण गंभीर समस्याएं हो सकती है। नतीजतन, सूजन के कारण इंट्राकैनायल पर दबाव बढ़ने लगता है। कुशिंग रिफ्लेक्स खोपड़ी में बहुत अधिक होने से दबाव बनाने और रखने के लिए शरीर के तरीकों में से एक है। यह हृदय में रिसेप्टर्स को हृदय गति को धीमा करने के लिए इंट्राकैनायल दबाव को कम करने का संकेत देता है। गंभीर चिकित्सा स्थितियां आमतौर पर कुशिंग रिफ्लेक्स को सक्रिय करती हैं। इनके कारणों में शामिल हैं:
- ब्रेन ट्यूमर की समस्या
- हायपोक्सिया
- चोट की समस्या
- सदमा लगना
- मस्तिष्क में इंटरनल ब्लीडिंग होना
उपचार (Treatment)
कुशिंग रिफ्लेक्स एक आपात स्थिति है। जब डॉक्टर इस स्थिति को पहचान लेते हैं, तो उनका लक्ष्य मस्तिष्क में इंट्राक्रैनील दबाव को कम करने का प्रयास करना और इलाज करना होता है। यदि दबाव बहुत अधिक हो जाता है, तो यह मस्तिष्क को स्थायी रूप से नुकसान पहुंचा सकता है। अत्यधिक उच्च इंट्राक्रैनील दबाव से एक व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है।
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हाय ब्लड प्रेशर और लो पल्स के बीच के संबंध के बारे में आपने जाना यहां। इसका समय रहते इलाज बहुत जरूरी है, नहीं तो जान का संकट हो सकता है। दिए गए लक्षणों के नजर आने पर तुरंत डॉक्टर से बात करें। हाय ब्लड प्रेशर और लो पल्स के बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से मिलें।
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