हाइपरटेंशन क्या है, इसे समझने के लिए सबसे पहले बता दें कि, हाई ब्लड प्रेशर को ही हाइपरटेंशन कहते हैं। यह बहेद खतरनाक बीमारी है क्योंकि इसकी वजह से कोरोनरी हार्ट डिजीज, हार्ट फेलियर, स्ट्रोक और किडनी फेलियर भी हो सकता है। हाई ब्लड प्रेशर को हिंदी में उच्च रक्तचाप भी कहते हैं। हाई ब्लड प्रेशर होने के कारण धमनी की दीवारों (एथेरोस्क्लेरोसिस) पर पट्टियों का निर्माण तेजी से होने लगता है, जिसके कारण हृदय की मांसपेशियों में रक्त का प्रवाह रूक सकता है, जिससे दिल का दौरा पड़ने का खतरा अधिक हो जाता है। यह हमारे ब्रेन में धमनियों की दीवारों को भी कमजोर करता है जो स्ट्रोक का कारण बन सकता है। यह किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है। इसलिए इस बीमारी और इससे बचने के उपायों के बारे में जानना जरूरी है।
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हाइपरटेंशन क्या है, इसे कैसे समझें
हाई ब्लड प्रेशर के कारण रक्त वाहिनियों में दबाव पड़ने लगता है। उनकी वॉल क्षतिग्रस्त हो जाती है और उनमें ब्लॉकेज हो जाता है। आमतौर पर ब्लड प्रेशर को सिस्टोलिक और डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर के रूप में जाना जाता है। सिस्टोलिक ऊपर की धमनियों में दबाव को दर्शाता है और डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर नीचे वाली धमनियों में दबाव को दर्शाता है। एक स्वस्थ व्यक्ति का सिस्टोलिक ब्लडप्रेशर 90 और 120 मिलीमीटर (mmHg) के बीच होता है। इससे ज्यादा होने पर व्यक्ति हाइपरटेंशन की चपेट में आ जाता है।
हाइपरटेंशन के प्रकार
हाई ब्लड प्रेशर आमतौर पर 2 प्रकार का होता है। 95 प्रतिशत हाई ब्लड प्रेशर वाले व्यक्तियों के हाइपरटेंशन की वजह का पता नहीं चल पाता है, इसे एसेंशियल या प्राइमरी हाइपरटेंशन करते हैं। जब कारण का पता चल जाता है तो उसे सेकंडरी हाइपरटेंशन कहते हैं।
हाइपरटेंशन क्या है? प्राइमरी हाइपरटेंशन
इसको तब डायग्नोस किया जाता है जब डॉक्टर नोटिस करता है कि उनके 3 या अधिक विजिट के बाद और हाई ब्लड प्रेशर के अन्य कारणों को समाप्त करने के बाद भी आपका रक्तचाप उच्च ही है। आमतौर पर प्राइमरी हाइपर टेंशन में कोई लक्षण नहीं दिखते हैं, लेकिन आपको बार-बार सिरदर्द, थकान, चक्कर आना और नाक से खून आने की शिकायत हो सकती है। लेकिन शोधकर्ताओं के मुताबिक प्राइमरी हाइपरटेंशन की समस्या क्या आनुवांशिक हो सकती है या नहीं, इसके अभी तक उचित परिणाम नहीं मिले हैं। हालांकि, मोटापा, स्मोकिंग, शराब, डायट और खराब लाइफ स्टाइल इसकी संभावना बढ़ा देता है।
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हाइपरटेंशन क्या है? सेकंडरी हाइपरटेंशन
सेकंडरी हाइपरटेंशन का मुख्य कारण किडनी में ब्लड सप्लाई करने वाली आर्टरीज (धमनियों) में खराबी या असमान्यता है। इसके अन्य कारण भी हो सकते हैं जैसे एडर्नल ग्लैंड्स की बीमारी या ट्यूमर, हार्मोनल असमान्यताएं, थायरॉइड, डायट में अधिक नमक और शराब का सेवन। दवाइयों की वजह से भी सेकंडरी हाइपर टेंशन हो सकता है जिसमें इबुप्रोफेन (मोट्रिन, एडविल, और अन्य) और स्यूडोफेड्राइन (आफरीन, सूडाफेड, और अन्य) ओवर-द-काउंटर दवाएं शामिल हैं। अच्छी बात यह है कि कारण का पता लगने पर हाइपरटेंशन को कंट्रोल किया जा सकता है।
इसके अलावा खास डायग्नोस्टिक के आधार पर हाइपरटेंशन की तीन और कैटेगरी होती है।
हाइपरटेंशन क्या है? आइसोलेटेड सिस्टोलिक हाइपरटेंशन
ब्लड प्रेशर को दो नबंरों में मापा जाता है। पहला ऊपरी स्तर जिसे सिस्टोलिक प्रेशर कहते हैं, जो दिल के धड़कने के दौरान दबाव डालता है और दूसरा है डायस्टोलिक प्रेशर यह दिल की धड़कनों के बीच आराम के दौरान बनने वाले दबाव को दिखाता है। सामान्य ब्लड प्रेशर 120/80 के नीचे माना जाता है। इसोलेटेड सिस्टोलिक हाइपरटेंशन में सिस्टोलिक प्रेशर 140 के ऊपर रहता है जबकि नीचे वाला प्रेशर 90 से कम होता है। 65 साल से अधिक उम्र के लोगों में इस तरह के हाइपरटेंशन की अधिक संभावना होती है और यह धमनियों में एलास्टिसिटी कम होने की कारण होता है। जब बाद बुजुर्गों के कार्डियोवस्कुल डिसीज के जोखिम की हो तो सिस्टोलिक प्रेशर अधिक महत्वपूर्ण होता है।
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हाइपरटेंशन क्या है? मैलिगैंट हाइपरटेंशन
इस तरह का हाइपरटेंशन इस बीमारी से पीड़ित केवल एक प्रतिशत लोगों में होता है। यह कम उम्र के व्यस्कों को अधिक होता है। यह तब होता है जब आपका ब्लड प्रेशर तुरंत बहुत अधिक बढ़ जाता है। जब आपका डायस्टोलिक प्रेशर 130 के ऊपर चला जाए तो आपको मैलिगैंड हाइपरटेंशन है। यह मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति होती है और आपको अस्पताल में इलाज की आवश्यकता है। इसके लक्षणों में शामिल हैं बांह और पैरों का सुन्न होना, धुंधला दिखना, कन्फ्यूजन, छाती और सिर में दर्द।
हाइपरटेंशन क्या है? रेसिस्टैंट हाइपरटेंशन
यदि आपके डॉक्टर ने आपको तीन अलग तरह की एंटीहाइपरटेंसिव दवाईयां दी हैं, लेकिन बावजूद इसके आपका ब्लड प्रेशर हाई है तो आपको रेसिस्टैंट हाइपरटेंशन है। हाई ब्लड प्रेशर के 20-30 प्रतिशत मामलों में रेसिस्टैंट हाइपरटेंशन होता है। यह अनुवांशिक कारणों से भी हो सकता है और यह बुजुर्ग, मोटे लोगों, महिलाओं, अफ्रिकन अमेरिकन और डायबिटीज और किडनी की बीमारी से पीड़ित लोगों में आम है।
हाइपरटेंशन की वजह
वैसे तो हाइपरटेंशन की किसी एक वजह का अभी तक पता नहीं लगाया जा सकता है, लेकिन आमतौर पर डॉक्टर इसके लिए अधिक चिंता, गुस्सा, मानसिक विकार, अनहेल्दी डायट, लाइफस्टाइल में आए बदलाव, सिगरेट-शराब का सेवन आदि को मानते हैं। इसके अलावा किडनी की बीमारी भी हाइपटेंशन की वजह हो सकती है। अधिक मोटापा, स्ट्रेस और खाने में नमक का अधिक सेवन भी हाइपरटेंशन की संभावना बढ़ा देता है। इसके अलावा इसके लिए जेनेटिक प्रॉब्लम भी जिम्मेदार हो सकती है।
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कैसे बचें हाइपरटेंशन से?
- फिजिकली एक्टिव रहें यानी नियमित रूप से एक्सरसाइज करें।
- स्ट्रेस कम करने की कोशिश करें, इसके लिए मेडिटेशन का सहारा ले सकते हैं।
- मोटापा कम करें।
- हेल्दी डायट लें।
- स्मोकिंग और शराब से पूरी तरह दूरी बना लें।
- जब लगे की तनाव बढ़ रहा है तो रिलैक्सिंग टेक्नीक से उसे कम करनें की कोशिश करें।
- खाने में नमक की मात्रा सीमित करें।
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