हमारे शरीर के लिए कोलेस्ट्रॉल, कैल्शियम आदि जरूरी होते हैं। अगर शरीर में कोलेस्ट्रॉल या फिर कैल्शियम अधिक मात्रा में पहुंचते हैं, तो ये हार्ट के लिए हानिकारक हो सकते हैं। हार्ट आर्टरीज में प्लाक का बनना हार्ट डिजीज की वजह बनता है। प्लाक (Plaque) आर्टरी को ब्लॉक करने का काम करता है। प्लाक के कारण हार्ट मसल्स में ब्लड फ्लो नहीं हो पाता है और ये चेस्ट पेन के साथ ही प्रेशर क्रिएट करता है। प्लाक के कारण ब्रेन में ब्लड सप्लाई भी रुक जाती है। आर्टरी में प्लाक बनने की प्रक्रिया को एथेरोस्क्लेरोसिस पैथोजेनेसिसि के नाम से जाना जाता है। प्लाक के ब्रेक या रप्चर होने पर ब्लड क्लॉट का खतरा भी बढ़ जाता है, जो हार्ट अटैक या स्ट्रोक का कारण बनता है। एथेरोस्क्लेरोसिस की समस्या होने पर आर्टरी हार्ड हो जाती है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको एथेरोस्क्लेरोसिस पैथोजेनेसिसि (Pathogenesis of atherosclerosis) के संबंध में जानकारी देंगे।
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एथेरोस्क्लेरोसिस पैथोजेनेसिसि (Pathogenesis of atherosclerosis)
एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis) हार्ट से जुड़ी समस्या है, जिसके कारण आर्टरी यानी धमनियों में ब्लड फ्लो ठीक प्रकार से नहीं हो पाता है। ऐसा धमनियों में प्लाक जमने के कारण होता है। एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis) की समस्या पर यदि ध्यान न दिया जाए, तो ये मृत्यु का कारण भी बन सकता है। हमारे शरीर में अधिक मात्रा में फैट, कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol), कैल्शियम और अन्य एलीमेंट आर्टरी में जम जाते हैं और प्लाक का निर्माण करते हैं। धमनियों से ऑक्सीजन युक्त रक्त शरीर के बाकी हिस्सों में जाता है। प्लाक बन जाने के कारण रक्त प्रवाह बाधित होता है। प्लाक (Plaque) की मात्रा को अगर नियंत्रित न किया जाए, तो व्यक्ति को हार्ट अटैक (Heart attack) भी आ जाता है।
प्लाक समय के साथ लुमिनाल थ्रोम्बिसिस के साथ कॉम्प्लीकेटेड हो जाते हैं। थ्रोम्बोसिस प्रोन प्लाक (Thrombosis-prone plaques) अगर न हो, तो एथेरोस्क्लेरोसिस की बीमारी का बड़ा खतरा टल जाता है। महिलाओं और पुरुषों में प्लाक का टूटना कोरोनरी थ्रोम्बिसिस (Coronary thrombosis) का बड़ा कारण है। रप्चर्ड प्लाक (Ruptured plaques) लार्ज लिपिड रिच कोर होते हैं, जिसमें थिन फाइब्रस कैप होती है, जिसमें कुछ स्मूथ मसल्स सेल्स होती है।
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एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis) होने पर दिख सकते हैं ये लक्षण
एथेरोस्क्लेरोसिस की समस्या होने पर चेस्ट पेन के साथ पैर में दर्द होता है। कुछ लोगों को हाथों में भी दर्द (Pain in hands) की समस्या हो सकती है। सांस लेने में तकलीफ से साथ ही थकान की समस्या भी एथेरोस्क्लेरोसिस के लक्षण में शामिल है। एथेरोस्क्लेरोसिस की समस्या होने पर कंफ्यूजन की स्थिति पैदा हो सकती है, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि प्लाक बनने के कारण ब्रेन में ब्लड की सप्लाई ठीक तरह से नहीं हो पाती है। ब्लड सर्कुलेशन (Blood circulation) के ठीक प्रकार से न हो पाने के कारण मसल्स भी वीक होने लगती है।
एथेरोस्क्लेरोसिस पैथोजेनेसिसि: जानिए इसके फॉर्मेशन के बारे में
एथेरोस्क्लेरोसिस फॉर्मेशन प्रोसेस कैसे होती है, इस बारे में जानकारी प्राप्त नहीं है। जानिए एथेरोस्क्लेरोसिस फॉर्मेशन प्रोसेस के बारे में।
एथेरोस्क्लेरोसिस पैथोजेनेसिसि: फैटी स्ट्रीक (The fatty streak)
फैटी स्ट्रीक पीले रंग की लकीर के रूप में दिखाई पड़ती है, जो आर्टरीज के अंदर तक जाती है। फैटी स्ट्रीक कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) के अधिक बन जाने के कारण पैदा होती हैं। फैटी स्ट्रीक होने पर किसी भी तरह के लक्षण नहीं दिखते हैं लेकिन ये कुछ समय बाद एथेरोस्क्लेरोसिस को जन्म दे सकती है। ऐसे प्लाक को फाइब्रस प्लाक (fibrous plaque) के नाम से जाना जाता है।
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एथेरोस्क्लेरोसिस पैथोजेनेसिसि: प्लाक (The plaque)
प्लाक का निर्माण आर्टरी की इनर लेयर में होता है। प्लाक कोलेस्ट्रॉल से मिलकर बना होता है। साथ ही में इसमें वाइट ब्लड सेल्स, कैल्शियम (Calcium) के साथ ही अन्य पदार्थ होते हैं, जो आर्टरी की इनर लेयर में चिपक जाते हैं। समय के साथ ही प्लाक के कारण आर्टिरी नैरो हो जाती है और साथ ही हार्ड भी हो जाती है। प्लाक के कारण एंजाइना (Angina) के लक्षण भी दिख सकते हैं।
एथेरोस्क्लेरोसिस पैथोजेनेसिसि: स्टेबल और अनस्टेबल प्लाक (Stable and unstable plaque)
प्लाक को जोखिम के आधार पर परिभाषित किया जा सकता है। स्टेबल प्लाक के फटने की संभावना कम रहती है। इस प्लाक में थिक फाइब्रस कैप (thick fibrous cap) होती है और साथ ही ये ऐसे पदार्थ से मिलकर बने होते हैं, जो स्थायी रहते हैं। अनस्टेबल प्लाक आसानी से फट जाते हैं। इन प्लाक में पतली फाइब्रस कैप होती है और ये फैट्स से बने होते हैं। प्लाक में सूजन के कारण फाइब्रस कैप अनस्टेबल हो जाती है और इसके फटने की अधिक संभावना रहती है।
आर्टरी का ब्लॉक होना (Blocked artery)
आर्टरी में ब्लॉकेज प्लाक के फटने के कारण होता है। अगर प्लाक फट जाता है, तो उसके ऊपर स्थित पदार्थ भी दिखने लगते हैं। रप्चर होने के कारण ब्लड क्लॉट की संभावना भी बढ़ जाती है। इस कारण से रक्त के प्रवाह में दिक्कत होती है और दिल का दौरा या फिर स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
एथेरोस्क्लेरोसिस पैथोजेनेसिसि का ट्रीटमेंट (Pathogenesis of atherosclerosis Treatment)
अगर आप चाहते हैं कि आपके हार्ट में प्लाक का निर्माण न हो, तो इसके लिए जरूरी है कि आप खाने में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को सीमित करें। साथ ही मोटापे से बी बचें। मोटापे की समस्या भी हार्ट की बीमारी का कारण बनती है। अगर आपकी आर्टरी में प्लाक बनना शुरू हो चुकी है, तो इसके लक्षण दिख सकते हैं। डॉक्टर जांच के बाद कोलेस्ट्रॉल को कम करने की दवा देते हैं ताकि हार्ट अटैक के खतरे को कम किया जा सके। आपको इस समस्या से बचने के लिए रोजाना स्ट्रिक्ट डायट को फॉलो करने के साथ ही फिजिकल एक्टिविटी पर भी ध्यान देना होगा। ऐसा करके ही आप हार्ट को हेल्दी रख सकते हैं। अगर आपको लग रहा है कि आपको इस विषय में अधिक जानकारी चाहिए, तो डॉक्टर से जानकारी जरूर लें।
हार्ट को हेल्दी रखने के लिए आपको ही शुरुआत करने की जरूरत है। अगर आपको हेल्दी हार्ट चाहिए, तो रोजाना एक्सरसाइज करें और हेल्दी डायट लें। खाने में अधिक नमक का सेवन, फैट का सेवन या शुगर का सेवन न करें। ऐसा करने से आपकी हार्ट हेल्थ को नुकसान पहुंच सकता है। अगर आपको हार्ट डिजीज से संबंधित कोई भी लक्षण नजर आए, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
हैलो हेल्थ किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार उपलब्ध नहीं कराता। इस आर्टिकल में हमने आपको एथेरोस्क्लेरोसिस पैथोजेनेसिसि (Pathogenesis of atherosclerosis ) के संबंध में जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको एथेरोस्क्लेरोसिस पैथोजेनेसिसि से संबंधित अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्सर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।
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