“प्रदीप जब सुबह बिस्तर से उठना चाह रहें थें, तो वो उठ नहीं पा रहें। उन्होंने अपनी पत्नी को आवाज लगाई, लेकिन आवाज लगाने के वक्त मुंह टेढ़ा हो गया और सबकुछ अंधेरा-अंधेरा दिखने लगा और जब प्रदीप की आंख खुली तो वो अस्पताल में थें। वहीं उनकी वाइफ और दोनों बच्चे मौजूद थें। अब एकबार फिर से प्रदीप ने कोशिश की उनसे बात करने की, लेकिन वो बोल नहीं पा रहे थें। होंश में देख अपने लाइफ पार्टनर को प्रतिमा खुश हुई, लेकिन आंखों से बहता आंसू बहुत कुछ बयां कर रहा था। हालांकि प्रतिमा खुद को संभालते हुए और चेहरे पर सकारात्मक भाव दिखाते हुए अपने पति से कहती हैं कि आपको पैरालिसिस हुआ है, लेकिन आप जल्द ही ठीक हो जायेंगे’। कुछ महीनों का वक्त बिता और प्रदीप स्वस्थ्य हो गए और वापस से ऑफिस के काम-काज की जिम्मेदारी उठा ली। इनसब में उनका साथ दिया उनकी लाइफ पार्टनर और आयुर्वेदिक इलाज ने। दरअसल ये कहानी थी पुणे के रहने वाले 53 वर्षीय प्रदीप देवकर की, जिन्हें कुछ सालो पहले पैरालिसिस हुआ, लेकिन पैरालिसिस का आयुर्वेदिक इलाज (Ayurvedic Treatment for Paralysis) ने एक बार फिर से उन्हें एक नई जिंदगी दे दी।
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आज इस आर्टिकल में पैरालिसिस और पैरालिसिस का आयुर्वेदिक इलाज (Ayurvedic Treatment for Paralysis) कैसे किया जाता है, यह आपसे शेयर करेंगे।
- पैरालिसिस क्या है?
- पैरालिसिस के लक्षण क्या हैं?
- पैरालिसिस का कारण क्या है?
- पैरालिसिस का आयुर्वेदिक इलाज कैसे किया जाता है?
अब एक-एक कर इन सवालों का जवाब आपसे शेयर करते हैं।
पैरालिसिस क्या है? (What is Paralysis?)
पैरालिसिस को सामान्य भाषा में लकवा कहते हैं। वहीं आयुर्वेद पद्धति के अनुसार पैरालिसिस पक्षाघात कहते हैं, जो एक वायु रोग है, जिसके प्रभाव से शारीरिक प्रतिक्रियाएं, बोलने की क्षमता और महसूस करने की क्षमता खत्म होने लगती है। आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से वात दोष बढ़ने या अंसतुलित होने पर शारीरिक अंगों में सेंसेटिविटी कम होने लगती है, जो पैरालिसिस का कारण बन जाता है। ऐसा किसी गंभीर चोट या नसों के कमजोर होने की वजह मुख्य मानी जाती है। इसके लक्षणों को सबसे पहले समझना जरूरी है और फिर पैरालिसिस का आयुर्वेदिक इलाज (Ayurvedic treatment for Paralysis) कैसे किया जाता है, यह जानेंगे।
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पैरालिसिस के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Paralysis)
पैरालिसिस के लक्षण आसानी से समझे जा सकते हैं। जैसे:
- अत्यधिक कमजोरी (Weakness) महसूस होना।
- किसी भी शारीरिक हिस्से का सुस्त पड़ना।
- बोलने में कठिनाई होना।
- कोई भी बात या सामने वाले व्यक्ति द्वारा कही गई बातों को ना समझना या समझने में परेशानी होना।
- देखने में तकलीफ होना।
- सिरदर्द (Headache) होना।
- चक्कर आना।
- चलने और दैनिक गतिविधियों में परेशानी होना।
इन लक्षणों को आसानी से समझा जा सकता है।
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पैरालिसिस के कारण क्या हैं? (Cause of Paralysis)
लकवा के कई कारण हो सकते हैं। जैसे:
- स्ट्रोक (Stroke) की समस्या।
- अटैक (Attack) आना।
- कान दर्द (Ear pain) होना।
- स्लिप पैरालिसिस (Sleep Paralysis) की समस्या।
- हड्डी, पीठ या सिर में तेज चोट लगना।
- हाइपोकैलेमिया (पोटैशियम की कम मात्रा)।
- मल्टीपल स्क्लेरोसिस की समस्या।
- सेंट्रल नर्वस सिस्टम (Central Nervous System) से जुड़ी समस्या।
- मस्तिष्क (Brain) संबंधी विकार।
- स्पाइनल कॉर्ड (Spinal cord) से जुड़ी परेशानी ।
- शरीर के किसी एक हिस्से जैसे हाथ या पैर या कभी दोनों में कमजोरी महसूस होना।
- पोलियो का इंफेक्शन।
- ऑटोइम्यून डिजीज (Autoimmune disease) की समस्या रहना।
- जन्म से ही मांसपेशियों का कमजोर होना।
- डर्माटोमोसिटिस (Dermatomyositis) की समस्या होना।
- स्टैटिन या स्टेरॉयड जैसी दवाओं का सेवन करना।
- मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (Muscular dystrophy) यानी मांसपेशियों से जुड़ी तकलीफ रहना।
ये सभी पैरालिसिस के कारण बन सकते हैं, लेकिन पैरालिसिस का आयुर्वेदिक इलाज (Ayurvedic treatment for Paralysis) कारगर माना जाता है, जिससे पैरालिसिस पीड़ित एक बार फिर से अपने रेग्यूलर लाइफ रुटीन में वापस लौट सकता है।
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पैरालिसिस का आयुर्वेदिक इलाज कैसे किया जाता है? (Ayurvedic treatment for Paralysis)
पैरालिसिस का आयुर्वेदिक इलाज निम्नलिखित 5 तरीकों से किया जाता है। जैसे:
1. स्नेहन- आयुर्वेद में स्नेहन एक विशेष प्रकार की पढ़ती है, जिसके दौरान पैरालाइज्ड पेशेंट को एक टेबल पर सबसे पहले लिटाया जाता है। टेबल पर लिटाने के बाद एक विशेष प्रकार की औषधीय तेल से पूरे शरीर की मालिश की जाती है। इस दौरान, जिस शरीर अंग में ज्यादा परेशानी होती है, उस अंग पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
2. स्वेदन- आयुर्वेद में स्वेदन पढ़ती के दौरान पैरालाइज्ड पेशेंट को टेबल पर आराम से लिटाया जाता है। अब गले से नीचे के संपूर्ण अंगों को स्टीम (Steam) दिया जाता है। ये भाप औषधियों से भरपूर होती है।
3. मृदु विरेचन- लकवे की परेशानी को ठीक करने के लिए मृदु विरेचन विधि बेहद कारगर मानी जाती है। इस दौरान पेशेंट को शोधन थेरिपी दी जाती है। आयुर्वेदिक एक्सपर्ट्स पैरालिसिस का आयुर्वेदिक इलाज करने के दौरान मृदु विरेचन पद्धति की मदद लेते हैं।
4. बस्ती- पैरालिसिस का आयुर्वेदिक इलाज बस्ती विधि से भी किया जाता है। बस्ती विधि के दौरान मरीज के आंतों की सफाई की जाती है। कहते मल के माध्यम से शरीर में मौजूद गंदगियों को दूर किया जाता है।
5. नास्य- जिन लोगों को हाल ही में लकवा की शिकायत होती, उनके से नास्य बेहद प्रभावी माना जाता है। दरअसल नास्य पद्धति के दौरान पेशेंट के नाक में औषधीय तेल या अर्क डाला जाता है। यह पढ़ती तब बेहद कारगर मानी जाती है, जब व्यक्ति को कफ की वजह से लकवे की समस्या हुई हो।
पैरालिसिस का आयुर्वेदिक इलाज इन ऊपर बताये तरीकों से किया जाता है, लेकिन पैरालिसिस का आयुर्वेदिक इलाज जड़ी-बूटियों से भी किया जाता है।
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जड़ी-बूटियां, जिससे किया जाता है पैरालिसिस का आयुर्वेदिक इलाज (Ayurvedic treatment for Paralysis)
निम्नलिखित जड़ी-बूटियों की मदद से पैरालिसिस का आयुर्वेदिक इलाज (Ayurvedic treatment for Paralysis) किया जाता है। इनमें शामिल है?
1. अश्वगंधा (Ashwagandha)-
आयुर्वेदि में अश्वगंधा कई बीमारियों के इलाज में कारगर माना जाता है। अश्वगंधा के जड़ों और बीजों का भी सेवन किया जाता है। अश्वगंधा में मौजूद एन्टीस्ट्रेस (Antistress), एंटी ट्यूमर (Antitumor), एंटी-इंफ्लेमेटरी (Anti-inflammatory) एवं एंटीअर्थरिटिक (Antiarthritic) गुण पैरालिसिस पेशेंट्स के लिए बेहद लाभकारी माने जाते हैं। पैरालिसिस के अलावा अश्वगंधा पुरुषों में होने वाली यौन दुर्बलता (Sexual debility), सेक्स की इच्छा कम होना (Low sex drive), वीर्य में कमी आना (Loss of semen) या शीघ्रपतन (Premature ejaculation) जैसी समस्याओं को दूर करने में भी विशेष लाभकारी माना जाता है।
2. बला-
आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी की लिस्ट में शामिल है बला को खिरैटी के नाम से भी जाना जाता है। इस जड़ी-बूटी में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट (Antioxidant) गुण पैरालिसिस के मरीजों के लिए अत्यधिक फायदेमंद होता है। बला पैरालिसिस के अलावा बांझपन (Infertility) एवं शारीरिक दुर्बलता (Physical weakness) को दूर करने में भी सहायक माना जाता है।
3. निर्गुन्डी-
आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी की लिस्ट में तीसरे नबंर पर शामिल है निर्गुन्डी। पैरालिसिस का आयुर्वेदिक इलाज निर्गुन्डी की मदद से भी किया जाता है। यह एक तरह का फल होता है, जिसमें एक नहीं, बल्कि कई औषधीय गुण मौजूद होते हैं। इस फल के पाउडर (चूर्ण) का सेवन किया जाता है और साथ ही लकवा के पेशेंट को इसके तेल (Oil) से मालिश (Massage) भी किया जाता है।
इन तीन जड़ी-बूटियों के सेवन से पैरालिसिस का आयुर्वेदिक इलाज (Ayurvedic treatment for paralysis) किया जाता है। इसके अलावा पेशेंट की स्थिति को ध्यान में रखते हुए आयुर्वेदिक दवाएं भी आयुर्वेदिक डॉक्टर प्रिस्क्रिब करते हैं। इन जड़ी-बूटियों का सेवन कैसे और कब करना चाहिए ये भी आपको आयुर्वेदिक डॉक्टर सलाह देते हैं।
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पैरालिसिस का आयुर्वेदिक इलाज किन-किन दवाओं से किया जाता है?
पैरालिसिस का आयुर्वेदिक इलाज निम्नलिखित दवाओं से किया जाता है। जैसे:
- योगराज गुग्गुल
- दशमूलारिष्ट
- महारास्नादि क्वाथ
- वातारी रस
- पंचकोल चूर्ण
नोट: इन आयुर्वेदिक दवाओं का सेवन अपनी मर्जी से ना करें। आयुर्वेदिक हेल्थ एक्सपर्ट पेशेंट की स्थिति को देखते हुए इन दवाओं का डोज तय करते हैं।
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पैरालिसिस पेशेंट के लिए खाने-पीने से जुड़े खास टिप्स
- हमेशा ताजा खाना खाएं।
- ठंडा खाना ना खाएं।
- ऐसे खाद्य पदार्थों को डेली डायट में शामिल करें जो मीठे, खट्टे और नमकीन हों।
- नट्स (Nuts) का सेवन रोजाना करें।
- चावल (Rice) और गेंहू (Wheate) से बने खाद्य पदार्थों का सेवन करें।
- वाइट मीट (White meat) का सेवन किया जा सकता है।
- गाजर (Carrot), चुकंदर (Beetroot), ओकरा (Okra) और ऐस्पैरागस (Asparagus) अपने डेली डायट में शामिल करें।
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क्या नहीं करना चाहिए?
- स्मोकिंग (Smoking) ना करें।
- एल्कोहॉल (Alcohol) का सेवन ना करें।
- टेंशन (Tension) से दूर रहें।
- गुस्सा (Anger) करने से बचें।
- पेशाब (Toilet) या मल (Motion) लगने पर रोके नहीं।
- भूखे ना रहें।
इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखें और पैरालिसिस की परेशानी को दूर करें।
अगर आप पैरालिसिस या पैरालिसिस का आयुर्वेदिक उपाय (Ayurvedic treatment for Paralysis) से जुड़ी किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। ध्यान रखें किसी भी बीमारी का इलाज खुद से ना करें और कोई भी बीमारी या शारीरिक परेशानी होने पर अपने करीबी और डॉक्टर से बात करें और स्वस्थ्य रहें।
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