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Nephrotic Syndrome: नेफ्रोटिक सिंड्रोम क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय

Nephrotic Syndrome: नेफ्रोटिक सिंड्रोम क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय

परिचय

नेफ्रोटिक सिंड्रोम क्या है?

नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम किडनी का एक विकार है जिसमें किडनी शरीर से यूरिन के साथ-साथ ज्यादा मात्रा में प्रोटीन भी निकालने लगती है। प्रत्येक किडनी में रक्त साफ करने के लिए 1 मिलियन फिल्टर होते हैं जो विषाक्त को शरीर से निकालने में मदद करते हैं। स्वस्थ किडनी ब्लड में प्रोटीन के सही लेवल को बनाए रखने में मदद करती है। शरीर में प्रोटीन की मात्रा कम होने पर शरीर में सूजन की समस्या हो जाती है।

कितना सामान्य है नेफ्रोटिक सिंड्रोम?

नेफ्रोटिक सिंड्रोम किसी भी उम्र में हो सकता है। लेकिन, बच्चों में सबसे ज्यादा यह बीमारी देखी जाती है। इस बीमारी से आसानी से बचा जा सकता है। इसलिए परेशानी महसूस होने पर डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

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लक्षण

नेफ्रोटिक सिंड्रोम के लक्षण क्या हैं?

नेफ्रोटिक सिंड्रोम में प्रायः दर्द नहीं होता है लेकिन, शरीर में पानी की कमी होने से तनाव और बेचैनी महसूस होती है। नेफ्रोटिक सिंड्रोम के कारण आंखों और हाथों में सूजन की समस्या शुरू हो जाती है। यूरिन का कम आना, कमजोरी महसूस होना और भूख नहीं लगना आदि लक्षण है। इन लक्षणों के अलावा हाई कोलेस्ट्रॉल की भी समस्या हो सकती है। इन लक्षणों के अलावा और भी लक्षण हो सकते हैं। इसलिए डॉक्टर से संपर्क करें।

डॉक्टर से कब संपर्क करना चाहिए?

ऊपर बताए गए लक्षण या कोई और लक्षण अगर आप महसूस करते हैं और अगर इन लक्षणों के साथ-साथ बुखार, ठंड, सांस लेने में परेशानी, सीने में दर्द या पेट और पैर में दर्द होने पर जल्द से जल्द डॉक्टर से मिलें। हर व्यक्ति के शरीर की बनावट अलग होती है। इसलिए डॉक्टर शरीर के अनुसार इलाज करते हैं। ध्यान रखें किसी भी बीमारी का इलाज शुरुआती दौर में करने से ठीक हो सकती है। इसलिए डॉक्टर के पास जाने में देरी न करें।

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कारण

किन कारणों से होता है नेफ्रोटिक सिंड्रोम?

किडनी के छोटे ब्लड वेसल्स (ग्लोमेरुली) के नष्ट होने पर नेफ्रोटिक सिंड्रोम की समस्या शुरू हो जाती है। ऐसा यूरिन में असामान्य प्रोटीन लेवल की वजह से होता है। एक्सपर्ट्स के अनुसार नेफ्रोटिक सिंड्रोम डायबिटीज की वजह से भी होता है। किडनी में जलन और सूजन की समस्या को ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस भी कहा जाता है।

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जोखिम

किन कारणों से नेफ्रोटिक सिंड्रोम की परेशानी बढ़ सकती है?

कारण जो नेफ्रोटिक सिंड्रोम को बढ़ा सकते हैं, उनमें शामिल हैं:

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निदान और उपचार को समझें

दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने चिकित्सक से संपर्क करें और सलाह लें।

नेफ्रोटिक सिंड्रोम का निदान कैसे किया जाता है?

आमतौर पर पौष्टिक आहार और दवा के साथ उपचार शुरू करने के 2-3 सप्ताह के भीतर लक्षणों में सुधार होने लगता है। हालांकि, कुछ लोगों को दवा ज्यादा दिनों तक भी दी जाती है। नेफ्रैटिस के इलाज में मदद करने के लिए इम्यूनोसप्रेसेरिव दवा, प्रेडनिसोन और साइक्लोफॉस्फेमाइड की आवश्यकता हो सकती है। वा 3 महीने या उससे पहले दी जानी चाहिए। क्योंकि नेफ्रोटिक सिंड्रोम वाले लोगों के पैरों में ब्लड क्लॉट हो जाता है। इसलिए पेशेंट को चलना जरूर चाहिए। ब्लड क्लॉट न हो इसलिए डॉक्टर आपको एंटी-कोगुलेंट दे सकते हैं। प्रोटीन और ब्लड प्रेशर के नुकसान को कम करने के लिए अन्य दवाओं, जैसे एंजियोटेंसिन कनवर्टिंग एंजाइम इनहिबिटर (एसीई) भी दी जा सकती है। कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली दवाओं जैसे स्टैटिन का उपयोग अक्सर नेफ्रोटिक सिंड्रोम में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने के लिए किया जाता है।

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नेफ्रोटिक सिंड्रोम का इलाज कैसे किया जाता है?

डॉक्टर पैरों या चेहरे की सूजन जैसे लक्षणों के आधार पर जैसे पैर, हाथ और चेहरे के सूजन का इलाज करते हैं। यूरिन टेस्ट से प्रोटीन के बढ़े हुए लेवल की जानकारी आसानी से मिल सकती है। ब्लड टेस्ट से किडनी के फंक्शन को समझा जाता है कि किडनी ठीक तरह से काम कर रहा है या नहीं। कभी-कभी स्थिति की गंभीरता को समझते हुए बीओप्सी (किडनी के टिशू का छोटा सा हिस्सा लिया जाता है) भी की जाती है।

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जीवनशैली में बदलाव या घरेलू उपचार

निम्नलिखित टिप्स अपनाकर नेफ्रोटिक सिंड्रोम से बचा जा सकता है:

आहार में ऑक्सालेट, प्रोटीन और सोडियम की मात्रा कम करें जैसे – नट्स और इससे बने फूड प्रोडक्ट्स को खाने से परहेज करें। जैसे :

  • मूंगफली का सेवन न करें। 
  • पालक का सेवन नहीं करना चाहिए। 
  • चिकन, अंडे, मछलियों के सेवन से पहले डॉक्टर से सलाह लें। 
  • डेरी प्रोडक्ट जैसे दूध, दही या पनीर का सेवन भी अधिक नहीं करना चाहिए। 
  • सोडियम लेवल कम रखना सेहत के लिए अच्छा हो सकता है। 
  • एनीमल प्रोटीन और सोडियम की मात्रा आहार में कम करें 
  • सोडियम सिर्फ नमक में नहीं बल्कि पैक्ड फूड और फास्ट फूड में अधिक होता है। इसलिए ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन हानिकारक हो सकता है। 
  • कोशिश करें कि चिकन न खाएं। 
  • मछली और अंडे का सेवन भी कम करना लाभकारी हो सकता है। 
  • डेयरी प्रोडक्ट जैसे दूध, पनीर और चीज का इस्तेमाल ध्यानपूर्वक करना चाहिए। 
  • सोया खाद्य पदार्थ जैसे सोया दूध, सोया बटर और टोफू भी आहार में शामिल करने से पहले डॉक्टर से सलाह लें।
  • काजू और बादाम खाने से पहले यह जानकारी लें कि इसका सेवन कितना करना चाहिए। 
  • कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए लेकिन कितना खाना है इसकी जानकारी विशेषज्ञों से लें। 

इस आर्टिकल में हमने आपको नेफ्रोटिक सिंड्रोम से संबंधित जरूरी बातों को बताने की कोशिश की है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस बीमारी से जुड़े किसी अन्य सवाल का जवाब जानना है, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्सर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे। अपना ध्यान रखिए और स्वस्थ रहिए।

अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।

डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

Nephrotic syndrome https://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/nephrotic-syndrome/symptoms-causes/syc-20375608 Accessed on 05/1/2020

Nephrotic syndrome https://www.kidneyfund.org/kidney-disease/other-kidney-conditions/rare-diseases/nephrotic-syndrome/ Accessed on 05/1/2020

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Childhood Nephrotic Syndrome https://www.niddk.nih.gov/health-information/kidney-disease/children/childhood-nephrotic-syndrome Accessed on 05/1/2020

Nephrotic Syndrome in Adults https://www.niddk.nih.gov/health-information/kidney-disease/nephrotic-syndrome-adults Accessed on 05/1/2020

Current Version

15/10/2020

Nidhi Sinha द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar

Updated by: Ankita mishra


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के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

Dr Sharayu Maknikar


Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 15/10/2020

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