साइकोसिस क्या है?
साइकोसिस (मनोविकार) एक मेडिकल शब्द है, जिसका अर्थ है भ्रम, मतिभ्रम या असामान्य मानसिक स्थिति। दरअसल, यह ऐसी स्थिति है जब व्यक्ति काल्पनिक बातों या अवास्तविक बातों की ओर ज्यादा ध्यान देते हैं।
के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar
साइकोसिस (मनोविकार) एक मेडिकल शब्द है, जिसका अर्थ है भ्रम, मतिभ्रम या असामान्य मानसिक स्थिति। दरअसल, यह ऐसी स्थिति है जब व्यक्ति काल्पनिक बातों या अवास्तविक बातों की ओर ज्यादा ध्यान देते हैं।
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साइकोसिस मानसिक बीमारियों का एक प्रमुख लक्षण है जिसमें स्किजोफ्रेनिया, डिप्रेशन आदि डिसऑर्डर शामिल हैं। साइकोसिस के सामान्य लक्षण निम्लिखित हैं:
अगर वक्त पर डॉक्टर की मदद ली जाए, तो इन परेशानियों को कम किया जा सकता है।
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साइकोसिस होने पर पीड़ित व्यक्ति काल्पनिक बातों पर ज्यादा ध्यान देता है। व्यक्ति में निम्न लक्षण दिखाई दे सकते हैं-
अचानक से स्वभाव बदलाव होना। पीड़ित व्यक्ति यह भी कह सकती है की उन्हें कई तरह की आवाजें सुनाई दे रही हैं, जबकि वास्तव में नहीं होता है। ऐसी चीजे भी दिखाई देना जो वास्तव में नजर ही नहीं आती हैं। इन लक्षणों के अलावा और भी लक्षण हो सकते हैं। इसलिए परेशानी महसूस होने पर डॉक्टर से संपर्क करें।
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अपने डॉक्टर से मिलें अगर आपको लगता है कि आप या आपके परिवार के सदस्य ऊपर बताए लक्षणों से परेशान हैं। यदि आपको लगता है कि आप या आपके परिवार के सदस्य खुद को या दूसरों को नुकसान पहुंचाएंगे तो आपको बुरे परिणामों से बचने के लिए जल्द से जल्द मिलना चाहिए।
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एक्सपर्ट्स के अनुसार सोशल, जेनेटिक, वातावरण, साइकोलॉजिकल और शारीरिक कारणों की वजह से साइकोसिस होता है। हालांकि, कोई एक कारण बता पाना मुश्किल है।
पार्किंसंस डिजीज, दौरे, स्टेरॉयड, कीमोथेरेपी जैसी चीजें भी मानसिक परिवर्तन का कारण बन सकती हैं। इसके अलावा साइकोसिस होने के अन्य कारण भी हैं। कुछ बीमारियां साइकोसिस का कारण बन सकती हैं। ऐसे में मनोविकृति के लक्षण पहचानना और मुश्किल भी हो सकता है।
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नींद पूरी न होना, नशे की लत और पर्यावरण भी साइकोसिस के कारण बन सकते हैं। कुछ अन्य परिस्थितियों में भी साइकोसिस के लक्षण विकसित हो सकते हैं। हालांकि, स्पष्ट रूप से यह कह पाना मुश्किल है कि मनोविकृति के क्या कारण हैं। वहीं कुछ शोधों में यह भी सामने आया है कि माता-पिता से मिले जींस भी मनोविकृति के प्रमुख कारण हो सकते हैं। अगर परिवार में किसी सदस्य को मानसिक विकार या इससे जुड़ी कोई समस्या है, तो परिवार के अन्य सदस्यों में भी मनोविकृति का शिकार होने की आशंका बढ़ जाती है।
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हालांकि, रिसर्च के अनुसार इसके पीछे हमारे जींस भी एक कारण हो सकते हैं। जुड़वां बच्चों में भी इसके लक्षण देखे गए हैं। अगर एक जुड़वा बच्चे में साइकोसिस की समस्या होगी तो दूसरे में भी साइकोसिस की 50% तक संभावना रहती है। ब्लड रिलेशन (माता-पिता या भाई-बहन) में किसी को साइकोसिस है तो आपको भी यह बीमारी हो सकती है।
जो बच्चे जेनेटिक म्यूटेशन डिलीशन सिंड्रोम के साथ जन्म लेते हैं, उनमें साइकोसिस सिंड्रोम खासकर स्किजोफ्रीनिया का खतरा बढ़ जाता है।
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दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने चिकित्सक से संपर्क करें और सलाह लें।
सबसे पहले डॉक्टर मरीज से बात कर उनकी परेशानी समझते हैं। वह यह भी समझना चाहते हैं कि किन कारणों की वजहों से आप चिंतित रहते हैं या आपके स्वभाव में हो रहे बदलाव को समझकर ही इलाज करते हैं।
कॉग्नेटिव बीहैव्यरल थेरेपी (CBT) मदगार हो सकती है। कॉग्नेटिव बीहैव्यरल पीड़ित की सोंचने के तरीकों में बदलाव लाना के लिए जरूरी है। इससे पीड़ित के सोंचने और समझने की क्षमता में सकारात्मक प्रभाव आते हैं।
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किसी व्यक्ति में साइकोसिस के लक्षण नजर आने पर डॉक्टर मरीज की मेडिकल हिस्ट्री जानने के साथ-साथ बॉडी चेकप और साइकेट्रिक (मानसिक) जांच करते हैं। इस दौरान डॉक्टर मरीज से बात कर उनके स्वभाव को भी समझना चाहते हैं। इसके साथ-साथ डॉक्टर CT स्कैन और MRI जैसे अन्य टेस्ट भी करवाते हैं। मरीज का स्पाइनल टेप (स्पाइन से जुड़ा टेस्ट) भी किया जाता है, जिससे कैंसर या इंफेक्शन जैसी बीमारियों की जानकारी मिल जाती है कि कहीं इन बीमारियों की वजह से साइकोसिस तो नहीं हुआ है।
इसके आलावा कोग्नीटिव थेरिपी भी इस मनोविकृति के लक्षणों को कम करने में काफी मददगार साबित होती है। साथ ही मनोविकृति में पीड़ित को नियमित तौर पर मेंटल हेल्थ काउंसलर की मदद की जरूरत होती है। मनोविकृति से पीड़ित व्यक्ति का इलाज काफी मामलों में संभव है। बस आपको स्थिति को समझते हुए रोगी की सही देखभाल और सही इलाज कराने की जरूरत है।
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निम्नलिखित टिप्स अपनाकर साइकोसिस से बचा जा सकता है:
अगर इस बीमारी से जुड़े कोई प्रश्न हैं आपके पास तो समझने के लिए कृपया अपने चिकित्सक से संपर्क करें। हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है, अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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