यदि कोई व्यक्ति अपने काम या अपनी पुजिशन से खुश नहीं है। लगातार प्रेशर का सामना कर रहा हो लेकिन, उसके बाद भी उसके कार्य क्षमता पर सवाल उठ रहा हो, तो इसे एक मनोविकृति चेतावनी के रूप में लिया जा सकता है।
सोचने या ध्यान केंद्रित करने में परेशानी
यदि किसी व्यक्ति को सोचने या ध्यान लगाने में समस्या का सामना करना पड़ रहा है। उसके दिमाग में किसी प्रकार की बैचैनी है, तो ये मनोविकृति का एक संकेत हो सकता है।
दूसरों के साथ संदेह या बेचैनी
जब कोई इंसान हर समय हर किसी पर शक करने लगे। उसे हर समय किसी खतरे या डर में जैसा लगे और उसे लगे कि हर कोई उसका बुरा ही चाहता है, तो ये एक मनोविकृति की स्थिति हो सकती है।
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देखभाल या व्यक्तिगत स्वच्छता में गिरावट
जब कोई इंसान अपने साफ सफाई का ध्यान न रखे, हाइजीन की तरफ उसका बिल्कुल ध्यान न हो, ये भी एक कारण हो सकता है मनोविकृति का।
सामान्य से बहुत अधिक समय अकेले बिताना
जब कोई इंसान अकेले रहने लगे, दूसरों से कटे कटे रहने की उसकी आदत हो जाए, तो इस स्थिति को भी आप एक मनोविकृति का लक्षण मान सकते हैं।
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मजबूत, अनुचित भावनाएं या बिल्कुल भी भावनाओं का न होना
जब इंसान अपनी ही बात पर डटा रहे या ऐसी किसी बात पर बल दे, जिसका वास्तविकता से कोई सीधा वास्ता न हो या वो बिल्कुल भावना शून्य रहने लगे, तो ये मनोविकृति के लक्षण हो सकते हैं।
मनोविकृति के स्पष्ट कारण बता पान बहुत मुश्किल है क्योंकि इसका हर मामला अलग होता है और साथ ही मनोविकृति के लक्षण भी अलग-अलग हो सकते हैं। कुछ बीमारियां भी है, जो साइकोसिस का कारण बन सकती हैं।
ऐसे में मनोविकृति के लक्षण पहचानना और मुश्किल हो सकता है। नींद पूरी न होना, नशे की लत और पर्यावरण भी इस बीमारी के कारण बन सकते हैं। कुछ अन्य परिस्थितियों में भी मनोविकृति के लक्षण विकसित हो सकते हैं।
हालांकि, स्पष्ट रूप से यह कह पाना मुश्किल है कि मनोविकृति के क्या कारण हैं। वहीं कुछ शोधों में यह भी सामने आया है कि माता-पिता से मिले जींस भी मनोविकृति के प्रमुख कारण हो सकते हैं। अगर परिवार में किसी सदस्य को मानसिक विकार या इससे जुड़ी कोई समस्या है, तो परिवार के अन्य सदस्यों में भी मनोविकृति का शिकार होने की आशंका बढ़ जाती है।