पैरानॉयड पर्सनेल्टी डिसऑर्डर (Paranoid Personality Disorder) वह डिसऑर्डर है जिसमें लोगों के व्यवहार में सनकीपन आ जाता है। उस व्यक्ति का व्यवहार दूसरों के प्रति अजीब और असामान्य हो जाता है। इस डिसऑर्डर से ग्रस्त व्यक्ति सोचता है कि दूसरे लोग उसके साथ विश्वासघात, शोषण या उसका नुकसान करना चाहते हैं। यह डिसऑर्डर युवाओं में ज्यादा देखने को मिलता है। पैरानॉयड पर्सनेल्टी डिसऑर्डर वाले लोग वास्तविकता में नहीं रहते और ना ही वे इस बात को वे स्वीकार करते हैं। इसी वजह से उनके उपचार में समस्या आती है।
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क्या हैं पैरानॉयड पर्सनेल्टी डिसऑर्डर (Paranoid Personality Disorder) के लक्षण?
पैरानॉयड पर्सनेल्टी डिसऑर्डर से ग्रसित लोगों को हमेशा ऐसा लगता है कि कोई ना कोई उन्हें नुकसान पहुंचाने की कोशिश में लगा हुआ है। इसके अलावा भी कई ऐसे विचार हैं जो उनके मन में आते हैं जिसे विशेषज्ञ पैरानॉयड पर्सनेल्टी डिसऑर्डर के लक्षण मानते हैं।
- दोस्तों की वफादारी या भरोसे पर संदेह करना
- अपमानजनक या धमकी भरे कमेंट्स ज्यादा पढ़ना
- अपने जीवनसाथी या किसी और यौन साथी का पर बिना किसी बात संदेह करना
- किसी को माफ ना करना और द्वेष रखना
- हाइपरसेंसटिव रहना और किसी की आलोचना से स्वस्थ तरीके से न लेना
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किन कारणों से होता है पैरानॉयड पर्सनेल्टी डिसऑर्डर (Paranoid Personality Disorder) ?
पैरानॉयड पर्सनेल्टी डिसऑर्डर का अभी तक कोई सटीक कारण पता नहीं चल पाया हैं लेकिन इसमें बायोलॉजिकल और साइकोलॉजिकल दोनों ही कारण शामिल हैं। अधिकतर सिजोफ्रेनिया और भ्रम की समस्या से परेशान लोगों के करीबी रिश्तेदारों को यह डिसऑर्डर होने की संभावना काफी ज्यादा होती है। पैरानॉयड पर्सनालिटी डिसऑर्डर के लक्षण अक्सर बचपन या किशोरावस्था में देखने को मिलते हैं। बचपन में घटित कुछ बुरे अनुभव जैसे कि शारीरिक शोषण या इमोशनल डिस्टरबेंस भी पैरानॉयड पर्सनेल्टी डिसऑर्डर होने का कारण हो सकते हैं।
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कैसे करें पैरानॉयड पर्सनेल्टी डिसऑर्डर (Paranoid Personality Disorder) का उपचार?
पैरानॉयड पर्सनेल्टी डिसऑर्डर वाले लोग अक्सर किसी भी तरह का इलाज तलाश नहीं करते क्योंकि वे इसे किसी समस्या के रूप में देखते ही नहीं है। उन्हें दूसरों पर विश्वास नहीं होता और इसी वजह से कई मरीज उपचार के लिए नहीं जाते। अगर किसी तरह वो एक डॉक्टर तक पहुंच भी गए तो डॉक्टर के तरीके पर भी सवाल उठा सकते हैं।
विशेषज्ञों की मानें तो पैरानॉयड पर्सनेल्टी डिसऑर्डर के केस में साइकोथेरेपी ही सबसे सफल उपचार का तरीका है। इस तरह के उपचार के अंतर्गत डॉक्टर मरीज के अंदर विश्वास, सहानुभूति और आत्म-सम्मान बढ़ाने के साथ-साथ सामाजिक बनने पर जोर डालते हैं। आमतौर पर इस डिसऑर्डर के इलाज के लिए दवा का उपयोग नहीं किया जाता है। हालांकि, एंटी-डीप्रेस्सेंट और एंटी-साइकोटिक जैसी दवाएं भी डॉक्टर के परामर्श पर रोगियों को दी जाती हैं।
पैरानॉयड पर्सनेल्टी डिसऑर्डर वाले कुछ लोग इस बीमारी से अच्छी तरह लड़ते हैं और नौकरी करने और शादी करने के साथ ही नॉर्मल जीवन जी पाते हैं। बाकी केस में इस बीमारी के मरीज नॉर्मल जीवन नहीं जी पाते। इस बीमारी के निदान के लिए बिना देर किए अपने डॉक्टर का सही मार्गदर्शन लें।
पैरानॉयड पर्सनेल्टी डिसऑर्डर और जीवनकाल
आगे की जिंदगी में पैरानॉयड पर्सनेल्टी डिसऑर्डर के असर किस तरह से कम हो सकते हैं, यह व्यक्ति से व्यक्ति निर्भर करता है। यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि प्रभावित व्यक्ति आगे ट्रीटमेंट लेने के लिए तैयार है या नहीं। अगर वह ट्रीटमेंट लेता है तो उसके सामान्य व्यवहार करने की संभावना रहती है। इसके बाद वे सामान्य व्यक्ति की तरह जॉब कर सकते हैं और रिश्ते निभा सकते हैं। हालांकि, शोधकर्ता बताते हैं कि पैरानॉयड पर्सनेल्टी डिसऑर्डर के मामले में जिंदगीभर ट्रीटमेंट लेना आवश्यक है, क्योंकि इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। इसके लक्षण जिंदगीभर होते हैं बस ट्रीटमेंट लेकर उन्हें सामान्य किया जा सकता है।
पैरानॉयड पर्सनेल्टी डिसऑर्डर पर रिसर्च
एनसीबीआई के मुताबिक पैरानॉयड पर्सनेल्टी डिसऑर्डर एक ऐसा विषय है, जिसपर काफी रिसर्च की गई हैं और आगे भी की जा सकती हैं। हाल ही में की गई एक शोध में पाया गया कि पैरानॉयड पर्सनेल्टी डिसऑर्डर व्यक्ति के बचपन या बचपन में पहुंचे किसी आघात या किसी सामाजिक समस्या से गहरा संबंध है। एक रिसर्च में 115 लोगों के आंकड़े जुटाए गए जिन्हें पैरानॉयड पर्सनेल्टी डिसऑर्डर था। इनकी तुलना बॉडर लाइन पर्सनेल्टी डिसऑर्डर से प्रभावित लोगों से की गई तो सामने आया कि पैरानॉयड पर्सनेल्टी डिसऑर्डर का संबंध निश्चित तौर पर बचपन के आघात, हिंसा या किसी घटना से जुड़ा था। इसके कुछ लक्षण पैरानॉयड पर्सनेल्टी डिसऑर्डर से मिलते-जुलते नजर आए, तो कुछ कई तरह के अंतर की ओर इशारा कर रहे थे।
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