परिभाषा
कुशिंग सिंड्रोम (Cushing Syndrome) एक दुर्लभ हार्मोनल कंडिशन है जिसमें शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन (Cortisol Hormone) का लेवल सामान्य से बहुत अधिक बढ़ जाता है। कुशिंग सिंड्रोम को हाइपरकोर्टिसोलिज्म भी कहते हैं। कोर्टिसोल को स्ट्रेस हार्मोन भी कहते हैं। इसकी अधिक मात्रा से शरीर पर क्या असर होता है और कुशिंग सिंड्रोम का क्या उपचार है? जानिए इस आर्टिकल में।
कुशिंग सिंड्रोम (Cushing Syndrome) क्या है?
यह सिंड्रोम एक ऐसी मेडिकल कंडिशन है जिसमें शरीर में स्ट्रेस हार्मोनल कोर्टिसोल का उत्पादन सामान्य से बहुत अधिक होने लगता है। यह स्थिति पुरुषों की तुलना में महिलाओं में आम है और यह अक्सर 25 से 40 साल की उम्र में होता है। शरीर में कोर्टिसोल की अधिक मात्रा का कारण कोर्टिकोस्टेरॉयड दवा हो सकती है या फिर शरीर अपने आप अधिक कोर्टिसोल का उत्पादन करता है। शरीर में कोर्टिसोल की अधिक मात्रा होने पर आपके शरीर में कई तरह के बदलाव साफ नजर आने लगते हैं जैसे- कंधों के नीचे अधिक फैट (Extra fat) जमा होना, गोल चेहरा (सूजन के कारण), त्वचा पर पिंक या पर्पल स्ट्रेच मार्क्स। इस सिंड्रोम के कारण हाई ब्लड प्रेशर, हड्डियों को क्षति और टाइप 2 डायबिटीज हो सकता है। कुशिंग सिंड्रोम (Cushing Syndrome) से अधिक घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इसका उपचार किया जा सकता है। इलाज के बाद आपके शरीर में कोर्टिसोल का उत्पादन सामान्य हो जाता है और इसके लक्षणों में भी सुधार होता है। उपचार जितनी जल्दी शुरू किया जाता है इस सिंड्रोम के ठीक होने की संभावना उतनी ही अधिक होती है।
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लक्षण
कुशिंग सिंड्रोम के लक्षण (Symptoms of Cushing Syndrome)
कुशिंग सिंड्रोम महिलाओं और पुरुषों दोनों को हो सकता है और दोनों में इसके कुछ लक्षण अलग-अलग होते हैं, लेकिन कुछ आम लक्षण भी होते हैं जिसमें शामिल हैः
- ब्रेस्ट, पेट, बांह और जांघ पर पर्पल स्ट्रेच मार्क्स (Stretch marks)
- मिडसेक्शन में फैट (Fat) जमा होना जैसे चेहरा और कंधों के बीच में व ऊपरी पीठ के पास
- वजन बढ़ना
- मुहांसे
- थकान
- त्वचा (Skin) पर लगी चोट का जल्दी ठीक न होना
- त्वचा का पतला होना जिससे आसानी से नील पड़ जाता है
- कमजोर मांसपेशियां
- अधिक प्यास लगना
- हाई ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure)
- बार-बार पेशाब लगना
- ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis)
- मूड स्विंग
- डिप्रेशन
- सिरदर्द (Headache)
- एंग्जाइटी
- चिड़चिड़ापन
पुरुषों में दिखने वाले लक्षणः
- इरेक्टाइल डिसफंक्शन
- लिबिडो में कमी
- फर्टिलिटी (Fertility) कम होना
महिलाओं में दिखने वाले लक्षणः
- शरीर पर और चेहरे के बालों का मोटा दिखना
- पीरियड्स अनियमित (Irregular Periods) या न होना
बच्चों में दिखने वाले लक्षणः
स्टडी के मुताबिक यह सिंड्रोम बच्चों में भी हो सकता है, हालांकि इसका प्रतिशत कम है। बच्चों में कुशिंग सिंड्रोम होने पर यह लक्षण दिखते हैः
- मोटापा
- धीमी गति से विकास होना
- हाई ब्लड प्रेशर (हाइपरटेंशन)
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कारण
कुशिंग सिंड्रोम के कारण (Cause of Cushing Syndrome)
दवा- कुशिंग सिंड्रोम तब होता है जब आपके शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन बहुत अधिक होता है और वह लंबे समय तक शरीर में रहता है। कोर्टिसोल एड्रिनल ग्लैंड से आता है जो आपकी किडनी के ऊपर होता है। कोर्टिसोल का सबसे आम कारण ग्लूकोकार्टोइकोड्स (Glucocorticoids) नामक दवा का सेवन है, जिसे आमतौर पर स्टेरॉयड या प्रेडनिसोन के रूप में भी जाना जाता है। इसका उपयोग अस्थमा, रुमेटॉयड आर्थराइटिस, ल्यूपस या ऑर्गन ट्रांस्प्लांट के बाद किया जाता है। ये पावरफुल एंटीइंफ्लामेट्री दवाए हैं जिसका बहुत अधिक सेवन लंबे समय तक करने से कुशिंग सिंड्रोम हो सकता है।
एड्रिनल ग्लैंड में अनियमितता या ट्यूमर- एड्रिनल ग्लैंड में अनियमितता या ट्यूमर (Tumor) के कारण कोर्टिसोल के उत्पादन का पैटर्न बदल जाता है जिससे कुशिंग सिंड्रोम होता है।
ट्यूमर- कई तरह के ट्यूमर भी कुशिंग सिंड्रोम के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। इसमें शामिल हैः
एक्टोपिक ट्यूमर- ये ट्यूमर एड्रेनोकोर्टिकोट्रोपिक हार्मोन का उत्पादन करने वाली पिट्यूटरी के बाहर होते हैं। यह आमतौर पर फेफड़े, पैनक्रियाज, थायरॉयड या थाइमस ग्लैंड में होते हैं।
पिट्यूटरी ग्लैंड सिंड्रोम- पिट्यूटरी ग्लैंड एड्रेनोकोर्टिकोट्रोपिक हार्मोन का बहुत अधिक स्राव करता है, जो एड्रिनल ग्लैंड में कोर्टिसोल के उत्पादन को उत्तेजित करता है। इसे कुशिंग रोग कहा जाता है है।
कुशिंग रोग- यदि यह सिंड्रोम पिट्यूटरी ग्लैंड के एड्रेनोकोर्टिकोट्रोपिक हार्मोन के अधिक उत्पादन के कारण होता है जिससे कोर्टिसोल का प्रोडक्शन बढ़ जाता है, तो इसे कुशिंग रोग कहते हैं। कुशिंग सिंड्रोम (Cushing Syndrome) की तरह ही कुशिंग रोग भी पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक होता है।
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निदान
कुशिंग सिंड्रोम का निदान (Diagnosis of Cushing Syndrome)
कुशिंग सिंड्रोम का निदान करना थोड़ा मुश्किल हैं। क्योंकि वजन बढ़ना (Weight gain) और थकान जैसे लक्षण अन्य स्वास्थ्य स्थितियों के कारण भी हो सकते हैं और कुशिंग सिंड्रोम के लिए कोई एक कारण जिम्मेदार नहीं है। डॉक्टर आपकी मेडिकल हिस्ट्री और लक्षणों के बारे में पूछेगा। साथ ही आपको यदि कोई अन्य बीमारी है और आप उसकी दवा ले रहे हैं तो उसके बारे में भी बताएं। आपसे पूछे गए सवालों और लक्षणों के आधार पर यदि डॉक्टर को कुशिंग सिंड्रोम का संदेह होता है तो फिजिकल एग्जाम (Physical exam) के बाद आगे वह कुछ टेस्ट के लिए कहेगा ताकि कुशिंग सिंड्रोम को लेकर स्थिति स्पष्ट हो जाए।
डेक्सामेथासोन सप्रेशन टेस्ट- आपको 11:00 बजे कम डोज वाली स्टेरॉयड गोली लेनी होगी और फिर सुबह ब्लड टेस्ट (Blood test) करके देखा जाता है कि आपका शरीर अब कितना कोर्टिसोल बना रहा है।
लेट नाइट स्लाइवरी कॉर्टिसोल लेवल- इस टेस्ट में आपके लार यानी स्लाइवा में कोर्टिसोल (Cortisol) का लेवल मापा जाता है। जैसा की नाम से ही पता चल रहा है यह टेस्ट रात में किया जाता है।
24 घंटे यूरिनरी फ्री कोर्टिसोल टेस्ट- यह सामान्य टेस्ट में आपके यूरीन को 24 घटे कि लिए एकत्र किया जाता है ताकि पता चल सके कि इसमें कोर्टिसोल कितना है।
यदि आपको कुशिंग सिंड्रोम (Cushing Syndrome) है तो आपका डॉक्टर आपको स्पेशलिस्ट के पास भेजेगा। जहां वह स्थिति को और स्पष्ट करने के लिए और ब्लड टेस्ट (Blood Test) और इमेजिंग स्कैन कर सकता है।
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उपचार
कुशिंग सिंड्रोम का उपचार (Treatment for Cushing Syndrome)
कुशिंग सिंड्रोम का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि आपको यह सिंड्रोम किस कारण से हुआ है। आपका डॉक्टर बढ़े हुए कोर्टिसोल लेवल का स्तर सामान्य करने के लिए दवा दे सकता है। कुछ दवाएं एड्रिनल ग्लैंड (Adrenal gland) में कोर्टिसोल के उत्पादन या पिट्यूटरी ग्लैंड में एड्रेनोकोर्टिकोट्रोपिक हार्मोन (Adnocorticotopic Hormone) के उत्पादन को कम करती है। कुछ अन्य दवाएं आपके टिशू पर कोर्टिसोल के प्रभाव को रोकती है।
आप यदि कोर्टिकोस्टेरॉयड (Corticosteroids) का सेवन कर रहे हैं तो आपकी दवा और उसके डोज में बदलाव की जरूरत है, लेकिन आप खुद से इसमें बदलाव न करें।
यदि कुशिंग सिंड्रोम का कारण ट्यूमर है तो डॉक्टर सर्जरी के जरिए ट्यूमर को हटाने को कहेगा। लेकिन ट्यूमर यदि हटाया नहीं जा सकता तो डॉक्टर रेडिएशन थेरेपी (Radiation Therapy) या कीमोथेरेपी (Chemotherapy) से इसका उपचार करता है।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है, अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।