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जानिए सेल्युलाइट और स्ट्रेच मार्क्स के बीच अंतर और इनका कारण

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Ankita mishra द्वारा लिखित · अपडेटेड 21/07/2020

    जानिए सेल्युलाइट और स्ट्रेच मार्क्स के बीच अंतर और इनका कारण

    सेल्युलाइट और स्ट्रेच मार्क्स एक दूसरे से एकदम अलग होते हैं, लेकिन दोनों ही किसी की भी खूबसूरती पर धब्बा हो सकते हैं। सेल्युलाइट और स्ट्रेच मार्क्स दोनों की समस्या यौवनारंग के शुरूआती लक्षणों में देखा जा सकता है। हालांकि, कुछ लोगों में इनकी समस्या इससे पहले या बाद में भी हो सकती है। अधिकतर लोग सेल्युलाइट और स्ट्रेच मार्क्स और सेल्युलाइटिस को एक समझते हैं। हालांकि, सबसे पहले बता दें कि सेल्युलाइटिस (Cellulitis) एक स्वास्थ्य समस्या है, जिसमें त्वचा में सूजन के साथ लालिमा आ जाती है जो दर्दनाक भी होती है। वहीं, सेल्युलाइट और स्ट्रेच मार्क्स, सेल्युलाइटिस से एकदम अलग स्थिति होती है।

    सबसे पहले नीचे दिए तस्वीर A (सेल्युलाइट) और तस्वीर B (स्ट्रेच मार्क्स) से दोनों के बीच के फर्क को समझें-

    तस्वीर A (सेल्युलाइट)

    सेल्युलाइट और स्ट्रेच मार्क्स-Cellulite or Stretch Marks
    सेल्युलाइट और स्ट्रेच मार्क्स में ऊपर की यह तस्वीर सेल्युलाइट की स्थिति को दर्शाती है।

    तस्वीर B (स्ट्रेच मार्क्स)

    सेल्युलाइट और स्ट्रेच मार्क्स-Cellulite or Stretch Marks
    सेल्युलाइट और स्ट्रेच मार्क्स में ऊपर की यह तस्वीर स्ट्रेच मार्क्स को दर्शाती है।

    तो चलिए अब जानते हैं सेल्युलाइट और स्ट्रेच मार्क्स क्या है और इनके बीच का अंतर

    और पढ़ेंः Cellulitis: सेल्युलाइटिस क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और इलाज

    सेल्युलाइट (Cellulite) क्या है?

    सेल्युलाइट आमतौर पर महिलाओं और पुरुषों दोनों में ही होता है, हालांकि सेल्युलाइट की समस्या से परेशान महिलाओं की संख्या पुरुषों के मुकाबले ज्यादा है। सेल्युलाइट एक बहुत ही सामान्य समस्या है जो त्वचा में होती है। खासतौर पर इसे जांघों, कूल्हों, नितंबों, बाजूओं और पेट पर ढेलेदार मांस के रूप में देखा जा सकता है। यह दिखने में त्वचा जैसा ही होता है। यह त्वचा में बड़े और ऊभरे हुए दिखाई देते हैं जो दिखने में बहुत भद्दे लगते हैं। लगभग 80 फीसदी महिलाओं सेल्युलाइट की समस्या देखी जाती है। हालांकि, स्वास्थ्य के लिए यह नुकसानदेह नहीं होता है। इसे नारंगी के छिलके वाली त्वचा के रूप में भी जाना जाता है। इसके साथ शरीर में जब कोलेजन की मात्रा घटने लगती है तो त्वचा कि मजबूती कमजोर होने लगती है जो शरीर की बाहरी त्वचा पर सेल्युलाइट का कारण बन सकती है।

    गर्भावस्था

    पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में सेल्युलाइट और स्ट्रेच मार्क्स की समस्या अधिक देखी जाती है, जिसके पीछे का एक सबसे बड़ा कारण गर्भावस्था होता है। दरअसल, महिलाओं में बड़ी वसा कोशिकाएं उनके हार्मोन के कारण होती है। एक महिला को बच्चे को जन्म देने के लिए तैयार होना पड़ता है। ऐसे में गर्भ में पल रहे बच्चे को पोषण मिले इसके लिए शरीर कई जगह फैट को इक्ठ्ठा करके रखता है। जैसे हिप्स और जांघों के पास, यही जमा हुआ फैट बच्चे के पोषण में मदद करता है। साथ ही, जब जन्म के बाद बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग करनी होती है, तब भी महिला के शरीर को ऊर्जा की जरूरत होती है। ऐसे में ये एकत्र हुए फैट ही इस कार्य में महिला के शरीर की मदद करते हैं।

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    सेल्युलाइट के कारण

    सेल्युलाइट त्वचा के नीचे जमा होने वाले फैट के कारण होता है। सेल्युलाइट त्वचा और मांसपेशियों के बीच स्थित फैट की लेयर में विकसित होता है। जैसे-जैसे फैट टिश्यू बनते हैं, वे शरीर के बाहर बनने के लिए फोर्स करते हैं, जबकि मांसपेशियां शरीर के अंदर बढ़ती है, जिसकी वजह से शरीर के बाहर की त्वचा पर डिंपल के रूप में सेल्युलाइट बनता है। इसके अलावा पुरुषों की तुलना में महिलाओं के शरीर में टिश्यू सीधे होते हैं, जिन्हें फैट आसानी से खिसका देता है और यही टिश्यू सेल्युलाइट का कारण बन जाते हैं। जबकि, पुरुषों के शरीर में टिश्यू तिरछे होते हैं। यही सबसे बड़ी वजह भी है कि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में सेल्युलाइट की समस्या अधिक देखी जाती है। इसके अलावा बहुत ज्यादा कसे हुए कपड़े या अंडरगार्मेंट्स पहनने के कारण भी शरीर में ब्लड फ्लो कम हो सकता है जो सेल्युलाइट का एक कारण बन सकता है। साथ ही, ऐसे लोग जिनकी शारीरिक गतिविधियां बहुत कम होती है, उनमें भी इसके होने का जोखिम अधिक हो सकता है। इसके अलावा गर्भावस्था भी इसका एक मुख्य कारण हो सकता है।

    बहुत अधिक वजन बढ़ने, तनाव लेने के कारण भी सेल्युलाइट की समस्या हो सकती है। इसके अलावा सेल्युलाइट का कारण वंशानुगत भी हो सकता है।

    कितनी गंभीर है सेल्युलाइट की समस्या

    सेल्युलाइट की समस्या कितनी गंभीर हो सकती है, इसके लिए इसे तीन ग्रेड 1, 2 और 3 में विभाजित किया गया है। साल 2009 में प्रकाशित एक सेल्युलाइट की समस्या की गंभीरता स्केल ने इसकी स्थिति को विभाजित किया है, जो निम्न हैंः

    • ग्रेड 1 या माइल्ड: त्वचा में एक से चार फीसदी गहरा होता है। त्वचा संतरे के छिलके जैसी दिखाई देती है।
    • ग्रेड 2 या मध्यम: त्वचा में पांच से नौ फीसदी गहरा होता है। त्वचा पनीर के टुकड़ों जैसी दिखाई देती है
    • ग्रेड 3 या गंभीर स्थिति: 10 या इससे अधिक फीसदी में त्वचा की गहारी में होती है, तो त्वचा पर भारी उभारों जैसे आकर में दिखाई देती है।

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    स्ट्रेच मार्क्स (Stretch Marks) क्या है?

    स्ट्रेच मार्क्स शरीर पर एक रेखा की तरह होते है, तो पतले और मोटे दोनों ही तरह के हो सकते हैं। ये दिखने में सफेद रेखाएं होती हैं। स्ट्रेच मार्क्स भी पुरुषों और महिलाओं दोनों में होते हैं। ये अक्सर पेट, जांघों, कूल्हों और छाती पर पाए जाते हैं। इसके अलावा, यह उन महिलाओं में काफी आम होता है, जो प्रेग्नेंट हो चुकी होती हैं। स्ट्रेच मार्क्स को स्ट्रैई (Striae) भी कहा जाता है।

    स्ट्रेच मार्क्स के कारण

    स्ट्रेच मार्क्स तब होता है जब त्वचा में वृद्धि होने या वजन बढ़ने के कारण तेजी से आकार बदलने लगता है। इसके अलावा गर्भावस्था और यौवनारंभ दौरान भी यह सबसे सामान्य होता है। महिलाओं में जहां स्ट्रेच मार्क्स का सबसे बड़ा कारण प्रेग्नेंसी हो सकता है, वहीं पुरुषों में स्ट्रेच मार्क्स का कारण तेजी से मसल्स बढ़ना, वजन बढ़ना या वजन घटना भी हो सकता है। ज्यादातर बॉडी बिल्डर्स में स्ट्रेच मार्क्स के निशान देखे जाते हैं क्योंकि वे बहुत तेजी से मसल डेव्लप करते हैं। स्ट्रेच मार्क्स शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। जिस भी हिस्से पर अत्यधिक खिंचाव पड़ता है या टिश्यू की ऊपरी लेयर तेजी से बिखरती है, वहां स्ट्रेच मार्क्स बन जाते हैं।

    इसके अलावा स्ट्रेच मार्क्स का एक कारण जेनेटिक्स भी हो सकता है। कई रिसर्च इसक दावा कर चुके हैं कि अगर माता-पिता को स्ट्रेच मार्क्स हैं तो उनके बच्चों में भी स्ट्रेच मार्क्स होने की संभावना बढ़ जाती है।

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    सेल्युलाइट और स्ट्रेच मार्क्स के बीच अंतर

    सेल्युलाइट और स्ट्रेच मार्क्स के बीच अंतर समझने के लिए सबसे पहले दोनों के रूप को समझ सकते हैं। सेल्युलाइट में त्वचा पर जहां डिंपल बन जाते हैं, वहीं स्ट्रेच मार्क्स में त्वचा में रेखाएं बन जाती हैं। हालांकि सेल्युलाइट और स्ट्रेच मार्क्स लगभग शरीर के एक ही हिस्से में हो सकते हैं। वहीं, स्ट्रेच मार्क्स आम तौर पर भीतरी जांघ, अंडरआर्म, पेट, स्तन, नितंब या पीठ पर दिखाई देते हैं। वहीं, सेल्युलाइट आमतौर पर ऊपरी जांघों, नितंबों, कूल्हों और पेट पर होता है।

    सेल्युलाइट और स्ट्रेच मार्क्स के उपचार क्या हैं?

    सेल्युलाइट और स्ट्रेच मार्क्स को आज शारीरिक सुंदरता के तौर पर देखा जाता है। दोनों के उपचार के लिए अलग-अलग विधियां हैं, लेकिन इनके प्रभाव ज्यादातर अस्थायी ही होते हैं।

    सेल्युलाइट के लिए उपचार

    सेल्युलाइट के निशान को पूरी तरह से खत्म नहीं किया जा सकता हैं। हालांकि कुछ तरीके हैं जिनकी मदद से इसके निशान कम किए जा सकते हैं। सेल्युलाइट के निशानों को कम करने के लिए निम्न तरीकों का इस्तेमाल किया जा सकता हैः

    • वजन कम करना
    • विटामिन ई युक्त क्रीम का इस्तेमाल करना
    • लेजर ट्रीटमेंट्स
    • फैटी एसिड युक्त क्रीम और तेलों का इस्तेमाल
    • सर्जरी
    • नियमित तौर पर एक्सरसाइज करना

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    स्ट्रेच मार्क्स के लिए उपचार

    सेल्युलाइट की ही तरह स्ट्रेच मार्क्स के निशान को भी पूरी तरह से खत्म नहीं किया जा सकता है। हालांकि, कुछ तरीके हैं जिनकी मदद से इसके निशान कम किए जा सकते हैं। स्ट्रेच मार्क्स के निशानों को कम करने के लिए निम्न तरीकों का इस्तेमाल किया जा सकता हैः

    एक बात का ध्यान रखें कि सेल्युलाइट और स्ट्रेच मार्क्स शायद ही कभी स्वास्थ्य के लिए घातक समस्या बन सकते हैं। आमतौर पर इन समस्याओं को शारीरिक सुदरंता के साथ जोड़कर देखा जाता है। ऐसे में अगर आप सेल्युलाइट और स्ट्रेच मार्क्स की समस्या से निजात पाने के लिए लेजर ट्रीटमेंट या सर्जरी के बारे में विचार कर रहे हैं, तो इसके बारे में अपने डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।

    अगर इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।

    डिस्क्लेमर

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