बहुत अधिक वजन बढ़ने, तनाव लेने के कारण भी सेल्युलाइट की समस्या हो सकती है। इसके अलावा सेल्युलाइट का कारण वंशानुगत भी हो सकता है।
कितनी गंभीर है सेल्युलाइट की समस्या
सेल्युलाइट की समस्या कितनी गंभीर हो सकती है, इसके लिए इसे तीन ग्रेड 1, 2 और 3 में विभाजित किया गया है। साल 2009 में प्रकाशित एक सेल्युलाइट की समस्या की गंभीरता स्केल ने इसकी स्थिति को विभाजित किया है, जो निम्न हैंः
- ग्रेड 1 या माइल्ड: त्वचा में एक से चार फीसदी गहरा होता है। त्वचा संतरे के छिलके जैसी दिखाई देती है।
- ग्रेड 2 या मध्यम: त्वचा में पांच से नौ फीसदी गहरा होता है। त्वचा पनीर के टुकड़ों जैसी दिखाई देती है
- ग्रेड 3 या गंभीर स्थिति: 10 या इससे अधिक फीसदी में त्वचा की गहारी में होती है, तो त्वचा पर भारी उभारों जैसे आकर में दिखाई देती है।
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स्ट्रेच मार्क्स (Stretch Marks) क्या है?
स्ट्रेच मार्क्स शरीर पर एक रेखा की तरह होते है, तो पतले और मोटे दोनों ही तरह के हो सकते हैं। ये दिखने में सफेद रेखाएं होती हैं। स्ट्रेच मार्क्स भी पुरुषों और महिलाओं दोनों में होते हैं। ये अक्सर पेट, जांघों, कूल्हों और छाती पर पाए जाते हैं। इसके अलावा, यह उन महिलाओं में काफी आम होता है, जो प्रेग्नेंट हो चुकी होती हैं। स्ट्रेच मार्क्स को स्ट्रैई (Striae) भी कहा जाता है।
स्ट्रेच मार्क्स के कारण
स्ट्रेच मार्क्स तब होता है जब त्वचा में वृद्धि होने या वजन बढ़ने के कारण तेजी से आकार बदलने लगता है। इसके अलावा गर्भावस्था और यौवनारंभ दौरान भी यह सबसे सामान्य होता है। महिलाओं में जहां स्ट्रेच मार्क्स का सबसे बड़ा कारण प्रेग्नेंसी हो सकता है, वहीं पुरुषों में स्ट्रेच मार्क्स का कारण तेजी से मसल्स बढ़ना, वजन बढ़ना या वजन घटना भी हो सकता है। ज्यादातर बॉडी बिल्डर्स में स्ट्रेच मार्क्स के निशान देखे जाते हैं क्योंकि वे बहुत तेजी से मसल डेव्लप करते हैं। स्ट्रेच मार्क्स शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। जिस भी हिस्से पर अत्यधिक खिंचाव पड़ता है या टिश्यू की ऊपरी लेयर तेजी से बिखरती है, वहां स्ट्रेच मार्क्स बन जाते हैं।
इसके अलावा स्ट्रेच मार्क्स का एक कारण जेनेटिक्स भी हो सकता है। कई रिसर्च इसक दावा कर चुके हैं कि अगर माता-पिता को स्ट्रेच मार्क्स हैं तो उनके बच्चों में भी स्ट्रेच मार्क्स होने की संभावना बढ़ जाती है।