आर्थ्रोसिस और अर्थराइटिस (Arthrosis and Arthritis) ये दोनों अलग-अलग शारीरिक परेशानी है। इन दोनों के नामों में थोड़ी समानता होने की वजह से कई बार कंफ्यूजन हो जाता है और ऐसे में हम बीमारी के बारे में सही जानकारी हासिल करने से पीछे रह जाते हैं। आर्थ्रोसिस और अर्थराइटिस क्या हैं? आर्थ्रोसिस और अर्थराइटिस दोनों में क्या है अंतर और इससे जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारी आपसे शेयर करेंगे। जैसे:
- आर्थ्रोसिस और अर्थराइटिस क्या है?
- आर्थ्रोसिस और अर्थराइटिस के लक्षण क्या हैं?
- आर्थ्रोसिस और अर्थराइटिस के कारण क्या है?
- आर्थ्रोसिस और अर्थराइटिस का डायग्नोसिस कैसे किया जाता है?
- आर्थ्रोसिस और अर्थराइटिस का इलाज कैसे किया जाता है?
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चलिए इन सवालों का जवाब आपसे एक-एक कर शेयर करते हैं।
आर्थ्रोसिस और अर्थराइटिस क्या है? (What is Arthrosis and Arthritis?)
आर्थ्रोसिस और अर्थराइटिस दोनों ही हड्डी (Bones), स्नायु (Ligaments) और जोड़ों (Joints) से जुड़ी समस्या है। इन दोनों ही बीमारियों के कारण जोड़ों में अकड़न (Joint stiffness) और जोड़ों में दर्द (Joints pain) की समस्या होती है, आर्थ्रोसिस और अर्थराइटिस दोनों अलग-अलग बीमारी है। नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ अर्थराइटिस एंड मुस्कुलोस्केलेटल एंड स्किन डिजीज (National Institute of Arthritis and Musculoskeletal and Skin Diseases) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार ऑस्टियोअर्थराइटिस (Osteoarthritis [OA]) का ही दूसरा नाम आर्थ्रोसिस है, जो अर्थराइटिस का ही एक प्रकार है और सबसे सामान्य है। आर्थ्रोसिस शरीर के किसी भी जोड़ों में हो सकता है। जैसे हाथों, गर्दन, घुटनों और कूल्हों के जोड़ों में दर्द की शिकायत रहना। उम्र बढ़ने के साथ-साथ ये तकलीफें भी बढ़ने लगती हैं। ऐसी स्थिति होने पर मरीज अलग-अलग लक्षण भी महसूस कर सकते हैं, जिनके बारे में इस आर्टिकल में आगे जानेंगे।
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आर्थ्रोसिस और अर्थराइटिस के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Arthrosis and Arthritis)
अगर किसी व्यक्ति को आर्थ्रोसिस और अर्थराइटिस दोनों की समस्या रहती है, तो जोड़ों में अकड़न (Joint stiffness) महसूस होना और जोड़ों में दर्द (Joints pain) की तकलीफ बनी रहती है। इनदोनों परेशानियों के साथ-साथ अर्थराइटिस होने पर निम्नलिखित लक्षण देखे जा सकते हैं। जैसे:
- जोड़ों में सूजन होना।
- जोड़ों के आसपास की त्वचा लाल होना।
- जॉइन्ट्स मूवमेंट में परेशानी होना।
वहीं आर्थ्रोसिस से पीड़ित मरीजों में भी जोड़ों में अकड़न एवं जोड़ों में दर्द के अलावा और भी अन्य लक्षण हो सकते हैं, जो इस प्रकार हैं:
- जोड़ों के आसपास के मसल्स का लाल होना।
- जोड़ों की फ्लैग्सिब्लिटी कम होना।
- जोड़ों के आसपास हड्डी का सामान्य से ज्यादा बढ़ना।
- हड्डियों का आपस में रगड़ना।
अगर ध्यान दिया जाए, तो आप खुद आर्थ्रोसिस और अर्थराइटिस के लक्षणों (Symptoms of Arthrosis and Arthritis) को समझ सकते हैं, लेकिन इनके कारणों को समझना भी जरूरी है।
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आर्थ्रोसिस और अर्थराइटिस के कारण क्या है? (Cause of Arthrosis and Arthritis)
इन दोनों ही बीमारियों के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं। जैसे:
- ओल्ड एज (Old age) या बढ़ती उम्र।
- अनुवांशिक (Genetical) कारण।
- सामान्य से ज्यादा वजन (Weight gain) बढ़ना।
- स्पोर्ट्स एक्टिविटी में ज्यादा हिस्सा लेना।
- फ्रैक्चर या जॉइन्ट इंजरी होना।
- हीमोफीलिया (Haemophilia) की समस्या होना।
- रूमेटाइड आर्थराइटिस (Rheumatoid arthritis) या ऐसी ही कोई अन्य बीमारी होना।
आर्थ्रोसिस और अर्थराइटिस के ये सभी मुख्य कारण माने जाते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है कि इसका इलाज संभव नहीं है। आर्थ्रोसिस और अर्थराइटिस (Arthrosis and Arthritis) के इलाज से पहले डॉक्टर टेस्ट की सलाह देते हैं।
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आर्थ्रोसिस और अर्थराइटिस का डायग्नोसिस कैसे किया जाता है? (Diagnosis of Arthrosis and Arthritis)
आर्थ्रोसिस और अर्थराइटिस का डायग्नोसिस के दौरान डॉक्टर पेशेंट से सबसे पहले उनकी मेडिकल हिस्ट्री और लक्षणों के बारे में पूछते हैं और फिर फैमिली मेडिकल हिस्ट्री पूछते हैं। इससे अर्थराइटिस की समस्या कौन से प्रकार की है, इसकी जानकरी मिलने में सहायता मिलती है। वहीं इसके अलावा टेस्ट करवाने की भी सलाह देते हैं। जैसे:
- ब्लड टेस्ट (Blood test) के माध्यम से सूजन (Inflammation) और संक्रमण (Infection) की जानकारी मिलती है।
- जॉइन्ट में मौजूद फ्लूइड की जांच।
- एक्स-रे (X-Ray) या एमआरआई (MRI) भी करवाने की सलाह डॉक्टर दे सकते हैं।
- जोड़ों से संबंधित परेशानी ज्यादा होने पर ऑर्थोस्कोपी (Arthroscopy) की जा सकती है। यह टेस्ट एक छोटे से कैमरे की मदद से की जाती है।
इनसभी टेस्ट के बाद और बीमारी की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए इलाज शुरू की जाती है।
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आर्थ्रोसिस और अर्थराइटिस का इलाज कैसे किया जाता है? (Treatment for Arthrosis and Arthritis)
आर्थ्रोसिस और अर्थराइटिस का इलाज निम्नलिखित तरह से किया जा सकता है। जैसे:
- मेडिकेशन (Medication)- ओवर-द-काउंटर मिलने वाली दवाएं जैसे एसिटामिनोफेन (Acetaminophen) के सेवन की सलाह दी जा सकती है।
- फिजिकल थेरिपी (Physical therapy)- थेरिपी की मदद से जोड़ों से जुड़ी परेशानियों को दूर करने के लिए थेरिपी की सहायता ली जाती है।
- ऑक्यूपेशनल थेरिपी (Occupational therapy)- ऑक्यूपेशनल थेरिपी की मदद से पेशेंट के वर्क एनवायरमेंट और आदतों के बारे में पहले समझा जाता है और फिर उन्हें कैसे हेल्दी बनाया जाए, इसकी जानकारी पेशेंट को दी जाती है।
- ऑर्थोटिक्स (Orthotics)- ब्रेसिज, मोच या जूते की वजह से होने वाली परेशानियों को ऑर्थोटिक्स की मदद से दूर की जाती है।
- जॉइन्ट सर्जरी (Joint surgery)- अगर किसी पेशेंट की जॉइन्ट पूरी तरह से डैमेज हो चुकी है, तो ऐसी स्थिति में सर्जरी की सलाह दी जाती है।
इन अलग-अलग तरहों से पेशेंट के हेल्थ कंडिशन और बीमारी की गंभीरता को ध्यान में रखकर इलाज किया जाता है।
दवाओं, फिजिकल थेरिपी और अन्य उपचारों के लिए अपने विकल्पों के बारे में अपने डॉक्टर से जरूर बात करें। आमतौर पर आप गठिया (Arthritis) की समस्या या इसके किसी भी टाइप के साथ पेशेंट हेल्दी लाइफ स्टाइल मेंटेन कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए कुछ हेल्दी टिप्स फॉलो करने की आदत आपको डालनी होगी।
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आर्थ्रोसिस और अर्थराइटिस से राहत पाने के आसान टिप्स (Tips to avoid Arthrosis and Arthritis)-
- हेल्दी डायट (Healthy diet) रेग्यूलर फॉलो करें।
- बॉडी में यूरिक एसिड (Uric acid) के लेवल को बैलेंस रखें।
- विटामिन-डी (Vitamin-D) का सेवन जरूर करें।
- शरीर के जोड़ों की मालिश रोजाना करें।
- शरीर का वजन (Weight control) कंट्रोल रखें।
- डॉक्टर के सलाह अनुसार नियमित एक्सरसाइज (Workout) करें।
- बॉडी को रिलैक्स करें।
इन छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखकर आर्थ्रोसिस और अर्थराइटिस से राहत पाया जा सकता है।
उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा। आर्थ्रोसिस और अर्थराइटिस (Arthrosis and Arthritis) से संबंधित जानकारियां और दोनों में क्या अंतर है यह भी आप समझ गयें होंगे। अगर आप आर्थ्रोसिस और अर्थराइटिस (Arthrosis and Arthritis) से जुड़े किसी अन्य सवालों का जवाब जानना चाहते हैं, तो आप कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं या अगर आप आर्थ्रोसिस और अर्थराइटिस से जुड़ी कोई अन्य जानकारी शेयर करना चाहते हैं, तो हमें जरूर बताएं।
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