क्या आपको पता है कि एपिलेप्सी के लिए योग (Yoga for epilepsy) काफी प्रभावकारी माना जाता है शरीर को स्वस्थ्य रखने के लिए योग सबसे बेहतर विकल्प माना जाता है। नियमित योग से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों को ही स्ट्रॉन्ग बनाने में मदद मिलती है। आज इस आर्टिकल में एपिलेप्सी की समस्या को योग की सहायता से कैसे दूर किया जा सकता है, यह जानेंगे। लेकिन सबसे पहले जानते हैं एपिलेप्सी क्या है और इससे जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकारी और एपिलेप्सी की समस्या दूर करने के लिए किये जाने वाले योगासन। जानिए एपिलेप्सी के लिए योग (Yoga for epilepsy) के बारे में यहां:
एपिलेप्सी क्या है (What is epilepsy)?
एपिलेप्सी एक क्रोनिक डिसऑर्डर है। इस बीमारी को मिर्गी के नाम से भी जाना जाता है। जब कोई व्यक्ति इस बीमारी से पीड़ित हो जाते हैं, तो एक से ज्यादा यानी कई प्रकार के दौरे (Seizures) पड़ते हैं। मिर्गी (Epilepsy) के खतरे को कम करके इस बीमारी से बचा जा सकता है। एपिलेप्सी (मिर्गी) की समस्या होने पर व्यक्ति का व्यवहार सामान्य नहीं रहता है और बार-बार बेहोश भी होने लगता है। एपिलेप्सी (मिर्गी) की समस्या होने पर मस्तिष्क पर बुरा असर पड़ता है। कुछ लोगों में एपिलेप्सी (मिर्गी) के लक्षण इतने सामान्य होते हैं कि मिर्गी के दौरे के बारे में जानकारी ही नहीं मिल पाती है।
एपिलेप्सी की समस्या से बचने के लिए इसके लक्षणों को समझना बेहद जरूरी है। क्योंकि जब लक्षणों को समझेंगे तभी एपिलेप्सी के लिए योग (Yoga for Epilepsy) अपनाकर इस बीमारी को मात दे सकते हैं।
एपिलेप्सी के लक्षण क्या हैं (What are the symptoms of epilepsy)?
मिर्गी के लक्षण वैसे सभी में अलग-अलग नजर आ सकते हैं। इसके निम्नलिखित हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- भ्रम में रहना
- पैर और हाथ में झटके महसूस होना
- किसी भी काम पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाना
- घबराना या घबराहट महसूस होना
- डर महसूस करना
- एंग्जायटी होना
इन लक्षणों के अलावा और भी अन्य लक्षण देखे जा सकते हैं। लेकिन इन लक्षणों को नजरअंदाज ना करें और जल्द से जल्द डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए। एपिलेप्सी के कारणों को भी समझकर इस बीमारी से बचा जा सकता है।
एपिलेप्सी के कारण क्या हैं (what are the causes of epilepsy)?
रिसर्च के मुताबिक मिर्गी के आधे से ज्यादा कारणों का पता नहीं चल पाता है। लेकिन इसके कुछ कारण निम्नलिखित हो सकते हैं। जैसे:
- जेनेटिकल प्रॉब्लम
- सिर में चोट लगना
- मस्तिष्क संबंधी विकार
- इंफेक्शन की समस्या होना
- प्रीनेटल की समस्या
- डेवलपमेंट डिसऑर्डर
इन कारणों के अलावा, मिर्गी के अन्य कारण भी हो सकते हैं। इसलिए अगर आपको ऊपर बताई परेशानियां हैं, तो सतर्क रहें और डॉक्टर से कंसल्ट करें। अब इस आर्डिकल में आगे समझेंगे एपिलेप्सी के लिए योग कौन-कौन से हैं और उन्हें कैसे किया जा सकता है।
एपिलेप्सी के लिए योग (Yoga for Epilepsy) कौन से हैं?
एपिलेप्सी के लिए योग 1: ताड़ासन (Tadasana)
एपिलेप्सी के लिए योग की लिस्ट में सबसे पहले आता है ताड़ासन। ताड़ासन को द माउंटेन पोज (Mountain Pose) भी जाता जाता है। ताड़ा का अर्थ पहाड़ और आसन का अर्थ पोज या पॉश्चर। ताड़+आसन शब्द ताड़ासन कहलाता है। इस आसान को नियमित करें या जो लोग योगासन नियमित करते हैं, वो अपने लिस्ट में इसे जरूर शामिल रखते हैं। ताड़ासन (Tadasana) को सभी स्थायी योग मुद्राओं की नींव माना जाता है। इस योगासन के दौरान शरीर के हर एक अंग का प्रयोग किया जाता है। यहां तक कि इस योगासन के दौरान ब्रेन का भी इस्तेमाल किया जाता है। एपिलेप्सी के पेशेंट के अलावा ताड़ासन हर उम्र के लोगों के लिए लाभकारी होता है।
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एपिलेप्सी के लिए योग 2: शीर्षासन (Shirshasana)
शीर्षासन को हेडस्टैंड (Headstand) भी कह जाता है। इस आसान को नियमित करने से कई तरह के शारीरिक लाभ मिलते हैं। मेंटल हेल्थ को फिट रखने के लिए शीर्षासन बेहद लाभकारी माना जाता है। रिसर्च के अनुसार एपिलेप्सी के अलावा डिप्रेशन या डिस्थीमिया या माइग्रेन जैसी मानसिक बीमारियों से दूर रहने में शीर्षासन के फायदे हैं। शीर्षासन को 2 से 5 मिनट तक किया जा सकता है। हालांकि इस आसन को करने के दौरान अगर आपकी बाहें, पीठ या गर्दन में थकावट महसूस होने लगे तो आपको अपने नॉर्मल पुजिशन (पोजीशन) में आ जाना चाहिए।
एपिलेप्सी के लिए योग 3: सर्वांगासन (Sarvangasana)
सर्वांगासन संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ है, सभी अंगों का आसन। सर्वांगासन, तीन शब्दों से मिलकर बना हुआ शब्द है। यहां सर्व का अर्थ है संपूर्ण (पूरा) वहीं दूसरा शब्द अंग है, जिसका अर्थ हिस्सा है। वहीं तीसरा शब्द आसन है। आसन का अर्थ शरीर का एक पूजिशन। इस आसन को कंधे के बल पर उल्टा खड़े होकर किया जाता है। शुरुआती दिनों में इस आसन को करने में परेशानी महसूस हो सकती है या बॉडी बैलेंस करने में कठिनाई हो सकती है, लेकिन धीरे-धीरे इस आसन को आसानी से किया जा सकता है।
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एपिलेप्सी के लिए योग 4: वृक्षासन (Tree Pose)
वृक्षासन को ट्री पोज भी कहा जाता है। दरअसल इस योगासन का पोज वृक्ष के समाना होता है, इसलिए इसे वृक्षासन कहते हैं। वृक्षासन से बॉडी को बैलेंस रखने के साथ-साथ कॉन्सन्ट्रेशन बढ़ाने के लिए भी मदद मिलती है। यह ध्यान रखें कि इस योग के दौरान आंख को खोलकर रखें, जिससे शरीर संतुलित रखने में आसानी मिलेगी।
एपिलेप्सी के लिए योग 5: नौकासन (Naukasana)
जैसा की नाम से पता चल रहा है कि इस आसन को करने के दौरान शरीर एक नांव की तरह दिखाई देता है। इसे करने से पेट से गैस तो रिलीज होती ही है, साथ ही डायजेस्टिव सिस्टम भी स्ट्रेच होता है। यही वजह है कि पेट की कई मुसीबतो से छुटकारा दिलाने में ये योगासन बेमिसाल है। इन परेशानियों को दूर करने के साथ-साथ एपिलेप्सी की परेशानी दूर होती है ।
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एपिलेप्सी के लिए योग 6: भुजंगासन (Cobra Pose)
एपिलेप्सी के लिए योग (Yoga for Epilepsy) में शामिल है भुजंगासन। इस आसान को करने के दौरान पूरे शरीर में खिंचाव आता है। जिससे शरीर लचीला बनता है और आपका पाचन तंत्र मजबूत बनता है। हमारा पूरा दिन बहुत व्यस्त होता है। भुजंगासन योग पीठ की मांसपेशियों को मजबूत बनाने के साथ-साथ पीठ से जुड़ी तकलीफों को भी दूर करने में सहायता मिलती है।
एपिलेप्सी के लिए योग 7: मकरासन (Makarasana)
मकरासन से बॉडी को रिलैक्स रखते हुए आंखे बंद रखकर सांस ली जाती है, जिससे बॉडी और ब्रेन रिलैक्स मोड में आ जाता है और डिप्रेशन, बेचैनी, घबराहट या माइग्रेन जैसी परेशानियों को दूर किया जा सकता है। योगा एक्सपर्ट्स के अनुसार की तकलीफ दूर करने में भी यह आसन बेहद कारगर माना जाता हैं। वहीं महिलाओं के लिए यह योगासन विशेष लाभकारी है, क्योंकि मकरासन के नियमित करने से कमर दर्द की परेशानी भी धीरे-धीरे दूर होती है और एपिलेप्सी की भी समस्या से निजात मिल सकता है।
बीमारी कितनी भी गंभीर क्यों ना हो, लेकिन उससे लड़ा जा सकता है और बीमारी को जड़ से मिटाया जा सकता है। इसलिए अगर कोई व्यक्ति एपिलेप्सी से पीड़ित है, तो उनके लिए ऊपर बताये योगासन की मदद से इस बीमारी को दूर किया जा सकता है। सिर्फ इन योगासनों को करने से पहले योगा एक्सपर्ट से इन आसनों को कैसे करना है, यह जरूर समझें। क्योंकि योग गलत करने से शरीर पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अगर एपिलेप्सी या एपिलेप्सी के लिए योग (Yoga for Epilepsy) से जुड़े आपके मन में कोई सवाल है या कोई परेशानी महसूस होती है, तो डॉक्टर से जल्द से जल्द कंसल्ट करें।
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